एलीयन-यु एफ़ ओ

क्या एलीयन है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है?


एलीयन-यु एफ़ ओ
एलीयन-यु एफ़ ओ

यह प्रश्न अक्सर सामने आते रहता है कि क्या पृथ्वी के बाहर जीवन है?

यदि पृथ्वी के बाहर जीवन है तो क्या उस जीवन मे मानव जैसे बुद्धिमान जीवन की उपस्थिति है?

सारे विश्व मे UFO/उड़नतश्तरी के दिखायी देने की अफवाहे/तथाकथित समाचार सामने आते रहते है। हालीवुड की फिल्मो मे भी एलीयन/परग्रही एक प्रमुख कथानक रहता है, इन फ़िल्मो मे उन्हे अधिकतर ऐसे खलनायको के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है जिनका मकसद पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनो(जल/स्वर्ण/खनिज) का उपभोग करना या मानव जाति को अपनी गुलाम जाति के रूप मे प्रयोग करना है।

क्या एलीयन/परग्रही जीवो का अस्तित्व है ?

वर्तमान विज्ञान के अनुसार पृथ्वी के बाहर जीवन ना पनपने का कोई कारण नही है। पृथ्वी या सौर मंडल मे ऐसी कोई विशेषता नही है कि केवल पृथ्वी पर ही जीवन की संभावना हो।

वैज्ञानिकों का मानना है कि बाह्य अंतरिक्ष में भी जीवन की उत्पत्ति और विकास के लिए सामग्री और परिस्थितियां मौजूद हैं। हमारी आकाशगंगा में करीब 200 अरब तारे हैं, जिनमें हमारा सूर्य एक सामान्य तारा है। आकाशगंगा की चौड़ाई एक लाख प्रकाश वर्ष तथा मोटाई करीब 20 हजार प्रकाश वर्ष है। हमारा सूर्य भी आकाशगंगा के केंद्र भाग में नहीं है। यह केंद्र से करीब 30 हजार प्रकाश वर्ष दूर है और निरंतर आकाशगंगा में चक्कर लगाता रहता है। ब्रह्मांड में ऐसी और इससे भिन्न अरबों आकाशगंगाये हैं। हमारी आकाशगंगा के परे दूसरी बड़ी आकाशगंगा देवयानी हमसे करीब 20 लाख प्रकाश वर्ष दूर है। ब्रह्मांड की अति दूरस्थ आकाशगंगाये हमसे लगभग 10 अरब प्रकाश वर्ष दूर हैं।

तो इस विशाल ब्रह्मांड में क्या पृथ्वी के अलावा सर्वत्र निर्जीव है? जिन तत्वों से धरती की चीजों का निर्माण हुआ है वे कमोबेश समूचे ब्रह्मांड में पाए जाते हैं। भौतिक विज्ञान के जो नियम पृथ्वी की वस्तुओं पर लागू होते हैं वहीं नियम अति दूरस्थ पिंडों के पदार्थ पर भी लागू होते हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि केवल धरती पर ही जीवन की उत्पत्ति और विकास संभव है। ब्रह्मांड के अन्य पिंडों पर जीवन का हमसे भी अधिक उन्नत सभ्यताओं का अस्तित्व संभव है।

ड्रेक समीकरण
ड्रेक समीकरण

आकाशगंगा में उन्नत सभ्यताओं की गणना करने के लिए कॉलेज, विश्वविद्यालय यूएसए के खगोलवेता फ्रैंक ड्रेक ने एक समीकरण प्रस्तुत किया है, जिसे इसे ड्रेक समीकरण कहते हैं। आकाशगंगा में तारों के जन्म की औसत दर, तारों के ग्रह मंडल, ग्रहमंडलों की संख्या, जीवन को धारण करने योग्य ग्रहों की संख्या, उन्नत तकनीक वाले प्राणियों को जन्म दे सकने वाले ग्रहों की संख्या, उन्नत सभ्यातओं का जीवनकाल आदि बातों की गणना कर इस ड्रेक समीकरण की मदद से आकाशगंगा में जीवन की व्यापकता का पता लगाया जाता है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि आकाशगंगा के 200 अरब तारों में हमारे सूर्य जैसे लाखों करोड़ों तारे हैं इसलिए अपने तारे (सूर्य) को हम अद्वितीय नहीं मान सकते। विख्यात खगोल शास्त्री तथा लोकप्रिय विज्ञान प्रस्तोता कार्ल सागन ने इस समीकरण की चर्चा इतनी बार की है कि इसे कार्ल सागन का समीकरण भी कहा जाने लगा है।

सन 1961 में फ्रैंक ड्रेक ने प्राप्त तथ्यों के आधार पर अनुमान लगाया कि हमारी आकाशगंगा में ही करीब 10,000 ग्रहों में जीवन सम्भव है। उस समीकरण के 40 साल बाद सन 2001 में ड्रेक की पद्धति में और सुधार करके फिर समीकरण बनाया गया तो कहा गया कि हजारों नहीं लाखों ग्रहों में जीवन सम्भव है।

अर्थात पृथ्वी पर जीवन है तो अन्यत्र भी जीवन होगा। हमारे पहले प्रश्न का उत्तर है कि एलीयन का आस्तित्व संभव है।

क्या परग्रही/एलीयन पृथ्वी पर आते है?

