लेखिका: सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)
अपने स्कूली दिनो से हम जानते है कि हम पृथ्वी मे रहते है जोकि सौर मंडल मे है और सौर मंडल एक विशाल परिवार मंदाकिनी आकाशगंगा(Milkyway Galaxy) का भाग है। लेकिन हममे से अधिकतर लोग नही जानते है कि आकाशगंगा या गैलेक्सी क्या है ? इसके अतिरिक्त मंदाकिनी आकाशगंगा ब्रह्माण्ड मे अकेली आकाशगंगा नही है। इसके विपरीत हमारी मंदाकिनी आकाशगंगा के साथ बहुत सी बड़ी, छोटी और विचित्र पड़ोसी आकाशगंगाये भी है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के तेइसवें लेख मे हम आकाशगंगा शब्द का अर्थ जानेंगे और अब तक ज्ञात आकाशगंगाओं के वर्गीकरण की चर्चा करेंगे।
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परिभाषा
आकाशगंगा शब्द का संदर्भ गैस, धुल, अरबो तारे और उनके सौर मंडल के एक ऐसे विशाल परिवार से है जो कि गुरुत्वाकर्षण से बंधा हुआ है। आकाशगंगाओं का आकार कुछ सौ मिलियन तारो वाली वामन आकाशगंगाओ से महाकाय सौ ट्रिलियन तारों वाली आकाशगगांओ तक होता है जिसमे हर तारा अपनी आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा करते रहता है। कुछ आकाशगंगाओ मे तारों की संख्या पृथ्वी पर रेत के कणो की संख्या से भी अधिक है!
आकाशगंगाओं का वर्गीकरण
आकाशगंगा की दृश्य रूपरेखा के आधार पर खगोलशास्त्री उन्हे भिन्न श्रेणीयों मे वर्गीकृत करते है। इनमे से अबतक का सबसे प्रसिद्ध वर्गीकरण ’हब्बल का ट्युनिंग फ़ार्क(Hubble’s tuning fork) है। इसके अनुसार आकाशगाओं को निम्न श्रेणीयों मे वर्गीकृत किया गया है।
सर्पिलाकार आकाशगंगाये(Spiral Galaxies)
अब तक निरीक्षण की गई आकाशगंगाओ मे 72 प्रतिशत आकाशगंगाये सर्पिलाकार आकाशगंगा है। इनमे से तारों, निहारिकाओं(nebulae) की घूर्णन करती हुई विशालकाय सर्पिलाकार तश्तरी होती है, जिसके चारो ओर श्याम पदार्थ(dark matter) का आवरण होता है। विशालकाय सर्पिलाकार आकाशगंगा के तीन भाग होते है, केंद्रीय उभार(buldge), तश्तरी(Disk) और प्रभामंडल(halo)।
- केंद्रीय उभार(buldge): यह आकाशगंगा के केंद्र मे स्थित एक गोलाकार संरचना होती है। इसमे अधिकतर प्राचीन तारे होते है।
- तश्तरी(Disk): तश्तरी मे मुख्यत: धुल, गैस और नये तारे होते है। इस तश्तरी की बाहों नुमा संरचनायें होती है। हमारा सूर्य मंदाकिनी आकाशगंगा एक ऐसी ही बांह पर स्थित है।
- प्रभामंडल (halo) : आकाशगंगा का प्रभामंडल एक केंद्रीय उभार और तश्तरी के कुछ भाग के चारो ओर गोलाकार संरचना है। इस प्रभामंडल मे तारों के पुराने तारासमूह होते है जिन्हे गोलाकार(Globular) तारा समूह कहते है।
यदि सर्पिलाकार आकाशगंगा की बांहे स्पष्ट रूप से परिभाषित ना हो तो उसे गुम्फमय सर्पिलाकार आकाशगंगा(flocculent spiral galaxy)जो कि सुस्पष्ट ग्रेंड डीजाईन सर्पिलाकार आकाशगंगा(grand design spiral galaxy) से भिन्न होती है जिसकी बांहे स्पष्ट और सुपरिभाषित होती है।
छड़ीत सर्पिलाकार आकाशगंगाये(Barred Spiral Galaxies)
बाधित सर्पिलाकार आकाशगंगा भी सामान्य सर्पिलाकार आकाशगंगा के जैसे गुणधर्म रखती है, लेकिन इस आकाशगंगा के केंद्रीय उभार मे दीप्तीमान तारों से भरा मोटा छड़ नुमा पट्टा होता है जोकि तश्तरी तक फ़ैला हुआ होता है। इसके चमकदार केंद्रीय उभार मे अधिकतर प्राचीन लाल तारे होते है और इसमे सक्रियता कम होती है। इसके केंद्र की छड़ और तश्तरी मे तारों के निर्माण सहीत तीव्र सक्रियता होती है। अधिकतर खगोलशास्त्री मानते है कि हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी(milky way) भी छ्ड़ीत सर्पिलाकार आकाशगंगा है।
हब्बल ने सामान्य सर्पिलाकार को S से दर्शाया था तथा छड़ीत सर्पिलाकार के लिये SB का प्रयोग किया था। हर वर्ग के उपवर्ग के लिये रोमन अल्फ़ाबेट के छोटे अक्षर s,b तथा c का प्रयोग किया था। Sa तथा SBa मे केंद्रक विशाल काय दीप्तीमान होता है, इसकी बांहे पासपास घने रूप मे होती है, जबकि Sc और SBc आकाशगंगाओं का केंद्रीय उभार छोटा होता है और बांहे दूर तक फ़ैली होती है।
