ओमुअमुआ: Oumuamua

ओमुअमुआ(Oumuamua) : सौर मंडल के बाहर से आया एक मेहमान


ओमुअमुआ: Oumuamua
ओमुअमुआ: Oumuamua

पहली बार खगोलविज्ञानियों ने एक क्षुद्रग्रह को खोज निकाला है जो बाहरी अंतरिक्ष से हमारे सौरमंडल में प्रवेश कर चुका है।

चिली स्थित ESO(European Southern Observatory) के वेरी लार्ज टेलिस्कोप(Very Large Telescope: VLT) और विश्व के अन्य वेधशालाओं के निरीक्षण हमे बताते है कि यह अनोखा क्षुद्रग्रह हमारे सौरमंडल में प्रवेश करने से पहले लाखों वर्षो तक अंतरिक्ष मे यात्रा कर रहा था। यह क्षुद्रग्रह रंग में काला, थोड़ी लालिमा लिए लंबी चट्टान जैसी दिखाई पड़ता है। इस क्षुद्रग्रह से जुड़े सर्वेक्षण परिमाण को 20 नवंबर के नेचर साइंस पत्रिका में प्रकाशित किया जा चुका है।

19 अक्टूबर 2017 को हवाई स्थित पैन-स्टारर्स1 दूरबीन(Panoramic Survey Telescope and Rapid Response System: Pan-STARRS) ने अपने अंतरिक्ष अवलोकन के दौरान इस क्षुद्रग्रह को खोजा था। शुरुआती जांच में इसकी कक्षा को सही तरीके से नही समझा जा सका था इसलिए खोज के बाद इसका वर्गीकरण एक धूमकेतु के रूप में किया गया था। लेकिन बाद में आंकड़ो और गणनाओं के आधार पर इसकी कक्षा को अच्छी तरह से समझा जा सका तब पता चला कि यह क्षुद्रग्रह सौरमंडल से उत्पन्न नही हुआ है ओर बाहरी अंतरिक्ष से सौरमंडल में दाखिल हो गया है।

ओमुअमुआ का पथ

ESO और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्पेस एजेंसियों द्वारा इसकी गणना और सूर्य के सबसे निकट आने पर ही इसे एक इंटरस्टेलर क्षुद्रग्रह(Interstellar asteroid) के रूप में वर्गीकृत किया जा सका। वर्गीकरण के बाद ही इस क्षुद्रग्रह का नाम 1I/2017 U1(ओमुअमुआ: Oumuamua) दिया गया। क्षुद्रग्रह की खोज करने वाले टीम ने बताया की ‘ओमुअमुआ’ एक हवाई शब्द है जिसका अर्थ होता है यह पिंड एक संदेशवाहक है जिसे हम तक पहुंचने के लिए बहुत साल पहले भेजा गया था।

ओमुअमुआ वेगा तारे की दिशा से आया है, अब यह सूर्य के निकट से होते हुये वापिस सौर मंडल के बाहर की दिशा मे भागा जा रहा है।
ओमुअमुआ वेगा तारे की दिशा से आया है, अब यह सूर्य के निकट से होते हुये वापिस सौर मंडल के बाहर की दिशा मे भागा जा रहा है।

ESO के खगोलविज्ञानी ओलिवर हैनाउट(Olivier Hainaut) बताते है

ताजा सर्वेक्षण से हमे पता चला है कि यह क्षुद्रग्रह सूर्य के निकटतम बिंदु को पार कर चुका है अब यह इंटरस्टेलर अंतरिक्ष मे वापस जा रहा है। ESO के VLT दूरबीन को तुरंत ही इस क्षुद्रग्रह की कक्षा, उसकी चमक और रंग को सटीक मापन के लिए लगाया गया था क्योंकि छोटे दूरबीन से ज्यादा आंकड़े नही प्राप्त किये जा सकते। यह तेजी से हमसे लुप्त होता चला जा रहा है इसलिए लगातार अवलोकन से और आंकड़े एकत्रित किये जा रहे है।”

