विज्ञान विश्व को चुनौती देते 20 प्रश्न


1 ब्रह्मांड किससे निर्मित है?

dmdeखगोल वैज्ञानिकों के सामने एक अनसुलझी पहेली है जो उन्हे शर्मिन्दा कर देती है। वे ब्रह्मांड के 95% भाग के बारे मे कुछ नहीं जानते है। परमाणु, जिनसे हम और हमारे इर्द गिर्द की हर वस्तु निर्मित है, ब्रह्मांड का केवल 5% ही है! पिछले 80 वर्षों की खोज से हम इस परिणाम पर पहुँचे हैं कि ब्रह्मांड का 95% भाग रहस्यमय श्याम ऊर्जा और श्याम पदार्थ से बना है। श्याम पदार्थ को 1933 मे खोजा गया था जो कि आकाशगंगा और आकाशगंगा समूहों को एक अदृश्य गोंद के रूप मे बाँधे रखे है।। 1998 मे खोजीं गयी श्याम ऊर्जा ब्रह्मांड के विस्तार गति मे त्वरण के लिये उत्तरदायी है। लेकिन वैज्ञानिकों के सामने इन दोनो की वास्तविक पहचान अभी तक एक रहस्य है!

2 जीवन कैसे प्रारंभ हुआ?

originoflifeचार अरब वर्ष पहले किसी अज्ञात कारक ने मौलिक आदिम द्रव्य(Premordial Soup) मे एक हलचल उत्पन्न की। कुछ सरल से रसायन एक दूसरे से मील गये और जीवन का आधार बनाया। ये अणु अपनी प्रतिकृति बनाने मे सक्षम थे। हमारा और समस्त जीवन इन्हीं अणुओं के विकास से उत्पन्न हुआ है। लेकिन ये सरल मूलभूत रसायन कैसे, किस प्रक्रिया से इस तरह जमा हुये कि उन्होंने जीवन को जन्म दिया? डी एन ए कैसे बना? सबसे पहली कोशीका कैसी थी? स्टेनली-मिलर के प्रयोग के 50 वर्ष बाद भी वैज्ञानिक एकमत नहीं है कि जीवन का प्रारंभ कैसे हुआ? कुछ कहते है कि यह धूमकेतुओ से आया, कुछ के अनुसार यह ज्वालामुखी के पास के जलाशयों मे प्रारंभ हुआ, कुछ के अनुसार वह समुद्र मे उल्कापात से प्रारभ हुआ। लेकिन सही उत्तर क्या है?

3 क्या हम ब्रह्मांड मे अकेले हैं?

arewealoneशायद नहीं!

खगोल वैज्ञानिक ब्रह्मांड के हर उस कोने को, मंगल ग्रह और ब्रहस्पति के चंद्रमा युरोपा से लेकर कई प्रकाश वर्ष दूर तारों तक खंगालना चाहते है,जहाँ जीवन के मूलभूत आधार द्रव जल की उपस्थिति संभव हो। कई रेडियो दूरबीन ब्रह्मांड के हर भाग से आते हुये रेडियो संकेतों को खंगालने मे लगे है लेकिन 1977 के wow संकेत के अतिरिक्त कोई सफलता नहीं मीली है। खगोल वैज्ञानिक अब सौर बाह्य ग्रहों के वातावरण मे जल और आक्सीजन की जाँच करने मे सफल हो गये है। हमारी मंदाकिनी आकाशगंगा मे ही जीवन योग्य 60 अरब से ज्यादा ग्रह है, जिन पर परग्रही जीवन की तलाश मे अगले कुछ दशक काफ़ी रोमांचक होंगे।

4 मानवता का आधार क्या है?

dnaहमारा डी एन ए ही मानवता का आधार नहीं है। चिम्पांज़ी का डी एन ए मानव डी एन ए से 99% मेल खाता है वहीं केले का 50%! हमारा मस्तिष्क अधिकतर प्राणियों से बड़ा है लेकिन सबसे बड़ा नहीं है, लेकिन उसमें गोरील्ला के न्युरान से तीन गुना न्युरान (86 अरब) ठूँसे हुये है। मानव के अन्य प्राणी से अलग साबित करने वाले कुछ महत्वपूर्ण गुण जैसे भाषा, उपकरण प्रयोग, दर्पण मे स्वयं को पहचानना अब कुछ प्राणीयों मे भी देखे गये हैं। शायद हमारी सभ्यता और उससे हमारे जीन पर पड़ने वाला प्रभाव (और विपरीत भी) मानव और प्राणी मे अंतर बनाता हो। वैज्ञानिक सोचते हैं कि पकाने की कला और अग्नि पर कुशलता ने शायद हमारे मस्तिष्क को विशाल होने मे मदद की है। यह भी संभव है कि हमारी सहकार्य की क्षमता और हुनर के आदान प्रदान की क्षमता हमारे विश्व को वानर विश्व की बजाये मानव विश्व बनाती हो।

5 चैतन्य क्या है?

