बरमुडा त्रिभुज : रहस्य या एक मिथक (Bermuda Triangle : Mystery or Myth)?


आपको बरमूडा त्रिभुज कोई ऐसा नक्शा नही मिलेगा जो इस क्षेत्र की सीमाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता हो। कुछ व्यक्तियों की मान्यताओं के अनुसार यह एक ऐसा रहस्यमय क्षेत्र है जहाँ पर वायुयान और जलयान रहस्यमय रूप से लापता होते हैं। 1964 मे एक पत्रिका ने इस क्षेत्र को बरमूडा त्रिभुज नाम दिया था, तब से इस क्षेत्र सनसनीखेज समाचारों/कहानियों के लेखकों की कलम चलती रही है। यह बरमूडा त्रिभुज , जिसे “शैतान के त्रिभुज” के रूप में भी जाना जाता है , उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर का एक क्षेत्र है जिसमे कुछ विमान और सतही जहाज (surface vessels) गायब हो गए हैं. कुछ लोगों का दावा है कि ये गायब होने की बातें “मानव त्रुटि (human error)” या “प्रकृति के कृत्यों (acts of nature)” की सीमाओं के परे है. लोकप्रिय संस्कृति ने गायब होने की कुछ घटनाओं को अपसामान्य (paranormal), भौतिकी के नियमों (laws of physics) के निलंबन, या भूमि से परे की जीवित वस्तुओं (extraterrestrial beings) की गतिविधियों से सम्बद्ध बताया है।लेकिन जब आप इस क्षेत्र की और उससे जुडी दुर्घटनाओं की गहराई से जांच पड़ताल करते है तो पाते है कि इस रहस्यमय क्षेत्र मे कोई रहस्य ही नही है। इस क्षेत्र मे हुयी अधिकतर दुर्घटना का संतोषजनक स्पष्टीकरण उपलब्ध है।

वर्ल्ड वाईड फंड फ़ार नेचर ने 2013 मे समुद्री परिवहन के लिये सबसे खतरनाक दस शीर्ष स्थानों की सूची तैयार की है लेकिन इसमे बरमूडा त्रिभुज नही है।

लेकिन क्या इसका अर्थ यह है कि बरमूडा त्रिभुज मे विचित्र अनुभव के दावे आधारहीन है?

ऐसा भी नही है, वैज्ञानिको ने इस क्षेत्र मे सामान्य समुद्री क्षेत्र की तुलना मे कुछ अलग गुण पाये है और इस क्षेत्र की सागर तलहटी पर कुछ विचित्र संरचनाये भी पायी है। और इस क्षेत्र के कथित रहस्यमय व्यवहार की अवधारणा पर विश्वास करने वालों के लिये इतना ही पर्याप्त है और वे तिल का ताड़ बनाने मे सक्षम है।

इस लेख मे हम इस क्षेत्र से जुड़े कुछ तथ्यों और हुयी दुर्घटनाओं पर चर्चा करेंगे। साथ ही मे हम इस क्षेत्र से जुड़ी हुयी कुछ विचित्र मनगढ़ंत कहानीयाँ जैसे परग्रही द्वारा अपहरण(Alien Abduction), अटलांटीस सभ्यता की मशीनें या श्याम विवर जैसी कहानियो को भी देखेंगे। इसके अतिरिक्त हम इस क्षेत्र मे होने वाली दुर्घटनाओं के साधारण और संभव कारणों की जांच पड़ताल भी करेंगे।

आधिकारिक रूप से बरमूडा त्रिभुज जैसे किसी क्षेत्र का अस्तित्व नही है। सं रा अमरीका का भौगोलिक नामकरण संस्थान किसी भी ऐसे क्षेत्र की उपस्थिति से इंकार करता है। लेकिन आम मान्यताओं के अनुसार यह क्षेत्र अटलांटिक महासागर मे सं रां अमरीका के दक्षिणी समूद्री सीमा मे स्थित है और इसके तीन शीर्ष बिंदु बरमूडा द्वीप, फ्लोरिडा राज्य का मियामी शहर और प्युर्टो रीको राज्य का सान जुआन द्वीप है। यह क्षेत्र 500,000 वर्ग मील मे फैला हुआ है।

इस क्षेत्र का नाम इस त्रिभुज के एक शीर्ष बिंदु बरमूडा द्वीप के नाम पर है जिसे किसी समय “शैतान का द्वीप(Devil’s Island)” भी कहा जाता था। इस द्वीप के आस पास देखने में सुरक्षित पर खतरनाक मूंगे की चट्टान है जिनसे टकराकर हर वर्ष कितने ही जहाज क्षतिग्रस्त हो जाते है।

बरमूडा त्रिभुज रहस्य

पिछले 100 वर्षो मे बरमूडा त्रिभुज मे कुछ व्यक्तियों की मान्यताओं के अनुसार असाधारण रूप से ज्यादा संख्या मे वायुयान और जलयान रहस्यमय रूप से कोई सूराग ना छोड़ते हुये अदृश्य हुये हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार इस क्षेत्र मे 100 के आसपास वायुयान ,जलयान और लगभग 1000 व्यक्ति लापता हुये हैं। लेकिन सं रा अमरीका समुद्र रक्षको के अनुसार इस मे होने वाली दुर्घटनाये किसी अन्य क्षेत्र की तुलना मे असामान्य रूप से ज्यादा नही हैं।

1975 मे “फ़ेट” पत्रिका की संपादक मेरी मार्गारेट फ़ूलर ने लंदन के लायडस बैंक के बीमा विभाग से इस क्षेत्र मे होने वाली दुर्घटनाओं मे अदा गयी बीमा राशी से संबधित आंकड़े मांगे थे। लायडस बैंक के रिकार्डो के अनुसार बरमूडा त्रिभुज मे 1955 से 1975 के मध्य 428 यान लापता हुये थे। यह विश्व मे किसी भी सागरी क्षेत्र की तुलना मे असामान्य रूप से अधिक दुर्घटनाओं का आंकड़ा है।

Into the Bermuda Triangle: Pursuing the Truth Behind the World’s Greatest Mystery” पुस्तक के लेखक गीआन जे क्वासर के अनुसार यह आंकड़े आधारहीन हैं। वो इसके पीछे कारण देते है कि लायडस बैंक छोटे जलयान जैसे याट, छोटी नाव और नीजी वायुयानो का बीमा नही करता है, जिससे उसके आंकड़े विश्वसनिय श्रोत नही हो सकते हैं। उनके अनुसार उन्होने “सं रा अमरीका समुद्र रक्षको(US Coast Gaurds)” से इस क्षेत्र मे लापता हुयी 300 नावों के बारे मे जानकारी मांगी और उन्हे पता चला कि उसमे से केवल तीन नावें लापता हुयी है।

