रॉबर्ट बॉयल

राबर्ट बायल : रायल सोसायटी के संस्थापक


रॉबर्ट बॉयल
रॉबर्ट बॉयल

राबर्ट बॉयल (Robert Boyle ; 25 जनवरी 1627 – 31 दिसंबर1691ई.) आधुनिक रसायनशास्त्र का प्रवर्तक, अपने युग के महान वैज्ञानिकों में से एक, लंदन की प्रसिद्ध रॉयल सोसायटी के संस्थापक तथा कॉर्क के अर्ल की 14वीं संतान थे।

वे एक एंग्लो-आयरिश प्राकृतिक दार्शनिक, केमिस्ट, भौतिक विज्ञानी और आविष्कारक थे। उन्होंने वैक्यूम पंप का निर्माण किया। शब्द की गति, वर्ग-भंगिमा के तथा वर्णों के मूल कारण और स्फटिकों की रचना के संबंध में उन्होंने अनेक अनुसंधान किए।

बचपन

बॉयल का जन्म आयरलैंड के मुंस्टर प्रदेश के लिसमोर कांसेल में हुआ था। घर पर इन्होंने लैटिन और फ्रेंच भाषाएँ सीखीं और ईटन में तीन वर्ष अध्ययन किया।  वे अपने माता-पिता के 14 संतानो में 10वे नम्बर पर थे। 8 साल की उम्र में वह ईटं कॉइल में दाखिल हुए। तीन साल बाद उनका स्कूल छुड़वा दिया गया, ताकि वे महाद्वीप यूरोप की यात्रा कर आएं। इंग्लैंड का एक श्रेष्ठ नागरिक बनने के लिए यह यात्रा उस युग में आवश्यक समझी जाती थी। तब विद्यार्थी के लिए एक प्रकार से यह ‘दीक्षांत’ हुआ करता था।

किंतु उसके लिए 11 साल की उम्र आमतौर पर काफी नहीं होती।  1638 ई. में इन्होंने फ्रांस की यात्रा की और लगभग एक वर्ष जेनेवा में भी अध्ययन किया। फ्लोरेंस में इन्होंने गैलिलियों के ग्रंथों का अध्ययन किया। 1641 में 14 साल के रोबर्ट इटली पहुंचे और वहां वह प्रख्यात वैज्ञानिक गैलीलियो  के संपर्क में आए। उन्होंने निश्चय कर लिया कि अब वह अपना जीवन विज्ञान के अध्ययन को ही अर्पित कर देंगे।

1644 ई. में जब ये इंग्लैंड पहुँचे, तो इनकी मित्रता कई वैज्ञानिकों से हो गई। ये लोग एक छोटी सी गोष्ठी के रूप में और बाद को ऑक्सफोर्ड में, विचार-विनियम किया करते थे। यह गोष्ठी ही आज की जगत्प्रसिद्ध रॉयल सोसायटी है। 1646 ई. से बॉयल का सारा समय वैज्ञानिक प्रयोगों में बीतने लगा। 1654 ई. के बाद ये ऑक्सफोर्ड में रहे और यहँ इनका परिचय अनेक विचारकों एवं विद्वानों से हुआ। 14 वर्ष ऑक्सफोर्ड में रहकर इन्होंने वायु पंपों पर विविध प्रयोग किए और वायु के गुणों का अच्छा अध्ययन किया। वायु में ध्वनि की गति पर भी काम किया। बॉयल के लेखों में इन प्रयोगों का विस्तृत वर्णन है।