consहम नहीं जानते है।

हम यह जानते हैं कि चैतन्य मस्तिष्क के किसी एक भाग पर निर्भर ना होकर, उसके अनेक भागो के आपस मे सूचना के आदान प्रदान के लिये जुड़े होने पर निर्भर है। अब तक की सोच यह है कि यदि हम यह जान ले कि चेतना के लिये मस्तिष्क के कौनसे भाग जिम्मेदार है और किस तरह हमारा स्नायु तंत्र कार्य करता है तब हम चेतना के कार्य करने के ढंग को बेहतर तरीके से समझ पायेंगे और चेतना के प्रादुर्भाव होने के तरीके जान लेंगे। यह ज्ञान हमे कृत्रिम बुद्धि के निर्माण मे मदद करेगा जिससे हम न्युरान से न्युरान को जोडकर कृत्रिम मस्तिष्क बना सकेंगे। लेकिन इससे ज्यादा कठिन दार्शनिक प्रश्न यह है कि किसी वस्तु को चैतन्य होने की आवश्यकता ही क्यों है?
एक सुझाव यह है कि ढेर सी सूचनाओं को जमा कर उनके संसाधन मे ऊर्जा नष्ट करने की बजाये वास्तविक और अवास्तविक तथ्यो मे अंतर जानने के लिये चैतन्य आवश्यक है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे हमे अब तक प्रकृति अनुसार अनुकूल होकर अपना अस्तित्व बचाये रखने मे मदद की है।

6 हम सपने क्यों देखते है?

dreamहम अपने जीवन का एक तिहाई भाग सोने मे व्यतित कर देते है। आप सोच सकते हैं कि जिस कार्य मे हम इतना समय देते है उसके बारे मे हम सब कुछ जानते होंगे। लेकिन वैज्ञानिक अभी भी अंधेरे मे है कि क्यो हम सोते समय सपने देखते है। सीगमंड फ्रायड को मानने वालों के अनुसार स्वप्न हमारी दमित इच्छाओं के कारण आते है और अधिकतर यौन आकांक्षाओं से जुड़े होते है। कुछ अन्य लोगों का मानना है कि स्वप्न कुछ और नही हमारे मस्तिष्क द्वारा सोते समय बेतरतीब रूप से संकेतो का भेजा जाना है जो एक मायाजाल जैसा उत्पन्न करता है। प्राणियों पर किये अध्ययन और मस्तिष्क के आधुनिक चित्रण से यह ज्ञात हुआ है कि स्वप्न की हमारी भावना, याददाश्त और सीखने की प्रक्रिया मे महत्वपूर्ण भूमिका है। उदाहरण के लिये चूहों पर किये गये प्रयोगो मे उन्हे वास्तविक समस्याओं और उनके हल को स्वप्न मे दोहराते देखा गया है जो उन्हे वास्तविकता मे कठिन समस्याओं को हम करने मे मददगार होता है।

7 पदार्थ का अस्तित्व क्यों है?

antimatterहम और आप का अस्तित्व नही होना चाहिये था!

हम और आप पदार्थ से बने है जिसका विलोम प्रति-पदार्थ है जो केवल विद्युत आवेश मे भिन्न होता है। जब पदार्थ और प्रतिपदार्थ मिलते है वे दोनो ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाते है। हमारे सिद्धांतो के अनुसार बिग बैंग(महविस्फोट) के समय समान मात्रा मे पदार्थ और प्रति-पदार्थ बने होंगे, दोनो मिलकर ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाना चाहिये और ब्रह्मांड मे ऊर्जा के अतिरिक्त कुछ भी नही होना चाहिये। लेकिन प्रकृति मे ऐसा कुछ भेदभाव है कि प्रति-पदार्थ नही है और केवल पदार्थ ही है क्योंकि यदि ऐसा नही होता तो मै और आप दोनो नही होते। वैज्ञानिक सर्न(CERN) के लार्ज हेड्रान कोलाईडर(Large Hadron Collider) के प्रयोगों के आंकड़ों से यह जानने की कोशिश कर रहे है कि क्यों प्रकृति पदार्थ को प्रति-पदार्थ पर प्राथमिकता देती है। इस गुत्थी के हल के लिये महासममीती(supersymmetry) और न्युट्रीनो(neutrinos) दो प्रमुख उम्मीदवार है।

8 क्या और भी ब्रह्माण्ड है?

multipleuniverseहमारा ब्रह्माण्ड एक असम्भाव्य , अविश्वसनीय जगह है। इसके मूलभूत गुणों मे किंचीत मात्र परिवर्तन करने पर जीवन संभव नही है। इस ब्रह्मांड के सभी कारक इस तरह निर्धारित हैं कि वैज्ञानिक मानने लगे है कि समांतर ब्रह्माण्ड भी होना चाहिये ;जिनमे इन कारको का मान हमारे ब्रह्माण्ड से भिन्न होगा। इन असंख्य ब्रह्मांडो मे से एक हमारा ब्रह्माण्ड है जिसमे इन कारको का मान इस तरह से है कि जीवन का प्रादुर्भाव संभव हो सका है। शायद प्रकृति के प्रयोगो मे से सबसे बेहतर प्रयोग हमारा ब्रह्माण्ड रहा है जिसमे हर मान इस तरह से जम गया कि जीवन उत्पन्न हो गया। यह विचित्र लगता है लेकिन क्वांटम भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान का ज्ञान इसी दिशा की ओर संकेत कर रहा है।

9 सारे कार्बन को कहां ठिकाने लगाया जाये?

