मानव भ्रूण में जीन का संपादन(Gene editing in human embryos)

2017-विज्ञान की शीर्ष 10 घटनायें : एक सिंहावलोकन


कुछ कड़वी और कुछ मीठी यादों के साथ साल 2017 विदा लेने ही वाला है। चाहें राजनीतिक घटनाक्रम हो या वैश्विक वैज्ञानिक घटनाक्रम हर मामले में यह साल कई मायनों में अलग रहा। इस साल कई अहम वैज्ञानिक घटनाक्रम, महत्वपूर्ण खोज, शोध अवलोकन और वैश्विक बदलाव भी प्रत्यक्ष रूप से सामने आए। प्रसिद्ध पत्रिका साइंस न्यूज़ मैगज़ीन(Science News Magazine) ने इस वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान घटनाओं को प्रस्तुत कर दिया है। पेश है 2017 की सर्वश्रेष्ठ दस वैज्ञानिक घटनाएं जिसने साइंस न्यूज़ मैगज़ीन में अपनी शीर्ष दस(टॉप टेन) में जगह बनाई है।

  1. न्यूट्रॉन तारो की टक्कर(Neutron star collision)
  2. मानव भ्रूण में जीन का संपादन(Gene editing in human embryos)
  3. लार्सन-C बर्फ शेल्फ का टूटना(Larsen C ice shelf break)
  4. मानव उत्पत्ति और आकार(Human origins take shape)
  5. ट्रैप्पिस्ट-1: सात नये ग्रह(TRAPPIST-1: Seven new planets)
  6. क्वांटम संचार(Quantum communication)
  7. पोषण और जलवायु परिवर्तन(Nutrition and climate change)
  8. सीएआर-टी कोशिका चिकित्सा(CAR-T cell therapy)
  9. फुटबॉल खिलाड़ियों का दिमाग(Football players’ brains)
  10. ज़िका वायरस(Zika virus subsides)

1. न्यूट्रॉन तारो की टक्कर(Neutron star collision)

न्युट्रान तारों की टक्कर
न्युट्रान तारों की टक्कर

एक दुर्लभ और लंबे समय से प्रतीक्षित खगोलीय घटना ने हजारों खगोलविदों को रोमांचित कर दिया। पृथ्वी से 130 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर होनेवाली इस रोमांचक दुर्लभ टक्कर को देखने के लिए विश्व भर के हजारो खगोलविज्ञानी और 70 दूरबीन अपनी नजर लगातार बनाये हुए थे। खगोलविज्ञानियों का उत्साह और रोमांच के कारण ही इस घटना को टॉप टेन में प्रथम स्थान मिला है।

2. मानव भ्रूण में जीन का संपादन(Gene editing in human embryos)

मानव भ्रूण में जीन का संपादन(Gene editing in human embryos)
मानव भ्रूण में जीन का संपादन(Gene editing in human embryos)

अमेरिका में वैज्ञानिकों की टीम ने मानव भ्रूण से उस जीन म्यूटेशन को निकालने में सफलता पायी जो दिल की गंभीर बीमारी के लिए जिम्मेदार था। वैज्ञानिकों ने विवादित जीन एडिटिंग की मदद से बीमारी फैलाने वाले जीन को स्वस्थ जीन से बदल दिया। यह काम भ्रूण में किया गया। CRISPR-Cas9 के नाम से जानी जाने वाली तकनीक की मदद से यह किया गया। CRISPR-Cas9 तकनीक असल में कैंचियों के जोड़े की तरह काम करती है। यह बीमारी के लिए जिम्मेदार जीनोम के खास हिस्से को काट देती है। कटिंग से खाली हुई जगह को नए डीएनए से भर दिया जाता है।

3. लार्सन-C बर्फ शेल्फ का टूटना(Larsen C ice shelf break)

लार्सन-C बर्फ शेल्फ का टूटना(Larsen C ice shelf break)
लार्सन-C बर्फ शेल्फ का टूटना(Larsen C ice shelf break)

