वैज्ञानिक को “ब्रह्मांड की उत्पत्ति” की बजाय उसके “अंत” पर चर्चा करना ज्यादा भाता है। ऐसे सैकड़ों तरिके है जिनसे पृथ्वी पर जीवन का खात्मा हो सकता है, पिछले वर्ष रूस मे हुआ उल्कापात इन्ही भिन्न संभावनाओं मे से एक है। लेकिन समस्त ब्रह्मांड के अंत के तरिके के बारे मे सोचना थोड़ा कठिन है। लेकिन हमे अनुमान लगाने, विभिन्न संभावनाओं पर विचार करने से कोई रोक नही सकता है।
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत “महाविस्फोट(The Big Bang)” के अनुसार अब से लगभग 14 अरब वर्ष पहले एक बिन्दु से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुयी है। उस समय ब्रह्मांड के सभी कण एक दूसरे से एकदम पास पास थे। वे इतने ज्यादा पास पास थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिन्दु की शक्ल में था। यह बिन्दु अत्यधिक घनत्व(infinite density) का, अत्यंत छोटा बिन्दु(infinitesimally small ) था। ब्रह्मांड का यह बिन्दु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत गर्म(infinitely hot) रहा होगा। इस स्थिती में भौतिकी, गणित या विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता है। यह वह स्थिती है जब मनुष्य किसी भी प्रकार अनुमान या विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिती में रुक जाता है, दूसरे शब्दों में काल या समय के कोई मायने नहीं रहते है। इस स्थिती में किसी अज्ञात कारण से अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना शुरू हुआ। एक महा विस्फोट के साथ ब्रह्मांड का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में पदार्थ ने एक दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया।
हम जानते हैं कि समस्त ब्रह्मांड चार मूलभूत बलो से संचालित है, ये बल है विद्युत-चुंबकिय बल, कमजोर तथा मजबूत नाभिकिय बल और गुरुत्वाकर्षण बल। इन चारो बलो मे से पहले तीन बल अर्थात विद्युत-चुंबकिय बल, कमजोर तथा मजबूत नाभिकिय बल चौथे बल गुरुत्वाकर्षण बल से अत्याधिक शक्तिशाली है, लेकिन अत्यंत कम दूरी पर प्रभावी है। गुरुत्वाकर्षण बल सबसे कमजोर बल होते हुये भी अत्याधिक दूरी पर प्रभावशाली होता है। यह वह बल है जिसने ब्रह्मांड को एक आकार दिया है। इस बल के प्रभाव से पदार्थ के कण एक दूसरे की ओर आकर्षित होते है और ग्रह, तारे, आकाशगंगा का निर्माण करते है। सारे ब्रह्माण्ड के पिंड इसी बल के कारण अपने आकार मे है, यही नही ब्रह्मांड के पिंड आपसे मे एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही बंधे हुये है। उदाहरण के लिये चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा, पृथ्वी और अन्य ग्रह सूर्य की परिक्रमा, सूर्य द्वारा आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा गुरुत्वाकर्षण बल से ही संभव है। यदि गुरुत्वाकर्षण बल ना हो तो सारा ब्रह्मांड बिखर जायेगा।