पिछली दो शताब्दियों से हम जैव ईंधन को जला कर अपने वातावरण मे कार्बन डाय आक्साईड भर रहे है, यह कार्बन पृथ्वी की सतह के नीचे तेल और कोयले के रूप मे दबा था। अब हमने इस सारे कार्बन को पृथ्वी के वातावरण से हटाना होगा अन्यथा हमे बदलते वातावरण के खतरों को झेलने तैयार रहना होगा और यह खतरा इतना बडा है कि वह पृथ्वी से जीवन भी नष्ट कर सकता है। एक उपाय उसे वापिस खाली कोयला और तेल खदानो मे डालने का है, दूसरा उपाय उसे समुद्र की गहराई मे दफन करने का है। लेकिन हम नही जानते कि वह वहाँ पर कितने समय रहेगा और उसके क्या दूष्परिणाम होंगे। तब तक हमे प्राकृतिक और टीकाउ कार्बन के भंडार जैसे जंगल और कोयले को संरक्षित करना होगा और ऊर्जा निर्माण के वैकल्पिक मार्ग ढूंढने होंगे जो हमारे पर्यावरण को नुकसान ना पहुँचायें।

10 सूर्य से अधिक ऊर्जा प्राप्ति के उपाय क्या है?

solarजीवाश्म ईंधन की आपूर्ति हमेशा के लिये नही है, हमे अपनी ज़रूरतों के लिये ऊर्जा के नये मार्गो की खोज करनी होगी। हमारा नज़दीकी सितारा सूर्य एक वैकल्पिक उपाय है। हम वर्तमान मे भी सौर ऊर्जा का प्रयोग कर रहे है लेकिन वह पर्याप्त नही है। एक दूसरा उपाय सूर्य प्रकाश की ऊर्जा से जल को आक्सीजन और हायड्रोजन मे भंजित कर स्वच्छ ईंधन की प्राप्ति है जो हमारी कारों के इंजन मे प्रयोग मे लायी जा सकती है। वैज्ञानिक पृथ्वी पर सूर्य के निर्माण का प्रयास भी कर रहे है, जोकि सूर्य पर ऊर्जा के उत्पादन की प्रक्रिया अर्थात नाभिकिय संलयन पर आधारित ऊर्जा उत्पादन केंद्र होंगे। आशा है कि यह हमारी ऊर्जा का भविष्य होगा।

11 अभाज्य संख्याये विचित्र क्यों है ?

primeयह एक तथ्य है कि आप इंटरनेट पर सुरक्षित रूप से ख़रीददारी अभाज्य संख्याओं के विचित्र गुणधर्मो के कारण ही कर सकते है। अभाज्य संख्याये एक और स्व्यं से ही भाज्य होती है। इंटरनेट की सुरक्षा पब्लिक-की-एन्क्रिप्शन(Public key encryption) से होती है, जो आपकी सूचनाओं को इस तरह से कुटलेखित(encrypted) कर देती है कि उसे कोई और समझ नही सकता है। यह पब्लिक-की-एन्क्रिप्शन(Public key encryption) प्रक्रिया अभाज्य संख्या पर आधारित होती है। हमारे दैनिक व्यवहार मे प्रयुक्त होने वाली यह अभाज्य संख्या एक पहेली सी बनी हुयी है। इन अभाज्य संख्यायों मे एक विचित्र पैटर्न होता है जिसे रेमन हाइपाथिसिस कहते है, यह कई शताब्दियों से महान गणितज्ञो को चुनौती देते आयी है। अभी तक एक अनसुलझी पहेली बनी अभाज्य संख्याये इंटरनेट पर राज्य कर रही है। इस पहेली का सुलझना इंटरनेट सुरक्षा का अंत होगा!

12 जीवाणुओं को कैसे मात दी जाये?

bactएंटी-बायोटीक आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का एक चमत्कार है। सर अलेक्झेंडर फ्लेमिंग की नोबेल पुरस्कार विजेता खोज ने एक ऐसी क्रांती उत्पन्न की जिससे मानव जाती ने अनेक खतरनाक बीमारीयों से निजात पायी, इसी से शल्य चिकित्सा, अंग प्रत्यारोपण और कीमोथेरेपी संभव हो पायी। लेकिन अब यह वरदान खतरे मे है, यूरोप मे हर वर्ष 25,000 से ज्यादा मौते ऐसे जीवाणु से हो रही है जिसने एकाधिक एंटी बायोटिक दवाईयों से प्रतिरोध क्षमता विकसीत कर ली है। नये एंटीबायोटिक दवाइयों की खोज रुकी हुयी है और हम एंटी-बायोटिक दवाईयो के दुरुपयोग से हालात को और कठिन बनाते जा रहे है। अमरीका मे 80% एंटीबायोटिक दवाये मांस-उत्पादन के लिये जानवरो को दी जा रही हैं। डी एन ए अभियांत्रिकी मे नयी खोजो से हम कुछ ऐसी दवायें बना पा रहे है जिनका प्रतिरोध उत्पन्न करना जीवाणुओं के लिये कठिन है। अच्छे जीवाणुओं के प्रयोग से भी हम इस युद्ध मे जीत हासिल कर सकते है। हम से 3 अरब से भी ज्यादा आयु के इस दुश्मन से हमारी लड़ाई जारी है।

13 क्या कंप्यूटर की गति बढ़ते जायेगी?

compspeedहमारे टैबलेट और मोबाईल फोन ऐसे नन्हे कंप्यूटर है जो 1969 के चंद्रयान अपोलो 11 के कंप्यूटर से भी कई गुना शक्तिशाली है। हम अपनी जेबो मे रखे जा सकने वाले इन कंप्यूटरो की क्षमता को किस तरह से बढाते रह सकते है? एक कंप्यूटर चीप मे ट्रांजीस्टरो की संख्या की बढ़ोत्तरी की भी एक सीमा है। यह सीमा अभी तक नही पार हुयी है लेकिन वह समय ज्यादा दूर नही है, उसके पश्चात ? वैज्ञानिक नये पदार्थो मे संभावना ढूंढ रहे है जैसे ग्रेफाईट जैसा पतला कार्बन या नये तरह के कंप्यूटर जो क्वांटम कम्प्यूटींग आधारित हों।

14 क्या हम कभी कैंसर को हरा पायेंगे?

cancerसंक्षिप्त उत्तर है, नही!