सं रां अमरीका के राष्ट्रीय यातायात सुरक्षा विभाग(National Transportation and Safety Board (NTSB)) के आंकड़ो के अनुसार भी इस क्षेत्र मे पिछले दस वर्ष मे कुछ ही वायुयान लापता हुये हैं और इसकी दर किसी अन्य क्षेत्र से ज्यादा नहीं है।

बरमूडा त्रिभुज से जुड़ी घटनाओं मे सबसे ज्यादा प्रसारित घटना 1945 मे अमरीकी नौसेना के प्रशिक्षु पायलटो द्वारा चालित पांच वायुयान के लापता होने की घटना है। इस दुर्घटना का कारण आधिकारिक रूप से “पायलट की गलती” था लेकिन पायलटो के परिवार और मित्रों ने इस कारण को मानने से इंकार कर दिया। उनके अनुसार ये पायलट गलती नही कर सकते थे, उनके दबाव मे नौसेना ने आधिकारिक कारण को बदल कर “अज्ञात” कर दिया।

इस मिथक को उस समय ज्यादा प्रचार मिला जब पत्रकार इ वी डब्ल्यु जोन्स ने फ्लोरीडा और बरमूडा द्विप के मध्य वायुयान और जलयान के रहस्यमय रूप से लापता होने की एक सूची बनायी। दो वर्ष पश्चात जार्ज एक्स ने फेट पत्रिका मे “हमारे पिछवाडे मे सागरी रहस्य(“Sea Mystery at our Back Door”)” नाम से एक लेख लिखा। इस लेख के केंद्र मे फ़्लोरीडा, बरमूडा और प्युर्टो रीको के मध्य के इस क्षेत्र मे पिछले कुछ वर्षो मे लगातार जलयानो के बिना कोई सुराग छोडे़ लापता होने की चर्चा थी।

इस तरह की कुछ और दुर्घटनायें हुयी और लोगो ने भूतकाल मे हुयी घटनाओं का विश्लेषण कर इस दन्तकथा मे जोड़ना शुरू कर दिया। 1964 मे अर्गोसी(Argosy) पत्रिका मे विंसेट गाडीस ने अपने एक लेख The Deadly Bermuda Triangle मे इस क्षेत्र का उल्लेख किया। ध्यान रहे कि अर्गोसी(Argosy) पत्रिका काल्पनिक कहानियों के लिये मशहूर है और वे अपने आप को “काल्पनिक कहानीयों की पत्रिका (magazine of master fiction)” कहते है। लेकिन इसके बावजूद यह मिथक फैलता गया। इस विषय पर और भी लेख, पुस्तकें लिखी गयी साथ ही फिल्मे, वृत्तचित्र भी बने। इन सभी मे इस क्षेत्र मे इन दुर्घटनाओं के पीछे महाकाय आक्टोपस से लेकर एलीयन द्वारा अपहरण की कहानीयाँ बतायी गयी।

मिथक : बरमूडा त्रिभुज से जाने वाले यानो का बीमा महंगा होता है।

वास्तविकता : लंदन स्थित लायडस बैंक के बीमा विभाग का अध्ययन करने वाले नार्मन हुक के अनुसार “बरमूडा त्रिभुज का आधिकारिक रूप से अस्तित्व नही है।” उनके अनुसार इस क्षेत्र मे होने वाली अधिकतर दुर्घटनाये मौसम से संबंधित है इसलिये इस क्षेत्र मे होने वाली दुर्घटनाओं से जुड़ी अनेक कहानियों के बावजूद इस क्षेत्र से जाने वाले वायुयान/जलयान का बीमा अन्य क्षेत्रो से ज्यादा नही है।

अब हम इस क्षेत्र मे हुयी कुछ मशहूर दुर्घटनाओं की चर्चा करेंगे।

बहुप्रचारित दुर्घटनाये

बरमूडा त्रिभुज से संबधित अनेक वेबसाइट पर इस क्षेत्र मे हुयी दुर्घटनाओं की एक लंबी सूची है। लेकिन इनमे से अधिकतर यान बरमूडा त्रिभुज क्षेत्र से कहीं दूर किसी अन्य क्षेत्र मे लापता हुये है या वे लापता यान कुछ समय पश्चात खोज लिये गये और उनके लापता होने का कोई वाजिब कारण था। उदाहरण के लिये 1872 मे “मेरी सेलेस्टे(Mary Celeste)” जलयान को बिना किसी यात्री के तैरते पाया गया था और इस जलयान की सभी वस्तुये सही सलामत थी, इस घटना को बरमूडा त्रिभुज से जोड़ दिया गया। वास्तविकता मे यह जलयान बरमूडा त्रिभुज क्षेत्र से सैकड़ो मील दूर था।

अब हम कुछ प्रसिद्ध दुर्घटनाओं की चर्चा करेंगे। आप ध्यान देंगे तो पायेंगे कि कुछ दुर्घटनाओं के कारण ज्ञात है लेकिन उन्हे भी बरमूडा त्रिभुज के कथित “विचित्र और रहस्यमय” व्यवहार से जोड़ दिया जाता है।

अक्टूबर 3,1911 को हडसन नदी मे यु एस एस सायक्लोप्स
अक्टूबर 3,1911 को हडसन नदी मे यु एस एस सायक्लोप्स

1. 1918 की यु एस एस सायक्लोप्स(U.S.S. Cyclops) दुर्घटना

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान यु एस एस सायक्लोप्स 9 जनवरी 1918 तक सं रा अमरीका के पूर्वी समुद्री तट की रक्षा मे तैनात था। इस जलयान को दक्षिणी अटलांटिक महासागर स्थित ब्राजील मे ब्रिटिश जलयानो को ईंधन आपूर्ति के लिये जाना था। 16 फरवरी को यह जलयान रीयो डी जानेरीयो से निकला और 3-4 मार्च को बारबोडस मे कुछ समय के लिये रूका। उसके पश्चात उससे अपनी यात्रा जारी रखी लेकिन बारबोडस से निकलने के बाद इस जलयान की कोई जानकारी नही मीली और यह जलयान लापता हो गया। इसके 306 यात्री और कर्मी बिना कोई सुराग छोडे लापता हो गये।

फ़्लाईट 19
फ़्लाईट 19

2. 1945 मे सं रां अमरीका नौसेना की एवेंजर उड़ान संख्या 19 दुर्घटना(U.S. Navy Avengers Flight 19)