क्या वे पृथ्वी पर फ़िल्मों मे दिखाये अनुसार आक्रमण कर सकते है?

UFO
UFO

शायद नही। तारों के मध्य दूरी अत्याधिक होती है। सूर्य के सबसे निकट का तारा प्राक्सीमा सेंटारी 4 प्रकाश वर्ष दूर है, उससे प्रकाश को भी हम तक पहुँचने मे 4 वर्ष लगते है। प्रकाश की गति अत्याधिक है, वह एक सेकंड मे लगभग तीन लाख किमी की यात्रा करता है। तुलना के लिये सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुँचने केवल आठ मिनट लगते है। कई प्रकाश वर्ष की दूरी तय करने के लिये इतनी दूरी तक यात्रा करने मे वर्तमान के हमारे सबसे तेज राकेट को भी सैकड़ों वर्ष लगेंगे।

ऐसी लंबी यात्रा मे ढेर सारी अड़चने है, जिसमे कई वर्षो की इतनी लंबी यात्रा मानव या किसी भी अन्य बुद्धिमान जीव के लिये आसान नही होगी। यात्रा मे लगने वाले यान के निर्माण मे ढेर सारी प्रायोगिक मुश्किले आयेंगी, जैसे इस यान मे इस लंबी यात्रा के लिये राशन, पानी, कपड़े , ऊर्जा का इंतज़ाम करना होगा। यान मे कई वर्षो की भोजन सामग्री ले जाना संभव नही होगा, ऐसी स्थिति मे यान मे ही कृषि, पेड़, पौधे उगाने की व्यवस्था करनी होगी। विशाल यान के संचालन तथा यात्रीयों के प्रयोग के ऊर्जा के निर्माण के लिये बिजली संयत्र का निर्माण करना होगा। यान मे वायु से विषैली गैस जैसे कार्बन डाय आक्साईड को छान कर आक्सीजन के उत्पादन मे संयत्र चाहीये होंगे। प्रयोग किये गये जल के पुनप्रयोग के लिये संयत्र, उत्पन्न कचरे के पुनप्रयोग के लिये संयत्र चाहिये होंगे। इन सभी संयंत्रो के यान मे लगाने पर वह किसी छोटे शहर के आकार का हो जायेगा। इतना बड़ा यान पृथ्वी या ग्रह पर निर्माण कर अंतरिक्ष मे भेजना भी आसान नही है, इस आकार के यान का निर्माण भी अंतरिक्ष मे ही करना होगा।

विज्ञान फ़तांशी धारावाहिक "स्टार ट्रैक" का यान
विज्ञान फ़तांशी धारावाहिक “स्टार ट्रैक” का यान

इतने विशाल यान का निर्माण हो भी जाये तो इस यान के अंतरिक्ष यात्रीयों को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना होगा। यान के अंतरिक्षयात्रीयों के दल मे हर क्षेत्र से विशेषज्ञ चूनने होगे जिसमे इंजीनियर, खगोलशास्त्री, चिकित्सक इत्यादि प्रमुख होंगे। यदि यात्रा समय 30-40 वर्ष से अधिक हो तो इन यात्रीयों मे स्त्री-पुरुष जोड़ो को भेजना होगा जिससे इतनी लंबी यात्रा मे नयी यात्रीयों की नयी पिढी तैयार हो और वह इस यात्रा को आगे बढ़ाये। इस अवस्था मे यान मे पाठशाला और शिक्षक भी चाहीये होंगे।

लंबी यात्रा की इन सब परेशानीयो को देखते हुये यह स्पष्ट है कि पारंपरिक तरिके के यानो से अन्य तारामंडलो की यात्रा अत्याधिक कठीन और चुनौति भरी है। इस कठीनायी का हल है प्रकाशगति या उससे तेज गति के यानो का निर्माण। ध्यान रहे कि प्रकाशगति से तेज चलने वाले यान भी सबसे निकट के तारे से आवागमन मे कम से कम 8 वर्ष लेंगे, जबकि अंतरिक्ष मे दूरीयाँ सैकड़ो, हजारो या लाखो प्रकाशवर्ष मे होती है।

प्रकाश गति से तेज यान

प्रकाशगति से तेज यात्रा मे सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वैज्ञानिक नियमो के अनुसार प्रकाश गति से या उससे तेज यात्रा संभव नही है। यह आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद के सिद्धांत का उल्लंघन है जिसके अनुसार प्रकाशगति किसी भी कण की अधिकतम सीमा है। कोई भी वस्तु जो अपना द्रव्यमान रखती है वह प्रकाशगति प्राप्त नही कर सकती है; उसे प्रकाशगति प्राप्त करने अनंत ऊर्जा चाहिये जोकि संभव नही है।