जैसा कि आप चित्र में भी देख पा रहे है कि विशाल हिमखंड लार्सन-C(Larsen-C) बर्फ शेल्फ से टूटकर दूर जा रहा है। लार्सन-C आइसबर्ग और बर्फ शेल्फ के बीच की दूरी लगभग 5 km की है जो चित्र में अंकित दिनांक की है। इसके अलावा 11 अन्य छोटे हिमखंड का एक क्लस्टर भी बन गया है जिसमे से एक हिमखंड 13 km लंबा है निकट भविष्य में ये हिमखंड भी टूटकर अलग हो सकते है ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है।

ESA और पोलर ऑब्जरवेशन एंड मॉडलिंग(Centre for Polar Observation and Modelling: CPOM) और नेशनल पर्यावरण रिसर्च काउंसिल(National Environment Research Council) के शोधकर्ताओं की टीम ने कहा है कि हमें सेटेलाइट से मिली छवियों के आधार पर बहुत कुछ स्पष्ट रूप से पता चल रहा है। जैसे- विशाल आइसबर्ग कैसे टूट रहा है अन्य दरारें कैसे बढ़ती जा रही है। यदि कोई बड़ा हिमखंड, बर्फ वृद्धि के साथ अपना संपर्क खो देता है तो निरंतर हिमखंडों में एक अस्थिरता आ जाती है हमारा मानना है लार्सन-C की कहानी अभी खत्म नही हुई है। यह जलवायु परिवर्तन से होनेवाली नाटकीय प्राकृतिक घटना है या एक हिमखंड के रूप में प्राकृतिक जन्म-विकास-क्षय चक्र से जुड़ा है हम दोनों स्थितियों में इसकी जाँच कर रहे है। अंटार्टिक का यह बर्फ महासागर में जाने से निश्चित रूप से वैश्विक समुद्री स्तर में थोड़ी वृद्धि देखने को मिलेगी।

4. मानव उत्पत्ति और आकार(Human origins take shape)

मानव उत्पत्ति और आकार(Human origins take shape)
मानव उत्पत्ति और आकार(Human origins take shape)

2017 में जीवाश्म और आनुवंशिक अध्ययन ने एक सुझाव दिया। हमारे पूर्वजों या प्रजातियों के लिए कोई स्पष्ट प्रारंभिक समय या स्थान का पता हमारे पास कभी मौजूद नहीं है। मानव जाति की पहली जैविक गतिशीलता मानव जीन, होमो सेपियंस में उत्क्रांति के प्रयोग के समय में हुई थी। शोधकर्ताओं ने प्रस्तावित किया की होमो सेपियन्स की उत्पत्ति अफ्रीकी समुदायों में लगभग 300,000 साल पहले शुरू हुई है।
इस परिदृश्य में हमे, मानव कंकाल उच्च, गोल मस्तियां, चिन, छोटे दाँत और चेहरे और मानव शरीर रचना के अन्य लक्षण अंततः 200,000 से 100,000 साल पहले एक एकीकृत पैकेज के रूप में दिखाई देते है।

5. ट्रैप्पिस्ट-1: सात नये ग्रह(TRAPPIST-1: Seven new planets)

ट्रैप्पिस्ट-1: सात नये ग्रह(TRAPPIST-1: Seven new planets)
ट्रैप्पिस्ट-1: सात नये ग्रह(TRAPPIST-1: Seven new planets)

खगोलविदों ने एक ही तारे की परिक्रमा करते धरती के आकार के कम-से-कम सात ग्रहों को खोज निकाला है। मशहूर विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन में इन ग्रहों की दूरी 40 प्रकाश वर्ष बताई गई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इन सभी सात ग्रहों की सतह पर, इनकी दूसरी विशेषताओं के आधार पर, पानी मिलने की पूरी संभावना है। माना जा रहा है कि इनमें से तीन ग्रह पर जीवन की संभावना है और ये “बसने लायक” हैं।

ये सातों ग्रह ट्रैप्पिस्ट-1 नाम के तारे के इर्द-गिर्द मौजूद हैं। यह तारा पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर है। यह आकार में छोटा और और ठंडा तारा है। ये सभी सात एक्सोप्लैनिट्स (सौर परिवार से बाहर किसी तारे का चक्कर लगाने वाले ग्रह) की संरचना बेहद सख्त है और ये TRAPPIST-1 नामक एक बेहद ठंडे छोटे से तारे के आसपास मिले। उनके द्रव्यमान के अनुमान से उनके ठोस चट्टानी सतह वाले ग्रह होने की संभावना जान पड़ती है न कि बृहस्पति की तरह गैस वाले ग्रह की। इनमें तीन ग्रहों की सतह पर समुद्र भी हो सकते हैं।

