आसमानी मौत के दूत : संभावित रूप से खतरनाक धूमकेतु और क्षुद्रग्रह


पृथ्वी सूर्य का तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्मांड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है।रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये(ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा भी कर देता है।

पृथ्वी न केवल मानव का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन का अस्तित्व पाया जाता है। माना जाता है की इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ था लेकिन इस दरम्यान पृथ्वी पर बहुत सारे उतार-चढ़ाव और प्राकृतिक घटनाएं हुई। लेकिन पृथ्वी पर लंबे समय तक जीवन का अस्तित्व बना रह सके ऐसी भविष्वाणी नहीं की जा सकती, वैसे माना जाता है की जीवन उत्पत्ति और विकास क्रम बड़ा ही जीवट होता है किसी भी परिस्थिति में आपने आप को ढाल सकता है इसके वावजूद भी ब्रह्माण्ड में जीवन का न मिलना हमे बताता है की जीवन उत्पत्ति पर ब्रह्मांडीय नियम/ब्रह्मांडीय घटनाएं ज्यादा हावी है। वैसे पृथ्वी पर जीवन नष्ट होने के बहुत सारे संभावित कारण हो सकते है कुछ मानव निर्मित और कुछ प्राकृतिक निर्मित। इस लेख में हम उन प्राकृतिक निर्मित क्षुद्रग्रहों(Asteroids) और धूमकेतुओ(Comets) की चर्चा कर रहे है जो पृथ्वी के आसपास ही ख़तरा बनकर मड़राते रहते है।

नियर अर्थ ऑब्जेक्ट(near-Earth object: NEO)

काल्पनिक छवि: पृथ्वी के लिए संभावित रूप से खतरनाक एक क्षुद्रग्रह

विज्ञान की भाषा में ऐसे पिंडो को नियर अर्थ ऑब्जेक्ट(near-Earth object: NEO) कहा जाता है जिसे संभावित खतरनाक वस्तु(Potentially Hazardous object: PHO) के श्रेणी में रखा जाता है। इस श्रेणी में केवल क्षुद्रग्रह ही नहीं आते बल्कि वे धूमकेतु भी आते है जो पृथ्वी के काफी करीब से गुजरते रहते है, यदि इनकी टक्कर पृथ्वी से हो तो यह पृथ्वी के लिए बड़े घातक साथ ही दूरगामी प्रभाव छोड़ सकते है। इनमें से अधिकतर संभावित रूप से खतरनाक क्षुद्रग्रह हैं जो 0.05 खगोलीय इकाइयों(AU) से भी कम दुरी से पृथ्वी की कक्षा से गुजरते है कभी-कभी तो इनका निरपेक्ष कांतिमान/चमक(Absolute magnitude) 22 तक देखा गया है। जनवरी 2018 तक लगभग 1885 ज्ञात संभावित खतरनाक वस्तुओं को खोजा जा चूका है। इनमे से 157 ऐसे PHOs जिनका व्यास 1 किलोमीटर से ज्यादा है जबकि 1601 अपोलो श्रेणी की क्षुद्रग्रह है शेष एटेन श्रेणी की क्षुद्रग्रह(Aten asteroids) है। सभी संभावित खतरनाक वस्तु को अगले 100 वर्षों या उससे अधिक के लिए पृथ्वी के लिए खतरा नहीं माना जा सकता है, क्योकि इनकी कक्षा अच्छी तरह से निर्धारित कर ली गयी है। लेकिन कुछ ऐसे भी क्षुद्रग्रह और धूमकेतु है जो अगले संभावित 100 सालों में पृथ्वी के लिए खतरनाक हो सकते है, यहां हम केवल इन्ही पिंडो को सूचीबद्ध कर रहे है।

संभावित रूप से खतरनाक धूमकेतु(Potentially hazardous comets)

धूमकेतु स्विफ्ट-टटल(109P/Swift-Tuttle)