अन्य दूरबीनों के साथ वेरी लार्ज दूरबीन द्वारा अलग अलग फिल्टरों से लिये गए चित्रों के आधार पर खगोलविज्ञानियों ने पाया है कि यह क्षुद्रग्रह नाटकीय ढंग से अपनी चमक में भिन्नता प्रदर्शित कर रहा है। पृथ्वी समययानुसार यह 7.3 घण्टे मे अपनी धुरी पर एक चक्कर काट लेता है।

खगोलविज्ञानी कारेन मीच(Karen Meech) इस क्षुद्रग्रह के चमक के बारे में कहते है

चमक में यह असामान्य भिन्नता का अर्थ है यह एक सिर्फ लंबी वस्तु है इसका आकार भी अन्य क्षुद्रग्रहों से जटिल है। बाहरी अंतरिक्षीय वस्तुओं के समान यह क्षुद्रग्रह भी काला लालिमा लिए रंग प्रदर्शित कर रहा है जबकि इसके चारों ओर धूल के बादल होने के कोई संकेत नही है। यह क्षुद्रग्रह अधिक घना, चट्टानी और उच्च धातुओं से मिलकर बना है यहाँ बर्फ या पानी की मात्रा होने के कोई संकेत नही है। लाखों वर्षो के अंतरिक्षीय यात्रा के दौरान ब्रह्माण्डीय विकिरणों का प्रभाव इसकी सतह पर देखा जा सकता है इसी प्रभाव के कारण काला लालिमा लिये रंग का दिखाई देता है। लम्बाई के रूप में यह लगभग 300 मीटर ही लम्बा है जबकि इसकी चौड़ाई इससे 10 गुणी कम है।”

इस क्षुद्रग्रह के कक्षीय गणनाओं के अध्ययन से पता चला है कि यह  उज्ज्वल तारा वेगा(Vega) की दिशा से ही आया है वेगा जो कि लयरा के उत्तरी नक्षत्र(Northern Constellation of Lyra) में स्थित है। यहाँ तक कि यात्रा इस क्षुद्रग्रह ने लगभग 95000km/घंटे की गति से की है। हमारे सौरमंडल से गुजरते समय पृथ्वी की कक्षा से इसकी दूरी लगभग 24 करोड़ किलोमीटर की थी। हमारे सौरमंडल में प्रवेश करते समय इसकी गति लगभग 25.5 किलोमीटर प्रति सेकंड दर्ज की गयी थी लेकिन सूर्य के निकटतम स्थिति में इसकी गति बढ़कर लगभग 44 किलोमीटर प्रति सेकंड की हो गयी थी। आज से 3 लाख साल पहले यह क्षुद्रग्रह वेगा के काफ़ी करीब रहा होगा आप समझ सकते है इस क्षुद्रग्रह ने कितनी बढ़ी अंतरिक्षीय यात्रा की है सौरमंडल में आने से पहले यह मिल्की वे आकाशगंगा में भी काफी भटकता रहा होगा और आगे भी भटकता रहेगा।

खगोलविदों का अनुमान है कि 1I/2017 U1 जैसा इंटरस्टेलर क्षुद्रग्रह प्रति वर्ष सौरमंडल से गुजरता ही रहता है लेकिन हम आसानी से उसे ट्रैक नही कर सकते। हमे ऐसे क्षुद्रग्रहों पर नजर रखने के लिए पैन-स्टारर्स जैसे सर्वेक्षण दूरबीनों की ज्यादा जरूरत होती है क्योंकि ये सर्वेक्षण के लिए पर्याप्त शक्तिशाली और बड़े दूरबीनों के मुकाबले कम जटिल होते है।
ओलिवर हैनाउट ने अपने अंतिम निष्कर्ष में कहा

हम लगातार ऐसे अनूठे वस्तुओं की खोज में प्रयासरत रहते है। हमारा मानना है कि ऐसे क्षुद्रग्रह अपनी अंतरिक्षीय यात्रा से जुड़े जानकारियां, अपने अनुभव को हमसे साझा करने के लिए ही आते है और हमे उनके अनुभवों की बहुत जरूरत है क्योंकि भविष्य में हमे भी लंबी अंतरिक्षीय यात्रा करनी है।”

ओमुअमुआ(Oumuamua) : धूमकेतु या क्षुद्रग्रह ?

