ब्रह्मांड के मूलभूत और महत्वपूर्ण गुणधर्मो मे से एक प्रकाश गति है। इसे कई रूप से प्रयोग मे लाया जाता है जिसमे दूरी का मापन, ग्रहों के मध्य संचार तथा विभिन्न गणिति गणनाओं का समावेश है। और यह तो बस एक नन्हा सा भाग ही है।
निर्वात मे प्रकाश की गति 299,792 किमी/सेकंड है, यह एक स्थिर राशी है जिसमे कोई परिवर्तन नही होता है। इस राशि मे कोई भी परिवर्तन ज्ञात भौतिकी की नींव को हिला देगा। इसके पीछे कई कारण है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है कि
“ब्रह्मांड मे कुछ भी प्रकाशगति से तेज यात्रा नही कर सकता है।”
अब आप समझ सकते है कि इससे कुछ गलतफ़हमी उत्पन्न होती है जब हम कहते है कि ब्रह्मांड के आयु 13.8 अरब वर्ष है लेकिन आधुनिक गणनाओं के अनुसार ब्रह्मांड का व्यास उसकी आयु से कई गुणा अधिक 93 अरब प्रकाशवर्ष है। ब्रह्मांड का यह व्यास वह सीमा है जहाँ तक हम देख सकते है, ब्रह्मांड उसके आगे भी हो सकता है।
यदि ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक बिंदु से हुयी है तो उसका व्यास उसकी आयु से अधिक कैसे ? 13.8 अरब वर्ष आयु के ब्रह्मांड का व्यास 93 अरब प्रकाश वर्ष कैसे हो सकता है जब कुछ भी प्रकाश से तेज यात्रा नही कर सकता है?
इन सब की गहराईयों मे जाने से पहले कुछ मूलभूत बातो को जानते है।
लाल विचलन(REDSHIFT)
ब्रह्माण्ड का आकार उसकी आयु से अधिक कैसे है इसे जानने से पहले देखते है कि प्रकाश कैसे कार्य करता है।
सर आइजैक न्युटन(Sir Isaac Newton) निसंदेह ही सबसे प्रतिभाशाली मानवो मे से एक रहे है, उन्होने कैलकुलस की खोज की थी, लेकिन प्रकाश के गुणधर्मो को समझने वाले प्रथम मानवो मे से एक थे। उन्होने ही बताया था कि प्रकाश नन्हे कणो से बना है जिसे उन्होने कारपस्लस(corpuscles) कहा था। आधुनिक विज्ञान इन कणो को फोटान कहता है।
न्युटन ने बताया था कि काला रंग अर्थात रंगो की अनुपस्थिति होता है, जबकी सफ़ेद रंग अर्थात इसके विपरित सभी रंगो की उपस्थिति। यही सफ़ेद रंग का प्रकाश सूर्य तथा अन्य तारों से उत्पन्न होता है। जब इस श्वेत प्रकाश को किसी प्रिज्म मे से गुजारा जाता है तो वह अपने मूलभूत रंगो मे बंट जाता है। किसी तारे से उत्सर्जित प्रकाश के रंगो के अध्ययन से उसकी संरचना, तापमान तथा विकास मे उस पिंड की वर्तमान स्थिति ज्ञात की जा सकती है।
न्युटन के इस कार्य ने भौतिकी मे एक क्रांति ला दी थी जिस पर अन्य महान वैज्ञानिको का कार्य निर्भर करता है जिनमे निल्स बोह्र(Niels Bohr), मैक्स प्लैंक(Max Plank) और महान अलबर्ट आइंस्टाइन(Albert Einsteen) का समावेश है।
इस लेख मे चर्चा को आगे बढाने के लिये अब हम क्रिस्चियन डाप्लर( Christian Doppler) द्वारा न्युटन के कार्य पर आधारित एक और कार्य को देखेंगे जोकि न्युटन की मृत्यु के सैकड़ो वर्ष पश्चात आये थे।
यदि आप डाप्लर के कार्य को नही जानते है तो हम बता दें कि उन्होने एक विशेष खोज की थी जिसे हम “डाप्लर प्रभाव(Doppler effect)” कहते है। यह प्रभाव व्याख्या करता है कि क्यों कुछ दूरस्थ ब्रह्मांडीय पिंड से उत्सर्जित प्रकाश विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम(electromagnetic spectrum) के लाल वाले भाग की ओर विचलित होता है और कुछ पिंडो का प्रकाश नीले रंग की ओर विचलीत होता है।