मान लेते है कि किसी तरह से सापेक्षतावाद के इस नियम का तोड़ निकाल लिया गया और प्रकाश गति से यात्रा करने वाला यान बना भी लिया गया। इस अवस्था मे समय विस्तार (Time Dilation) वाली समस्या आयेगी। हम जानते है कि समय कि गति सर्वत्र समान नही होती है। प्रकाश गति से चलने वाले यान मे समय की गति धीमी हो जायेगी, जबकि पृथ्वी/एलीयन ग्रह पर समय की गति सामान्य ही रहेगी। प्रकाश गति से चलने वाला यान को पृथ्वी से प्राक्सीमा सेंटारी तक पहुँचने मे 4 वर्ष लगेंगे लेकिन पृथ्वी पर सदियाँ बीत जायेंगी।

इन सभी प्रायोगिक कारणों से एलीयन का पृथ्वी पर आना संभव नही लगता है।

वर्महोल द्वारा यात्रा

वर्महोल
वर्महोल

एक अन्य उपाय है वर्महोल से यात्रा। वर्महोल ऐसे सैद्धांतिक शार्टकट है जो अंतरिक्ष के दो बिंदुओं को जोड़ते है। इनकी आस्तित्व प्रमाणित नही है लेकिन ये सैद्धांतिक रूप से संभव है। इसके द्वारा किसी भी दूरी की यात्रा पलक झपकते संभव है। आप किसी वर्महोल के एक छोर से प्रवेश करे और पलक झपकते ही आप किसी अन्य आकाशगंगा या किसी अन्य तारामंडल मे जा सकते है। हमारे पास ऐसे वर्महोल बनाने की तकनिक नही है। मानव सभ्यता को वर्महोल बनाने की तकनिक प्राप्त करने के लिये अभी हजारो या लाखों वर्ष का तकनीकी विकास करना होगा।

इस तरह के शार्टकट का निर्माण करने वाली सभ्यता हमसे हज़ारों नही लाखो करोड़ों वर्ष आगे होगी। इतनी विकसीत सभ्यता पृथ्वी मे क्यों दिलचस्पी लेगी ? उनके लिये तो हम एक आदिम/पाषाण युग के जीव होंगे। उन्हे हमारी किसी भी वस्तु( मे कोई दिलचस्पी नही होगी क्योंकि वे हर वस्तु का निर्माण चुटकियों मे करने मे सक्षम होंगे। अंतरिक्ष मे खनिज संसाधन, जल, स्वर्ण जैसी चीजो की कमी नही है, वे तो उन्हे ऐसे ही प्राप्त कर सकेंगे। मानव को गुलाम जाति बनाने की भी उन्हे कोई आवश्यकता नही होगी क्योंकि उनके पास उनके हर काम करने के लिये रोबोटो की फौज होगी।

वर्महोल का निर्माण कर सकने वाली विकसित सभ्यता के लिये हम किसी कीड़े मकोड़े से अधिक नही होंगे। आप स्वयं सोचे कि क्या आपकी किसी दिमक के ढुंह पर, या चिंटीयाँ के समूह पर कोई दिलचस्पी होती है? क्या आप उनपर आक्रमण करने की सोचते है ?

125 विचार “क्या एलीयन है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है?&rdquo पर;

  1. सर, और क्या हो अगर उनके पास वर्महोल वाली तकनीक हो और वो पृथ्वी पर आये भी हो? जिस तरह से हम लोग अन्तरिक्ष में खोजी अभियान भेजते हैं उसी तरह एलीयन/परग्रही भी खोजी अभियान के तहत आयें हो?
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    और सर हाल ही में अमेरिकी सरकार ने UFO/उड़नतश्तरी वाली विडियो रिलीज की है क्या वो सही है या गलत?
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    सर जवाब दिजियेगा.

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    1. महेश, यदि एलियन पृथ्वी पर वर्महोल से आये भी हो तो भी हमारे पास उनके प्रमाण नही है।
      अमरीका ने UFO मतलब Unidentified फ्लाइंग ऑब्जेक्ट के वीडियो जारी किए है लेकिन उसका अर्थ एलियन नही है। वह कुछ भी हो सकते है जिन्हें पहचाना नही जा सका है।

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  2. विज्ञान विश्व बहुत ज्ञानवद्र्धक और अंतरिक्ष विज्ञान जिज्ञासुओं के लिए अति महत्वपूर्ण है। इसे शुरू करने के लिए आपका आभार कि हम अंतरिक्ष विज्ञान को अपनी मातृभाषा में जान सकते हैं।