धूमकेतु स्विफ्ट-टटल(109P/Swift-Tuttle)

अमेरीकन खगोलविज्ञानी लेविस शिफ्ट(Lewis Swift) ने 16 जुलाई 1862 में इस धूमकेतु की खोजा था यह एक नियमित अवधि में अपनी परिक्रमा पूरी करने वाला धूमकेतु है। यह अपनी एक परिक्रमा 133 सालो में पूरा करता है इसकी कक्षा को अच्छी तरह से निर्धारित किया जा चूका है। यह एक बड़ा धूमकेतु है जिसका व्यास लगभग 26 किलोमीटर है। यह काफी उज्जवल धूमकेतु(सापेक्ष कांतिमान 0.7) माना जाता है इसलिए इसे नंगी आँखों से भी देखा जा सकता है। वैसे अब 2126 में यह धूमकेतु पृथ्वी के वेहद करीब होगा। यह एक ऐसा खतरनाक धूमकेतु है जिसकी कक्षा पृथ्वी के बेहद पास से गुजरती है, इस दरम्यान पृथ्वी कक्षा से इसकी कक्षा दुरी महज 84000 मील(0.0009 AU) की होती है। अबतक के प्राप्त अवलोकनों के अनुसार भविष्यवाणी की गयी है की अगस्त 2126 में पृथ्वी से इसकी दुरी 0.147 AU अर्थात 13,700,000 मील की हो सकती है लेकिन इस धूमकेतु से पृथ्वी की सबसे नजदीकी मुलाकात 3044 में होगी जब इन दोनों के बीच की दुरी 10 लाख किलोमीटर से भी कम की होगी। अभी तक के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जब स्विफ्ट-टटल सूर्य के वेहद करीब होता है तब इसकी अधिकतम गति 42.6 km/s तक हो जाती है जबकि इसकी सबसे न्यूनतम गति जब स्विफ्ट-टटल सूर्य से सबसे दूर होता है तब 0.8 km/s दर्ज की गयी है। आधुनिक शोध के अनुसार किसी धूमकेतु की कक्षा ज्यादा स्थिर(stable) नहीं होती, इसे स्थिर मानना मानव जाति के लिए घातक साबित हो सकता है इसलिए ऐसे धूमकेतुओ पर लगातार नजर बनाये रखना आवश्यक हो जाता है।

स्विफ्ट-टटल द्वारा छोड़े गए उल्काओ के मध्य से गुजरती पृथ्वी

वैसे स्विफ्ट-टटल पृथ्वी के लिए खतरनाक धूमकेतुओ की श्रेणी में तो है लेकिन यह प्रति वर्ष आपके लिए अद्भुत मनोरम दृश्य भी देकर चला जाता है। पृथ्वी अपनी कक्षा में आगे बढ़ते हुए जब इस धूमकेतु द्वारा छोड़े गए उल्काओ के मध्य से गुजरती है, तब सैकड़ों छोटी-बड़ी उल्काएं पृथ्वी पर बरसते हुए ऊपरी वायुमंडल में जलती हुई नजर आती हैं और आकाश में मनोरम दृश्य उत्पन्न हो जाता है। स्विफ्ट-टटल द्वारा प्रदर्शित इस मनोरम उल्का पात को अगस्त के महीने में देखा जा सकता है।

टेम्पल-टटल(55P/Tempel–Tuttle)

 

टेम्पल-टटल(55P/Tempel–Tuttle)