सरल शब्दो मे डाप्लर प्रभाव बताता है कि प्रकाश का तरंगदैर्ध्य(wave length) मे विचलन कैसे होता है। तरंगदैर्ध्य मे यह विचलन दर्शाता है कि प्रकाश स्रोत हमारे पास आ रहा है या दूर जा रहा है।
विशेष रूप से यदि प्रकाश स्रोत निरिक्षक से दूर जा रहा है तो प्रकाश तरंग मे फ़ैलाव आयेगा और वह लाल दिखाई देगा क्योंकि लाल रंग का तरंगदैर्ध्य अधिक है। जबकी निकट आ रहे प्रकाश स्रोत मे प्रकाश तरंग मे संकुचन आयेगा और वह नीला दिखाई देगा क्योंकि नीले रंग का तरंगदैर्ध्य कम है।
पिछली सदी के प्रारंभ मे एडवीन हब्बल(Edwin Hubble) ने पाया कि सभी आकाशगंगाओं के प्रकाश के तरंगदैर्ध्य फ़ैलाव है अर्थात वह लाल दिखाई दे रहा है। इसका अर्थ यह था कि वे हमसे दूर जा रही है। लेकिन यही काफ़ी नही था उन्होने पाया कि आकाशगंगा जितनी अधिक दूर थी उनके प्रकाश मे लाल विचलन अधिक था अर्थात दूरी के साथ आकाशगंगाओ के दूर जाने की गति भी बढ़ रही थी।
इस से यह खोज हुयी कि ब्रह्मांड स्थैतिक(stationary) नही है, उसका विस्तार हो रहा है।
आइये ब्रह्मांड के विस्तार की प्रक्रिया को समझें
यह थोड़ा जटिल विषय है। लाल विचलन का हमारा निरीक्षण यह बताता है कि हमारे समीप की आकाशगंगाओं के सापेक्ष तीन गु्णा दूरी पर के पिंड तीन गुणा अधिक तेजी से दूर जा रहे है। हम अंतरिक्ष मे जीतनी अधिक दूरी पर देखते है, आकाशगंगाओ के दूर जाने की गति उतनी अधिक होते जा रही है, इतनी तेज की अत्याधिक दूरी पर उनके दूर जाने की गति आसानी से प्रकाशगति को पार कर जाती है। लेकिन इस लेख के प्रारंभ मे ही हमने कहा है कि प्रकाशगति किसी भी पिंड के गति करने की अधिकतम सीमा है। तो यह कैसे संभव है?
एक महत्वपुर्ण तथ्य यह भी है कि हमारे निरीक्षण की एक सीमा है, वास्तविक ब्रह्मांड उसके आगे भी है जहाँ तक हम देख नही पा रहे है।
इस सीमा को हम “निरीक्षण योग्य ब्रह्माण्ड(observable universe)” कहते है जिसमे निम्न पिंडो का समावेश है :
- 100 लाख सुपर क्लस्टर(आकाशगंगाओ का महा समूह)
- 25 अरब आकाशगंगा समूह
- 350 अरब विशाल आकाशगंगाये
- 7000 अरब वामन आकाशगंगाये
- तथा 30 अरब ट्रीलीयन (3×10²²) तारे
यदि इन सभी पिंडो को 13.7 के अंतरिक्ष मे रख दे तो ब्रह्मांड मे पिंडो की भीड़ मच जायेगी। ब्रह्मांड संबधित सबसे बड़ी गलतफ़हमी यह है कि उसका आकार उसकी उम्र के बराबर होना चाहीये।(आकार को प्रकाशवर्ष मे मापने पर)। इस मान्यता के साथ सबसे पहली समस्या बिग बैंग पश्चात के पहले कुछ ही क्षणो मे ही आ जाती है।
ब्रह्मांड का जन्म अब से 13.75 अरब वर्ष पहले हुआ था, उन पहले कुछ क्षणो काल-अंतरिक्ष(spacetime) के विस्तार की गति प्रकाश गति से अधिक थी। इस समय को स्फ़िति काल(inflation period) कहते है, यह काल ब्रह्माण्ड के आकार की व्याख्या के साथ ही बड़े पैमाने पर ब्रह्मांड के समांगी(homogeneous) होने तथा बिग बैंग के प्रथम युग की परिस्थितियों की व्याख्या के लिये महत्वपूर्ण है।