ओमुअमुआ: Oumuamua
ओमुअमुआ(Oumuamua) : एक धूमकेतु

19 अक्टूबर 2017 को हवाई स्थित पैन-स्टारर्स1 दूरबीन(Panoramic Survey Telescope and Rapid Response System: Pan-STARRS) ने अपने अंतरिक्ष अवलोकन के दौरान इस धूमकेतु/क्षुद्रग्रह को खोजा था। शुरुआती जांच में इसकी कक्षा को सही तरीके से नही समझा जा सका था इसलिए खोज के बाद इसका वर्गीकरण एक धूमकेतु के रूप में किया गया था। लेकिन बाद में आंकड़ो और गणनाओं के आधार पर दावा किया गया की इसकी कक्षा को अच्छी तरह से समझा जा चूका है तब पता चला कि यह क्षुद्रग्रह सौरमंडल से उत्पन्न नही हुआ है ओर बाहरी अंतरिक्ष से सौरमंडल में दाखिल हो गया है। ESO और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्पेस एजेंसियों द्वारा इसकी गणना और सूर्य के सबसे निकट आने पर ही इसे एक इंटरस्टेलर क्षुद्रग्रह(Interstellar asteroid) के रूप में वर्गीकृत किया, वर्गीकरण के बाद ही इस क्षुद्रग्रह का नाम 1I/2017 U1(ओमुअमुआ: Oumuamua) दिया गया।

लेकिन 27 जून 2018 को यूरोपियन स्पेस एजेंसी(European Space Agency) ने नेचर मैग्जीन में प्रकाशित अपने ताज़ा शोधपत्र में कहा है की “सौर मंडल के बाहर से आने वाला पहला ज्ञात पिंड ‘ओमुअमुआ’ एक चट्टानी क्षुद्रग्रह की बजाय एक बर्फीला धूमकेतु है।” ESA के अनुसार जब इस पिंड को खोजा गया तबतक ओमुअमुआ गर्म होकर अपनी गैस को अंतरिक्ष में उत्सर्जित कर चूका था, यह प्रक्रिया एक क्षुद्रग्रह की बजाय एक धूमकेतु की विशेषता है भले ही हम ओमुअमुआ की शानदार पुंछ को नहीं देख पाए हो।


ESA खगोलविद मार्को मिशेली(Marco Micheli) के अनुसार

इसे धूमकेतु के रूप में इंगित करने की एक बड़ी वजह ओमुअमुआ का प्रक्षेप पथ(Oumuamua’s trajectory) भी है। सूर्य या अन्य वस्तुओं द्वारा गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से इसकी प्रक्षेप पथ को पूरी तरह से समझाया नहीं जा सकता क्योकि ओमुअमुआ का प्रक्षेप पथ एक क्षुद्रग्रह का नहीं बल्कि एक धूमकेतु के प्रक्षेपवक्र की तरह व्यवहार करता है। सभी द्रव्यमान वाली वस्तुओ की गति गुरुत्वाकर्षण द्वारा ही शासित होती है लेकिन एक धूमकेतु में गैसों के उत्सर्जन अर्थात गैर-गुरुत्वाकर्षण बलों द्वारा धूमकेतु के प्रक्षेपण को प्रभावित किया जाता है।हमने ओमुअमुआ में गैर-गुरुत्वाकर्षण त्वरण का पता लगाया है जब वह मुख्य रूप से सूर्य से दूर था। हमें पता है यह कॉमेटरी आउटगैसिंग के कारण नहीं हो सकता है, लेकिन यह धूमकेतु के व्यवहार के अनुरूप है।इसलिए ओमुअमुआ एक धूमकेतु ही है।”

ओमुअमुआ धूमकेतु

औसत गति : 26.33±0.01 km/s
सूर्य के समीप गति अर्थात परहेलिऑन(Perihelion) : 45 km/s से 87.71 km/s.
आकार लम्बाई : 230 मीटर
चौड़ाई: 35 मीटर
ऊचाई: 35 मीटर
सापेक्ष कांतिमान(Apparent magnitude) : 19.7 to > 27.5
निरपेक्ष कांतिमान(Absolute magnitude) : 22.08±0.445

 

Journal reference: Nature Astronomy. Nature doi: 10.1038/d41586-018-05552-9
स्रोत: ESO, European Space Agency & Panoramic Survey Telescope and Rapid Response System (Pan-STARRS).