यह इस क्षेत्र मे होने वाली सबसे प्रचारित दुर्घटना है जिसमे नौसेना के पांच अवेंजर वायुयान रहस्यमय रूप से लापता हो गये थे। संक्षेप मे यह दुर्घटना इस प्रकार है- एक खुले आसमान वाले दिन पांच अनुभवी छात्र पायलट एक नियमित गश्त उड़ान के लिये पांच एवेंजर वायुयान से रवाना हुये। अचानक नियंत्रक टावर ने इस उड़ान के मुख्य पायलट से संदेश प्राप्त करना प्रारंभ किया कि वे खो गये है और उनके दिशा निर्देशक कंपास कार्य नही कर रहे और उन्हे सब कुछ विचित्र/गलत लग रह है। ये सारे वायुयान कोई सुराग छोड़े बीना लापता हो गये। नौसेना के खोज अभियान के दौरान भी कोई सुराग नही मीला जो इन लापता वायुयानो पर कोई रोशनी डालता।

एवेंजर उड़ान संख्या 19
एवेंजर उड़ान संख्या 19

इस अभियान का नेतृत्व लेफ्टीनेंट चार्ल्स टेलर कर रहे थे, उन्होने इस उड़ान के दौरान योजना के अनुसार कई मार्ग परिवर्तन किये थे। इस उड़ान का प्रारंभ 5 दिसंबर 1945 1:15 बजे दोपहर को हुआ था। दोपहर 3:00 बजे इस उड़ान से असंबधित पायलट लेफ्टीनेंट राबर्ट काक्स फोर्ट लाउडर्डेल के उपर उडान पर थे और उन्होने किसी वायुयान से “संकट संदेश(distress signal)” प्राप्त किया। काक्स से नौसेना के नियंत्रण केंद्र को इस संकेत के बारे मे बताया। काक्स ने टेलर को सूर्य को अपने विमान के बायें पंख के उपर रख कर मियामी तक उड़ान जारी रखने के लिये निर्देश दिया। टेलर ने काक्स को बताया कि वे किसी छोटे द्वीप के उपर उड़ रहे है, उसके अतिरिक्त उन्हे कोई अन्य भूमि नजर नहीं आ रही है। यदि टेलर अपने पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार उड़ रहे थे तब उन्हे कई सारे द्वीप साथ ही फ्लोरिडा प्रायद्वीप भी दिखायी देना चाहीये था।

जब टेलर के पास दो घंटे से भी कम उड़ान के लिये ईंधन बचा था, टेलर ने नियंत्रण कक्ष को एक बड़े द्वीप के दिखायी देने के बारे मे बताया। नियंत्रण कक्ष को वह द्वीप बहामास का सबसे बड़ा एण्ड्रोस द्वीप लगा, उसके आधार पर नियंत्रण कक्ष ने टेलर को फोर्ट लाउडर्डेल ओर उड़ान के लिये निर्देश दिये। ऐसा प्रतीत हुआ कि ये निर्देश सही थे क्योंकि नियंत्रण कक्ष को टेलर के रेडीयो संकेत बेहतर रूप से मील रहे थे। लेकिन टेलर के अनुसार यह मार्ग सही नही था और कुछ मिनटों के पश्चात उन्होने कहा कि “वे सुदूर पूर्व दिशा मे ज्यादा नही गये, उन्होने एक मोड़ लिया और पूर्व दिशा की ओर बढे़।” इस मार्ग पर उन्हे सागर तट पाने की ज्यादा संभावना लगी। मार्ग मे इस परिवर्तन के साथ उनके रेडीयो संकेत कमजोर होने लगे क्योंकि वे अब गलत मार्ग पर थे और कुछ देर मे वे रेडीयो सीमा से बाहर हो गये। किसी अज्ञात कारण से टेलर ने पूर्व निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नही किया जिसके अनुसार जल पर उन्हे पश्चिम मे तथा थल पर उन्हे पूर्व दिशा मे उड़ान भरना था।

लापता अवेंजर वायुयानो की खोज के लिये दो PBM-5 समुद्री वायुयानो ने उड़ान भरी लेकिन एक यान मे उड़ान भरते साथ ही विस्फोट हो गया। दूसरा वायुयान उड़ान 19 को खोज नही पाता। PBM-5 मे विस्फोट नयी बात नही थी, वे इस तरह ही दुर्घटनाओं के लिये कुख्यात थे।

3. 1948 मे DC3 उड़ान संख्या NC-16002

डगलस डी सी 3
डगलस डी सी 3

28 दिसंबर 1948 को कैप्टन राबर्ट लिंडक्विस्ट ने DC-3 वायुयान से(उड़ान संख्या NC-16002) सैन जुआन प्युर्टो रीको से मिआमी फ्लोरीडा के लिये उड़ान भरी थी। उन्होने मिआमी से 50 मील की दूरी पर होने पर एक रेडीओ संकेत भेजा और विमान उतारने के लिये निर्देश मांगे। मिआमी नियंत्रण कक्ष ने उन्हे निर्देश दिये लेकिन उन्हे कोई प्रतुत्तर प्राप्त नही हुआ। इसके पश्चात विमान लापता हो गया और उसका कोई सुराग नही मीला। उस दिन की मौसम रिपोर्टो के अनुसार मौसम साफ था और रेडीयो संकेतो मे कोई समस्या नही थी। नागरी वैमानिकी संस्थान के अनुसार इस दूर्घटना की वजह कुछ और थी। उनकी रिपोर्ट के अनुसार वायुयान के विद्युत यंत्रो मे समस्या थी और उसकी बैटरीयों को नियंत्रण कक्ष से संपर्क स्थापित करने के लिये रीचार्ज आवश्यक था। लेकिन विमान के उड़ान भरने से पहले कैप्टन ने बैटरी को चार्ज करने की बजाये उनमे पानी भरने के निर्देश दिये। कैप्टन ने पहले बैटरी की समस्या के कारण नियोजित उड़ान योजना रद्द कर दी थी और उन्हे मिआमी नियंत्रण कक्ष से संबध स्थापित होने तक सैन जुआन पर ही उड़ते रहने के निर्देश दिये गये थे। लेकिन उड़ान भरने के 11 मिनिट पश्चात कैप्टन ने मिआमी नियंत्रण कक्ष को संदेश भेजा कि वे मिआमी की ओर जा रहे हैं लेकिन मिआमी नियंत्रण कक्ष को यह संदेश कभी नही मिला, लेकिन सैन जुआन के नियंत्रण कक्ष को यह संदेश मीला। इस वायुयान को संदेश भेजने के सारे प्रयास असफल रहे। वायुयान के अंतिम रेडीयो संकेतो के अनुसार वे मिआमी के दक्षिण मे 50 मील की दूरी पर थे।