यह भी एक नियमित अवधि में सूर्य की परिक्रमा करने वाला धूमकेतु है इसका परिक्रमण काल लगभग 33 वर्षो का है। इस धूमकेतु को हेली टाइप धूमकेतुओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस धूमकेतु की खोज स्वंतंत्र रूप से विल्हेल्म टेम्पल(Wilhelm Tempel) द्वारा 19 दिसंबर 1865 में की गयी थी। उस समय इसकी कक्षा को ठीक तरह से नहीं समझा जा सका था इसलिए आवधिक धूमकेतु के रूप वर्गीकृत नहीं किया गया था बाद के अवलोकनों में ही इसकी कक्षा को भलीभांति समझा जा सका। पूर्व के अवलोकनों से हमे पता चलता है की यह धूमकेतु 26 अक्टूबर 1366 में पृथ्वी के सबसे करीब से गुजर चूका है उस समय पृथ्वी से इसकी दुरी लगभग 0.0229 AU अर्थात 3,430,000 किलोमीटर की रही थी।टेम्पल-टटल के केंद्र का द्रव्यमान लगभग 1.2×10^13 किलोग्राम और इसका व्यास लगभग 3.6 किलोमीटर का है जबकि पेरीहेलियन के समय इससे निकलनेवाली धारा का द्रव्यमान 5×10^12 किलोग्राम है। इस धूमकेतु की गति अवलोकन के समय 2.673 km/s की मापी गयी है लेकिन इसकी अधिकतम और न्यूनतम गति सम्बंधित आंकड़े अभी मौजूद नहीं है।

टेम्पल-टटल की कक्षा लगभग ऐसी है जो पृथ्वी की कक्षा से छेड़छाड़ ज्यादा करती है, जब पृथ्वी पेरीहेलियन(perihelion) के समय इसकी कक्षा के क्षेत्र में दाख़िल होती है तब यह धूमकेतु द्वारा छोड़ा गया सामग्री का फ़ैलाव ज्यादा नहीं होता है। इसका सरल अर्थ है की इसकी कक्षा पृथ्वी के कक्षा से जायदा दूर नहीं है। वैज्ञानिको को लगता है की इस संयोग का मतलब है पेरीहेलियन में धूमकेतु से निकलने वाली धाराएं घनी होती हैं जब वे पृथ्वी का ज्यादा करीब से सामना करते हैं। यह धूमकेतु भी मनमोहक लियोनिड उल्का पात(Leonid meteor shower) का प्रदर्शन कराती है, इस मनोरम दृश्य प्रदर्शन को दिसम्बर के महीने में देखा जाता है।

फिनले(15P/Finlay)

फिनले(15P/Comet-Finlay)

यह भी हमारे सौरमंडल का एक नियमित अंतराल पर दिखने वाला आवधिक धूमकेतु(periodic comet) है। इस कॉमेट की खोज साउथ अफ्रीका स्थित रॉयल ऑब्ज़र्वेट्री में कार्यरत खगोलविद विलियम हेनरी फ़िनले(William Henry Finlay) ने 26 सितंबर 1886 में की थी।इसी साल पहली बार पैराबोलिक कक्षा(parabolic orbit) की गणना की गयी थी, इस गणना से पहले एक भूले हुए धूमकेतु की कक्षा और फिनले की कक्षा को लगभग समान माना जाता था।  उस भूले धूमकेतु का नाम 54P/de Vico-Swift-NEAT था जिसे इटैलियन खगोलविद फ्रांसेस्को डी विको(Francesco de Vico) ने 1844 में खोजा था। कई साल के अवलोकनों के बाद यह निष्कर्ष निकला की डी विको द्वारा भुला धूमकेतु फिनले नहीं है क्योकि दोनों की कक्षाएं समान नहीं है दोनों कक्षाओं में कई विसंगतिया है।