कार्य

रॉबर्ट बॉयल की सर्वप्रथम प्रकाशित वैज्ञानिक पुस्तक न्यू एक्सपेरिमेंट्स, फ़िज़िको मिकैनिकल, टचिंग द स्प्रिंग ऑव एयर ऐंड इट्स एफेक्ट्स, वायु के संकोच और प्रसार के संबंध में है। 1663 ई. में रॉयल सोसायटी की विधिपूर्वक स्थापना हुई। बॉयल इस समय इस संस्था के सदस्य मात्र थे। बॉयल ने इस संस्था से प्रकाशिल शोधपत्रिका “फिलोसॉफिकल ट्रैंजैक्शन्स” में अनेक लेख लिखे और 1680 ई. में ये इस संस्था के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। पर शपथसंबंधी कुछ मतभेद के कारण इन्होंने यह पद ग्रहण करना अस्वीकार किया। कुछ दिनों बॉयल की रुचि कीमियागिरी में भी रही और अधम धातुओं को उत्तम धातुओं में परिवर्त्तित करने के संबंध में भी इन्होंने कुछ प्रयोग किए। चतुर्थ हेनरी ने कीमियागिरी के विरुद्ध कुछ कानून बना रखे थे। बॉयल के यत्न से ये कानून 1689 ई. में उठा लिए गए।

बॉयल ने तत्वों की प्रथम वैज्ञानिक परिभाषा दी और बताया कि अरस्तू के बताए गए तत्वों, अथवा क़ीमियाईगरों के तत्वों (पारा, गंधक और लवण) में से कोई भी वस्तु तत्व नहीं है, क्योंकि जिन पिंडों में (जैसे धातुओं में) इनका होना बताया जाता है उनमें से ये निकाले नहीं जा सकते। तत्वों के संबंध में 1661 ई. में बॉयल ने एक महत्वपूर्ण पुस्तिका लिखी “दी स्केप्टिकल केमिस्ट”। रसायन प्रयोगशाला में प्रचलित कई विधियों का बॉयल ने आविष्कार किया, जैसे कम दाब पर आसवन। बॉयल के गैस संबंधी नियम, उसके दहन संबंधी प्रयोग, हवा में धातुओं के जलने पर प्रयोग, पदार्थों पर ऊष्मा का प्रभाव, अम्ल और क्षारों के लक्षण और उनके संबंध में प्रयोग, ये सब युगप्रवर्तक प्रयोग थे जिन्होंने आधुनिक रसायन को जन्म दिया। बॉयल ने द्रव्य के कणवाद का प्रचलन किया, जिसकी अभिव्यक्ति डाल्टन के परमाणुवाद में हुई। उनके अन्य कार्य मिश्रधातु, फॉस्फोरस, मेथिल ऐलकोहल (वुड स्पिरिट), फॉस्फोरिक अम्ल, चाँदी के लवणों पर प्रकाश का प्रभाव आदि विषयक हैं।

आदर्श गैस स्थिरांक

सत्रहवी शताब्दी मे वैज्ञानिको पदार्थ की तीन अवस्थायें ही ज्ञात थी, ठोस,द्रव तथा गैस(चौथी अवस्था प्लाज्मा की खोज इसके सदीयों पश्चात हुयी है)। उस समय ठोस और द्रव के साथ प्रयोग करना गैस की तुलना मे कठिन था क्योंकि ठोस/द्रव मे किसी भी परिवर्तन को उस समय के उपकरणो से मापना आसान नही था। इसलिये अधिकतर प्रायोगिक वैज्ञानिक मूलभूत भौतिकी नियमो को खोजने के लिये प्रयोगो मे गैस का प्रयोग करते थे।

राबर्ट बायल(Robert Boyle) शायद ऐसे पहले महान प्रायोगिक वैज्ञानिक थे और वे वर्तमान प्रायोगिक विधि की आधारशीला रखने वालो मे से है जिसमे किसी भी प्रयोग मे एक या एकाधिक ही कारक मे परिवर्तन कर अन्य कारको पर परिवर्तन का मापन किया जाता है। पुनरावलोकन मे यह प्रत्यक्ष दिखायी देता है लेकिन यह एक दूरदर्शिता भरा कदम था।