प्रस्तुति : पल्लवी कुमारी

लेखिका परिचय

पल्लवी कुमारी, बी एस सी प्रथम वर्ष की छात्रा है। वर्तमान मे राम रतन सिंह कालेज मोकामा पटना मे अध्यनरत है।

प्रस्तुति : पल्लवी कुमारी
पल्लवी कुमारी

26 विचार “ओमुअमुआ(Oumuamua) : सौर मंडल के बाहर से आया एक मेहमान&rdquo पर;

  1. सर
    अगर यह एक पिंड हैं जो बिना किसी बाहरी या भीतरी एनर्जी से बस चल रहा हैं तो इसकी गति कम या ज्यादा कैसे हो रही हैं और सौरमंडल के अन्य ग्रहों और छुद्र ग्रहों की तरह ये सूर्य के गुरूत्वकर्षण एरिया में आने के बाद भी सौरमंडल के बाहर कैसे जा रहा है जबकि ये कोई भी एक्स्ट्रा एनर्जी प्रयोग नहीं कर रहा।

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  2. Sir, jelifish कभी मरती क्यों नहीं है? प्रकृति के हिसाब से तो जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित्य है, ये तो प्रकृति के नियम के विरुद्ध है, क्या jelifish मर कर दुबारा जिन्दा हो जाती है क्या उन्हीं कोशिकाओं से? कृपया समझाये!

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    1. मृत्यु अर्थात जीवन के लिये आवश्यक चयापचय प्रक्रिया का रूक जाना। चयापचय प्रक्रिया रूकने का मुख्य कारण उम्र के साथ कोशीकाओं के नवीनीकरण की असमर्थता है। लेकिन जेलीफ़िश की संरचना इतनी सरल है कि चयापचय प्रक्रिया के लिये आवश्यक कोशीकायें आसानी से बन जाती है।

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  3. तो फिर धरती पर वापस आने पर भी वह घड़ी हमारी घड़ी से पीछे ही चलती रहेगी
    if i am right
    समय की गति अलग जगह अलग अलग होती है ,खासकर स्थिर एवं गतिमान जगहों पर अंतर होता है।
    यह समय अपने अंदर की सभी चीजों पर समान प्रभाव डालता ह और समय से बाहर कुछ ही नहीं है।
    धन्यवाद सर जी ….

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  4. फिर तो सर
    इस हिसाब से अंतरिक्ष में एक मिनट में ,घड़ी का मिनट वाला कांटा कई राऊंड लगा लेगा
    न कि खुद ही धीमा घूमने लगेगा
    क्युकी यह घड़ी तो धरती का समय मापने के लिये सेट है …
    जैसे कम पानी भरने के लिये तैयार लौटे से ज्यादा पानी भरना हो तो उसे कई बार डुबाकर निकालना पड़ेगा न कि लोटा ही बड़ा हो जाएगा ।

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    1. अभिषेक, मैने पहले ही कहा है कि घड़ी एक उपकरण है जो समय मापती है। वह पृथ्वी पर है या अंतरिक्ष मे उससे कोई फ़र्क नही पढ़ता है।
      जब हम समय के धीमे या तेज होने की बात करते है तो वह हमेशा सापेक्ष होती है।
      इसका अर्थ यह है कि आप दो एक जैसी घड़ी ले, दोनो का समय मिला ले। अब एक घड़ी को अंतरिक्ष मे भेज दे, दूसरी को पृथ्वी मे रखे। तो दोनो घड़ीयों मे एक दूसरे की तुलना मे अलग समय दिखायेंगी क्योंकि दोनो के लिये समय गति अलग है।