कैंसर एक अकेली बीमारी नही है, यह सैंकड़ो बीमारीयों का एक समूह है और यह डायनोसोर के जमाने से है। इसके पीछे कारण हमारी जीन मे छुपा हुआ है, ये जीन हमारे शरीर का मानचित्र होते है और इस मानचित्र मे किसी गलती से कैंसर होता है। यह खतरा हमारे अंदर ही होता है और इससे बचा नही जा सकता है। जितना ज्यादा हम जीवित रहेंगे, कैंसर होने की उतनी ज्यादा संभावना रहेगी। कैंसर एक जीवित समस्या है और विकसित होते रहेगी। जीनेटीक्स के जटिल अध्ययन से हम इस बीमारी के बारे मे ज्यादा जान रहे है , इसके होने के कारण पता चल रहे है साथ ही हम इससे बचने और चिकित्सा के बेहतर तरीके ज्ञात हो रहे है। वर्तमान मे आधे से ज्यादा कैंसर (लगभग 37 लाख पीड़ित) की रोकथाम संभव है, धुम्रपान छोड़ दीजिए, खानपान पर ध्यान दे, सक्रिय रहे और दोपहर की धूप मे ज्यादा सूर्य किरणो से बंचे।

15 कब मै रोबोट रसोईया रख पाउंगा?

brवर्तमान मे रोबोट आपको खाना परोस सकते है और आपके सूटकेस उठाकर चल सकते है। आधुनिक रोबोट किसी विशिष्ट कार्य के लिये बने है जैसे वह गायों को दुह सकते है, आपकी इमेल पढकर उत्तर दे सकते है, आपकी कार पार्क कर सकते है। लेकिन एक पूर्ण रूप से बुद्धिमान रोबोट के लिये कृत्रिम बुद्धी चाहीये। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या आप अपनी बुढी दादी को अपने रोबोट रसोईये के भरोसे छोडकर जा सकते है?

जापान 2025 तक वृद्ध नागरिको की देखभाल के लिये रोबोट विकसीत करने का लक्ष्य पाले हुये है।

16 सागर के तल मे क्या है?

oceanbedसागरो का 95% भाग अभी तक अज्ञात या अनन्वेषित है। वहाँ पर क्या है? 1960 मे इस प्रश्न का उत्तर पाने डान वाल्श और जैक्स पीकार्ड समुद्र की सतह से सात मील नीचे तक गये थे। यह प्रयास मानव प्रयत्नो की पराकाष्ठा थी, लेकिन वे सागर की तलहटी पर जीवन की एक झलक ही देख सके थे। सागर की तलहटी पर पहुंचना इतना कठिन है कि हम वहां पर मानव रहित वाहन ही भेजते है। सागर तलहटी पर अभी तक की गयी आश्चर्य जनक खोज जैसे बेरेलेयी मछली जिसका सर पारदर्शी होता है और वह अल्जीमर बीमारी की चिकित्सा मे प्रयुक्त हो सकती है। इस तरह की नयी खोजें इस मायावी दूनिया का अल्पांश मात्र है।

17 श्याम विवर के तल मे क्या होता है?

यह एक ऐसा प्रश्न है जो अपने आप मे भानुमति का पिटारा है। आइस्टाइन के सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार एक महाकाय तारे की मृत्यु के समय उसके केंद्र के एक बिंदु तक सिकुड़ जाने से श्याम विवर बनता है, इसका घनत्व अत्यधिक होता है और गुरुत्वाकर्षण इतना बलशाली की प्रकाश भी नही बच सकता है। इस स्तर पर सापेक्षतावाद के साथ क्वांटम भौतिकी भी कार्य करती है। लेकिन क्वांटम भौतिकी और सापेक्षतावाद के सिद्धांत एक साथ लागू नही किये जा सकते है, दोनो विरोधाभाषी है। दोनो के एकीकरण के प्रयास चल रहे है लेकिन अभी तक कोई सफलता नही मिली है। हाल ही मे एम स्ट्रींग सिद्धांत एक उम्मीदवार के रूप मे उभरा है जो शायद ब्रह्माण्ड की इस सबसे विचित्र कृति के रहस्यो को हल कर सके।

18 क्या हम अमर हो सकते है?

हम एक ऐसे समय मे जी रहे है जिसमे हम “वृद्धावस्था(aging)” को जीवन की एक सच्चाई के रूप मे नही एक बीमारी के रूप मे मान रहे है जिसका इलाज और रोकथाम संभव है; इलाज और रोकथाम पूरी तरह संभव नहीं हो तो कम से कम एक लंबे समय तक इसका टालना संभव है। हमारा वृद्धावस्था संबधित ज्ञान तीव्र गति से बढरहा है और हम जानने का प्रयास कर रहे है कि कुछ प्राणी अन्य प्राणीयो से ज्यादा क्यों जीते है। अभी हम सब कुछ नही जानते है लेकिन हम डी एन ए क्षति, वृद्धावस्था का असंतुलन, चयापचय प्रक्रिया, प्रजनन क्षमता तथा इन सभी को संचालित करने वाले जीन के बारे मे पहले से बेहतर जानते है और इसे दवाओं के जरीये नियंत्रण मे लाने के करीब हैं। प्रश्न यह नही है कि हम दीर्घ जीवन कैसे प्राप्त करेंगे, प्रश्न यह है कि हम बेहतर स्वस्थ दीर्घ जीवन कैसे प्राप्त करेंगे। अनेक बीमारीयां जैसे मधुमेह और कैंसर, वृद्धावस्था संबंधित है ; इस खोज से दूर हो सकेंगी।

जनसंख्या विस्फोट19 जनसंख्या विस्फोट का हल क्या है?