मूल रूप से कुछ ही क्षणो मे ब्रह्माण्ड का परिवर्तन एक अनंत रूप से घने और उष्ण अवस्था से न्युट्रान-प्रोटान से बने विशाल अंतरिक्ष मे हुआ है; जोकि इस समस्त ब्रह्मांड की मूलभूत इकाई है। इस आरंभिक स्फ़िति काल के समाप्त होने के पश्चात विस्तार गति धीमी हुयी। वर्तमान मे इन पिंडो को एक रहस्यमय बल “श्याम ऊर्जा(Dark Energy)” खींच कर दूर कर रही है।
इस सब से भी यही लगता है कि ब्रह्मांड का विस्तार प्रकाश गति से तेज हो रहा है। लेकिन इस विस्तार गति का अर्थ वह नही है जो आम तौर पर समझा जाता है।
यह सारी गलतफ़हमी सापेक्षतावाद की गलत व्याख्या से उत्पन्न होती है। सापेक्षतावाद के नियमो के अनुसार कोई पिंड काल-अंतरिक्ष(spacetime) मे प्रकाशगती से तेज गति नही कर सकता है। लेकिन सापेक्षतावाद काल-अंतराल(spacetime) पर ऐसी कोई पाबंदी नही लगाता है। संक्षेप मे अंतरिक्ष का आकार मूलभूत भौतिकी के नियमो के साथ कोई टकराव उत्पन्न नही करता है।
ऐसा इसलिये कि अंतरिक्ष मे आकाशगंगाये (या कोई अन्य पिंड) किसी भी नियम का उल्लंघन नही कर रहे है क्योंकि वे अंतरिक्ष मे प्रकाश गति से तेज गति नही कर रहे है। इसकी बजाय अंतरिक्ष का हर भाग अपना विस्तार कर रहा है। पिंड एक दूसरे से दूर नही जा रहे है, उनके मध्य का अंतरिक्ष का विस्तार हो रहा है। आकाशगंगाओं, तारो, ग्रहो, आप और मेरे मध्य का अंतरिक्ष फ़ैल रहा है।
संक्षेप मे
काल-अंतरिक्ष (spacetime) का विस्तार हो रहा है जो पदार्थ के मध्य दूरी बड़ा रहा है। वास्तविकता मे पदार्थ काल-अंतरिक्ष मे गति नही कर रहा है।
यह रोचक है लेकिन दुर्भाग्य से इसका ब्रह्मांड के भविष्य पर प्रभाव निराशाजनक है। यदि हम मानकर चले कि यह विस्तार चलते रहेगा और इस विस्तार गति मे कमी नही आयेगी तो दृश्य ब्रह्मांड का क्षितिज सिकुड़ते जायेगा, एक समय ऐसा आयेगा कि ब्रह्मांड के पिंड एक दूसरे से इतनी दूरी पर होंगे कि उनका प्रकाश एक दूसरी आकाशगंगा तक नही पहंच पायेगा।
हम अंतरिक्ष मे जो कुछ देखते है किसी समय एक दूसरे के समीप था। अंतरिक्ष के विस्तार से यह पिंड एक दूसरे से दूर होते गये, इनमे से कुछ पिंड इतनी दूर चले गये कि वे हमे कभी नही दिखेंगे। एक तथ्य यह है कि सबसे दूर की आकाशगंगाये ब्रह्मांड मे सबसे अधिक आयु के पिंड है जिनका जन्म बिगबैंग के कुछ लाख वर्ष पश्चात ही हुआ है। इस बात की संभावना है कि वर्तमान मे इनमे से अधिकतर का अस्तित्व नही बचा होगा या वे ब्रह्मांड के पूर्णत: भिन्न भाग मे होंगे।
एक बात पर और ध्यान दें कि ब्रह्मांड के विस्तार की गति तथा गुरुत्वाकर्षण मे एक रस्साकसी चलती है। सौर मंडल के ग्रहों के मध्य, या आकाशगंगा के तारो के मध्य, या एक समूह की आकाशगंगा के मध्य गुरुत्वाकर्षण प्रभावी रहता है। जबकी आकाशगंगाओ के मध्य के स्थान पर गुरुत्वाकर्षण कमजोर होने से ब्रह्मांड के विस्तार की गति अधिक होती है। इसी वजह से सौर मंडल ग्रहों के मध्य अंतराल नही समान गति से नही बढ़ रहा है। साथ ही हमारी आकाशगंगा के पड़ोस वाली आकाशगंगा एंड्रोमिडा हमारे समीप आ रही है।
Apne jo Kuchh is lekh me bataya clear nahi hua. Kripya vistar se bataye ya referance de.
