श्याम पदार्थ : इन्फ़ोग्राफ़िक


खगोल वैज्ञानिकों के सामने एक अनसुलझी पहेली है जो उन्हे शर्मिन्दा कर देती है। वे ब्रह्मांड के 95% भाग के बारे मे कुछ नहीं जानते है। परमाणु, जिनसे हम और हमारे इर्द गिर्द की हर वस्तु निर्मित है, ब्रह्मांड का केवल 5% ही है! पिछले 80 वर्षों की खोज से हम इस परिणाम पर पहुँचे हैं कि ब्रह्मांड का 95% भाग रहस्यमय श्याम ऊर्जा और श्याम पदार्थ से बना है। श्याम पदार्थ को 1933 मे खोजा गया था जो कि आकाशगंगा और आकाशगंगा समूहों को एक अदृश्य गोंद के रूप मे बाँधे रखे है।। 1998 मे खोजीं गयी श्याम ऊर्जा ब्रह्मांड के विस्तार गति मे त्वरण के लिये उत्तरदायी है। लेकिन वैज्ञानिकों के सामने इन दोनो की वास्तविक पहचान अभी तक एक रहस्य है!

श्याम ऊर्जा(डार्क एनर्जी) के पश्चात ब्रह्मांड का दूसरा सबसे बड़ा घटक श्याम पदार्थ(डार्क मैटर) है। इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा नही जा सकता है लेकिन इसके प्रभावो को इसके द्वारा उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण द्वारा ब्रह्मांड के अन्य भागो से प्रतिक्रिया के रूप मे देखा जा सकता है। तथ्य यह है कि हम यह कम जानते है कि यह है क्या, लेकिन यह अधिक जानते है कि यह क्या नही है?
श्याम ऊर्जा(डार्क एनर्जी) के पश्चात ब्रह्मांड का दूसरा सबसे बड़ा घटक श्याम पदार्थ(डार्क मैटर) है। इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा नही जा सकता है लेकिन इसके प्रभावो को इसके द्वारा उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण द्वारा ब्रह्मांड के अन्य भागो से प्रतिक्रिया के रूप मे देखा जा सकता है। तथ्य यह है कि हम यह कम जानते है कि यह है क्या, लेकिन यह अधिक जानते है कि यह क्या नही है?
यह श्याम(Dark) है। श्याम पदार्थ को प्रत्यक्ष देखा नही जा सकता। यह प्रकाश उत्सर्जित नही करता है, इसलिये यह तारा या ग्रह नही हो सकता है।
यह श्याम(Dark) है। श्याम पदार्थ को प्रत्यक्ष देखा नही जा सकता। यह प्रकाश उत्सर्जित नही करता है, इसलिये यह तारा या ग्रह नही हो सकता है।
इसका पता नही लगाया जा सकता है। यह अत्याधिक घना तथा छोटा है जो विकिरण का अवशोषण या उत्सर्जन नही करता है जिससे चित्र लेने की वर्तमान तकनीकें इसका पता नही लगा सकती है।
इसका पता नही लगाया जा सकता है। यह अत्याधिक घना तथा छोटा है जो विकिरण का अवशोषण या उत्सर्जन नही करता है जिससे चित्र लेने की वर्तमान तकनीकें इसका पता नही लगा सकती है।
यह साधारण पदार्थ का बादल नही है। यदि श्याम पदार्थ सामान्य पदार्थ कण(बार्यान) से बना होता तो वह साधारण प्रकाश के परावर्तन से दिखाई दे देता, लेकिन वह दिखाई नही दे रहा है अर्थात बार्यान नही है।
यह साधारण पदार्थ का बादल नही है। यदि श्याम पदार्थ सामान्य पदार्थ कण(बार्यान) से बना होता तो वह साधारण प्रकाश के परावर्तन से दिखाई दे देता, लेकिन वह दिखाई नही दे रहा है अर्थात बार्यान नही है।
यह प्रतिपदार्थ(एंटीमैटर) नही है। एंटीमैटर पदार्थ से टकराकर एक दूसरे को विनष्ट कर गामा किरण उत्पन्न करते है। लेकिन खगोलशास्त्रीयों ने श्यामपदार्थ मे प्रतिपदार्थ नही देखा है।
यह प्रतिपदार्थ(एंटीमैटर) नही है। एंटीमैटर पदार्थ से टकराकर एक दूसरे को विनष्ट कर गामा किरण उत्पन्न करते है। लेकिन खगोलशास्त्रीयों ने श्यामपदार्थ मे प्रतिपदार्थ नही देखा है।
यह श्याम विवर(ब्लैक होल) नही है। श्याम विवर के पास उसके गुरुत्वाकर्षण से प्रकाश किरणो मे वक्रता आती है। श्याम पदार्थ के पास प्रकाश किरणो मे उपस्थित द्रव्यमान के तुल्य वक्रता उत्पन्न नही होती है।
यह श्याम विवर(ब्लैक होल) नही है। श्याम विवर के पास उसके गुरुत्वाकर्षण से प्रकाश किरणो मे वक्रता आती है। श्याम पदार्थ के पास प्रकाश किरणो मे उपस्थित द्रव्यमान के तुल्य वक्रता उत्पन्न नही होती है।
इसकी खोज किसने की ? जैकोबस कप्टेयेन(Jacobus Kapteyn) 1922 मे डच खगोलशास्त्री जैकोबस कप्टेयेन ने अतंतारकीय गतियों का अध्ययन करते हुये श्याम पदार्थ की उपस्थिति होने का सुझाव दिया था।
इसकी खोज किसने की ? जैकोबस कप्टेयेन(Jacobus Kapteyn) 1922 मे डच खगोलशास्त्री जैकोबस कप्टेयेन ने अतंतारकीय गतियों का अध्ययन करते हुये श्याम पदार्थ की उपस्थिति होने का सुझाव दिया था।