नागरी वैमानिकी संस्थान के अनुसार इस विमान के विद्युत उपकरणो मे समस्या थी जिससे कैप्टन के अंतिम रेडीयो संदेश के पश्चात उसके रेडीयो और दिशायंत्र ने कार्य करना बंद कर दिया था। उनकी रिपोर्ट के अनुसार कैप्टन नियंत्रण कक्ष से संबध स्थापित नही कर पा रहा था जिससे उसे मौसम मे बदलाव की जानकारी नही थी। हवा के बहने की दिशा मे बदलाव आ चुका था, जिसके कारण वायुयान अपने रास्ते से बायीं ओर 50 मील तक भटक चूका था। कैप्टन की बतायी गयी स्थिति उडान समय, गति और उसे ज्ञात मौसम की जानकारी पर आधारित थी, जोकि वास्तविक स्थिति से भिन्न थी। विमान के पास साढे सात घंटे के लिये इंधन था। जब उसने अपना अंतिम संदेश भेजा तब उसने छः घंटे से ज्यादा की उड़ान भर ली थी। वह मैक्सीको की खाड़ी मे इंधन के समाप्त हो जाने से दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा। इस विमान का मलबा प्राप्त नही हुआ, संभव है कि विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की जगह गहरा सागर होगा जहाँ पर विमान का मलबा कम समय मे ही डूब गया होगा और सतह पर कोई सुराग नही बचा होगा।

4. एस एस मरीन सप्ल्फर क्वीन

एस एस मरीन सप्ल्फर क्वीन का मलबा
एस एस मरीन सप्ल्फर क्वीन का मलबा

एस एस मरीन सप्ल्फर क्वीन एक तेल टैंकर जहाज था जो बेमाउंट टेक्सास से नोर्फाक वर्जीनीया 15000 टन उष्ण टैंको मे पिघले गंधक के साथ जा रहा था। इस जलयान से अंतिम संदेश 3 फरवरी 1963 को प्राप्त हुआ था, जब कैप्टन ने नियमित स्थिति संदेश भेजा था। यह संदेश फ्लोरीडा की खाडी के पास से आया था। लेकिन यह जलयान कभी वर्जीनीया नही पहुंचा।

इस अंतिम संदेश के तीन दिन पश्चात सागर सीमा रक्षको ने टैंकर की अतिंम ज्ञात जगह से 40 मील दक्षिण मे एक अकेली जीवन-रक्षक जैकेट तैरते देखी। संभावना है कि किसी टैंक से निकलती हुयी पिघली गंधक मे विस्फोट हुआ होगा। इस निकलती गंधक से जहाजकर्मी विषबाधा का शिकार हो गये होंगे और कोई संकट-संदेश भी नही भेज पाये होंगे। होनुडुरान-बनाना नाव पर तैनात अधिकारीयों के अनुसार उन्होने केप सैन एन्टोनीया क्यूबा से 15 मील दूरी पर 3 फ़रवरी को तड़के अम्ल की तेज गंध महसूस की थी।

यह क्षेत्र शार्क और बारकुडा मछली से भरा हुआ है इसलिये लाशे नही मिलने का आश्चर्य नही हुआ। सं रा अमरीका के सागर सीमा रक्षको ने इस जहाज के कुछ सामान को सागर मे पाया था जोकि इस प्रकार हैं : जहाज का नाम लिखे दो बोर्ड, शार्क मछली के दांतो का निशान लिये हुये आठ जीवनरक्षक जैकेट, पांच जीवन रक्षक रिंग, एक कमीज, एक तेल का कनस्तर, एक केरोसीन का कनस्तर, एक शंक्वाकार पानी पर तैरते रहने वाला चिह्न और एक भोंपू।

5. 1965 मे मिलवाकी का 440वाँ हवाई बचाव बेडे़ का विमान 680

1965 मे साफ आसमान वाली रात मे वायुसेना की 440 एअरलिफ्ट विंग के एक अनुभवी पायलट दल ने मिलवाकी से बहामास के टर्क द्वीप के व्यस्त मार्ग पर उड़ान भरी। वे योजना के अनुसार फ़्लोरीडा के होमस्टीड वायुसेना अड्डे पर सुबह 5.45 बजे उतरे और वायुसेना अड्डे पर लगभग तीन घंटे बीताने के पश्चात बहामास की ओर रवाना हुये लेकिन मार्ग मे ही लापता हो गये।

उन्होने किसी परेशानी का संकेत नही भेजा था और सारा रेडीयो संचार सामान्य था। जब उन्होने अपने लक्ष्य पर लैंड नही किया तो यातायात नियंत्रको ने उनसे संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया लेकिन कोई प्रत्युत्तर नही मीला। जांच करने पर कुछ मलबा प्राप्त हुआ लेकिन वह किसी कार्गो विमान से फेंका हुआ भी हो सकता था। इस वायुयान पर अनुभवी विमान रखरखाव कर्मी भी थे, यदि कोई तकनीकी समस्या थी तब उसे ठीक करने के लिये लोग मौजूद थे। इस यान के लापता होने का कोई कारण अब तक पता नही चला है।

बरमूडा त्रिभुज से जुड़ी अतिशयोक्ति पूर्ण अवधारणायें

1. एलीयन और अटलांटिस

बिमनी रोड
बिमनी रोड

इस क्षेत्र मे बहुत से युएफ़ओ(UFO) देखे जाने की कहानीयाँ है, इसी कारण से इस क्षेत्र मे लापता होने वाले यानो के लिये परग्रही(एलीयन) द्वारा अपहरण किये जाने की धारणा भी बनी हुयी है। कुछ व्यक्ति एलीयन द्वारा अपहरण करने की धारणाओं से आगे जाते हुये इस क्षेत्र को दूसरे ग्रहों तक जाने के लिये प्रवेश द्वार भी बताते है। लेकिन इस क्षेत्र मे ऐसा विशेष क्या है?