वर्तमान की सात अरब जनसंख्या 1960 की जनसंख्या की दूगनी और अनुमान के अनुसार मे 2050 मे यह नौ अरब को पार कर जायेगी। इतनी बड़ी जनसंख्या कहाँ रहेगी और निरंतर बढती जसंख्या के लिये भोजन और इंधन कहाँ से आएगा ? शायद हम कुछ भाग को मंगल पर भेज दे, कुछ भाग के लिये भूमीगत शहरो का निर्माण कर पायें। भोजन के लिये प्रयोगशालाओं मे मांस का निर्माण हो सकता है। यह विज्ञान फतांशी लगता है लेकिन अब इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।

20 क्या समय यात्रा संभव है?

समय यात्री हमारे साथ , हमारे बीच है। आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद सिद्धांत के अनुसार अंतराष्ट्रिय अंतरिक्ष केंद्र के यात्री समययात्रा कर चुके है क्योंकि अंतरिक्ष मे समय गति धीमी हो जाती है। वर्तमान मे यह प्रभाव अत्यल्प है लेकिन गति बढा दीजीये और इसी प्रभाव से मानव भविष्य मे एक दिन सहस्त्र वर्ष की यात्रा भी कर पायेगा। प्रकृति शायद भूतकाल मे यात्रा करने की अनुमति नही देती है, लेकिन भौतिक वैज्ञानिक के अनुसार वर्महोल(Wormhole) और अंतरिक्षयानो से यह भी संभव है। सैद्धांतिक रूप से समययात्रा संभव है लेकिन तकनीक के विकास मे समय लगेगा।

83 विचार “विज्ञान विश्व को चुनौती देते 20 प्रश्न&rdquo पर;

  1. महोदय जी हम अपने दिमाग की 100% क्षमता का उपयोग कैसे कर सकते है। शायद न्युटन ने सबसे ज्यादा अपनी दिमागी क्षमता 0.5 % तक ही उपयोग किया। यदि हम कर पाये भविष्य में तो हम क्या क्या कर सकते है।

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    1. अमित, हर व्यक्ति अपने मस्तिष्क का 100% प्रयोग करता है। मस्तिष्क के हर भाग कि एक जिम्मेदारी होती है उसे वह निभानी होती है। यदि मस्तिष्क का कोई भाग कार्य ना करे तो उस व्यक्ति का एक अंग काम नही करेगा।
      मस्तिष्क के केवल 10% या किसी अन्य मात्रा मे ही कार्य करने संबधित सारी खबरे अफ़वाह मात्र है।

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  2. सर अगर ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक गति प्रकाश की है तो सैकड़ो और हज़ारो प्रकाश वर्ष दूर स्थित तारो और गैलेक्सियों की दूरी और संरचना के बारे में कैसे आंकलन किया जाता है
    जबकि प्रकाश को हम तक पहुचने में सैकड़ो वर्ष लगेंगे।
    और किसी वस्तु को हम तभी देख सकते हैं जब प्रकाश उससे वापस आता है।

    कृपया मुझे जानकारी प्रदान करें।
    धन्यवाद।।।

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    1. हर पिंड के प्रकाश से उसकी दूरी तथा संरचना का पता चल जाता है। तारे के प्रकाश मे आया लाल विचलन(red shift) उसकी दूरी बताता है, तथा उस प्रकाश मे उपस्थित वर्णक्रम से संरचना पता चल जाती है।
      यह बात और है कि इन प्रकाशीय पिंडो मे आने वाले प्रकाश उन पिंडो से सैकड़ो हजारो वर्ष पहले निकला होता है, जिससे हमे जो दूरी/संरचना का ज्ञान होता है वह सैकड़ो/हजारो वर्ष पुरानी होती है। लेकिन ब्रह्मांडीय पैमाने पर यह समय नगण्य है।

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  3. Sir mai ek baat ko lekar confuse hu kripya mujhe iska ans vistar purvak de. Mera question ye hai k aasman me helicopter ko roka (sthir) kia ja sakta hai. Agar helicopter ko kuch ghanto k lie hawa me roka jae to wo usi jagah rahegi ya prithvi k ghumne k wajah se kahi aur rahegi q k prithvi to niche ghumte rahti hai to phir helicopter ka sthan v to badal jana chahie. Agar aisa nahi hota hai to mujhe kripya bataye k q.

