समय : क्या है समय ?


विश्व की समस्त सेनाओं से शक्तिशाली एक ऐसा विचार होता है जिसका "समय" आ गया हो। - विक्टर ह्युगो
विश्व की समस्त सेनाओं से शक्तिशाली एक ऐसा विचार होता है जिसका “समय” आ गया हो। – विक्टर ह्युगो

समय क्या है ? समय का निर्माण कैसे होता है?

भौतिक वैज्ञानिक तथा लेखक पाल डेवीस के अनुसार “समय” आइंस्टाइन की अधूरी क्रांति है। समय की प्रकृति से जुड़े अनेक अनसुलझे प्रश्न है।

  • समय क्या है ?
  • समय का निर्माण कैसे होता है ?
  • गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से समय धीमा कैसे हो जाता है ?
  • गति मे समय धीमा क्यों हो जाता है ?
  • क्या समय एक आयाम है ?

अरस्तु ने अनुमान लगाया था कि समय गति का प्रभाव हो सकता है लेकिन उन्होने यह भी कहा था कि गति धीमी या तेज हो सकती है लेकिन समय नहीं! अरस्तु के पास आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद के सिद्धांत को जानने का कोई माध्यम नही था जिसके अनुसार समय की गति मे परिवर्तन संभव है। इसी तरह जब आइंस्टाइन साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत के विकास पर कार्य कर रहे थे और उन्होने क्रांतिकारी प्रस्ताव रखा था कि द्रव्यमान के प्रभाव से अंतराल मे वक्रता आती है। लेकिन उस समय आइंस्टाइन  नही जानते थे कि ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है। ब्रह्माण्ड के विस्तार करने की खोज एडवीन हब्बल ने आइंस्टाइन द्वारा “साधारण सापेक्षतावाद” के सिद्धांत के प्रकाशित करने के 13 वर्षो बाद की थी। यदि आइंस्टाइन को विस्तार करते ब्रह्माण्ड का ज्ञान होता तो वे इसे अपने साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत मे शामील करते। अवधारणात्मक रूप से विस्तार करते हुये ब्रह्माण्ड मे गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के फलस्वरूप धीमी गति से विस्तार करते हुये क्षेत्र के रूप मे अंतराल की वक्रता दर्शाना ज्यादा आसान है। हमारे ब्रह्माण्ड के सबसे नाटकीय पहलुंओ मे एक यह है कि उसका विस्तार हो रहा है और विस्तार करते अंतराल मे गति, बल तथा वक्र काल-अंतराल की उपस्थिति है।

अगले कुछ अनुच्छेदों मे हम देखेंगे कि समय एक आकस्मिक अवधारणा है। ( time is an emergent concept.) गति तथा बलों की प्रक्रियाओं के फलस्वरूप समय की उत्पत्ति होती है, लेकिन जिसे हम समय मानते है, वह एक मरिचिका या भ्रम मात्र है। हमारी स्मृति भूतकाल का भ्रम उत्पन्न करती है। हमारी चेतना हमारे आसपास हो रही घटनाओं के फलस्वरूप वर्तमान का आभास उत्पन्न करती है। भविष्य हमारी भूतकाल की स्मृति आधारित मानसीक संरचना मात्र है। समय की अवधारणा हमारे मन द्वारा हमारे आसपास के सतत परिवर्तनशील विश्व मे को क्रमिक रूप से देखने से उत्पन्न होती है।

जान एलीस मैकटैगार्ट तथा अन्य दार्शनिको के अनुसार समय व्यतित होना एक भ्रम मात्र है, केवल वर्तमान ही सत्य है। मैकटैगार्ट समय के विश्लेषण की A,B तथा C श्रृंखलांओ के लिये प्रसिद्ध है। इस समय विश्लेषण का साराशं नीचे प्रस्तुत है:

  • समय के पूर्व और पश्चात के पहलू मूल रूप से समय के तीर(arrow of time) के रूप में ही है। किसी व्यक्ति का जन्म उसकी मृत्य से पूर्व ही होगा, भले ही दोनो घटनाये सुदूर अतीत का भाग हो। यह एक निश्चित संबध है; इस कारण मैकटैगार्ट कहते है कि कहीं कुछ समय से भी ज्यादा मौलिक होना चाहीये।
  • समय के भूत, वर्तमान और भविष्य के पहलू सतत परिवर्तनशील है, भविष्य की घटनायें वर्तमान मे आती है तथा तपश्चात भूतकाल मे चली जाती है। यह पहलू समय की एक धारा का एहसास उत्पन्न कराता है। यह सतत परिवर्तनशील संबध समय की व्याख्या के लिए आवश्यक है। मैकटैगार्ट ने महसूस किया कि समय वास्तविक नही है क्योंकि भूत, वर्तमान और भविष्य के मध्य का अंतर(एक सतत परिवर्तनशील संबंध) समय के लिये पूर्व और पश्चात के स्थायी संबध की तुलना मे ज्यादा आवश्यक है।

स्मृति के रूप मे समय

मैकटैगार्ट का सबसे महत्वपूर्ण निरीक्षण यह था कि ऐतिहासिक घटनाओं तथा मानवरचित कहानीयों मे समय के गुण एक जैसे होते है। उदाहरण के लिये मानवरचित कहानीयों तथा भूतकाल की ऐतिहासीक घटनाओं की तुलना करने पर, दोनो मे पूर्व और पश्चात के साथ भूत, वर्तमान और भविष्य होता है, यह दर्शाता है कि भूतकाल घटनाओं की स्मृति मात्र है तथा लेखक की कल्पना के अतिरिक्त उसका अस्तित्व नही है। यदि हम कंप्युटर की स्मृति उपकरण जैसे सीडी या हार्डडीस्क मे संचित भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे मे सोचें तो यह और स्पष्ट हो जाता है।

वर्तमान : एक अत्यंत लघु क्षण ?