कुछ लोग मानते है कि बरमूडा क्षेत्र एक खोये हुये शहर अटलांटिस और उनकी उन्नत सभ्यता/तकनीक का घर है। प्रसिद्ध क्षद्म वैज्ञानिक एडगर काय्से के अनुसार अटलांटिस सभ्यता के पास बहुत सी आधुनिक तकनीक थी और कुछ क्षेत्रो मे वे हमसे भी सैकड़ो वर्ष आगे थे। उनके तकनीकी सफलताओं मे किसी शहर को नेस्तनाबुत करने वाली किरणे भी थी। कुछ अन्य के अनुसार इस अटलांटिस शहर मे रहने वाले कृत्तिका तारामंडल(Pleiades) के एलीयन थे और उनकी मशीने आज भी इस क्षेत्र मे चल रही हैं।

एडगर ने भविष्यवाणी की थी कि शोधकर्ताओं को बहामास के बीमनी तट पर अटलांटीस शहर का पश्चिमी छोर मिलेगा। 1968 मे शोधकर्ताओ को सागर तलहट मे एक पत्थर से बनी हुयी भी मीली, जिसे बीमनी रोड नाम दिया गया। लेकिन अध्ययन के पश्चात पुरातत्ववेत्ताओं और भूगर्भशास्त्रीयों ने उसे प्राकृतिक संरचना ही माना है। लेकिन कुछ अन्य अध्ययनों के अनुसार इस रोड के पत्थरो को आकार देकर उस क्षेत्र मे एक दिवार की तरह रखा गया है। क्यूबा के पास एक सागर मे डूबे हुये शहर जैसी संरचना के पाये जाने से अटलांटिस अवधारणा के समर्थको को नयी उम्मीद दिखी है।

मिथको और कहानीयों के अनुसार अटलांटिस शहर के निवासी क्रिस्टल से शक्तिशाली ऊर्जा प्राप्त करते थे। एडगर काय्से इस अवधारणा को बढावा देते है। 1970 मे डा रे ब्राउन द्वारा जल मे डूबे हुये पिरामिड और क्रिस्टल की खोज से इसे और बढ़ावा मिला। ब्राउन ने बहामा मे अपनी स्कूबा डाइव के दौरान दर्पण के जैसे पत्थरो से बनी एक विशाल पिरामिड नुमा संरचना पाये जाना का दावा किया था। उन्होने पिरामिड के अंदर प्रवेश करने पर एक पीतल जैसी धातु की छड़ जिसके उपरी सीरे पर एक लाल रंग का माणिक लगा हुआ था को कमरे की छत से लटकते हुये देखा था। इस छड़ के ठीक नीचे एक चबुतरे पर एक कांसे के हाथ पर चार ईंच व्यास का क्रिस्टल रखा हुआ था। ब्राउन ने इस इस क्रिस्टल को वहाँ से हटा दिया था और इस जानकारी को 1975 तक गुप्त रखी थी। 1975 मे उन्होने इसे फिनीक्स अरीजोना मे एक सेमीनार मे प्रदर्शित किया था। उनके अनुसार इस क्रिस्टल मे परामानसिक शक्ति है।

ब्राउन का मानना है कि इन क्रिस्टलो से निकलने वाली तरंगे इस क्ष्रेत्र से गुजरने वाले यानो के दिशानिर्देशक यंत्रो को भटका देती है।

मुख्यधारा के वैज्ञानिक डा. रे ब्राउन की इस खोज को एक अफवाह से ज्यादा नही मानते है। डा रे ब्राउन के अनुसार उनके पास उनकी खोजों के फोटो नही है, उनके अनुसार वे एक तूफान मे नष्ट हो गये है, साथ ही वो यह भी कहते है कि अपनी खोज की हुयी जगह पर वह दोबारा नही जायेंगे। डा. रे ब्राउन द्वारा खोजे गये इस पिरामिड को उनके अलावा किसी ने नही देखा है ना ही इसके फोटोग्राफिक प्रमाण उपलब्ध है। यह सब उनकी इस खोज को संदेह के घेरे मे ला देती है।

2. चुंबकिय असामान्यताये

रोल बादल
रोल बादल

राब मैकग्रेगोर और ब्रुस गेर्नान (Rob MacGregor and Bruce Gernon) द्वारा लिखित पुस्तक “द फाग : ए नेवर बिफोर पब्लिश्ड थ्योरी आफ बरमूडा ट्राईंगल(The Fog: A Never Before Published Theory of the Bermuda Triangle Phenomenon)” मे इन दोनो व्यक्त्तियों द्वारा उड़ान भरने पर बरमूडा त्रिभूज क्षेत्र मे एक इलेक्ट्रानिक कोहरे के उपस्थित होने का उल्लेख है। 4 दिसंबर 1970 के दिन गेर्नान और उनके पिता साफ आसमान वाले दिन बीमनी से उड़ाम भर रहे थे तब उन्होने मियामी तट के उपर एक विचित्र गोलाकार बादल देखा। जैसे ही उन्होने उस बादल के उपर से उड़ान भरी बादल बिखरने लगा और उसने उनके विमान के समान गति ले ली और उनका पीछा करने लगा। 11,500 फ़ीट की उंचाई पर उन्हे लगा कि उन्होने बादल को चकमा दे दिया है लेकिन उन्होने पाया कि उस बादल ने एक सुरंग का रूप ले लिया है और उनके उस बादल से बच निकलने का एक ही रास्ता उस सूरग से जाना है। उस सुरंग के अंदर उन्होने पाया कि उस सुरंग की दीवारो पर घड़ी के कांटो के विपरीत दिशा मे रेखाये घूम रही है। गेर्नान के दिशानिर्देशक यंत्र विचित्र व्यवहार कर रहे थे और कंपास घड़ी के कांटो की दिशा मे घूम रहा था।

गेर्नान ने महसूस किया कि कुछ विचित्र घटित हुआ है, सुरंग के छोर पर साफ निले आसमान की जगह उन्हे सब कुछ धूंधला भूरा सफेद दिखायी दे रहा था। दृश्यता दो मील की थी लेकिन उन्हे कुछ नही दिख रहा था, समुद्र, क्षितिज, आकाश का नामोनिशान नही था केवल एक भूरी धुंध दिखायी दे रही थी।
जब गेर्नान ने मिआमी के वायु यातायात नियंत्रक से राडार सूचनायें मांगी तब नियंत्रक ने उन्हे बताया कि मिआमी, बीमनी और एन्ड्रोस के मध्य मे कोई भी विमान नही है। कुछ मिनटो पश्चात नियंत्रक ने बताया कि मिआमी के ठिक उपर एक विमान मौजूद है। गेर्नान को नही लग रहा था कि वे मिआमी तट के उपर हो सकते है क्योंकि मिआमी पहुंचने उन्हे 75 मिनट लगना चाहीये लेकिन उनकी उड़ान को केवल 47 मिनट ही हुये थे। उसी समय बादल की सुरंग कोहरे की पटटीयो के रूप मे बिखरने लगी थी। उनके यान के उपकरण कार्य कर रहे थे और मिआमी तट उनके ठीक निचे था। इस घटना से गेर्नान को लगा कि इस इलेक्ट्रानीक कोहरे मे समय यात्रा का गुण भी था।