इस धूमकेतु का व्यवहार भी कुछ अजीब सा रहा है इसकी उज्ज्वलता में 1929 के बाद से गिरावट दर्ज की गयी जो 1953 तक लगातार मापी गयी फिर इसकी उज्ज्वलता स्थिर हो गयी। लेकिन 16 दिसम्बर 2014 को इसकी उज्ज्वलता में वृद्धि देखी गयी तब इसकी उज्ज्वलता 11-9 दर्ज की गयी लेकिन 23 दिसम्बर 2014 को इसकी उज्ज्वलता फिर से मंद पड़ गयी थी। अभी तक हम केवल अनुमानित रूप से मानते है की इस धूमकेतु का व्यास लगभग 1.8  किलोमीटर का है लेकिन यह अनिश्चित आंकड़ा है। पृथ्वी कक्षा से इसकी न्यूनतम कक्षा दुरी 930,000 मील की है अनुमानित आंकड़ों के अनुसार 2060 में यह धूमकेतु पृथ्वी से लगभग  3,700,000 मील की दुरी से गुजरेगा। इस धूमकेतु की गति लगभग 6.510 km/s दर्ज की गयी है लेकिन इसकी अधिकतम और न्यूनतम गति सम्बंधित आंकड़े अभी तक अज्ञात है। इसकी उज्ज्वलता में कमी पृथ्वी के लिए अच्छे संकेत नहीं है क्योकि ऐसे परिस्थितियों में इसका सटीक पूर्वानुमान लगाना मुश्किल होता है।

ब्लैनपैन(289P/Blanpain)

ब्लैनपैन(289P/Blanpain)

यह एक छोटे अंतराल(short-period comet) पर पृथ्वी के पास से गुजरने वाला धूमकेतु है, इस धूमकेतु की खोज जीन जैक्विस ब्लैनपैन(Jean-Jacques Blanpain) ने 28 नवम्बर 1819 में की थी। ब्लैनपैन ने इस धूमकेतु को “बहुत छोटा और भ्रमित पिंड” बताया था। इसका परिक्रमण समय केवल 5.18 साल का है। इस धूमकेतु के खोजे जाने के बाद यह कही गायब हो गया था इसलिए इस धूमकेतु को उस समय मृत करार दे दिया गया था लेकिन 2013 में एक नया धूमकेतु खोजा गया जिसे 2003 WY25 नाम दिया गया। पान स्टारर्स(Pan-STARRS) ने कई अवलोकनों के बाद 2013 में अपने आधिकारिक बयान में बताया की यह कोई नया धूमकेतु नहीं है बल्कि यह 289P ही है जो अबतक भुला हुआ था। इतने कम समय पर अपनी परिक्रमा करने के वावजूद इस धूमकेतु के बारे में हमे ज्यादा जानकारी नहीं है। पृथ्वी कक्षा से इसकी न्यूनतम कक्षा दुरी 0.015 AU(2,200,000 km; 1,400,000 mi) की है, अनुमान के अनुसार यह धूमकेतु फिर से दिसम्बर 2019 में और 2025 में पृथ्वी के करीब से गुजरेगा। पृथ्वी से सबसे करीबी दुरी पर इसकी गति 10.282 km/s देखी गयी है लेकिन इसकी अधिकतम और न्यूनतम गति का आंकलन हम अभी तक नहीं लगा पाए है। यह धूमकेतु भी शानदार उल्कापात(Phoenicid meteor stream) का प्रदर्शन करता है जिसे भारत, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागर, और दक्षिण अफ्रीका में भी देखा जा सकता है लेकिन इस उल्कापात को देख पाना बड़ा दुर्लभ माना जाता है।

लेवी(255P/Levy)

लेवी(255P/Levy)

लेवी जिसे P/2006 T1 और P/2011 Y1 के नाम से भी जाना जाता है यह एक आवधिक धूमकेतु है। इसकी कक्षा ज्यादा बड़ी नहीं है यह केवल 5.25 ~ 5.30 वर्ष में ही अपनी एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। इस धूमकेतु की खोज डेविड लेवी(David H Levy) ने 2 अक्टूबर 2006 को की थी।  पिछली बार जब यह सूर्य के काफी करीब आया था 2012 में तब इसकी सापेक्ष उज्ज्वलता 7 मापी गयी थी जबकि 2006 में इसकी सापेक्ष उज्ज्वलता लगभग 9.5 मापी गयी थी। इस धूमकेतु की गति अवलोकन के समय 13.684 km/s की मापी गयी है लेकिन इसकी अधिकतम और न्यूनतम गति सम्बंधित आंकड़े अभी मौजूद नहीं है।

