हबल दूरबीन के शानदार 25 वर्ष पूरे


हबल दूरबीन
हबल दूरबीन

आज 25 अप्रैल 2015 को हबल दूरबीन ने अपने जीवन के पच्चीस वर्ष पूरे कर लिये है। इस दूरबीन ने खगोल विज्ञान में क्रांतिकारी परिवर्तन लाते हुए ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को बदल डाला है।

सृष्टि के आरंभ और उम्र के बारे में हबल ने अनेक नए तथ्यों से हमें अवगत कराया है। इसकी उपलब्धियों मे एक ब्रह्मांड की उम्र के बारे में सबूत जुटाने की है। हबल के सहारे खगोलविदों की एक टोली ने 7000 प्रकाश वर्ष दूर ऊर्जाहीन अवस्था की ओर बढ़ते प्राचीनतम माने जाने वाले तारों के एक समूह को खोज निकाला है। इन तारों के बुझते जाने की रफ़्तार के आधार पर ब्रह्मांड की उम्र 13 से 14 अरब वर्ष के बीच आँकी गई है। इसके अतिरिक्त पिछले 12 वर्षों के दौरान इस दूरबीन ने सुदूरवर्ती अंतरिक्षीय पिंडों के हज़ारों आकर्षक चित्र भी उपलब्ध कराए हैं।

हबल दूरबीन की कक्षा
हबल दूरबीन की कक्षा

हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी (Hubble Space Telescope (HST)) वास्तव में एक खगोलीय दूरदर्शी है जो अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह के रूप में स्थित है, इसे 25 अप्रैल सन् 1990 में अमेरिकी अंतरिक्ष यान डिस्कवरी की मदद से इसकी कक्षा में स्थापित किया गया था। हबल दूरदर्शी को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘ नासा ‘ ने यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से तैयार किया था। अमेरिकी खगोलविज्ञानी एडविन पोंवेल हबल के नाम पर इसे ‘ हबल ‘ नाम दिया गया। यह नासा की प्रमुख वेधशालाओं में से एक है। पहले इसे वर्ष 1983 में लांच करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कुछ तकनीकी खामियों और बजट समस्याओं के चलते इस परियोजना में सात साल की देरी हो गई।

वर्ष 1990 में इसे लांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि इसके मुख्य दर्पण में कुछ खामी रह गई, जिससे यह पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहा है। वर्ष 1993 में इसके पहले सर्विसिंग मिशन पर भेजे गए वैज्ञानिकों ने इस खामी को दूर किया। यह एक मात्र दूरदर्शी है, जिसे अंतरिक्ष में ही सर्विसिंग के हिसाब से डिजाइन किया गया है।

वर्ष 2009 में संपन्न पिछले सर्विसिंग मिशन के बाद उम्मीद है कि यह वर्ष 2020 तक काम करता रहेगा। इस अभियान मे अंतरिक्ष में अपनी आखिरी वॉक के दौरान वैज्ञानिकों ने हबल के उष्मा कवच और निर्देशक सेंसर को बदला। हबल नाम की महा दूरबीन के कई उपकरणों की मरम्मत की गयी, उसमें नया इमेजर और प्रकाश को छितराने वाला एक स्पेक्ट्रोग्राफ लगाया गया  और उसके गीरोस्कोप, बैटरियां और एक कंम्प्यूटर बदले गए ।

दूरबीनों की शुरूआत

अंतरिक्ष शटल डिस्कवरी द्वारा हबल दूरबीन की स्थापना
अंतरिक्ष शटल डिस्कवरी द्वारा हबल दूरबीन की स्थापना

क़रीब सौ साल पहले अमरीका में खगोलविदों ने रिफ़्लेक्टरों पर आधारित विशाल दूरबीनों का निर्माण आरंभ किया। उन दूरबीनों में से एक का माउंट विल्सन रिफ़्लेक्टर 100 ईंच आकार का था, जिसे उस समय की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धियों में से माना जा रहा था। उस विशाल दूरबीन को एडविन हबल नामक खगोलविद ने स्थापित किया था, जिनके सम्मान में पहली अंतरिक्ष दूरबीन को हबल दूरबीन कहा गया।

अपनी दूरबीन के सहारे एडविन हबल ने साबित किया कि ब्रह्मांड का लगातार फैलाव हो रहा है। उनकी इस खोज को खगोल विज्ञान में हबल के नियम के नाम से जाना जाता है। बाद में ब्रह्मांड की उम्र जानने की जिज्ञासा ने खगोलविदों को और बड़ी दूरबीनों के निर्माण के लिए प्रेरित किया और 200 ईंच आकार की रिफ़्लेक्टर युक्त दूरबीनें भी बनीं। लेकिन उन्हें एक ऐसी दूरबीन चाहिए थी जो धरती के वायुमंडल के व्यवधानों से अप्रभावित रहा और इस तरह अंतरिक्ष दूरबीन की बात सामने आई। लेकिन खगोलविदों का यह सपना 1990 में साकार हो सका, जब डिस्कवरी शटल ने हबल दूरबीन को अंतरिक्ष में पहुँचाया गया।