राबर्ट बायल ने गैस के दबाव और आयतन के मध्य संबध को खोजा था, इसकी एक सदी बाद जैक्स चार्ल्स(Jacques Charles) तथा जोसेफ गे लुसाक(Joseph Gay-Lussac ) ने आयतन और तापमान के मध्य संबध खोजा था। यह खोज सफ़ेद जैकेट पहनकर किसी वातावनुकुलित प्रयोगशाला मे आधुनिक उपकरणो के प्रयोग से नही हुयी थी। इस प्रयोग के लिये गे-लुसाक एक गर्म हवा के गुब्बारे मे 23,000 फ़ीट की ऊंचाई पर गये थे, जोकि उस समय का विश्व रिकार्ड था।

बायल, चार्ल्स तथा गे-लुसाक के प्रयोगो के परिणामो को एक साथ सम्मिलित करने पर कहा जा सकता है कि किसी गैस की निश्चित मात्रा मे तापमान, दबाव तथा आयतन के गुणनफल के अनुपात मे होता है। इस अनुपात के स्थिरांक को आदर्श गैस स्थिरांक कहा जाता है।

R=8.3144621(75) J/ K/ mol

बॉयल का नियम

बॉयल की ख्याति विज्ञान में एक परीक्षण-प्रिय वैज्ञानिक के रूप में ही है, ‘बॉयल्ज लॉ’ के जनक के रूप में। बॉयल का नियम विज्ञान का वह नियम है जिसके द्वारा हम बता सकते हैं कि दबाव के घटने-बढ़ने से हवा की हालत में क्या अंतर आ जाता है। इस नियम का आविष्कार परीक्षणों द्वारा हुआ था और बहुत देर बाद ही जाकर कहीं उसे भौतिक-विज्ञान के एक सूत्र का रुप मिल सका था।

बॉयल के सिद्धांत को आज भातिकी में हर वैज्ञानिक प्रतिदिन प्रयुक्त करता है — गैस का परिणाम, दबाव के अनुसार, विपरीत अनुपात में आदलता-बदलता रहता है। बॉयल के नियम की ही यही सूत्रात्मक परिभाषा है। अगली पीढ़ी के वैज्ञानिक ने विशेषत: जैकीज चार्ली ने, इसमें इतना और जोड़ दिया कि ‘यदि तापमान में परिवर्तन न आए. तब’।

बॉयल के नियम का चलित प्रदर्शन (एनिमेशन)
बॉयल के नियम का चलित प्रदर्शन (एनिमेशन)

बॉयल का नियम आदर्श गैस का दाब और आयतन में सम्बंध बताता है। इसके अनुसार, नियत ताप पर गैस का आयतन दाब के व्यूत्क्रमानुपाती होता है।

गणित में इसे निम्नलिखित रूप में अभिव्यक्त कर सकते हैं=-

{\displaystyle P\propto {\frac {1}{V}}}

या,

{\displaystyle PV=k}

जहाँ P गैस का दाब है , V गैस का आयतन है, और k एक नियतांक है।

इसी को इस तरह से भी कह सकते हैं-

{\displaystyle P_{1}V_{1}=P_{2}V_{2}.}

 