    यह बात वर्ष 2007 के जून महीने की है। इन दिनों अंधेरा शाम 7:30 बजे के बाद होता है। मैं शाम 7 बजे घर की ओर जा रहा था। शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान से करीब आधा किलोमीटर ऊपर (शिमला शहर की सबसे ऊंची चोटी, जाखू) पहुंचने पर मेरी नजर आसमान पर पड़ी तो मुझे एक गोल बड़ी सी उडऩतश्तरी दिखी जैसी टीवी, फिल्मों में दिखाई जाती है, ये बिल्कुल ठीक वैसी ही थी। यह जमीन से करीब 300-400 मीटर ऊपर थी। इस उडऩतश्तरी के तल से बीच-बीच से रोशनी बाहर आ रही थी। इसे देखकर मैं एकदम स्तब्ध रह गया, कुछ भी सूझा नहीं कि किसी को फोन पर ही बताऊं और उस वक्त उस सड़क से भी कोई नहीं गुजरा।
    ये उडऩतश्तरी बिल्कुल स्मूथ और बिना कोई आवाज किए शांत एक सीध में धीमी रफ्तार से जा रही थी। मैं उसे दूर तक खुले आसमान में एक सीध में जाते हुए तब तक देखता रहा जब तक वह एक बिंदु बनकर आंखों से ओझल नहीं हो गई। मैंने अगले दिन अखबारों को देखा कि शायद मेरे अलावा इसे और किसी ने भी देखा होगा, पर इस बारे में कहीं कोई खबर नहीं मिली। फिर सोचता रहा कि ये क्या चीज थी? किसी ने तो इसे देखा होगा। लेकिन थी वैसी ही जैसी हम टीवी, फिल्मों में देखते हैं ठीक उडऩतश्तरी।

    हेमराज हरनोट
    शिमला, हिमाचल प्रदेश

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  3. Mujhe lagta he sir, ki elian Hein hamare yaha ane ki koshish kar rahe he lekin jaise hi pritvi kaksha ke under ate he wo destroyed ho jate he,,, jaisa hamare yaha ke jo space me jate hein,,, unke yaan ko technically kuchh problem aya to wo destroyed ho jate… q ki pritivi aur space very different hein… aur wo yaan pritvi par milanewale technology se bana huwa hota he jo use shoot nahi hota….

    same thing prithvi ke bahar jo bhi yaan elian ne banaya honga shayad use prithvi vayumandle ate hi destroyed ho jata honga….
    jo ki hame akas se chamkta huwa dikhayi deta he aur gayab ho jata he….

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  4. मेरे विचार से , हम एलियन से केवल कुछ वर्षो की दुरी पर है, कयोंकि जब केवल 50वर्षो में हमने इतनी उपलबधि पाई है कि एक नई दुनिया में अा गए, तो बस अब थोडे ही धीरज की जरुरत है,
    ध्यान देने वाली बात एलियन किसी वयकती विशेष से शारीरीक सबंध नही बना सकते , अगर वे अलग आयाम से है, कयोंकी वे अपनी खुद की साइंस के मास्टरस होंगे , उनसे ऐसी अटपटी उम्मीद करना व्यर्थ लगता है ! अगर ऐसा होता तो वे छीपे नही रह सकते थे !

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  5. hallo आशीष सर मैं आपका आभारी हूं क्या आप हमें ऐसे आर्टिकल हिंदी में पढ़ने के लिए प्रोवाइड करते हैं सर मेरा सवाल है के अगर समय यात्रा के लिए कोई आन बना है जोकि प्रकाश की गति से चलता है तो उस को रुकने में 7 वर्ष का समय लगेगा क्या यह बात सच है इस बात में कितनी सच्चाई है क्या वाकई में कोई ऐसा स्पेस शिप बन सकता है जो प्रकाश की गति से चल सके हम आपसे पूछना चाहता हूं यदि हम आपसे आपके ब्लॉग से डू फॉलो backlink बनाना चाहता हे तो हमें क्या करना होगा प्लीज सर रिप्लाई जरुर कर दीजिए I am waiting for your reply thank you

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    1. विज्ञान प्रमाणो के अभाव में आत्मा पर विश्वास नहीं करता। मॉनव मन का डर उसके आदिमानव से आधुनिक मॉनव बनने के साथ जुड़ा है। आदिमानव हर बात से डरता था, वह डर अब भी बना हुआ है।

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  6. ashish sir maine barmuda triangle ke bare me suna he ki wah prithwi me aliens ki rahaneki jagah he.us triangle me jo koi plane ya jahaj chala jaye to vapas nhi milta.aise kai hadse sune he aur ye bhi suna he ki UFO barmuda triangle se aate he aur usi me dobara jakar gayab ho jate he??? bahut se logo ne ise dekha he.kya ye sabkuch sach he???

    barmuda triangle akhir kya he?????

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    1. Aisa mana jata hai ki hitler aur uske scientist DIE GLOCK naam ke ek machine par kam kar rahe the, jo gravity ko bahut adhik badha kar time travel kar sakta tha par dilchasp baat yah hai ki jis khufiya jagah par ye laboratory thi vah antarctica me thi jiska praman bhi mila hai.DIE GLOCK se itni jyada gravity banai ja sakti thi ki kisi bhi udhte hue vastu ko vah apni taraf khich le. Ya phir is tathya ke liye hollow earth ki theory dekhe.