ब्रुस गेर्नान, डान पेल्ज और अन्य पायलटो ने भी बरमूडा त्रिभुज के उपर उड़ान भरते हुये इस तरह के विचित्र बादलो की सुरंग से गुजरने का दावा किया है।

गेर्नान ने अपनी पत्नी के साथ उड़ान भरते हुये एक बार फिर इस तरह के कोहरे को पाया था। कई अन्य पायलटो ने भी इस क्षेत्र मे इस तरह के विचित्र अनुभव के दावे किये हैं। गेर्नान मानते हैं कि पृथ्वी की सतह से कुछ शक्तिशाली विद्युत-चुंबकिय तुफान उत्पन्न होते है और वातावरण मे एक इलेक्ट्रानीक कोहरा छोड़कर गायब हो जाते है। गेर्नान मे दावा किया है कि एक स्वीडीश वैज्ञानिक ने पाया है कि इस क्षेत्र मे पृथ्वी के अन्य क्षेत्रो की तुलना मे कमजोर चुंबकीय क्षेत्र है, इस कारण से इस क्षेत्र मे अन्य क्षेत्रो की तुलना मे कोहरा ज्यादा छाता है।

गेर्नान की कहानी मे कितना सत्य है, कितनी कल्पना कहा नही जा सकता है। वैज्ञानिको के अनुसार इलेक्ट्रानीक कोहरे का अस्तित्व नही होता है। यह संभव है कि गेर्नान का यान किसी रोल बादल (Roll Cloud)से गुजरा हो जोकि एक बड़े सुरंग नुमा आकार मे होते है और अक्सर आसमान मे एक क्षितिज से दूसरे क्षितिज तक फैले होते है। इन रोल बादलो मे हवा किसी चक्रवात की तरह तेजी से वलयाकार रूप मे बहती रहती है। इस तरह के बादलो मे इलेक्ट्रानीक उपकरणो का असामान्य बर्ताव करना विचित्र नही है। ब्रुस गेर्नान इस घटना पर पुस्तक लिख चुके है और सेमीनार देते रहते है। संभव है कि समय यात्रा वाली घटना उन्होने सनसनी पैदा करने और अपनी पुस्तक की बिक्री बढाने के लिये जोड़ी हुयी हो।

अगोनीक रेखा (काली) तथा आइसोगोनीक रेखायें(अन्य)
अगोनिक रेखा (काली) तथा आइसोगोनिक रेखायें(अन्य)

3. कंपास उपकरण मे त्रुटि उत्पन्न होना

इस क्षेत्र मे होने वाली सभी घटनाओं एक तथ्य समान है कि इस क्षेत्र मे कंपास की सुई चुंबकीय उत्तर की बजाय वास्तविक उत्तर की ओर इंगित करती है। ऐसा विश्व मे केवल दो स्थानो पर होता है, दूसरा स्थान जापान के तट पर “डेवील सी(Devil Sea)” है। इस असंगति के कारण दिशानिर्देशक(Navigation) उपकरण ठीक से काम नही करते है और रास्ते से भटक जाते है।

एक कंपास उपकरण उसकी दिशा निर्देशक सुई पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा पढ़ने वाले प्रभाव से कार्य करता है, जिसमे दिशानिर्देशक सुई पृथ्वी के अस्थिर चुंबकिय उत्तर की ओर निर्देश करते रहती है। जबकी भौगोलिक उत्तरी ध्रुव स्थायी है और चुंबकिय उत्तरी ध्रुव से लगभग 1200 किमी पर स्थित है। कंपास द्वारा प्रदित दो दिशा पठन मे अंतर को चुंबकिय अधोनति (magnetic declination ) कहते है, और यदि आप सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करें तो यह आपके मार्ग को 20 डीग्री तक भटका सकती है।

अगोनिक रेखा(agonic line) एक ऐसी काल्पनिक रेखा है जिस पर वास्तविक भौगोलीक उत्तरी ध्रुव और चुंबकीय उत्तरी ध्रुव एक रेखा मे है और चुंबकीय अधोनति शून्य है। अगोनिक रेखा के पश्चिम मे चुंबकिय सुई भौगोलिक उत्तरी ध्रुव के पूर्व मे निर्देशित होगी जबकि अगोनीक रेखा के पूर्व मे चुंबकिय सुई भौगोलिक उत्तर के पश्चिम मे निर्देशित होगी। वे रेखायें को स्थिर चुंबकिय अधोनति को अगोनिक रेखा से दूर होते हुये दर्शाती है आइसोगोनिक रेखा(isogonic line) कहलाती है।

अठारहवी सदी के प्रारंभ मे एडमंड हेली(हेली धूमकेतु वाले) ने पाया था कि अगोनिक रेखा धीमी गति से पश्चिम की ओर जा रही है। उसके पश्चात वैज्ञानिको ने पाया है कि अगोनिक रेखा की पश्चिम की ओर गति 0.2 डीग्री/वर्ष है। लेकिन यह गति हर क्षेत्र मे समान नही है, यह अटलांटिक गोलार्ध मे प्रशांत गोलार्ध की तुलना मे ज्यादा है। दिशानिर्देशको को यात्रा के निर्देशन मे चुंबकिय अधोनति का ध्यान रखना होता है।

किसी समय अगोनिक रेखा बरमूडा त्रिभुज से गुजरती थी लेकिन वर्तमान मे वह मेक्सीको की खाड़ी से गुजरती है। इससे यह तय हो जाता है कि यह बरमूडा त्रिभुज मे होने वाली दुर्घटनाओं के लिये उत्तरदायी नही है। दिशानिर्देशन की गणनाओं मे गलती तो किसी भी क्षेत्र मे मार्ग भटकने के लिये काफी होती है। यह अवधारणा यह भी मानती है कि इस क्षेत्र से गुजरने वाले पायलटो और नाविको को चुंबकिय अधोनति और अगोनीक रेखा का ज्ञान नही होता है, जो की असंभव है।

नीला विवर(गुफायें)
नीला विवर(गुफायें)