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    1. पृथ्वी का घूर्णन अर्थात सारे वायुमण्डल के साथ घूर्णन। पृथ्वी की सीमा जमीन नहीं है, पृथ्वी की सीमा वायुमंडल के समाप्त होने पर है। जब पृथ्वी घूमती है तो वायुमंडल को लेकर घूमती है, हेलीकाप्टर वायुमंडल में स्थिर है लेकिन वायुमंडल उसे अपने साथ लेकर घूम रहा है तो वह पृथ्वी के उसी स्थान पर रहेगा।

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    1. जलना अर्थात आक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया कर आक्साईड बनाना। जैसे कोयला (कार्बन) जल कर कार्बन डाई आक्साईड गैस बनाती है। जली हुयी वस्तु को दोबारा नही जला सकते है।
      हायड्रोजन जलकर(आक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया कर) डाई हायड्रोजन आक्साईड अर्थात H2O अर्थात पानी बनाती है। पानी पहले से ही जला हुआ पदार्थ है, दोबारा कैसे जलेगा ?

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    1. हम अपने मस्तिष्क का 100% भाग प्रयोग करते है। लेकिन अभ्यास से मस्तिष्क की कार्य क्षमता बढ़ा सकते है।

      उदाहरण के लिये किसी मोटरसाईकल को चलने के लिये उसके सभी पुर्जो का कार्य करना आवश्यक होता है लेकिन यदि आप को उससे ज्यादा कार्य लेना है तो उसमे आप परिवर्तन कर चला सकते है।

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      1. सर हम उद्योगों से निकलने वाले गैसों को एकत्रित कर शुद्ध नहीं कर सकते ?
        अर्थात उद्योगों में जिस पाइप से गैसे निकलती है वहा से उन गैसों को किसी
        माध्यम से लेकर एक ऐसे स्थान पर छोड़े जहां कोई भी नहीं रहता हो तथा उन गैसों
        को शुद्ध करे।

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  4. सर यदि अनेक ब्लैक होल मिल जाये तो क्या होगा ? क्या वो पूरे ब्रम्हांड को निगल जायेगा?इससे शायद दुनिया का अस्तित्व नही रहेगा|
    अगर ऐसा होता है तो शायद प्राचीन काल मे अनेक ब्लैक होले मिल गए हो ओर सारे ग्रह इसमे मिल गया हो। बाद मे ब्लैक होल मे कुछ घटना हुई हो ओर वो खन्दीत हो गय हो ओर सारे ग्रह फिर से निकल गए हो।
    या प्राचीन काल मे जब कुछ न हो तब कोई बड़ा ब्लैक होल स्पेस मे उपस्थित कोई अलग तरह की पदार्थ को निगलता हो ओर बाद मे ब्लैक होल के टूटने पर ये पदार्थ निकलकर गेस द्रव ठोस मे बदल गया हो।औ र बाद मे ये ग्रहो इत्यादि मे बदल गए हो।

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    1. स्टेम कोशिका या मूल कोशिका (अंग्रेज़ी:स्टेम सेल) ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिनमें शरीर के किसी भी अंग को कोशिका के रूप में विकसित करने की क्षमता मिलती है। इसके साथ ही ये अन्य किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में बदल सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रकार यदि हृदय की कोशिकाएं खराब हो गईं, तो इनकी मरम्मत हृदय की कोशिका द्वारा की जा सकती है। इसी प्रकार यदि आंख की कॉर्निया की कोशिकाएं खराब हो जायें, तो उन्हें भी स्टेम कोशिकाओं द्वाअ विकसित कर प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसी प्रकार मानव के लिए अत्यावश्यक तत्व विटामिन सी को बीमारियों के इलाज के उददेश्य से स्टेम कोशिका पैदा करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।अपने मूल सरल रूप में स्टेम कोशिका ऐसे अविकसित कोशिका हैं जिनमें विकसित कोशिका के रूप में विशिष्टता अर्जित करने की क्षमता होती है। क्लोनन के साथ जैव प्रौद्योगिकी ने एक और क्षेत्र को जन्म दिया है, जिसका नाम है कोशिका चिकित्सा। इसके अंतर्गत ऐसी कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है, जिसमें वृद्धि, विभाजन और विभेदन कर नए ऊतक बनाने की क्षमता हो। सर्वप्रथम रक्त बनाने वाले ऊतकों से इस चिकित्सा का विचार व प्रयोग शुरु हुआ था। अस्थि-मज्जा से प्राप्त ये कोशिकाएं, आजीवन शरीर में रक्त का उत्पादन करतीं हैं और कैंसर आदि रोगों में इनका प्रत्यारोपण कर पूरी रक्त प्रणाली को, पुनर्संचित किया जा सकता है। ऐसी कोशिकाओं को ही स्टेम कोशिका कहते हैं।

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      1. आशीष जी, आपकी साइट जब भी खोलता हूँ तो बहुत ख़ुशी होती है क्योंकि बहुत जटिल जानकारियाँ हिंदी में, और उससे भी बड़ी बात, सरल शब्दों में पढने को मिल जाती हैं. मेरा प्रश्न विज्ञान से तो नहीं लेकिन भूगोल से अवश्य जुड़ा है. प्रश्न: क्या कारण है कि Columbus और बाद में Amerigo Vespucci दोनों को ही उत्तरी अमेरिका में वहां के मूल निवासी मिले थे, जबकि ये दोनों तो वहां जाने वाले पहले मनुष्य थे. यह प्रश्न अधिक उलझा हुआ इसलिए भी है क्योंकि ये भी सिद्ध हो चुका है कि पहली मानव प्रजाति अफ्रीका में पैदा हुई थी और वहीं से लोग यूरोप और एशिया की तरफ गए थे.