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  5. सर अंतरिक्ष में किस वजह से घड़ी के कांटे धीमे घूमेंगे
    क्या बेटरी से पावर स्लो जाएगी ।
    और सर अंतरिक्ष में एक दिन कब पूरा होता है ।

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    1. अभिषेक, अंतरिक्ष मे दिन रात नही होता है। यह केवल ग्रहों पर ही होता है।
      समय के धीमे होने के पीछे समय की गति मे परिवर्तन है, घड़ी तो समय गति मापने का एक उपकरण है।

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    2. समय गति से पैदा होता है । यदि कोई गति नही होगी तो समय भी नही होगा । अंतरिक्ष मे सबसे अधिक गति प्रकाश की होती है । इस लिए इस गति को परम गति मान सकते है ।अतः इस गति पर समय भी स्थिर हो जाता है । ब्रह्मांड में प्रकाश को मोड़ने या उसको रोकने के लिए अत्यधिक बल की आवश्यकता होती है । इतना बल सिर्फ ब्लैक होल की ग्रेविटी में होता है । अतः वहां समय भी पूरी तरह रुक जाता है । कुल मिला कर अंतरिक्ष मे जहा गुरुत्व बल जितना अधिक होगा वहां कम गुरुत्व बल वाली जगह की तुलना में हर तरह की गति धीमी होगी । फिर आप उस जगह चाहे कोई घड़ी ले कर खड़े हो जाये तो वो घडी भी सापेक्ष धीमी चलती हुई दिखेगी । पिंडो की गति ही महत्वपूर्ण है जो अलग अलग जगह पर अलग अलग होती है । समय तो सिर्फ दो अलग अलग गतियों का अंतर होता है । अगर हम दो अलग गति करते पिंड का अध्यन कर रहे हो तो ही हमे समय की आवश्यकता होती है । समय सिर्फ दो या दो से अधिक गतियों का अंतर मात्र है । घड़ी में भी काटे गति करते है जिसकी तुलना हम गति करती दूसरी चीजों से करते है और इससे हम उनके अंतर को निकाल कर उसका अध्यन कर पाते है इस गति के अंतर को ही हम समय का नाम देते है और समय को कोई चीज मानने लगते है जो मिथ्या अनुभव मात्र है ।

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    1. १. हमारे राकेट इन यात्राओं के लिये बहुत धीमे है।
      २. खर्च बहुत अधिक है।
      ३. इसमे जान का खतरा अधिक है।

      इसलिये अबतक हम चांद के पार नही जा पाये है।

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  6. सर
    समय धीमा होने का क्या मतलब है ,क्या अंतरिक्ष में कोई घड़ी ले जाएं तो उसके 60 सेकंड हमारी घड़ी के कई मिनट बीतने पे पूरे हो पाएंगे ।
    और क्या यही अंतर किसी चलती ट्रेन के अंदर लटकी एवं बाहर स्थिर रखी घड़ी में भी होता है, क्युकी मैने इसे कभी मेहसूस नहीं किया ।
    वैसे भी सर अंतरिक्ष में तो दिन रात होते नहीं …

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    1. हां इसका अर्थ यही होता है कि अंतरिक्ष की घड़ी मे एक मिनट बितने पर पृथ्वी की घड़ी मे एक मिनट से अधिक समय बितेगा। स्थिर घड़ी और ट्रेन के अंदर की घड़ी के समय मे भी अंतर होगा लेकिन अत्यंत नगण्य कि उसका मापन भी संभव नही होगा।

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  7. आपके सारे लेख पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है ,सरल भाषा मे दी गई जानकारी बहुत लाभदायक है ,
    लेखिका ने बहुत विस्तार से बताया उनका भी बहुत धन्यवाद

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  8. नमस्ते सर।। कैसे हो सर।।
    आपसे एक सवाल पूछना चाहुँगा
    कि,
    किसी भी प्रेक्षक के लिए
    (गतिमान या रूका हुआ या
    दोनो) लाइट कि स्पीड
    काॅन्सटेन्ट कैसे रह सकती है?प्रूफ??

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