4.नीला विवर/श्याम विवर

नीला विवर पानी से भरी नीले रंग की आभा वाली गुफाये होती है। ये गुफाये किसी द्वीप की सतह पर उपस्थित एक विशाल विवर के रूप मे होती है, ये किसी द्वीप के आंतरिक भाग मे या उसके सागर तट पर छीछ्ले पानी मे होती है। ब्रिटीश स्कूबा डाइवर राब पाल्मर ने बहामास द्विप मे कई नीले विवरो मे छलांग लगाई थी। कुछ व्यक्तियों के अनुसार ये नीले विवर – श्वेत विवर(भौतिकी के श्याम विवर के विपरीत) से जुड़े होते है और उड़नतश्तरीयां भी अन्य आयामो से इनके द्वारा पृथ्वी पर आती है।

विज्ञान के नियमो के अनुसार पृथ्वी पर श्याम विवर/श्वेत विवर का अस्तित्व संभव नही है।

ये तो हो गयी अटकल भरी अवधारणायें , अब देखते है संभव अवधारणायें

संभव अवधारणाये

बरमूडा त्रिभुज क्षेत्रो मे होने वाली दुर्घटनाओं की सबसे ज्यादा तर्कसंगत स्पष्टीकरण सं रा अमरीकी नौसेना और तटरक्षक दल ने दिये है जिसमे मानवीय त्रुटि और मौसमी प्रभाव का समावेश है। यह क्षेत्र नौ और वायु परिवहन के लिये सबसे ज्यादा व्यस्त क्षेत्र है, साथ ही इस क्षेत्र मे सबसे ज्यादा शौकिया पायलट और नाविक गुजरते है, जिससे स्वभाविक है कि दुर्घटनाओं का औसत ज्यादा होगा।

1. बरमूडा त्रिभुज मे दुर्घटनाओं की संख्या अन्य क्षेत्रो से ज्यादा नही है।

वर्ल्ड वाईड फंड फ़ार नेचर ने 2013 मे समुद्री परिवहन के लिये सबसे खतरनाक दस शीर्ष स्थानों की सूची तैयार की है लेकिन इसमे बरमूडा त्रिभुज नही है।
अरीजोना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और “द बरमूडा ट्राईंगल मिस्ट्री: साल्वड( The Bermuda Triangle Mystery: Solved (1975)” के लेखक लारेंस कुस्चे (Lawrence David Kusche) के अनुसार इस क्षेत्र मे होने वाली दुर्घटनाओं को बढ़ा चढ़ा कर बताया जाता है और इन कहानियो मे अधिकतर मनगढ़ंत बातें होती है जोकि स्थापित तथ्यों से मेल नही खाती है। उनके अनुसार इस क्षेत्र मे होने वाली दुर्घटनाओ शेष विश्व से भिन्न नही है और रहस्यमय तो बिलकुल भी नही।
उनका निष्कर्ष है :

  • इस क्षेत्र मे होने वाली दुर्घटनाओं का औसत शेष विश्व से भिन्न नही है।
  • इस क्षेत्र मे उष्णकटिबंधीय तुफान सामान्य है, जिससे इस क्षेत्र मे लापता होने यानों की संख्या औसत से ज्यादा या रहस्यमय नही है।
  • अधिकतर दुर्घटनाओं मे दुर्घटना के समय मौसम साफ बताया जाता है लेकिन यह मौसम विभाग की जानकारी से मेल नही खाता है।
  • दुर्घटनाओं के आंकड़े बढ़ा चढ़ा कर बताये गये है, उदाहरण के लिये एक जहाज लापता हो गया, उसे दर्ज कर लिया गया लेकिन उसके बाद मे किसी बंदरगाह पर पहुंच जाने को छोड़ दिया गया है।
  • कुछ तथाकथित दुर्घटनाये कभी हुयी ही नही है। जैसे 1937 मे डेटोना बीच फ्लोरीडा मे एक वायुयान के सैंकड़ो लोगो से सामने दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना है, उस समय के स्थानीय समाचार पत्रो मे इस घटना का कोई जिक्र नही है।
  • बरमूडा त्रिभुज को रहस्यमय क्षेत्र बनाना कुछ सनसनी फैलाने वालो का कार्य है जिन्होनें अपनी पुस्तकें बेचने और सस्ती लोकप्रियता पाने के लिये ऐसी कहानीयाँ फैलायी है।

2.मानवीय या यांत्रिकी त्रुटि

विमान दुर्घटनाओं के आंकडो के अनुसार 51% से अधिक दुर्घटनाये मानवीय त्रुटियों से होती है, इनमे पायलट की निर्णय लेने मे त्रुटि, पायलट द्वारा खराब मौसम के कारण की गयी त्रुटियाँ, पायलट द्वारा उपकरणो के प्रयोग मे त्रुटियों का समावेश है। जबकि यांत्रिकी त्रुटियों के कारण 22% दुर्घटनाये होती है और मौसम के कारण 12%। यह आंकड़े बरमूडा त्रिभुज मे होने वाली दुर्घटनाओं से भिन्न नही है।

खाड़ी प्रवाह(Gulf Stream) से समुद्र की सतह मे उठती हुयी लहरे
खाड़ी प्रवाह(Gulf Stream) से समुद्र की सतह मे उठती हुयी लहरे

3. मौसमी प्रभाव और भौगोलिक स्थिति

इस क्षेत्र मे सबसे ज्यादा भयानक और अप्रत्याशित तूफान आते है और मौसम तेजी से बदलता है। ये छोटे लेकिन भयानक तूफान तीव्रता से बनते है और तीव्रता से लुप्त हो जाते है, ये इतनी तेजी से होता है कि मौसम निगरानी उपग्रह इसकी चेतावनी भी नही दे पाते है। इस क्षेत्र मे जहाजो/वायुयानो को डुबा दे सकने लायक जल बवंडर भी पाते जाते है, ये जल बवंडर एक ऐसा चक्रवाती तूफान होते है जिसमे सागर की सतह का पानी हवा मे हजारो फीट तक उछल जाता है। अन्य संभव मौसमी कारको मे, सागर की सतह के नीचे भूकंप भी आते है, वैज्ञानिको के अनुसार यह क्षेत्र सीस्मीक रूप से सक्रिय है जिससे इस क्षेत्र मे 100 फ़ीट उँची लहरे भी देखी गयी है।

जलसतह के नीचे की भौगोलिक स्थिति भी एक बड़ा कारक है। यह क्षेत्र एक महाद्वीप की कम गहराई वाले से बढते हुये अत्यधिक गहराई वाले सागर का भाग है। विश्व की सबसे गहरी समुद्री खाईयों मे अधिकतर इसी क्षेत्र मे है। इन खाईयों मे डूबने वाले जहाजो और विमानो कभी भी नही पता चल सकता है।