अंडाकार आकाशगंगाये(Elliptical galaxies) :
अंडाकार आकाशगंगाये किसी अंडे के जैसे होती है, किसी खिंचे हुए गोले के जैसे। हब्बल ने इन्हे चपटे होने की मात्रा के आधार पर उपवर्गो मे बांटा था जिसे ऊनेन्द्रीयता(ellipticity) कहते है। दो विमाओं के संदर्भ मे दीर्घवृत्तीयता। इस आकाशगंगा के 8 उपवर्ग है जो कि E0 से E7 तक है। इसमे E0 लगभग गोलाकार है, जबकी E7 सबसे अधिक अंडाकार। इन आकाशगंगाओ मे अधिकतर प्राचीन तारे होते है, तथा इनमे धुल और गैस के ना होने से नये तारों का निर्माण बहुत कम होता है।
हमारे ब्रह्माण्ड मे सबसे विशालकाय आकाशगंगाये अंडाकार आकाशगाये है। अधिकतर आकाशगंगाये बहुत सी आकाशगंगाओ की आपसी प्रतिक्रियाओं से बनी है जिसमे टकराव और विलय का समावेश है। महाकाय अंडाकार आकाशगंगाये सामान्यत: विशाल आकाशगंगा समूह के केंद्र के आसपास पाई जाती है। इन आकाशगंगाओ का एक उपवर्ग है जिसे कवच आकाशगंगा(Shell galaxies) कहते है। कवच आकाशगंगा मूलत: अंडाकार आकाशगंगा होती है जिसके चारो ओर तारों का एक कवच होता है जो मूल आकाशगंगा से अधिक नीलापन लिये होता है।
औसतन अंडाकार आकाशगंगाओ के तारे तुलनात्मक रूप से सर्पिलाकार आकाशगंगाओं के तारों से अधिक प्राचीन होते है। कन्या आकाशगंगा महासमूह (Virgo Supercluster)की आकाशगंगाओ की 10-15% आकाशगंगाये अंडाकार है, और ब्रह्मांड मे भी उनकी संख्या अधिक नही है।
लेंटिकुलर आकाशगंगाये(Lenticular galaxies):
सर्पिलाकार और अंडाकार आकाशगंगाओ के अतिरिक्त कुछ ऐसी भी आकाशगंगाये जिनका आकार तश्तरी के जैसा होता है लेकिन उसमे भूजाये नही होती है। हब्बल ने इन्हे सर्पिलाकार आकाशगंगा और अंडाकार आकाशगंगा के मध्य की अवस्था माना था और इन्हे S0 वर्ग माना था। इन्हे लेंटिकुलर आकाशगंगा भी कहते है।
अनियमित आकाशगंगाये(Irregular galaxies) :
सर्पिलाकार और अंडाकार आकाशगंगाओं से भिन्न , अनियमित आकाशगंगाओ का नियमित या सममितिय आकार नही होता है। इन्हे हम दो उपवर्गो मे बांट सकते है, Irr I तथा Irr II। Irr I वर्ग की आकाशगंगाओ मे H II क्षेत्र होता है जोकि हायड्रोजन गैस का क्षेत्र है और इसमे जनसंख्या वर्ग I के नये उष्ण तारे आते है। जबकि Irr II आकाशगंगाओ मे धुल के विशालकाय घने बादल होते है जो तारों के प्रकाश को रोक लेते है। ये धुल के बादल इन आकाशगंगाओ के तारो को अलग अलग देखना असंभव बना देते है।
लेखिका का संदेश
आकाशगंगाओ का अध्ययन हमे ब्रह्माण्ड की विशालता और हमारा लघुता का अहसास कराता है। हर आकाशगंगा पृथ्वी पर अलग अलग महाद्विपो के जैसे अपने आप मे विलक्षण और भिन्न होती है। हब्बल का ट्युनिंग फ़ार्क चित्र आकाशगंगाओ के वर्गीकरण का अकेला उपाय नही है। आकाशगंगाओं के वर्गीकरण के कुछ अन्य तरिके भी है। लेकिन हर दिन खगोलशास्त्री नई आकाशगंगाये खोज रहे है और वे आकाशगंगाये इन वर्गीकरण के किसी भी खांचे मे नही बैठती है। आकाशगंगाओ का वर्गीकरण अभी भी विकास अवस्था मे है और शोधकार्य जारी है।
मूल लेख: GALAXIES AND THEIR CLASSIFICATION
लेखक परिचय
सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)
संपादक और लेखक : द सिक्रेट्स आफ़ युनिवर्स(‘The secrets of the universe’)
लेखिका भौतिकी मे परास्नातक कर रही है। उनकी रुचि ब्रह्मांड विज्ञान, कंडेस्ड मैटर भौतिकी तथा क्वांटम मेकेनिक्स मे है।
Editor at The Secrets of the Universe, She is a science student pursuing Master’s in Physics from India. Her
interests include Cosmology, Condensed Matter Physics and Quantum Mechanics
विज्ञान कल्पनाओ से परे है,जो तर्को और सिधांतो पर आधारित है, रचना मे आकाशगंगा शब्द का कोई वजूद नही, यदि कुछ है, तो वह मात्र सौर मंडल है, बहर हाल, आप पहले सौरमंडल अंतर्गत भूमंडल के लिये कुछ कीजिये, लिखिये, जहाँ पर हम-आप जैसे vaishvik आठ अरब लोग त्राहि-त्राहि कर रहे है, कितनी अशांति है,, कहाँ जाये, क्या करे, बहुत बडी संख्या कथित मानव होकर पशुवत जीवन जीने को विबश है, ,,, धन्यवाद,, ,
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