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I think we can travel by light speed in the universe,if we could create such technique in which we could focus coming gravitational wave on space vehicle in this way ,that our space vehicle will run by gravitational acceleration of our target star…and velocity of vehicle will be accelerated to light velocity….
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sir, ek din pura universe bhi khtm ho jayega?
aur sir hmara universe expand krta rahega? kbhi contraction nahi karega?
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आपके प्रश्न का उत्तर इस लेख मे है : https://vigyanvishwa.in/2014/03/05/endofuniverse/
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geologist ke hisaab se hmara universe 4 billion age ka h, ye difference kyu?
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भूगर्भ शास्त्रीयो के अनुसार पृथ्वी तथा सौर मंडल की आयु 4.5 अरब वर्ष है। ब्रह्मांड की आयु 13.8 अरब वर्ष है। सौर मंडल का निर्माण ब्रह्मांड के निर्माण के बहुत बाद मे हुआ है।
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आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’घबराएँ नहीं, बंद नोटों की चाबुक आपके लिए नहीं – ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है…. आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी….. आभार…
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sir kya duniya kisi din katam ho jayegi humne aesa suna h log
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हाँ, आज से 5अरब वर्ष बाद, जब सूर्य की हायड्रोजन समाप्त हो जायेगी तब वह पृथ्वी को निगल जायेगा।
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sir muje relativity ko sikhna h muje us k liye kon si book pedni chahiye please sir muje jwab de m bahut sansay m hu. or vigan visv page or blog k liye liye apka bhut thank you
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sir kya tea human body ke liye shi h plz sir reply
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अधिक मात्रा मे हानिकारक है। लेकिन सामान्य रूप से दिन मे २-४ कप से कोई हानि नही है।
ग्रीनटी जैसी चाय से लाभ भी है।
चाय मे चीनी और दुध ना डाली जाये तो बेहतर रहती है।
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sir mujhe ye janana hai ki jab aap aur mere beech space ka failao ho rha hai to kya mai man skta hu ki hmari earth faaiiil ya increse ho rha hai aisa hone se to area of earth bad jayega pls tell me????????
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नीरज, पृथ्वी जैसे पिंडो में गुरुत्वाकर्षण प्रभावी है, जिससे इस फैलाव की दर अत्यंत काम है, शून्य के बराबर, जिससे पृथ्वी के व्यास में कोई बदलाव लाखो करोडो वर्ष में ही पता चल पाएगा।
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good
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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Dear Ashish Shrivastav Ji
This mail is just to say a big THANKS
for your regular
&
much awaited inputs
2016-11-07 9:00 GMT+05:30 विज्ञान विश्व :
> आशीष श्रीवास्तव posted: “ब्रह्मांड के मूलभूत और महत्वपूर्ण गुणधर्मो मे से
> एक प्रकाश गति है। इसे कई रूप से प्रयोग मे लाया जाता है जिसमे दूरी का मापन,
> ग्रहों के मध्य संचार तथा विभिन्न गणिति गणनाओं का समावेश है। और यह तो बस एक
> नन्हा सा भाग ही है। निर्वात मे प्रकाश की गति 299,792 ”
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