1990 तक यह माना जाता था कि ब्रह्मांड के विस्तार की गति धीरे धीरे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण कम होते जा रही है। लेकिन 1990 मे एक सुपरनोवा के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि कोई रहस्यमय बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत कार्य कर ब्रह्मांड के विस्तार को गति दे रहा है। यह एक आश्चर्यजनक , विस्मयकारी खोज थी। उपलब्ध आँकड़ों को सावधानी पूर्वक जांचने के बाद पता चला कि कोई रहस्यमय बल का अस्तित्व ज़रूर है जिससे ब्रह्मांड के विस्तार की गति को त्वरण मील रहा है। इस रहस्यमय बल को आज हम श्याम ऊर्जा (Dark Energy) कहते है। वास्तविकता मे यह बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत नही है, गुरुत्वाकर्षण बल जहाँ पर भिन्न पिंडो को एक दूसरे से बांधे रखता है, लेकिन श्याम ऊर्जा पिंडो को एक दूसरे से दूर धकेलती नही है, श्याम ऊर्जा पिंडो के मध्य अंतराल का निर्माण करती है। इसे कुछ इस तरह से माने कि आप और आपका मित्र किसी दरार के दोनो ओर खड़े है और किसी कारण से दरार के चौड़ाई बढ़ते जा रही है। यही कार्य श्याम ऊर्जा कर रही है, वह पिंडो को एक दूसरे से दूर नही ले जा रही है, उसकी बजाय उनके मध्य अंतराल का विस्तार कर रही है।
अब कुल मिलाकर स्थिति यह है कि गुरुत्वाकर्षण बल विभिन्न खगोलीय संरचनाओं को आपस मे बांधे हुये है। दूसरी ओर श्याम ऊर्जा के प्रभाव से ब्रह्मांड के विभिन्न पिंडो के मध्य अंतराल बढ़ रहा है। हमारे ब्रह्मांड का अंत कैसे होगा इन्ही दोनो बलो के मध्य चल रही इस रस्साकशी पर निर्भर है।
वर्तमान मे उपलब्ध प्रमाणो के अनुसार ब्रह्मांड के अंत की चार प्रमुख संभावनायें है।
4. महा-विच्छेद (Big Rip):
यह एक भयावह स्थिती है। इस संभावना मे “श्याम ऊर्जा(Dark Energy)” ब्रह्माण्ड के विस्तार को उस समय तक गति प्रदान करते रहेगी जब तक हर एक परमाणु टूटकर बिखर नही जाता। इस स्थिती मे श्याम ऊर्जा का घनत्व समय के साथ समान रहता है तब वैज्ञानिको के अनुसार ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति बढते जायेगी तथा अंतरिक्ष के विस्तार के साथ श्याम ऊर्जा की मात्रा बढ़ती जायेगी। । आकाशगंगाए एक दूसरे से क्रिया(आकर्षण) करने या विलय करने की बजाय एक दूसरे से दूर होते जायेंगी। भविष्य मे किसी समय यह गुरुत्वाकर्षण बल पर भी प्रभावी हो जायेगी, तब यह ऊर्जा आकाशगंगाओं, तारो, ग्रहो को चीर-फाड़ देगी। आज से अरबो वर्ष पश्चात हमारी आकाशगंगाओ का स्थानिय सूपरक्लस्टर(Local Supercluster) भी टूट जायेगा और हमारी आकाशगंगा “मंदाकिनी” अकेली रह जायेगी। कुछ समय पश्चात सभी अणुओ का भी विच्छेद हो जायेगा। जैसे कोई मिट्टी का ढेले के कण पानी मे डालने पर घूल कर एक दूसरे से अलग हो जाते है वैसे ही ब्रह्माण्ड का हर सूक्ष्म कण अलग अलग हो जायेगा। अभी तक के सभी निरीक्षण और प्रमाण इसी स्थिति की ओर संकेत कर रहे है।
इस संभावना के अनुसार ब्रह्माण्ड का घनत्व क्रांतिक घनत्व(critical density) से कम है, ब्रह्मांड का विस्तार जारी रहेगा और इस विस्तार की गति बढ़ते जायेगी, जिससे आकाशगंगाये एक दूसरे से दूर होते जा रही है। क्रांतिक घनत्व ब्रह्माण्ड के घनत्व की वह सीमा है जिससे कम होने पर ब्रह्माण्ड का विस्तार तीव्र होते रहेगा और अंत मे महाविच्छेद होगा। ब्रह्मांड के घनत्व के क्रांतिक घनत्व के समान होने की अवस्था मे ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति कम होते जायेगी और एक बिंदु पर विस्तार रूक जायेगा। लेकिन ब्रह्मांड के घनत्व के क्रांतिक घनत्व से ज्यादा होने की स्थिति मे ब्रह्माण्ड का विस्तार एक सीमा पर पहुंचने के पश्चात थम जायेगा और ब्रह्मांड सिकुड़ना प्रारंभ करेगा, अंत मे वह एक बिंदु मे बदल जायेगा। उसके पश्चात एक महाविस्फोट (Big Bang) से ब्रह्मांड का पुनर्जन्म हो सकता है।