फ़्रिट्ज ज्विकी(Fritz Zwicky) 1933 मे स्विस खगोलभौतिक वैज्ञानिक फ़्रिट्ज ज्विकी ने आकाशगंगीय समूहो के अध्ययन के दौरान श्याम पदार्थ की उपस्थिति का अनुमान लगाया।
फ़्रिट्ज ज्विकी(Fritz Zwicky) 1933 मे स्विस खगोलभौतिक वैज्ञानिक फ़्रिट्ज ज्विकी ने आकाशगंगीय समूहो के अध्ययन के दौरान श्याम पदार्थ की उपस्थिति का अनुमान लगाया।
होरास बेब्काक(Horace W. Babcock) 1939 मे अमरीकन खगोलशास्त्री होरास बेब्काक ने अपने द्वारा की गई आकाशगंगा घूर्णन गति की गणना को दर्शाने वाले आलेख के आधार पर श्याम पदार्थ की उपस्थिति के प्रमाण दिये।
होरास बेब्काक(Horace W. Babcock) 1939 मे अमरीकन खगोलशास्त्री होरास बेब्काक ने अपने द्वारा की गई आकाशगंगा घूर्णन गति की गणना को दर्शाने वाले आलेख के आधार पर श्याम पदार्थ की उपस्थिति के प्रमाण दिये।
वेरा रुबिन(Vera Rubin) और केंट फ़ोर्ड(Kent Ford) अमरीकन खगोलशास्त्री वेरा रुबिन के उपकरण निर्माता केंट फ़ोर्ड के साथ 1960-70 के मध्य मिलकर काम किया तथा नये स्पेक्ट्रोग्राफ़ के प्रयोग से स्पायरल आकाशगंगाओं की घूर्णन गति का मापन किया। उन्होने पाया कि इस घूर्णन गति की व्याख्या के लिये इन आकाशगंगाओं मे दृश्य पदार्थ का छः गुणा श्याम पदार्थ होना चाहीये।
वेरा रुबिन(Vera Rubin) और केंट फ़ोर्ड(Kent Ford) अमरीकन खगोलशास्त्री वेरा रुबिन के उपकरण निर्माता केंट फ़ोर्ड के साथ 1960-70 के मध्य मिलकर काम किया तथा नये स्पेक्ट्रोग्राफ़ के प्रयोग से स्पायरल आकाशगंगाओं की घूर्णन गति का मापन किया। उन्होने पाया कि इस घूर्णन गति की व्याख्या के लिये इन आकाशगंगाओं मे दृश्य पदार्थ का छः गुणा श्याम पदार्थ होना चाहीये।
हम श्याम पदार्थ कैसे खोज रहे है ? कण टकराव यंत्रो(Particle Colliders) से विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित मशीन लार्ज हेड्रान कोलाईडर के कणो के निर्माण और जांच की क्षमता है। इसके द्वारा कण भौतिकी की अवधारणाओं की जांच की जाती है। ब्रह्मांड विज्ञान उपकरणो से WMAP अंतरिक्ष वेधशाला ब्रह्मांडीय पृष्ठभूमी विकिरण(Cosmic Background Radiation) के तापमान का मापन कर रहा है। प्लैंक नासा-युरोपियन अंतरिक्ष वेधशाला के द्वारा ब्रह्माण्ड की आरंभिक प्रकाशकिरणो का अध्ययन हो रहा है, इन किरणो मे अरबो वर्ष की यात्रा की है।
हम श्याम पदार्थ कैसे खोज रहे है ? कण टकराव यंत्रो(Particle Colliders) से विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित मशीन लार्ज हेड्रान कोलाईडर के कणो के निर्माण और जांच की क्षमता है। इसके द्वारा कण भौतिकी की अवधारणाओं की जांच की जाती है। ब्रह्मांड विज्ञान उपकरणो से WMAP अंतरिक्ष वेधशाला ब्रह्मांडीय पृष्ठभूमी विकिरण(Cosmic Background Radiation) के तापमान का मापन कर रहा है। प्लैंक नासा-युरोपियन अंतरिक्ष वेधशाला के द्वारा ब्रह्माण्ड की आरंभिक प्रकाशकिरणो का अध्ययन हो रहा है, इन किरणो मे अरबो वर्ष की यात्रा की है।
प्रत्यक्ष जांच प्रयोग CDMS -मिनेसोटा अमरीका की सौडान खान मे LUX - दक्षिण डकोटा मे लार्ज अंडरग्राउंड झेनान(Large Undergraound Xenon) प्रयोगशाला म ArDM - धरातल के नीचे कैन्फ़्रन्क (Canfranc) प्रयोगशाला Xenon इटली मे भूगर्भे स्थित ग्रैन सैस्सो(Gran Sasso) प्रयोगशाला अप्रत्यक्ष जांच प्रयोग गामा विकिरण जांच यंत्र : फ़र्मी अंतरिक्ष वेधशाला तथा धरातल पर चेरेनकोव(Cherenkov) दूरबीन समूह न्युट्रिनो दूरबीन, आइस्क्युब(IceCube) न्युट्रिनो वेधशाला, एन्टेसेस(Antares) दूरबीन एंटीमैटर जांच यंत्र - पामेला(Pamela), AMS-02 तथा अन्य क्ष किरण तथा रेडीयो प्रयोगशाला
प्रत्यक्ष जांच प्रयोग CDMS -मिनेसोटा अमरीका की सौडान खान मे LUX – दक्षिण डकोटा मे लार्ज अंडरग्राउंड झेनान(Large Undergraound Xenon) प्रयोगशाला म ArDM – धरातल के नीचे कैन्फ़्रन्क (Canfranc) प्रयोगशाला Xenon इटली मे भूगर्भे स्थित ग्रैन सैस्सो(Gran Sasso) प्रयोगशाला अप्रत्यक्ष जांच प्रयोग गामा विकिरण जांच यंत्र : फ़र्मी अंतरिक्ष वेधशाला तथा धरातल पर चेरेनकोव(Cherenkov) दूरबीन समूह न्युट्रिनो दूरबीन, आइस्क्युब(IceCube) न्युट्रिनो वेधशाला, एन्टेसेस(Antares) दूरबीन एंटीमैटर जांच यंत्र – पामेला(Pamela), AMS-02 तथा अन्य क्ष किरण तथा रेडीयो प्रयोगशाला