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  7. Mr ashees are you sure what rools to surviving for life are following earth’s living things is for all over univers. I mean to say what our earth’s condition environment and surviving needs are followed by the univers. may be the surviving needs as breathing eating of the other planet are different to us.as we are breathing eating but they have not need to do it .what do you think

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    1. सारे ब्रह्माण्ड के जीवन के लिये कुछ मूलभूत आवश्यकतायें है क्योंकि भौतिकी और रसायन के नियम सारे विश्व मे समान है। जीवन के लिये द्रव जल, कार्बन का होना आवश्यक है।
      1. द्रव जल सर्वश्रेष्ठ विलायक है, यह एक ऐसा द्रव है जिसमे किसी अन्य द्रव की तुलना मे चीजे घुल जाती है। इस विशेषता के कारण वह जीवन के लिये आवश्यक जटिल रसायनो के निर्माण के लिये आवश्यक है।
      2. कार्बन एक ऐसा तत्व है जो अपनी चार बांड के कारण अणुओ की लंबी श्रृंखला बना सकता है, इसके जैसा दूसरा तत्व नही है। चार कोवेलेंट बांड वाले अन्य तत्व जैसे सिलीकान , जर्मेनियम ऐसा नही कर पाते है।

      यह अवश्य है कि एलियन के लिये श्वसन और खाने पीने की आदते हमसे भिन्न हो। पृथ्वी पर ही कुछ ऐसे जीव है जो श्वसन के लिये आक्सीजन का प्रयोग नही करते है। खाने की आदतो मे भी ढेर सारी विभिन्नताये है। लेकिन द्रव जल और कार्बन जैसी मूलभूत आवश्यकताओं का विकल्प नही है।

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    1. सौर मंडल के निर्माण के समय पृथ्वी ने अपने मातॄ सौर बादल के घूर्णन से एक कोणीय संवेग प्राप्त किया था, इस कोणीय संवेग(Angular Momentum) के संरक्षण के लिये पृथ्वी अब भी घूर्णन कर रही है।

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    2. आपने कहा कि चीटियों में हमें दिलचस्पी नहीं है क्या हम यह जानना नहीं चाहते कि उनके रहन-सहन कैसे हैं वह क्या खाते हैं वह अपने जीवन कैसे व्यतीत करते हैं शायद एलियन भी हम लोगों के जीवन से प्रभावित हो इसके लिए हमारे पृथ्वी में आते हो यह भी तो हो सकता है क्योंकि हर किसी को हर किसी के बारे में जानने की जिज्ञासा होती है जिस जिज्ञासा के अनुरूप हम कार्य करते हैं

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      1. वर्म होल का अस्तित्व प्रमाणित नही है। लेकिन यदि इनका अस्तित्व है तो एलियन इसका प्रयोग कर पृथ्वी पर आ सकते है।
        लेकिन एलियन के पृथ्वी पर आने के भी कोई प्रमाण नही है।

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    1. अफगानिस्तान में कोई विमान नहीं मिला है। कोरी अफवाह है। केवल इंटरनेट पर खबर घूम रही है, सच में ऐसा कुछ नहीं है।

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  8. Sir, kya aap bhagwan me vishwas rakhte ho ???

    Or kya hame sachmuch kisi bhagwan ne banaya hoga ???

    Or jo bhi devi devtaye hai, kya wo abhi bhi is waqt exist karte honge ??

    Ramayan , mahabharat me bhagwan ka jikra hai, to kya abhi bi wo log zinda ho sakte hai ?? Kyonki bahot se logo ko amar rahne ka wardan prapt huwa tha… aisa hamare vedo me likha hai…

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    1. इन विडियो मे अधिकतर विडियो फ़र्जी होते है, शेष विडियो की व्याख्या संभव होती है जो कि प्राकृतिक घट्ना या मानव निर्मित वस्तु ही होती है।

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  9. सर जल का सूत्र H2Oहै जिसमे दो अणु हाईड्रोजन के तथा एक अाक्सीजन का
    तो हम इसे अलग अलग कर के ऊर्जा (हाईड्रोजन ईंधन) प्राप्त कर सकते है और आक्सीजन की पूर्ति भी
    तो हमारे पास भरपुर ईंधन हो जाऐगा
    ऐसा हो सकता क्या सर

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  10. Aashis ji meri umr 27 years hai, or mene 2008 se he astrology mai ruchi hai pr time and money ki wajha se study nahi kr paaya black hole and time travel mai meri soch ko aap ki wajha se bahout madad mili hai itni achhi thraa se Kabhi mai smjh nahi paaya. Bahout c website pr blogs pr search Kiya pr oanhi mahi mila. Mai fir se aap ka sukriya dill se kehnaa chaata hun.

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    1. UFO – Unidentified Flying Object अर्थात ऐसे उड़ती हुयी वस्तु जिसे पहचाना ना जा सके। इस बात के कोई प्रमाण नही हैं कि ये परग्रही या एलीयन के यान है। यदि ये उड़ती वस्तु कृत्रिम है अर्थात मानव ने ही बनायी है।

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  11. शार्टकट का निर्माण करने वाली सभ्यता के लिए आइंसटीन और उसके समीकरण मायने रखेगें या नही। या फिर विकसित सभ्यता के लिए यह भी किडे मकोडे की तरह होंगे।

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  12. एलीयन के बारेमे मेरे पास एक जानकारी थी .! अभी बताऊँ क्या प्राइवेट मे बताऊँ ?? मूझे लगता हे प्राइवेट मे बताना अच्छा रहेगा ओर वो जानकारी मेरे सामने, मेने खुद ने देखी !