वैज्ञानिको के अनुसार महाविच्छेद की यह घटना अब से 22 अरब वर्ष पश्चात होगी।
3.महाशितलन(The Big Freeze)
यह संभावना भी श्याम ऊर्जा के रहस्यमय व्यवहार पर आधारित है। इसके अनुसार भी ब्रह्मांड के विस्तार की गति बढते जायेगी और आकाशगंगा, ग्रह, तारे एक दूसरे से इतनी दूर चले जायेंगे कि नये तारो के निर्माण के लिये कच्चा पदार्थ अर्थात गैस उपलब्ध नही होगी और जिससे नये तारो का जन्म नही होगा। मौजूदा तारो के एक दूसरे से दूर जाने से उष्मा का वितरण ज्यादा क्षेत्र मे होगा, जिससे ब्रह्मांड का तापमान कम हो जायेगा। यह स्थिति समस्त ब्रह्मांड के परम शून्य तापमान(Absolute Zero) पर पहुंच जाने तक जारी रहेगी। इस तापमान पर पहुंचने के पश्चात समस्त गतिविधियाँ थम जायेंगी क्योंकि इस तापमान पर सभी परमाण्विक कण अपनी गति बंद कर देते है।
यह वह बिंदू होगा जिसमे ब्रह्मांड एन्ट्रापी की चरम स्थिति मे होगा। यदि कोई तारा बचा हुआ है तो वह भी धीमे धीमे जलकर खत्म हो जायेगा, अंतिम तारे के खत्म होने के पश्चात ब्रह्मांड मे गहन अंधकार के शिवाय कुछ नही होगा, बस मृत तारों के अवशेष।
कुछ वैज्ञानिको के अनुसार यह ब्रह्मांड के अंत की सबसे ज्यादा संभव अवस्था है।
2.महा संकुचन(Big Crunch) :
यह उस स्थिती मे संभव है जब भविष्य मे किसी समय श्याम ऊर्जा अपना रूप परिवर्तन कर अंतरिक्ष के विस्तार की जगह अंतरिक्ष का संकुचन प्रारंभ कर दे। इस स्थिती मे गुरुत्वाकर्षण बल प्रभावी हो जायेगा और ब्रह्माण्ड संकुचित होकर एक बिन्दु के रूप मे सिकुड़ जायेगा। यह शायद एक और महाविस्फोट(Big Bang) को जन्म देगा। महा विस्फोट तथा महासंकुचन का यह चक्र सतत रूप से चलते रहेगा।
यदि यह संभावना सही है तो यह पहले भी हो चुका होगा। हमारा वर्तमान ब्रह्मांड किसी पुर्ववर्ती ब्रह्मांड के संकुचन के पश्चात बना होगा। महाविस्फोट-महासंकुचन-महाविस्फोट का चक्र अनंत रूप से चलता आया होगा। इस संभावना के सत्य होने के लिये आवश्यक है ब्रह्मांड के घनत्व का क्रांतिक घनत्व से ज्यादा होना।
यह एक संभावना मात्र है, अभी तक इस संभावना के पक्ष मे कोई प्रमाण नही मिले है।
1. महाद्रव अवस्था(The Big Slurp)
यह एक नवीन संभावना है और हिग्स बोसान के व्यवहार पर निर्भर करती है। जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे ब्रह्माण्ड को द्रव्यमान हिग्स बोसान प्रदान करता है। इसके अनुसार हिग्स बोसान का द्रव्यमान एक विशेष मूल्य पर होने की अवस्था मे हमारा ब्रह्माण्ड अस्थिर अवस्था मे होगा। जिससे यह संभव है कि हमारे ब्रह्मांड के बुलबुले के अंदर एक नये ब्रह्माण्ड का बुलबुला जन्म ले और इस ब्रह्माण्ड को नष्ट कर दे।
प्रोटान कण का भी क्षय होता है, और किसी समय ब्रह्माण्ड के सभी प्रोटान कणो का क्षय होगा, वह क्षण अगला भी हो सकता है। इस तरह का निर्वात मितस्थायी घटना(vacuum metastability event ) हमारे ब्रह्माण्ड मे कहीं भी कभी भी हो सकती है। इससे एक बुलबुला निर्मित होगा और हमारे ब्रह्मांड को प्रकाशगति से नष्ट करता जायेगा।
इन लेखों को भी देखें
- श्याम उर्जा (Dark Energy)
- महाविस्फोट का सिद्धांत (The Big Bang Theory)
- श्याम ऊर्जा(Dark Energy):ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 8
ग्राफिक्स स्रोत : https://futurism.com
मूल ग्राफिक्स कॉपी राइट : https://futurism.com