4. खाड़ी प्रवाह(Gulf Stream)

बरमूडा त्रिभुज से बहने वाला खाड़ी प्रवाह अत्यंत तेज और अशांत है। यह नौसीखीया नाविको के लिये नौवहन मे अत्यंत कठिन परेशानीयां उत्पन्न कर सकता है। कुछ क्षेत्रो मे यह प्रवाह 5 मील/घंटा की अतिरिक्त रफ्तार से बहता है, जोकि इतना अधिक है कि यदि नाविक इसका ध्यान ना रख पाये तो वे अपने लक्ष्य से सैकड़ो मील दूर पहुंच जायेंगे। इस क्षेत्र मे यदि कोई दुर्घटना होती है तो यह प्रवाह उसके अवशेषो और सबूतों को कहाँ ले जाकर छोड़ेगा उसका अनुमान लगाना भी कठिन है।

मिथेन हायड्रेट का जमाव
मिथेन हायड्रेट का जमाव

5.मिथेन हायड्रेट क्रिस्टल का जमाव

कार्डीफ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको के अनुसार सागर की तलहटी मे मिथेन गैस के भंडार उपस्थित है। यह गैस मृत समुद्री जीवो के विघटन से बनती है। समुद्र की तलहटी मे कुछ जीवाणु इस मिथेन गैस को ठोस मिथेन हायड्रेट मे परिवर्तित कर देते है, इस ठोस हायड्रेट की परत मिथेन गैस को जकड़ लेती है।
किसी कारण से यदि इस मिथेन हायड्रेट की परत फट जाये तो मिथेन गैस तीव्रता से मुक्त होकर सागर की सतह पर बिना किसी चेतावनी के आ जाती है। यदि उस जगह कोई जहाज यदि मौजूद हो तो उसके नीचे का सागर का घनत्व मिथेन के कारण अचानक कम हो जाता है और जहाज अचानक ही डूब जायेगा। इस हलचल मे तलछ्ट कुछ ही क्षणो मे जहाज को दबा देगी जिससे उसका कोई नामो निशान नही दिखायी पड़ेगा। इस क्षेत्र के उपर उड़ रहे विमान भी मिथेन मे आग लगने से दुर्घटनाग्रस्त हो सकते है।

लेकिन कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि मिथेन हायड्रेट बरमूडा त्रिभुज के दुर्घटनाओं के लिये उत्तरदायी नही हो सकती है। स रा अमरीका जीओलाजीकल सर्वे के बिल डिल्लन के अनुसार तेल शोधन के दौरान मिथेन गैस के रीसाव से तेल कुंये धंसे है लेकिन कोई बड़ी दुर्घटना नही हुयी है। इस विभाग के अनुसार इस क्षेत्र मे पिछले 15,000 वर्षो मे मिथेन हायड्रेट का कोई विस्फोट नही हुआ है।

नौसेना द्वारा डाकूओं की नौका का पीछा
नौसेना द्वारा डाकूओं की नौका का पीछा

6.समुद्री डाकू

“ब्लैक बीयर्ड” या पाइरेट आफ द कैरेबीयन के कैप्टन जैक स्पैरो के जैसे समुद्री डाकू बरमूडा त्रिभुज की दुर्घटनाओं के लिये जिम्मेदार नही हो लेकिन आधुनिक समुद्री डाकू ऐसा कर सकते है। 1970 और 80 के दशक मे मादक पदार्थो के सौदागर अक्सर चुराये हुये जहाजो से तस्करी किया करते थे। इस अवधारणा मे प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के काल को भी जोड़ा जा सकता है, जब सागर मे अराजकता होती थी। वर्तमान मे सोमालीयन डाकू भी यही कर रहे है।

सत्य क्या है?

अब तक की उपलब्ध सभी जानकारीयों के अनुसार इस क्षेत्र मे होने वाली दुर्घटनाये किसी अन्य क्षेत्र से ज्यादा नही है। इस क्षेत्र मे होने वाली अधिकतर दुर्घटनाओं के कारण का स्पष्टीकरण उपलब्ध है। यह क्षेत्र रहस्यमय नही है। लेकिन ऐसे कई लोग है जो एलीयन, इलेक्ट्रानिक कोहरे या किसी पराशक्ति की कहानीयों मे ही विश्वास करना चाहते है, उन्हे सनसनीखेज समाचारो और कहानियों मे ही विश्वास होता है। जब तक ऐसी कहानियां रहेंगी, बरमूडा त्रिभुज रहस्यमयी गाथाओं का केंद्र रहेगा।

19 विचार “बरमुडा त्रिभुज : रहस्य या एक मिथक (Bermuda Triangle : Mystery or Myth)?&rdquo पर;

    1. न्यूटन, गैलीलियो मुख्यधारा के वैज्ञानिक है। मुख्य धारा का अर्थ प्रमाण, प्रयोग , निरीक्षण, गणित से सत्यापित सिद्धांत , नियमो को मानने वाले वैज्ञानिक है।

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  1. मैंने बरमुडा त्रिभुज से रिलेटेड एक पुस्तक(विश्व प्रसिद्ध रहस्य)में पढ़ा था की ,इस बारे में इतनी कहानियां गढ़ी जा चुकी है कि हम अब बरमुडा त्रिकोण को एलियन से जोड़कर ही देखते है जैसा कि हमें हॉलीबुड की कई फिल्मों में दिखाया जाता है जो हमें सत्य से ज्यादा कल्पना से जोड़ती है |

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  2. अलेख से स्पष्ट है कि बर्मूडा ट्राइएन्ग्ल के बारे में सब बातें सच हैं .वह एक खतरनाक समुद्री स्थल है ….चाहे उसे विज्ञान की भाषा में वर्णित करें या सामान्य कथ्य-काव्य की भाषा में …बात एक ही है…..

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  3. इस में जो आपने 1872 वाले जहाज वाली घटना बताई है उसमें काफी मात्रा में धन भी मिला था जो कि सोने चांदी के रूप में थे. और साथ ही अंगारे बरसने वाली घटना भी इस से जुड़ी हुई है जो किसी उल्का के कारण बरसे थे.

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    1. यदि आप 1872 की मेरी सेलेस्टे जलयान की बात कर रहे है तो यह जलयान बरमुडा त्रिभुज क्षेत्र से सैकड़ो मील दूर था। इस जलयान से एक जीवनरक्षक नौका और नाविक लापता थे। जलयान मे छः महीनो का राशन था। लेकिन मैने धन/सोना/चांदी और उल्कापात के बारे मे नही पढा है।

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