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      1. एक वर्ष होगया होगा .
        मै ओर मेरा दोस्त खेत मे घूमने के लिये गये थे,रात के करीब 10.30 pm बजे होंगे .उस वक्त मेने आसमान मे जो देखा उससे मे चौक गया ..ओर मूझे लगा की मेरा बहेम होगा पर 2 मिनीट बाद फीरसे वही एक यान की तरह था ओर मेरेसे करीब 10-12 km दूर था ..मेने अपने साथ दोस्त को भी दिखाया वो भी देखके हैरान हो गया ..मूझे उसकी तस्वीर लेनी थी पर वो बहुत दूर था इसलिए नही ले पाया ..
        वो करीब 5-10 मिनीट के लिये था .!!
        पहिले लगा कोई विमान होगा,पर वो एक ही जगह पर खडा था …उसके बजुसे चारो ओर रोशनी आ रही थी ..वो रोशनी सफेद कलर की थी वो रोशनी यान से करीब 20-30 मीटर मे फैली हुई थी ….वो यान गायब हो जाता था ओर 2 मिनीट मे फिर वही दिखता था .
        लास्ट टाइम गायब हुआ तो बादमे वापस कभी दिखा ही नही …
        मेरे बाजूमे खडा दोस्त देखते ही रहगया !! वो दोस्त अगले 2-3 महीने रोज देखता था उसी जगह की कोई तारा होगा पर वहा कोई तारा नही था !!!

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      2. आपने जिस घटना का वर्णन किया है वह किसी हल्की 1-2 किलो की कम घनत्व की उल्का के जैसे है जो पृथ्वी के वातावरण में जलते हुए निचे आती है। आपने यह सर्दियो की रात में देखी होगी।

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      3. उल्का ऊपरसे नीचे आती हे एक जगह पर खडी नही रहती!
        वो तो एक जगह पर खडा था,10-12 मिनीट तक ….गायब होता ओर फिर से आ जाता ..!!
        मेने अकेले ने नही देखा मेरा दोस्त भी था बजूमे उसने भी देखा ! मे सच कहरहा हू !!

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  13. सर
    क्या समय यात्रा संभव हैं? जबकि मेरा मानना हैं कि समय यात्रा असंभव हैं , असंभव अर्थात पूरी तरह से असंभव हैं और मैं यह साबित कर सकता हूँ मेरा मानना हैं

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    1. समय यात्रा कल्पना नही है। हर पिंड जो गति करता है वह समय यात्रा कर रहा होता है। हम , मै और आप भी समय यात्री है।

      समय का धीमा होना सापेक्ष होता है। यदि दो पिंड गति कर रहे है और उन दोनो की गति मे अंतर है तो अधिक गति वाले का समय कम गति वाले के सापेक्ष धीमा होगा। इन दोनो कि गति मे अंतर महत्वपूर्ण है। इसका तेज गति या प्रकाशगति पर होना आवश्यक नही है।

      यदि दोनो पिंडो की गति मे अंतर 1 m/s है तो तेज गति वाले पिंड का समय दूसरे पिंड से 0.000000000000000556% धीमा होगा। अर्थात दोनो के समय मे 5.7 अरब वर्ष बाद 1 सेकंड का अंतर आयेगा। लेकिन यदि दोनो की गति मे अंतर 804 किमी/घंटा हो तो दोनो के समय मे 114,064 वर्ष बाद 1 सेकंड का अंतर आयेगा।

      गति मे अंतर अधिक होने पर समय के धीमे होने की गति बढ़ते जायेगी।

      जितने भी अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष मे गये है, उनकी गति के कारण उनका समय पृथ्वी के सापेक्ष धीमा था। जब वे वापिस पृथ्वी पर आये तो वास्तविकता मे वे भविष्य मे आये। यह अंतर मिलीसेकंड मे ही लेकिन वास्तविक था।

      अर्थात गति करने वाले पिंड का समय धीमे चलता है।

      लेकिन यदि हम किसी मनचाहे समय पर किसी मनचाहे काल मे यदि यात्रा करना चाहे तो शायद वह असंभव है।

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      1. क्या हम सब whats app पे एक ग्रूप बाणा सकते हे ताकि हमे ओर अच्छा ज्ञान प्राप्त होगा ओर हम फास्ट बोल सकते हे ..plz reply देना जरूर

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  14. सर जब एलियन नही है या फिर है तो वे प्रथ्वी पर नही आ सकते तो मिस्र मे पीरामिड होने का क्या कारण है कम से कम ये तथ्य एलियन कि पुष्टी तो करता है ही या नही|

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  15. सर
    आप अपने आर्थिक लाभ के लिये इस साईट पर विज्ञापन क्यों नहीं देते ? जबकि आप ज्ञान की इतनी अच्छी अच्छी बाते बताते है और हम लोगो के लिये इतना टाइम खर्च करते हो विज्ञापन से आपका कुछ लाभ हो जाये तो इसमें बुराई क्या है।