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      2. विनय, अंटार्कटिका को छोड़ कर ऐसा कोई भाग नही था जहाँ पर मानव बस्ती नही रही थी। मानव प्रजाति का उद्भव अफ़्रिका मे हुआ, वे अफ़्रिका से सारे विश्व मे गये। अफ़्रिका से युरोप, युरोप से ग्रीन लैंड , ग्रीन लैंड से कनाडा, कनाडा से उत्तरी अमरीका और उत्तरी अमरीका से दक्षिणी अमेरीका।
        कोलंबस और अमेरीगो वेस्पुसी तो बस दो ऐसे व्यक्ति थे जिन्होने इन खोये मानवो को दोबारा खोज निकाला।

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  5. sir maan liya ki sharir se kisi energy ke nikal jaane se nahi balki koshikao ke na banne se hamari mrityu hoti hai,lekin
    hum bhojan karte hai ,shwasan karte hai jisse hame shakti milti hai or sharir nai koshikae banata rehta hai.
    hum bhojan or shwasan budhape tak bhi jari rakhte hai phir sharir koshika nirman kyu band kar deta hai means that
    nirjeev vastu hamesha apne eendhan se chalti hi rehti hai phir sajeev apna eendhan (bhojan) jari rakhne ke baavjood bhi mrityu ki or kyu badhta hai?
    please..answer…me….

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    1. निर्जिव वस्तु मे समय के साथ उसके पुर्जे बदलने होते है वैसे ही शरीर के कुछ पुर्जो मे ऐसी टूट फूट होती है जिन्हे बदलना/या पुननिर्माण करना शरीर के लिये असंभव होता है। यही मृत्यु का कारण होता है।

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    1. हाँ आज से 5 अरब वर्ष पश्चात् जब सूर्य का ईंधन हायड्रोजन समाप्त हो जायेगी, तब सूर्य पृथ्वी तक के ग्रहो को निगल जायेगा और अंत में स्वेत वामन तारे में बदल जायेगा। उसके बाडी धीरे धीरे ठंडा होकर लुफ्त हो जायेगा।

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    1. साधारण रूप से गति(Velocity) तथा चाल(speed) एक ही है। लेकिन जब हम विज्ञान की दृष्टि से देखे तो गति सदिश राशी है, जबकि वेग अदिश राशी। गति की गणना करते समय हमे दिशा का भी ध्यान रखना होता है।
      उदाहरण के लिये आप पूर्व से पश्चिम की ओर १० किमी/घंटा की गति से जा रहे है, आपके विपरित दिशा से कोई अन्य व्यक्ति भी १० किमी की गति से आ रहा है। इस स्थिति मे आप दोनो एक दूसरे के समिप २० किमी की गति से आ रहे होंगे, जबकि दोनो की चाल १० किमी/घंटा ही है। यदि आपके साथ आपकी ही दिशा मे कोई व्यक्ति १० किमी/घंटा की गति से चल रहा हो तो एक दूसरे के सापेक्ष दोनो की गति शून्य होगी, आप दोनो एक दूसरे से एक ही दूरी पर रहेंगे।
      इस उदाहरण मे सब कुछ आसान था क्योंकि दिशाये एक दूसरे के समांतर है लेकिन दिशाये एक दूसरे के समांतर ना हो तो हमे वेग को x तथा y मे तोड़ना होता है। x=r cos(θ), y = r sin(θ).
      https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/4/4e/Orbital_motion.gif
      अंतरिक्ष मे तीसरा अक्ष z भी आ जाता है।

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    1. हमारा शरीर बहुत सी कोशीकाओं का एक संगठन है। सारी उम्र तक ये एक दूसरे के सहयोग से कार्य करते रहती है। लेकिन समय के साथ इन कोशीकाओं मे चलने वाली चयापचय प्रक्रिया धीमी होती जाती है और वे कार्य नही कर पाती है, जिसे कोशीका की मृत्यु कहते है। इन मृत कोशीकाओं की जगह नयी कोशीकायें लेते रहती है। वृद्धावस्था मे नयी कोशीकाओं का निर्माण धीमा होते जाता है और एक समय के पश्चात बंद हो जाता है। इस अवस्था मे मानव शरीर के अंग एक के बाद एक सही ढंग से कार्य नही कर पाते है एक समय ऐसे आता है कि शरीर की कार्य प्रणाली ठप्प हो जाती है जिसे शरीर की मत्यु कहते है।
      शरीर से कोई चीज या किसी आत्मा के निकलने से मृत्यु नही होती है, मृत्यु होती है शरीर की कोशीकाओं के कार्य ना कर पाने से।

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    1. मरने के पश्चात मानव शरीर मे तथा पेट मे पदार्थ का विघटन प्रारंभ हो जाता है जिससे पेट मे मिथेन जैसी गैस बनना शुरु हो जाती है जिससे शरीर फुल जाता है और सतह पर आजाता है।

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    1. हेलीकाप्टर, विमान या पक्षी सभी की छाया पड़ती है। लेकिन जब वे आकाश मे ऊंचाई पर उड़ते है तब सूर्य के विशाल आकार के कारण दूरी के साथ उनकी छाया छोटी हो जाती है जिससे जमीन पर उनकी छाया नही बनती है। लेकिन जब वे कम उंचाई पर उड़ते है तब उनकी छाया जमीन पर बनती है। इसे आप अपने घर मे ही किसी वस्तु को किसी बल्ब के पास और दूर लेजाकर उसकी छाया पर पड प्रभाव मे देख सकते है।