महत्वपूर्ण कार्य

  • 1660 – New Experiments Physico-Mechanical: Touching the Spring of the Air and their Effects
  • 1661 – The Sceptical Chymist
  • 1662 – Whereunto is Added a Defence of the Authors Explication of the Experiments, Against the Obiections of Franciscus Linus and Thomas Hobbes (a book-length addendum to the second edition of New Experiments Physico-Mechanical)
  • 1663 – Considerations touching the Usefulness of Experimental Natural Philosophy (followed by a second part in 1671)
  • 1664 – Experiments and Considerations Touching Colours, with Observations on a Diamond that Shines in the Dark
  • 1665 – New Experiments and Observations upon Cold
  • 1666 – Hydrostatical Paradoxes[35]
  • 1666 – Origin of Forms and Qualities according to the Corpuscular Philosophy. (A continuation of his work on the spring of air demonstrated that a reduction in ambient pressure could lead to bubble formation in living tissue. This description of a viper in a vacuum was the first recorded description of decompression sickness.)[36]
  • 1669 – A Continuation of New Experiments Physico-mechanical, Touching the Spring and Weight of the Air, and Their Effects
  • 1670 – Tracts about the Cosmical Qualities of Things, the Temperature of the Subterraneal and Submarine Regions, the Bottom of the Sea, &tc. with an Introduction to the History of Particular Qualities
  • 1672 – Origin and Virtues of Gems
  • 1673 – Essays of the Strange Subtilty, Great Efficacy, Determinate Nature of Effluviums
  • 1674 – Two volumes of tracts on the Saltiness of the Sea, Suspicions about the Hidden Realities of the Air, Cold, Celestial Magnets
  • 1674 – Animadversions upon Mr. Hobbes’s Problemata de Vacuo
  • 1676 – Experiments and Notes about the Mechanical Origin or Production of Particular Qualities, including some notes on electricity and magnetism
  • 1678 – Observations upon an artificial Substance that Shines without any Preceding Illustration
  • 1680 – The Aerial Noctiluca
  • 1682 – New Experiments and Observations upon the Icy Noctiluca (a further continuation of his work on the air)
  • 1684 – Memoirs for the Natural History of the Human Blood
  • 1685 – Short Memoirs for the Natural Experimental History of Mineral Waters
  • 1686 – A Free Enquiry into the Vulgarly Received Notion of Nature
  • 1690 – Medicina Hydrostatica
  • 1691 – Experimentae et Observationes Physicae

अन्य कार्य

शब्द की गति, वर्ण-भंगिमा के तथा वर्णों के मूल कारण तथा स्फटिकों की रचना के संबंध में उन्होंने अनुसंधान किए। जिसे आदमी चला सके ऐसे एक वैक्यूम पंप का निर्माण भी किया, और साबित कर दिखाया की हवा से महरूम जगह में कोई प्राणी जीवित नहीं रह सकता, यह भी की वायु से शून्य स्थान में गंधक जलेगी नहीं। ‘रसायनिक तत्व’ का एक लक्षण भी, कहते हैं इसे बॉयल ने सुझाया था और जो हमारी वर्तमान ‘रसायन दृष्टि’ से कोई बहुत भिन्न नहीं। ‘वह द्रव जिसे छिन्न-भिन्न नहीं किया जा सकता,’ किंतु एक सच्चे वैज्ञानिक की भांति उन्होंने इसका जैसे संशोधन भी साथ ही कर दिया था कि — ‘किसी भी अघावधि ज्ञात तरीके से (तोडा-फोड़ा) नहीं जा सकता)।’ किन्तु आजकल की परीक्षणशालाओ में इन तत्वों की आंतरिक-रचना में भी परिवर्तन लाया जा चूका है।

बॉयल का एक उदार हृदय व्यक्ति थे और यदि उन्होंने ‘बॉयलाज लॉ’ का आविष्कार नहीं भी किया होता तब भी इतिहास के अमर पुरुषों में उनका नाम सदा स्मरण किया ही जाता क्योंकि न्यूटन के ‘प्रिन्सिपिया’ के प्रकाशन की व्यवस्था उन्होंने ही पहले-पहल की थी

बॉयल जीवन भर अविवाहित रहे। बेकन के तत्वदर्शन में उन्हें बड़ी आस्था थी। अमर वैज्ञानिकों में उनकी आज तक गणना होती है। 1660 ई. के बाद में उनका स्वास्थ्य गिरने लगा, किंतु रसायन संबंधी कार्य इस समय भी बंद न हुआ। 1661 ई. में उनका देहांत हो गया।

5 विचार “राबर्ट बायल : रायल सोसायटी के संस्थापक&rdquo पर;

  1. सर सुना है अगला बड़ा युद्ध पानी के लिये हो सकता है
    जबकि समुद्र पानी से भरा पड़ा है
    तो फिर इसे पीने लायक क्यूं नहीं बनाया जा सकता ।
    problem solve..

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      1. पर ये काम युद्ध से तो बेहतर है,
        कम से कम शुरुवात तो हो इस विशाल काम की।
        रोज़गार भी, निवेश भी और पानी भी ।
        खर्चे का फायदा भी बड़ा है ।

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