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    1. वर्महोल आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद के समीकरणो के ऐसे हल है जो काल-अंतरिक्ष(Space-Time) के दो बिंदुओं को जोड़ते है। ये उन दो बिदुओ के मध्य के शार्ट कट होते है।
      यह पुल या वर्महोल दूसरे ब्रह्माण्डो मे यात्रा करने मे सहायक हो सकते है, इनसे समय यात्रा भी संभव है। लेकिन निरिक्षण और प्रायोगिक जानकारी के अभाव मे यह एक कल्पना मात्र है। हम यह नही जानते है कि वर्महोल या पूल का ब्रह्माण्ड मे अस्तित्व है या नही ? या वे सिर्फ सैद्धांतिक रूप से संभव है। इसके विपरीत श्याम विवर का अस्तित्व है और हम जानते है कि उनका निर्माण कैसे होता है।

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  16. एलियन्स का होना या न होना हमारी सोच पर निर्भर करता है जबकी ऐसा संभव ही नही है कि असीम ब्रह्माण्ड मे केवल एक ही ‘पृथ्वी’ और ‘जीवन’ हो। हम स्वयं कल्पना कर कहानियाँ बनाते है और वास्तविकता से उसकी तुलना करते है फिर धीरे-धीरे उस पर विश्वास कर लेते है। हमारे वर्तमान के ‘विज्ञान’ के अनुसार एलियन या तो नही हैै और यदि है तो उनका हम तक पहुँचना बहुत कठिन है जबकि वास्तविकता मे हम उन तक नही पहुँच सकते इसीलिये हम ऐसा सोचते है क्योंकी हमारा आधुनिक विज्ञान इतना विकसित नही है जो इसकी व्याख्या कर सके। हमारे लिये अंतरिक्ष यात्रा मे ‘दूरी’ सबसे बड़ी समस्या है लेकिन यह समस्या ‘हमारे विज्ञान’ के लिये है एलियन्स के लिये नही क्योंकी एलियन्स का मतलब है दूसरा ग्रह, दूसरे जीव, दूसरी सभ्यता और ‘दूसरा विज्ञान’ इसलिये उनका विकास हमसे कितना अधिक और अलग है इसकी हम कल्पना ही कर सकते है। ये ठीक उसी तरह है जैसे कोई बच्चा अपने आस-पास के छोटे से माहौल के बारे मे कल्पनायें करता है फिर उसे वास्तविकता मे ढालने का प्रयास करता है और बाहरी दुनिया से अनजान रहता है लेकिन स्वयं पर पूरा विश्वास करता है। इसलिये एलियन्स के बारे मे सभी अवधारणाओं को न तो स्वीकार किया जा सकता है और न ही नकारा जा सकता है क्योंकी वास्तव मे हम अपनी ही कल्पनाओं पर प्रयोग कर रहे होते हैं।

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  17. बहुत ही उत्तम लेख; सरल – सरस विज्ञान की प्रस्तुति के लिए आपको कोटीशः धन्यबाद!
    विज्ञान के नियमानुसार प्रकाश की गति, गति की सर्वाधिक सीमा है| इससे तेज गति संभव नहीं है| बिग बैंग विस्फोट के बाद क्या ब्रह्माण्ड का विस्तार प्रकाश गति से होने लगा था? बिगबैंग के बाद प्रकाश और द्रव्य/पदार्थ दोनो बने| तो क्या ब्रह्माण्ड के विस्तार मे, पदार्थ और प्रकाश के विस्तार की गति अलग अलग होगी?
    कृपया इस विषय पर मेरा भ्रम दूर करने की कृपा करें|

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    1. मनिष, इस वेबसाईट मे मै वही लिखता हुं जो सच है, विज्ञान के नियमो पर खरा उतरता है, जिस बातो के प्रमाण है। अफ़वाहो और झुठ की इस वेबसाईट पर कोई जगह नही है, ना ही कोई बात घूमा फिरा कर कहने की।

      मुझे इस वेबसाईट से कोई कमाई नही होती है उल्टे मेरी जेब से इसे मेंन्टेन करने का पैसा और लिखने का समय जाता है।
      मेरा व्यवसाय भी ऐसा नही है कि मुझे किसी भी बात को छुपाना पड़े या किसी चीज से डरना पड़े!

      स्वयं सोचो कि एलीयन की जितनी भी अफ़वाहे होती है वे अमरीका या युरोप के जैसे देश से ही क्यों आती है ? अफ़्रिका महाद्विप के देश, अरब देश या एशीया के देशो से क्यों नही आती है? कारण स्पष्ट है कि अमरीका और युरोपियन देशो मे ऐसे बहुत से लोग है जो डर या सनसनीखेज खबरे बेचकर , उनपर पुस्तके लिखकर या फिल्मे बना कर पैसे कमाते है।

      डर बिकता है, और लोग बेचते है। 2012 मे दुनिया समाप्त होने की अफ़वाह बनाकर लोगो ने किताबे बेची, फिल्मे बनायी और पैसा कमाया। UFO/एलीयन वाले भी यही करते है, पुस्तके, फिल्मे बेचते है, वेबसाईट पर ट्रेफ़िक बुलाकर विज्ञापन से पैसे कमाते है!

      बाकि आप अपनी राय रखने के लिये स्वतंत्र है!