लेख सामग्री : विज्ञान विश्व टीम
mujay aa bat bataea ke gravity ka origin big bang say huaa hai
or jab Sara univers ek point Mai hota hai tab physics Kay saray law badal jatay hai tho mujay lagta hai ke big crush Kay bad Big Bang kya say hogaya or Kuch be tho ho sakta hai
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हॉलीवुड मूवी की तरह की स्टोरी लगती है लेकिन ये सच भी हो सकता है कि ब्रह्माण्ड एक दिन एक बिंदु में बदल जाएगा
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आपके लेखों से मेरी बहोत सारी जिज्ञासाएं कुछ सीमा तक पूर्ण हुई है,
आपके तर्कपूर्ण एवं वैज्ञानिक तथ्यों से पूर्ण लेखों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूँ ,
किन्तु आपके इन लेखों ने मेरी जिज्ञासा को समाप्ति के स्थान पर और अधिक बढ़ दिया है , एक प्रश्न का उत्तर पता हूँ तो और बहोत से प्रश्न मस्तिष्क में लगातार परिक्रमा करने लगते है। बहोत सी बातें है आपसे जान ने के लिए , किन्तु अभी केवल इसी लेख से सम्बंधित प्रश्न है आपसे कृपया स्पष्ट करें।
प्रश्न – जैसा की “महाविस्फोट सिद्धान्त” के अनुसार एक बिंदु से अखिल ब्रम्हांड की उत्तपत्ति हुई महाविस्फोट के बाद ही ब्रम्हांड का निर्माण हुआ ,
तो प्रश्न यह है की , क्या पुनः भी कोई अन्य महाविस्फोट हो सकता है या हुआ हो ? , क्या हमारे इस ब्रह्माण्ड के अतिरिक्त कोई और ब्रम्हांड भी हो सकता है हमारे ब्रम्हांड से अलग ,हमारे ब्रम्हांड से पूर्व या पश्चात् , जिसका जन्म भी “महाविस्फोट”(बिग बंग ) के द्वारा हुआ हो ???
मुझे पता नहीं आपको यह प्रश्न कैसा लगेगा और आप की मेरे प्रति क्या प्रतिक्रिया होगी किन्तु मैं स्वयं को रोक नहीं पाया।
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आपके इन प्रश्नो का कोई निश्चित उत्तर नही है।
वैज्ञानिक इस ब्रह्माण्ड के जन्मदाता महाविस्फोट के अतिरिक्त किसी अन्य ब्रह्माण्ड के जन्म के लिये अन्य महाविस्फोट की संभावना से इंकार नही करते है।
हमारे ब्रह्माण्ड के पहले भी कोई ब्रह्माण्ड हो सकता है और बाद मे भी।
यही नही हमारे ब्रह्माण्ड की सीमाओं के बाहर भी कोई अन्य ब्रह्मांड हो सकता है।
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13.7 arab year pahle janme brahamand ke unant ke khabar sunte he hamare rogte khade ho jayege.
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और उन वैज्ञानिकों के नाम और कारण क्या हैं ? बैंग के तुरंत पश्चात गुरुत्वाकर्षण से विस्तार रुक जाना चाहिये था इसी कारण से तो ब्रह्माण्ड के अंत का एक परिदृश्य महा-संकुचन है.
लिखते रहिये… 🙂
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अजीज, Read about “Big Bounce Theory”! और तुम्हारी टिप्पणीयाँ spam box मे जा रही है, wordpress को तुम्हारे मेल आई डी से कोई समस्या लग रही है।
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भैया, मैंने महा-उछाल के बारे में भी पढ़ा है जिसकी सम्भावना थी। परन्तु अब उस सम्भावना को महत्व नहीं दिया जाता (वैज्ञानिकों के अनुसार)। क्योंकि यह सम्भावना ऊष्मा गतिकी के द्वितीय नियम का उलंघन करती है।
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आइंसटाइन ने भी कासमोलाजीकल स्थिरांक को अपनी सबसे बड़ी ग़लती कहा था और आज वो सामने है!