6. क्वांटम संचार(Quantum communication)

क्वांटम संचार(Quantum communication)
क्वांटम संचार(Quantum communication)

चीन के शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग कर यह बताया कि पृथ्वी और अंतरिक्ष के बीच क्वांटम संचार(Quantum Teleportation) संभव है, और अब उन्होंने क्वांटम टेलीपोर्टेशन का उपयोग करके अंतरिक्ष में एक फोटान भेजने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया है।

क्वांटम टेलीपोर्टेशन की महत्वपूर्ण जरुरत एक खास प्रकार के क्वांटम इंटरनेट को बनाने के लिए बेहद जरुरी है, इससे सारे क्वांटम कंप्यूटर एक साथ जुड़ कर संपर्क बना सकते हैं। क्वांटम कंप्यूटर एक खास प्रकारे के कंप्यूटर होते हैं जो क्वांटम मैकेनिज़्म के नियमों का पालन करके सुपर कंप्यूटर से भी तेज गणना कर सकते हैं। यदि वैज्ञानिक इसमें कामयाब होते हैं तो यह कंप्यूटर भविष्य में एक क्रांति ला सकते हैं।

7. पोषण और जलवायु परिवर्तन(Nutrition and climate change)

पोषण और जलवायु परिवर्तन(Nutrition and climate change)
पोषण और जलवायु परिवर्तन(Nutrition and climate change)

वैज्ञानिक शोध अध्ययनों से पता चला है कि चावल, गेहूं और अन्य फलों ने प्रोटीन और खनिजों को काफी हद तक खो दिया है। लगातार बदल रही वातावरण परिस्थितियां मानव जाति के लिए नये संकट लेकर आ सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के वातावरण में लगातार बढ़ रही प्रदूषण और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा खाद्यान्नों से प्रोटीन और मिनिरल को चुरा रही है। वैसे वनस्पतियों के लिए कार्बन डाइऑक्साइड जरूरी होता है लेकिन वर्तमान समय मे कार्बन डाइऑक्साइड की अत्यधिक मात्रा वनस्पतियों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है।

8. सीएआर-टी कोशिका चिकित्सा(CAR-T cell therapy)

सीएआर-टी कोशिका चिकित्सा(CAR-T cell therapy)
सीएआर-टी कोशिका चिकित्सा(CAR-T cell therapy)

इस वर्ष, जीन थेरेपी अंततः ​​वास्तविक रूप में अस्पतालों और नर्सिंग होम में उपयोग में लायी जा सकेगी। संयुक्त राज्य अमेरिका ने इसकी स्वीकृति दे दी है अब जीन थेरेपी के द्वारा कई प्रकार के ल्यूकेमिया और लिम्फोमा वाले रोगियों को उपचार किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने सीएआर-टी सेल चिकित्सा के लिए अलग-अलग संस्करण विकसित कर रहे हैं और किये भी गए है। लेकिन ज्यादातर संस्करणों का मूल आधार समान ही है: डॉक्टर एक रक्त के नमूने से रोगी के टी कोशिकाओं (प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाएं जो आक्रमणकारियों पर हमला करते हैं) को हटाते हैं और उनके सतहों पर कृत्रिम प्रोटीन उत्पन्न करने के लिए उसे आनुवंशिक रूप से उन्हें संशोधित करते हैं । उन प्रोटीनों जिन्हें चिमेरिक प्रतिजन रिसेप्टर्स(chimeric antigen receptors) कहा जाता है, रोगी के शरीर में कैंसर की कोशिकाओं को पहचानते हैं। संशोधित टी कोशिकाओं का उपयोग कर प्रयोगशाला मे संशोधित टी कोशिकाओं की बहुत सारी प्रतियां बनाई गई है। वे कैंसर कोशिकाओं को खोजने और मारने के लिए सक्षम है उनको रोगी के खून में डाल दिया जाता हैं।

9. फुटबॉल खिलाड़ियों का दिमाग(Football players’ brains)