2012 में इसकी उपस्थिति सूर्य के पास होने पर पृथ्वी से इसकी दुरी 0.2359 AU(35,290,000 km; 21,930,000 mi) के आसपास मापी गयी थी जबकि 2017 में जब यह सूर्य के पास आया तो इसकी दुरी पृथ्वी से थोड़ी कम मापी गयी थी। वैसे अवलोकनों के आधार पर यह माना गया की पृथ्वी कक्षा से इसकी न्यूनतम कक्षा दुरी 0.025 AU(3,700,000 km; 2,300,000 mi) के लगभग की रही है। इस धूमकेतु को भी संभावित रूप से खतरनाक धूमकेतु(Potentially hazardous comets) की श्रेणी में रखा गया है क्योकि यह एक शांत धूमकेतु है जो अपने आने का कोई आहट नहीं देता न ही कोई पद-चिन्ह छोड़ता है।

बर्नार्ड-बॉयटिनी(206P/Barnard–Boattini)

बर्नार्ड-बॉयटिनी(206P/Barnard–Boattini)

बर्नार्ड-बॉयटिनी पहला धूमकेतु था जिसे फोटोग्राफिक(photographic) तकनीक की मदद से खोजा गया था। अमेरीकन खगोलविज्ञानी एडवर्ड एमर्सन बर्नार्ड(Edward Emerson Barnard) ने 13 अक्टूबर 1882 को रात्रि में फोटोग्राफी करते इस धूमकेतु को खोजा था। खोजा जाने के बाद यह फिर से लुप्त हो गया थी जिसे बाद में देखे जाने पर इसे D/1892 T1 नाम से नामांकित किया गया फिर लंबे अंतराल तक यह धूमकेतु नजरों से ओझल बना रहा लेकिन आखिरकार 2008 में यह धूमकेतु एंड्रिय बॉयटिनी(Andrea Boattini) द्वारा फिर से देखा गया तब से इस धूमकेतु को बर्नार्ड-बॉयटिनी के नाम से जाना जाता है।

21 अक्टूबर 2008 को यह धूमकेतु पृथ्वी से करीब 0.1904 AU(28,480,000 km; 17,700,000 mi) की दुरी से गुजरा। इस धूमकेतु की भी गति सम्बंधित आंकड़े पूरी तरह से निश्चित नहीं है अवलोकन के अनुसार इसकी गति लगभग 8.882 km/s की है। यह बहुत ही फीका दिखने वाला धूमकेतु है इसलिए 2014 में इसे नहीं देखा जा सका। यह धूमकेतु वापस मार्च 2021 में फिर से पृथ्वी के पास से गुजरने वाला है लेकिन देखे जाने की संभावना फ़िलहाल अनिश्चित है इस धूमकेतु सूर्य का एक चक्क्र लगभग 6.51 जूलियन वर्ष में पूरी करता है इसलिए इस धूमकेतु को एक आवधिक धूमकेतु कहा जाता है।

धूमकेतु जिओकोबिनी-जेनर(Comet Giacobini–Zinner)

धूमकेतु जिओकोबिनी-जेनर(Comet Giacobini–Zinner)