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भैया, आप तो सिर्फ हाँ या न में एक प्रश्न का उत्तर दे दीजिये।
प्रश्न : महा-विच्छेद की अवस्था में दो बारा परिवर्तन होकर क्या महा-विस्फोट के रूप में ब्रह्माण्ड का अंत हो सकता है ?
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कुछ वैज्ञानिकों के मत के अनुसार ये संभव है, वे कहते हैं कि श्याम ऊर्जा अपना रूप बदल सकती है। उनके ऐसा मानने के कारण भी है। बिग बैंग के तुरंत पश्चात गुरुत्वाकर्षण से विस्तार रुक जाना चाहिये था लेकिन ऐसा नहीं हुआ, विस्तार हुआ है।
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और एक विशेष अनुरोध है कि भले ही आप हिंदी में अनेकों अशुद्धियाँ लिखें कोई फर्क नहीं पड़ता। परन्तु वाक्यों को काल (समय) और परिस्थितियों के अनुसार लिखें। जिससे कि वह वाक्य यदि तथ्य है तो वह तथ्य जैसा लगे। इसी तरह से सिद्धांत को सिद्धांत और नियम को नियम की तरह लिखें तो विज्ञान, विज्ञान की तरह व्यव्हार में आएगा। आपके लेखों के वाक्यों में पदो में भी बहुत सी अशुद्धियाँ पढ़ने को मिलती हैं। इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता। परन्तु जब उन पदों से अन्य अर्थ भी निकलने लगते हैं तो समझने में दिक्कत होती है। और आपको अपनी बात को घूमने का रास्ता मिल जाता है। क्योंकि विज्ञान में सिर्फ जानकारियाँ और तथ्य अकेले नहीं होते हैं।
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अज़ीज़, मै प्रोफ़ेशनल लेखक नहीं हुँ, ना ही मेरा उद्देश्य पैसा या प्रसिद्धी है, मै इसे शौक़िया तौर पर लिखता हुँ! वर्तमान मे हिंदी मेरे दैनिक कामकाज की भाषा नहीं है, मै मानता हुँ कि उनमें वर्तनी की गलतीया रहती है, मै उन्हें ठीक करने का प्रयास ही कर सकता हुँ। और समय मिलने पर ठीक कराती हुँ।
मुझे नियम, सिद्धांत का अंतर ज्ञात है। मेरे लेख मेरे लेखन प्रवाह में ही होते है, जैसे वाक्य बनते है उन्हें वैसा ही लिखता हुँ । मै कोई भी बात इस तरह नहीं लिखता कि मुझे उन्हे घुमाना पढ़ें, ना ही मुझे इसके लिये किसी से प्रमाणपत्र चाहिये। आशा है कि भविष्य में अपनी भाषा का ध्यान रखोगे, अनर्गल टिप्पणी नहीं करोगे।
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भैया, वैज्ञानिक अभी तक श्याम ऊर्जा को पूर्णतः नहीं समझ पाएं है। इतनी बात तो समझ में आती है परन्तु आप असंगत परिस्थितियों को पहचान नहीं पा रहे हैं। यह बात पचाने में हमें थोड़ी दिक्कत हो रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि आप विदेशी साइट्स को कुछ ज्यादा ही महत्व देने लगे हैं।
आपके लिए कुछ दिनों में एक लेख तैयार किया है। शायद आप उसे समझ पाएंगे। जो यह बतलाता है कि आप कहाँ पर गलत हैं और क्यों !