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    1. ऊर्जा का कोई प्रकार नही होता है। ऊर्जा के केवल दो रूप होते है, पदार्थ और ऊर्जा। LHC जैसे कोलाईडर मे जब अत्यंत उच्च गति से दो कणो को टकराते है तब वे टूट जाते है, इस प्रक्रिया मे कुछ नये कण और ऊर्जा बनती है। इसमे कुछ ऊर्जा वापस पदार्थ भी बन जाती है।

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  6. Phir aisa kyon hua ki ek vyakti ek aisa vimaan uda raha tha jiski adhiktam gati 350 km/h thi.jab woh bermuda triangle pahuncha to woh ek ghane kohre mein fans gaya usne aas paas ke airports se contact karne ki koshish ki par woh fail raha phir kuch seconds baad woh kohre se baahar aa gaya or uska airport se sampark bhi ho gaya.sampark ke baad use pata chala ki woh miami mein hai.woh chonk gaya kyonki woh jis jagah wo fansa tha whan se miami kaafi door hai.wo waha kaise itni jaldi panhucha?

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    1. विपुल, ये सब कहानियाँ है, सच कम है, कल्पना , अफ़वाह ज़्यादा! इन घटनाओं के प्रमाण नहीं होते है, सुनी सुनाई बातें ज़्यादा! कुछ मामलों में बरमूडा त्रिभुज से हज़ारे किमी दूर की घटना को उससे जोड़ दिया गया है! इस विषय पर एक लेख आपको अगले सप्ताह मिल जायेगा, लिखा हुआ है, बस कुछ संपादन बाकि है,इंतज़ार किजीये!

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  7. बिज्ञान केहता हें, ब्रह्माण्ड विस्तारवान हें / पर में केहता हूँ, जगेह हें, इसिलिए तोह बिस्तारवन हें / समुन्दर के लहर किनारे तरफ बढ्ता हे, जगेह हें तोह बढते हें ..बरना किदर बढेगा …… कहनेका मतलब येह हें कि, हमारा येह ब्रह्माण्ड विस्तार हो रह हें, मानता हूँ, मगर फिर भि जिस कि जगेह पर येह विस्तार हो रहा हें, उस जगेह क क्या नाम दूँ … वोह भी तोह ब्रह्माण्ड हि हें …..
    दुसरी बात,……कोहि भी भैतिकी का निश्चित आकार-प्रकार-क्षेत्र-तौल होता हें / हमारा येह ब्रह्माण्ड भौतिक दुनियाँ होनेका बाबजुद भी यिसका स्वरुपका कोहि अन्दाज़ा नही हें…..भौतिकता का अनन्त हो हि नही सक्ता..जानते हुए भी अनन्तताको मानना पड्ररहा हें…. हें न सर ?

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    1. बरमूडा त्रिकोण! ह्म्म , ये एक अफवाह है, बात का बतंगड़ बनाया गया है! इस क्षेत्र मे होने वाली दुर्घटनाओं की मात्रा किसी अन्य क्षेत्र मे होने वाली दुर्घटनाओं से ज्यादा नही है। इस क्षेत्र मे अधिकतर दुर्घटनायें उस समय हुयीं है जब हमारे संचार माध्यम अच्छे नही थे, आधुनिक काल मे पिछले 30-40 वर्ष मे वहाँ कोई दुर्घटना नही हुयी है। सबसे प्रसिद्ध दुर्घटना जिसमे 4-5 वायुयान एक साथ दुर्घटनाग्रस्त हुये थे उसमे एक को छोड़ सभी प्रसिक्षु पायलट थे!

      इस विषय पर विस्तार से एक लेख लेकर आता हूं, जल्दी ही!

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    1. ब्रह्माण्ड का कोई केन्द्र नही है। आप ब्रह्माण्ड को किसी भी जगह से देंखे वह एक जैसा ही नजर आता है। ब्रह्माण्ड का विस्तार एक गुब्बारे के फुलने के जैसा है, गुब्बारे के फुलने की प्रक्रिया मे कोई केण्द्र नही होता है, उसका का हार बिंदू दूसरे से दूर जाता है।

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  8. सर मैं आपकी साइट पर नया पाठक हुँ. मैं एक 11 वी कक्षा का छात्र हुँ ओर ब्रह्माण्ड विज्ञान में रूची भी है मैं आपके तीने ब्लोगो से कुछ ही समय पहले अवगत हुया. इस लेख के सभी प्रश्नो का उत्तर तो शायद भविष्य के पास है. और हां आप के नवग्रह ब्लाग पर मेरा कमेंट प्रतीक्षा पर है कृप्या उसे स्वीकृत करें.

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  9. ज्ञान वर्धक बातें व तथ्य ….वैदिक साहित्य में इनके सूत्र मिलते हैं …वास्तविकता में उपलब्धि कब होगी ..यही यक्ष प्रश्न है….

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  10. बढ़िया। बड़े दिनों बाद कम से कम लिखने की जहमत तो उठाई आपने।
    आपको याद दिला दूँ कि ब्रह्माण्ड से सम्बंधित दो लेख अभी बाकी हैं जिनका शीर्षक आप लिख चुके हैं। इसके अलावा एक डेढ़ साल पहले समय पर सीरीज चालू की थी, वो भी अभी अधूरी है। फिर कुछ महीने पहले आपने सापेक्षता पर भी सीरीज चालू कर दी। पर अफ़सोस! वो भी अभी अधूरी है।

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      1. अनमोल शिकायत जायज है, दोनो श्रंखला पूरी कर रहा हूं। सापेक्षतावाद के साथ समस्या है कि उसे सरल शब्दो मे लिखना, सही सरल उदाहरण ढूंढना कठिन होता है।

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