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    1. स्वप्निल , Roswell, Area 51, ND Blue Planet Project सब कांसपिरेसी थ्योरी है! कोई भी मुख्यधारा का वैज्ञानिक इन कांसपिरेसी थ्योरी को नही मानता है।

      वैज्ञानिक सोच वैज्ञानिक नियमो, प्रमाणो और सिद्धांतो पर विश्वास करती है, कांसपिरेसी थ्योरी पर नही।

      Area 51 के बारे मे अफवाहे ज्यादा है, यह अमरीकी वायुसेना के लिये बनने वाले नये गुप्त, जासुसी और लड़ाकु विमानो के निर्मांण और टेस्टींग के लिये उपयोग मे आता है। Roswell Accident Project Mogul का भाग था, एक मौसम की जांच करने वाले गुब्बारे का एक्सीडेंट!

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    1. बकवास खबर है! सूर्य और पृथ्वी के मध्य अंतरिक्ष है, पूर्णत: निर्वात! निर्वात मे ध्वनि यात्रा नही कर सकती है तो ओम कहाँ से सुनाई देगा!
      नासा ऐसी अफ़वाहे नही फैलाता है!
      वेदो मे केवल सूक्त और मंत्र है, उसमे ऐसी कोई बात नही लिखी है!

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      1. sir jab mere school me ye baat suni to maine isko isi tark se galat thahra diya ki sound ko madyam ki jarurat hoti h aur waha aisa madhyam nahi h lekin sab apni baato ko 100% sahi bata rahe the phir maine internet pr search kiya to pata chala vaigyaniko ne sun se aane wali magnetic rays ko sound me convard kiya tha.eske youtube pr video bhi h newspaper me aaya tha aap aise hi inkar nahi kr sakte

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      2. मै फ़िर से कह रहा हुं कि इंटरनेट पर 99% कुड़ा होता है! युट्युब या किसी वेबसाईट पर होने से कोई बात सही नही हो जाती है। भारतीय समाचार पत्र तो पता नही क्या क्या बकवास छापते रहते है।
        कुछ समाचार पत्रो ने 15 नवंबर से 15 दिन तक अंधेरा रहने की खबर छापी थी, गोरखपुर मे UFO दिखायी देने की खबर छापी थी। भारतीय टीवी चैनलो का भी वही हाल है।
        ऐसी खोज किसी Peer Reviewed Journal मे या किसी विश्वसनिय साईट मे होना चाहिये। ऐसी कोई शोध नही हुयी है, ना ही नासा ने ऐसी कोई खोज की है।

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    1. विकीपीडीया पर कुछ हद तक भरोसा कर सकते है लेकिन वह भी ज्यादा भरोसे के लायक नही है क्योंकि उसमे कोई भी अपनी सामग्री डाल सकता है। इंटरनेट पर भरोसे वाली साईट है, कुछ मुफ़्त है कुछ के लिये पैसे देने होते है।

      किसी भी साईट पर विश्वास करने से पहले उसकी विश्वसनियता, नाम देखना आवश्यक होता है।

      जैसे विज्ञान के लिये
      1. http://www.howstuffworks.com/
      2. http://www.nasa.gov/
      3. http://www.discovery.com/
      4. http://www.slate.com/blogs/bad_astronomy.html
      5. http://www.livescience.com/

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  18. agar yaan prakash gati KO chu le to yaan me sawar log time travel karge ….. aise me jab wo dusre kisi star system Jo ki 5 prakash varsh door ho.. vaha ja ker aaye to prutvi sadiyo aage kaise jayegi… pritvi to apne samay k hisab se he chalegi… yaane 10 saal baad jab yaan me sawar yatri pritvi par vapas lotege to unki umr thodi see badegi na ki pritvi sadiya aage jayegi…..

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    1. आमीर, यह तथ्य प्रमाणित है कि प्रकाशगति से तेज यात्रा करने पर या अत्याधिक गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्रो मे समय धीमा हो जाता है। प्रकाशगति से यात्रा करने वाले यान मे बीतने वाला समय यदि चार वर्ष है तो पृथ्वी पर बीतने वाला समय सदीयों मे होगा क्योंकि यान मे समय धीमी गति से चल रहा है और पृथ्वी पर सामान्य गति से!

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  19. बहुत बढ़िया जानकारी देने वाला आलेख। कृपया समय विस्तार Time Dilation तथा वर्महोल पर अधिक जानकारी दें। नेट पर यदि सरल सरस भाषा में जानकारी हो तो लिंक शेयर करें।

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    1. थँक्स …पर sir जो बाते tv तथा एलीयन सर्च (history )पर दिखाई जाती हे वो तो सच ही होंगी न् ??
      और उसमे एलीयन का धरती पर आने -जाने का दावा किया हे ..
      उसमे तो कहेते हे की एलीयन अभी भी धरती पर आते हे ..

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      1. Ancient Aliens, Alien Mystery जैसे कार्यक्रम बकवास है। इन पर जो भी नमूने आते है उनमे से किसी के भी पास विज्ञान , पुरातत्व शास्त्र की डीग्री या विशेषज्ञता नहीं है। हिस्ट्री चैनल भारत के इंडिया टीवी जैसा ही है। सनसनी और बकवास अफवाहे दिखता है।

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