इस लेख में ब्रह्माण्ड के अंत के कारक और सभी घटकों पर चर्चा की गई है।
http://www.basicuniverse.org/2014/03/Brahmand-ka-Ant-Kaise-Ho.html
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अज़ीज़, ज्ञान में देशी विदेशी कुछ नहीं होता है! इस लेख मे तथ्यात्मक रूप से कोई ग़लती नहीं है।
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भैया, वो तो मैं भी जानता हूँ कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती। न तो वो आपका है और न ही वो मेरा है।
मैं आपकी इस बात का तो समर्थन करता हूँ कि महा-विच्छेद के परिदृश्य में ब्रह्माण्ड के वास्तविक घनत्व का मान क्रांतिक घनत्व के मान से कम होता है। परन्तु महा-विच्छेद की अवस्था में दो बारा परिवर्तन नहीं हो सकता। जैसा कि आपने इन दोनों तथ्यों को दूसरे गद्यांश में एक साथ लिखा है। आप इन दोनों तथ्यों को संगत परिस्थिति के रूप में नहीं लिख सकते। मैं इसी बात को लेकर आपके विपक्ष में हूँ। मैंने विदेशी साइट्स के महत्व की बात इसलिए भी की है क्योंकि आपने जिस साइट्स से इस लेख को लिया है वहाँ भी गलत लिखा हुआ है। चूँकि विषय ब्रह्माण्ड के घनत्व के मान से जुड़ा हुआ है, और उसमें अवस्था परिवर्तन के साथ परिवर्तन होते हैं विषय पर पत्रकार लेखक का ऐसा सोचा जाना भी सही है कि महा-विच्छेद की परिस्थिति के बाद महा-संकुचन की स्थिति भी आती है। आखिर वो पत्रकार से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं। उन्हें नहीं पता कि वे क्या कह रही हैं ! और उनके इस कथन से कितने नियम और सिद्धांत बदलने पड़ेंगे। हमारे द्वारा बार-बार इशारा किये जाने के बाद भी आपका यह कहना हम कितना उचित माने कि लेख में सब सही है। ब्रह्माण्ड आपके और हमारे कहने पर नहीं चलता। हम तो बस उस निर्धारित चीज को समझने की कोशिश करते हैं। अभी तक आपने सभी प्रतिक्रियाओं में इस बात का कारण नहीं दिया है कि ऐसा क्यों है ? बस सब सही है ? कहते आएं हैं। जबकि हमने गलती दर्शाने के कारण दिए हैं।
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Aziz, मेरे लेखों में गणितीय सूत्र और उनकी जटिलताएँ नहीं होती है, मै उन्हें हटा देता हुँ, क्योंकि मेरा उद्देश्य सामान्य जन तक जानकारी पहुँचाना है। रहा प्रश्न इस लेख के तथ्यों कि वे वर्तमान ज्ञान के अनुसार सही है, मैंने उनके गणितीय समीकरणों को भी देखा है। इस विषय पर मैंने कुछ और भी लेख लिखे है उन पर भी ध्यान दिजीये। अनुरोध है कि इस विषय पर अध्ययन करें और गणितीय समीकरणों को समझे।
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अद्भुत लेख है। हिंदी में इस तरह के लेख इन्टरनेट पर कम ही उपलब्ध है और जो है वह लेख कम खिचड़ी जदा है। लेख बहुत ही उच्चकोटि का है खासकर हम जैसे साधारण कला के विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है। ब्रह्माड का अंत कैसे होगा।। इसकी कल्पना कर के ही रोंगटे खड़े हो जाते है इतना सुन्दर ब्रह्माड और अंत इतना भयावाह ईश्वर रक्षा करे हमारे ब्रह्माड की। क्या हमारे ब्रह्माड से परे भी अन्य कोई ब्रह्माड है?