 इसे आधिकारिक रूप से 21P/Giacobini–Zinner के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे सौरमंडल का एक नियमित अंतराल पर दिखने वाला आवधिक धूमकेतु(periodic comet) है। इसका परिक्रमण काल लगभग 6.621 जूलियन वर्ष का है। इस कॉमेट की खोज फ्रेंच खगोलविद मिचेल जिओकोबिनी(Michel Giacobini) और जर्मन खगोलविद अर्नेस्ट जेनर(Ernst Zinner) ने संयुक्त रूप से 20 दिसम्बर 1900 में की थी। यह एक उज्जवल धूमकेतु है इसे 1946 में सबसे उज्जवल रूप में देखा जा चूका है उस समय इसकी सापेक्ष उज्ज्वलता 5 मापी गयी थी जबकि कुछ अवलोकनों में इसकी उज्ज्वलता 8 मापी गयी है। सूर्य के करीब मापी गयी इसकी गति लगभग 29.250 km/s की है लेकिन यह इसकी अधिकतम गति हो ऐसा अभी तक नहीं माना जा सकता है।

इस धूमकेतु का केंद्र लगभग 2 किलोमीटर के व्यास का है पृथ्वी कक्ष से इसकी कक्षीय दुरी लगभग 0.035 AU(5,200,000 km; 3,300,000 mi) दर्ज की गयी है। इंटरनेशनल कोमेट्री एक्सप्लोरर(International Cometary Explorer) यान इस धूमकेतु के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए इसके पुछ के करीब से गुजरा था और उनसे इस धूमकेतु के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की थी। जापानी मानव रहित प्रोब भी इस धूमकेतु के बारे में जानने के लिए 1998 में तैयारी की थी लेकिन ईंधन की कमी के कारण उसे इस अभियान को बंद करना पड़ा।

स्क़्वासमान-वाचमान(73P/Schwassmann–Wachmann)

स्क़्वासमान-वाचमान(73P/Schwassmann–Wachmann)

 जर्मन खगोलविद अर्नाल्ड स्क़्वासमान(Arnold Schwassmann) और अर्नो वाचमान(Arno Arthur Wachmann) द्वारा इस धूमकेतु की खोज 2 मई 1930 में हुई थी। यह एक नियमित अवधि में अपनी परिक्रमा पूरी करने वाला धूमकेतु है। यह अपनी एक परिक्रमा 5.36 साल में पूरा करता है और अब इसकी कक्षा को अच्छी तरह से निर्धारित किया जा चूका है। 2006 में जब यह सूर्य के बेहद करीब आ गया था तब सूर्य की गर्मी से इसका बहरी आवरण जो शायद बहुत ठंडा बर्फीला होगा इस धूमकेतु से टूटकर अंतरिक्ष में फ़ैल गया था। इस घटना से इस धूमकेतु की सापेक्ष चमक में कमी आयी लेकिन इसकी स्पस्ट संरचना का भी पता चला। फिर से जब 2011 में जब यह धूमकेतु सूर्य के करीब आया था तब इसकी सापेक्ष उज्ज्वलता 21.3 मापी गई थी। वैज्ञानिको के अनुसार यह धूमकेतु भी कई बार नजरों से ओझल होकर खो चूका है और वापस देखा भी गया है।

इस धूमकेतु के केंद्र का व्यास 1100 मीटर का है, पृथ्वी की कक्षा से इसकी कक्षीय दुरी लगभग 0.04 AU(6,000,000 km; 3,700,000 mi) की है। इस धूमकेतु की गति अवलोकन के समय 12.516 km/s की मापी गयी है लेकिन इसकी अधिकतम और न्यूनतम गति सम्बंधित आंकड़े अभी मौजूद नहीं है। धूमकेतु 73 पी शानदार उल्का शॉवर टाऊ हरक्यूलिड्स(Tau Herculids) का मूल जन्मदाता है इस उल्का पात को मई जून के महीने में देखा जा सकता है।