फुटबॉल खिलाड़ियों का दिमाग(Football players’ brains)
फुटबॉल खिलाड़ियों का दिमाग(Football players’ brains)

जब पूर्व एनएफएल खिलाड़ियों के दिमाग का विस्तृत अध्ययन किया गया तब पता चला ज्यादातर खिलाड़ियों के मस्तिष्क के 99% नमूनों में दर्दनाक एंसेफैलापैथी के लक्षणों में काफी बढ़ोतरी देखी गयी। सरल शब्दों में कहे तो फुटबॉल के खिलाड़ियों के दिमाग में भारी क्षति का विवरण शोध अध्ययन में दिया गया है इसका एक कारण खिलाड़ियों द्वारा सर से बॉल को हिट करना भी माना गया है। लगभग हर नमूने में क्रोनिक आघातक एन्सेफैलोपैथी(chronic traumatic encephalopathy:CTE) या सीटीई के लक्षण दिखाई देते हैं जो स्मृति हानि, भावनात्मक अलगाव, अवसाद और मनोभ्रंश के लिए जिम्मेदार होते है।

बोस्टन विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट जेसी मेज़ का कहना है कि यह एक चौंकाने वाला शोध अध्ययन है। यह अध्ययन फुटबॉल से प्यार करनेवाले लोग और फुटबॉल खिलाड़ियों के बीच नये नजरिये से सोचने पर विवश कर सकता है।

10. ज़िका वायरस(Zika virus subsides)

ज़िका वायरस(Zika virus subsides)
ज़िका वायरस(Zika virus subsides)

पश्चिमी गोलार्ध में ज़िका के मामलों की संख्या इस साल कम हो गई है लेकिन वायरस पर बुनियादी वैज्ञानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य शोध की जरुरत बनी हुई है। 2016 की शीर्ष कहानियों में से एक 2017 में चुपचाप टॉप टेन में शामिल हो गई है। वैज्ञानिकों और सामान्य लोगो के बीच अच्छे कारणों के लिए यह अभी भी एक गर्म विषय बना हुआ है। पश्चिमी गोलार्ध में ज़िका वायरस उभरने जाने के बाद यह अमेरिका को भी दहशत में ला दिया था। जैसा कि आप जानते है ब्राजील और कोलंबिया के माध्यम से यह वायरस संयुक्त राज्य अमेरिका तक पहुंच गया था।

ज़िका वायरस पर अध्ययन कर रहे शोधकर्ताओं का मानना है कि फिलहाल ज़िका वायरस के मामलों की संख्या में कमी आ गयी है लेकिन ज़िका वायरस का अंत अभी नही हुआ है संभव है ज़िका वायरस फिर से लौटने की तैयारी कर रहा है। यदि ज़िका वायरस फिर से उभरता है तो उससे निपटने के लिए शोधकर्ताओं का कार्य और भी चुनौतीपूर्ण होनेवाला है। ज़िका वायरस का वाहक केवल मच्छरों को मानना सही नही है इस वर्ष शोधकर्ताओं ने इस बारे में काफी अध्ययन कर लिया है अब शोधकर्ताओं द्वारा कहा गया है कि यह वायरस ग्रषित मनुष्यों द्वारा संभोग के माध्यम से भी फैल रहा है।

स्रोत: TOP 10 Science stories of 2017(ScienceNews Magazine).

संकलन और संपादन : पल्लवी कुमारी

पलल्वी  कुमारी, बी एस सी प्रथम वर्ष की छात्रा है। वर्तमान  मे राम रतन सिंह कालेज मोकामा पटना मे अध्यनरत है।

पल्लवी कुमारी
पल्लवी कुमारी

13 विचार “2017-विज्ञान की शीर्ष 10 घटनायें : एक सिंहावलोकन&rdquo पर;

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  1. Sir I am Prakash Kumar.
    Mene aapse aapke lekho par video banane ke baare me pocha tha , to maine abhi ek hi video banayi hai
    Topic hai megapixel of human eye
    Please check it
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    Aur sir aapka ye lekh (jis par comment post ho rhi hai ) lajawab hi hamesha ki trah hi
    Sir mai bhi aapke is gyan ko YouTube ke jariye logo tak pahuchaunga
    Thanks for your support
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    prakashkumar0026@gmail.com

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