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भैया, इस टिप्प्णी में और महा-विच्छेद के दूसरे पैरग्राफ में छोटी सी गलती है कि “ब्रह्माण्ड का घनत्व क्रांतिक मान से कम होता है तो विस्तार जारी रहेगा, समान होने पर रूक जायेगा, और ज़्यादा होने पर संकुचन जारी हो जाएगा।”
जबकि ब्रह्माण्ड का घनत्व क्रांतिक मान से अधिक है याद रहे यहाँ पर क्रांतिक घनत्व, घनत्व की न्यूनतम सीमा है न कि अधिकतम सीमा है। ब्रह्माण्ड का घनत्व क्रांतिक मान (घनत्व का न्यूनतम मान) के समान होने तक ब्रह्माण्ड का विस्तार करेगा और क्रांतिक मान के समान हो जाने पर ब्रह्माण्ड का विस्तार रुक जाएगा।
दूसरे पैराग्राफ में कमी को इस तरह से भी समझा जा सकता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि घनत्व = द्रव्यमान / आयतन
ब्रह्माण्ड के घनत्व का मान क्रांतिक मान के समान हो जाने पर ब्रह्माण्ड का विस्तार रुक जाएगा। क्योंकि ब्रह्माण्ड में श्याम ऊर्जा का प्रवाह रुक जाएगा। और ब्रह्माण्ड बंद निकाय की तरह व्यव्हार करेगा। तब द्रव्यमान संरक्षण के नियम से द्रव्यमान नियत रहेगा और विस्तार थम जाने के कारण आयतन निश्चित रहेगा। तो फिर घनत्व का मान क्रांतिक मान से कैसे बढ़ सकता है ? ताकि ब्रह्माण्ड संकुचित होने लगे। (सिर्फ एक परिस्थिति ऐसी बनती है जब संकुचन प्रारम्भ हो सकेगा। उसके लिए श्याम ऊर्जा का प्रवाह निरंतर आवश्यक है।)
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अज़ीज़ , दूसरे पैराग्राफ़ में कोई ग़लती नहीं है! तुम श्याम ऊर्जा को समझ नहीं पा रहे हो, यह क्रांतिक मान श्याम ऊर्जा पर निर्भर है!
इसे इस तरह समझो
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> ब्रह्माण्ड का घनत्व श्याम ऊर्जा के घनत्व से कम होता है तो विस्तार जारी रहेगा, समान होने पर रूक जायेगा, और ज़्यादा होने पर संकुचन जारी हो जाएगा।”
>
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भैया, हमें तो लगा था कि लेख तैयार करते समय छोटी सी गलती हो गई होगी। इसलिए ध्यान दिलाने का प्रयास कर रहे थे। सच कहूं तो हमें श्याम ऊर्जा की इन असंगत परिस्थितियों के बारे में पता ही नहीं था।
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अजीज, श्याम ऊर्जा तो अभी वैज्ञानिको के भी समझ से बाहर है।
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अज़ीज़,यहाँ दो कारक है : ब्रह्मांड के विस्तार की वर्तमान गति और ब्रह्मांड का वर्तमान घनत्व! ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, अर्थात घनत्व कम होगा! यदि यह घनत्व क्रांतिक मान से कम होता है तो विस्तार जारी रहेगा, समान होने पर रूक जायेगा, ज़्यादा होने पर संकुचन जारी रहेगा। इसमें विरोधाभाष कहाँ है?
मैंने कुछ लिंक और भी दी हैं , उन्हें भी देखें।
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भैया, घनत्व बढ़ने से तो संकुचन होता है और घनत्व कम होने से विस्तार होता है।
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अज़ीज़, यहाँ पर क्रांतिक घनत्व और ब्रह्माँड के घनत्व की तुलना हो रही है!
>
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क्रांतिक ताप, क्रांतिक दाब, क्रांतिक आयतन, क्रांतिक कोण और क्रांतिक घनत्व आदि.. क्रमशः ताप, दाब, आयतन, कोण और घनत्व आदि.. की वह सीमा है जब कोई पिन्ड, निकाय अथवा निर्देशित तंत्र अपनी प्रकृति को खो देता है यह सीमा न्यूनतम और अधिकतम मान दोनों के लिए हो सकती है।
आपने महा-विच्छेद के दूसरे पैरा-ग्राफ की शुरूआती पंक्तियों में लिखा है कि “इस संभावना के अनुसार ब्रह्माण्ड का घनत्व क्रांतिक घनत्व (critical density) से कम है” यानि कि वर्तमान में न ? और यदि हाँ, तो क्रांतिक घनत्व के लिए ब्रह्माण्ड का घनत्व और बढ़ेगा (आपके अनुसार)। क्योंकि वर्तमान में ब्रह्माण्ड का घनत्व क्रांतिक घनत्व से कम है। और जब ब्रह्माण्ड का घनत्व बढ़ेगा तो ब्रह्माण्ड का संकुचन होगा या फिर विस्तार ?? और महा-विच्छेद के लिए ब्रह्माण्ड में विस्तार होना आवश्यक है न कि संकुचन।
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Thanking You,
Nadeem Ahmed – Construction
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