इसका महत्व क्या है ? हिग्स बोसान तथा श्याम पदार्थ एक दूसरे से जुड़े हो सकते है। दोनो की जांच से पता चलेगा कि परमाण्विक कण आपसे मे कैसे प्रतिक्रिया करते है तथा ब्रह्मांड की मूलभूत संरचना कैसी है। परमाण्विक कणो की बेहतर जानकारी से वर्तमान सैद्धांतिक भौतिकी को आधार मिलेगा। निल डीग्रेस टायसन जैसे विशेषज्ञ वैज्ञानिक मानते हैं कि यदि श्याम पदार्थ ज्ञात ब्रह्मांड का 25% है तथा श्याम ऊर्जा ज्ञात ब्रह्माण्ड का 70% भाग है तो श्याम ऊर्जा ही ब्रह्मांड के त्वरित होते हुये विस्तार का कारण होना चाहिये। श्याम ऊर्जा और श्याम पदार्थ मे संबध तो स्थापित है ही। याद है ना E=mc2
इसका महत्व क्या है ? हिग्स बोसान तथा श्याम पदार्थ एक दूसरे से जुड़े हो सकते है। दोनो की जांच से पता चलेगा कि परमाण्विक कण आपसे मे कैसे प्रतिक्रिया करते है तथा ब्रह्मांड की मूलभूत संरचना कैसी है। परमाण्विक कणो की बेहतर जानकारी से वर्तमान सैद्धांतिक भौतिकी को आधार मिलेगा। निल डीग्रेस टायसन जैसे विशेषज्ञ वैज्ञानिक मानते हैं कि यदि श्याम पदार्थ ज्ञात ब्रह्मांड का 25% है तथा श्याम ऊर्जा ज्ञात ब्रह्माण्ड का 70% भाग है तो श्याम ऊर्जा ही ब्रह्मांड के त्वरित होते हुये विस्तार का कारण होना चाहिये। श्याम ऊर्जा और श्याम पदार्थ मे संबध तो स्थापित है ही। याद है ना E=mc2

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ग्राफिक्स स्रोत : https://futurism.com

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लेख सामग्री : विज्ञान विश्व टीम

 

4 विचार “श्याम पदार्थ : इन्फ़ोग्राफ़िक&rdquo पर;

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