आरंभ

हबल द्वारा ली गयी तितली निहारीका( Butterfly Nebula) का चित्र
हबल द्वारा ली गयी तितली निहारीका( Butterfly Nebula) का चित्र

हालांकि खगोलविद एडविन हबल के सपनों को साकार करने वाली इस दूरबीन पर अमरीका में 1970 के दशक में ही काम शुरू हो चुका था।बाल्टिमोर, अमरीका के स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट में हबल दूरबीन का विकास किया गया। अमरीकी अंतरिक्ष शटल चैलेंजर की दुर्घटना के बाद कुछ वर्षों के लिए थमे अंतरिक्ष ट्रैफ़िक ने हबल परियोजना को बाधित किया।

हबल अंतरिक्ष दूरबीन के कहीं विशाल आकार की परिकल्पना की गई थी, लेकिन अंतत: यह मात्र 96 ईंच आकार की परावर्तक सतह वाली दूरबीन साबित हुई। लेकिन वायुमंडल से दूर अंतरिक्ष में होने के कारण हबल दूरबीन धरती पर उपलब्ध कहीं बड़ी दूरबीनों ज़्यादा प्रभावी साबित हो रही है। हबल दूरबीन की आयु 20 वर्ष आँकी गई थी, यानि हमें वर्ष 2010 तक इसकी सेवा उपलब्ध रहना लगभग तय था लेकिन इसकी सर्विसिंग और उपकरणो को नियमित रूप से बदले जाने के कारण यह अब भी काम कर रही है और आशा है कि 2020 तक कार्यत रहेगी।

इसकी नियमित रूप से सर्विसिंग की जाती रही है। इसके लिए अमरीकी अंतरिक्ष संस्था नासा के अंतरिक्ष यानों के सहारे अंतरिक्षयात्रियों को हबल तक पहुँचाया जाता है। इसकी धुँधली पड़ गई परावर्तक सतह को 1993 में बदला गया। सबसे ताज़ा मरम्मत मार्च 2002 में की गई है। वर्ष 2004 में इसकी एक बार फिर पूरी सर्विसिंग की गयी, उसके पश्चात 2009 मे इसकी सर्विसींग की गयी है।

तकनीकी तथ्य

हबल दूरबीन द्वारा लिया गया सबसे प्रसिद्ध चित्र, उद्भव के स्तंभ(
हबल दूरबीन द्वारा लिया गया सबसे प्रसिद्ध चित्र, उद्भव के स्तंभ(“Pillars of Creation”), इसमे चील निहारिका(Eagle Nebula) मे तारो के जन्म को देखा जा सकता है।
  1. नासा ने हबल दूरबीन को अंतरिक्ष में स्थापित करने में क़रीब ढाई अरब डॉलर ख़र्च किए हैं। इसकी एक सर्विसिंग पर लगभग 50 करोड़ डॉलर की लागत आती है।
  2. धरती की सतह से 600 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगा रही हबल 11 टन वज़न की है। धरती का एक चक्कर लगाने में इस क़रीब 100 मिनट लगते हैं।
  3. इसकी लंबाई 13.2 मीटर और अधिकतम व्यास 4.2 मीटर है।
  4. हबल दूरबीन प्रतिदिन 10 से 15 गिगाबाइट आँकड़े जुटाती है।
  5. इसके द्वारा गए आँकड़ों के आधार पर 3000 से ज़्यादा अनुसंधान रिपोर्ट प्रकाशित किए जा चुके हैं।
  6. हब्बल दूरबीन आज 25 वर्षों से भी अधिक समय से कार्यरत है।
  7. इस दूरबीन ने खगोलिकी इतिहास में अनेक ऐसे अनुसंधान किए हैं, जिन्होंने कहीं-कहीं खगोलिकी के पुन: लेखन की ज़रूरत पर बल दिया है।
  8. ब्रह्माण्ड की उम्र का पता इसी दूरबीन से किया जा सका तथा 1994 में बृहस्पति और पुच्छल तारे ‘शूमेकर लेवी-9’ के बीच हुए टकराव का चित्रण भी किया जा सका।
  9. हब्बल दूरबीन प्रथम दूरबीन है, जिसकी पाँच बार अंतरिक्ष में मरम्मत की जा चुकी है।

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