यह हमारा सौभाग्य है कि अब तक ज्ञात ब्रह्मांड में केवल हमारी धरती पर ही जीवन है। सिर्फ जीवन ही नहीं है, बल्कि मानव जाति ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में इतनी प्रगति की है कि आज हम एक सुविधाजनक … पढ़ना जारी रखें कोरोना के खिलाफ वैज्ञानिकों की जंग
हाल ही में फ्रांस के वायरोलॉजिस्ट और साल 2008 में एचआईवी-विषाणु की खोज के लिए चिकित्सा विज्ञान के नोबेल पुरस्कार विजेता ल्यूक मॉन्टेनियर ने दावा किया है कि सार्स-सीओवी 2 वायरस मानव निर्मित है। उन्होंने बताया कि ये वायरस चीन … पढ़ना जारी रखें विज्ञान से बढ़कर नहीं है कोई भी वैज्ञानिक
जालंधर के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का 106वां अधिवेशन 7 जनवरी, 2019 को संपन्न हुआ। इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन की स्थापना दो अंग्रेज़ वैज्ञानिकों जे. एल. सीमोंसन और पी. एस. मैकमोहन की दूरदर्शिता और पहल पर 1914 … पढ़ना जारी रखें विज्ञान का मिथकीकरण
आधुनिक काल को हम वैज्ञानिक युग की संज्ञा देते हैं। विज्ञान ने मानव के सामर्थ्य एवं सीमाओं का विस्तार किया है। विज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बीच गहरा संबंध होता है। आज अनगिनत उपकरण व डिवाइस हमारे दैनिक जीवन के … पढ़ना जारी रखें वैज्ञानिकों का व्यवहार अवैज्ञानिक क्यों?
लेखक -प्रदीप विज्ञान का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना है, परंतु विज्ञान के व्यापक विकास की शुरुवात तकरीबन साढ़े चार सौ वर्ष पहले उस समय हुई, जब आधुनिक विज्ञान की नींव तैयार हो रही थी। आधुनिक विज्ञान के आविर्भाव से … पढ़ना जारी रखें मिथक, अंधविश्वास, छद्म विज्ञान एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण
हाल ही मे एक हिन्दी फिल्म आयी है ’मिस्टर ए़क्स” जिसमे नायक अदृश्य हो सकता है। कहानीयों मे , फिल्मो मे अदृश्य होने का कथानक नया नही है, एच जी वेल्स की कहानी ’The invisible man(अदृश्य मानव)‘ मे अदृश्यता का कथानक है। 50 के दशक मे आयी हिंदी फिल्म ’मिस्टर एक्स इन बांबे’ , 80 के दशक की ’मिस्टर इंडीया’ या कुछ वर्षो पहले आयी फिल्म ’गायब’ इन सभी मे नायक अदृश्य हो सकता है। हालीवुड की फिल्म ’The Hollow Man’ मे भी यही कथानक है। इस लेख मे हम चर्चा करेंगे कि क्या अदृश्य मानव संभव है?
सबसे पहले हम समझने है कि प्रयास करते है कि हमारी आंखे किसी वस्तु को कैसे देखती है?
हमारी आंखे किसी वस्तु को कैसे देखती है?
हमारी आंखे किसी कैमरे की तरह होती है। आंखो मे एक लॆंस और एक पर्दा होता है। इस परदे पर हमारी आंखो द्वारा देखे जा सकने वाली किसी भी वस्तु की छवि बनती है। लेंस पारदर्शी होता है जिससे जब हम किसी भी वस्तु को देखते है तब उस उस वस्तु द्वारा परावर्तित प्रकाश की किरणे आंखो के लेंस द्वारा हमारी आंखो के पर्दे अर्थात रेटिना पर केंद्रित की जाती है। रेटीना अपारदर्शी होता है, जिससे उस पर छवि बनती है। इस रेटिना मे दो तरह की प्रकाश संवेदक तंत्रिकायें होती है जिन्हे शंकु और राड कहते है। ये तंत्रिकाये उन पर पड़ने वाली प्रकाश किरणो को महसूस कर उन संकेतो को हमारे मस्तिष्क तक पहुंचाती है जिससे हमारा मस्तिष्क उस छवि को देख पाता है।
इस सारी प्रक्रिया मे महत्वपुर्ण है पारदर्शी लेंस और अपारदर्शी रेटिना, लेंस प्रकाश को केद्रित कर रेटिना पर छवि बना रहा है।
कोई दृश्य वस्तु क्या होती है ?
दृश्य/अदृश्य
किसी भी वस्तु के हमारी आंखो द्वारा देखे जा सकने के लिये आवश्यक है कि उस वस्तु से परावर्तित प्रकाश हमारी आंखो तक पहुंचे। यदि उस वस्तु के आरपार प्रकाश निकल जाये तो उस वस्तु को देखा नही जा सकेगा। अर्थात वह वस्तु अदृश्य होगी। किसी मानव के अदृश्य होने का अर्थ है कि प्रकाश उसके शरीर के भी आर पार चला जाना चाहिये। उसी स्थिति मे मानव अदृश्य हो पायेगा। लेकिन इसका अर्थ यह भी होगा कि मानव शरीर पारदर्शी होगा, अर्थात आंखो के अंदर का रेटिना भी पारदर्शी होगा।