खगोलविज्ञानी लंबे समय से पृथ्वी के पास भटकने वाले और पृथ्वी के लिए संभावित खतरा उतपन्न करने वाले इन धूमकेतुओ को देख रहे है लेकिन संभव है कुछ धूमकेतु ऐसे भी हो सकते है जो अबतक हमारी नजरों से दूर हो। इन धूमकेतुओ पर लगातार नजर रखना बड़ा मुश्किल काम है क्योकि इनका आकार छोटा होता है इसलिए ये प्रकाश की बेहद कम मात्रा को ही प्रतिबिंबित कर पाते है। अवलोकनों से हमे पता चलता है की सूर्य के करीब आने पर ही हम इन धूमकेतुओं को देख पाते है। वैज्ञानिक काफी पहले इन धूमकेतुओं की कक्षा को स्थिर माना करते थे लेकिन आधुनिक अनुसंधान और धूमकेतुओं के व्यवहार से अब हम जानते है की इन धूमकेतुओं की कक्षा ज्यादा स्थिर नहीं है और कई आधुनिक शोध पत्रों में मुख्य रूप से उल्लेख किया गया है की धूमकेतुओं की कक्षा को सटीक मानना मानव की बड़ी भूल साबित हो सकती है। वैज्ञानिको ने 1908 में साइबेरिया में घटित तुंगुस्का घटना(Tunguska event) और चेल्याबिंस्क उल्का गिरने(Chelyabinsk meteor event) जैसी बड़ी घटनाओं को देखा है। जुलाई 2004 में वृहस्पति के साथ धूमकेतु शूमेकर-लेवी 9(Comet Shoemaker–Levy 9) की टक्क्र ने मानव जाति को दिखा दिया की धूमकेतु कितने घातक सिद्ध हो सकते है। अब वैज्ञानिक और खगोलविद नए उन्नत दूरबीनों और उपकरणों से सभी संभावित खतरनाक धूमकेतुओं पर लगातार नजर बनाये रखने की कोशिश में प्रयासरत है। वैसे पृथ्वी को खतरा केवल धूमकेतुओं से ही नहीं बल्कि क्षुद्रग्रहों से भी है आंकड़ों के अनुसार 20 से ज्यादा क्षुद्रग्रह संभावित रूप से पृथ्वी के लिए खतरनाक क्षुद्रग्रहों की श्रेणी में आते है।

अगले भाग में हम इन्ही संभावित रूप से खतरनाक क्षुद्रग्रहों की चर्चा करेंगे..

स्रोत:  NASA JPL. Wikipedia. Seiichi Yoshida(Comet@aerith.net) and Sky.org.

 

 

 

 

 

6 विचार “आसमानी मौत के दूत : संभावित रूप से खतरनाक धूमकेतु और क्षुद्रग्रह&rdquo पर;

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व बालश्रम निषेध दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है…. आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी….. आभार…

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    1. अभी जो कैलेंडर आप उपयोग कर रहे है यह जूलियन कैलेंडर का अपडेटेड वर्जन है। पुराने जूलियन कैलेंडर में 365 दिन 6 घंटे का वर्ष माना जाता था, परंतु ऐसा मानने से प्रत्येक सौर वर्ष मे(5 घंटा 48 मिनट 46 सेकंड की अपेक्षा 6 घंटे अर्थात्) 11 मिनट 14 सेकंड अधिक लेते हैं। यह आधिक्य 400 वर्षों में 3 दिन से कुछ अधिक हो जाता है। इस गलती को सुधार दिया गया और प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर(Gregorian calendar) अब आप इस्तेमाल करते है।

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    1. हम मानते है इस विषय में बहुत सी जानकारिया गुप्त रखी जाती है शायद ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि लोगों में दहशत न फैले। वैसे आपने देखा भी होगा कभी कभी ऐसी जानकारियों का लोग/मिडिया गलत मतलब निकाल कर प्रसारित करते है जैसे हाल ही में LHC के बारे में कई भ्रामक बातें फ़ैलाई गयी थी। खैर, कारण जो भी हो आप इस विषय पर NASA, NSF, ISRO या अन्य किसी अंतरिक्ष अनुशंधान केंद्र से बात करने के लिए स्वतंत है।

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