वर्तमान अत्यंत लघु क्षण होता है।
वर्तमान अत्यंत लघु क्षण होता है।

वर्तमान” यह समय की सबसे ज्यादा वास्तविक धारणा है, लेकिन हम जिसे वर्तमान के रूप मे देखते है वह पहले ही भूतकाल हो चुका होता है। वर्तमान क्षणभंगुर है, जो भी कुछ वर्तमान मे घटित हो रहा है वह समय रेखा पर एक अत्यंत लघु बिंदु पर सीमित है और उस पर सतत रूप से हमारे भूत और भविष्य का अतिक्रमण हो रहा है।

वर्तमान किसी रिकार्डींग उपकरण का तीक्ष्ण लेज़र बिंदु या सुई है। जबकि भूत रिकॉर्डिंग माध्यम जैसे टेप या सीडी का उपयोग किया भाग है तथा भविष्य उसका रिक्त भाग।

वर्तमान हमारे मस्तिष्क मे संचित स्मृति की मानसीक जागरुकता हो सकती है। कोई व्यक्ति किसी कार्यक्रम मे जाकर भी यदि सो जाये तो वह उस घटना को पूरी तरह से भूल सकता है। अब उस घटना का उसके भूतकाल मे अस्तित्व ही नही है। यदि हम किसी घटना के प्रति चेतन न हो तो वह हमारे भूतकाल की स्मृति का भाग नही बनती है।

भूत और भविष्य समय के अंतराल है।

भूत और भविष्य समय के अंतराल है।
भूत और भविष्य समय के अंतराल है।

वर्तमान के विपरीत हम भूत और भविष्य को घंटो, दिनो, महीनो और वर्षो मे मापे जा सकने वाले के अंतराल के रूप मे देखते है।
भूतकाल की ऐतिहासिक घटनायें, भविष्य मे होने वाली शादी या कोई अन्य घटना सभी मापे जा सकने वाले अंतराल मे है, किसी रीकार्डींग वस्तु जैसे टेप, वीडीयो या किसी सीडी/डीवीडी के ट्रेक के जैसे।
यह समानता दर्शाती है कि भूतकाल संचित स्मृति के जैसे है, जबकि भविष्य रिक्त स्मृति के जैसे। भविष्य हमारी स्मृति मे संचित भूतकाल के अनुभवो से निर्मित छवि मात्र है।

समय का मापन

किसी भी भौतिक राशी जैसे पैसा, द्रव्यमान, जमीन का टूकड़ा, गति, दूरी या प्रतिरोध का मापन हमारे द्वारा परिभाषित कुछ मानको द्वारा किया जाता है। द्रव्यमान के मापन के लिये हम किलोग्राम या पौंड जैसे मानको का उपयोग करते है। दूरी के मापन के लिये हम दूरी के मानक मीटर, यार्ड या फीट का प्रयोग करते है। इन्हे ध्यान मे रखते हुये ध्यान दिजीये कि हम गति का मापन कैसे करते है! हम गति के मापन के लिये समय का प्रयोग करते है अर्थात मीटर प्रति सेकंड या किलोमीटर प्रति घंटा। इससे एक संकेत मिलता है कि जब हम समय से व्यवहार करते है, वास्तविकता मे हम किसी गति के किसी मानक से व्यवहार कर रहे होते है।

शायद हमने समय की संकल्पना वास्तविकता से ज्यादा जटिल बना दी है। समय का मापन मानव विकास की प्रारंभिक अवस्था से प्रारंभ हुआ है। इसके संकेत लगभग हर भाषा मे अभिवादन के शब्दो मे मिलते हैं। दिन मे समय सूर्य के आकाश मे स्थिती या अनुपस्थिति से संबधित था। इसमे प्रभात, सूर्योदय, सुबह,दोपहर, शाम, सूर्यास्त, रात, अर्धरात्री शामील है। इसके पश्चात वर्ष, माह, सप्ताह पृथ्वी की सूर्य की कक्षा मे वार्षिक परिक्रमा तथा मौसम मे परिवर्तन पर आधारित है। सेकंड और मिनिट जैसी इकाईयों का प्रयोग ज्यामिती मे कोणीय मापन पर आधारित है, जोकि वास्तविकता मे आकाश मे खगोलीय पिंडो की गति के कोणीय मापन से संबधित विधि है। जब से हमने घड़ीयों का प्रयोग प्रारंभ किया है हम समय मापन की इन प्राकृतिक विधियों से दूर हो गये है और समय की अवधारणा विकृत हो गयी है।

समय का मापन
समय का मापन

समय को समझने की समस्या का सरल हल सूर्य के आकाश मे भ्रमण द्वारा समय के मापन विधि की ओर वापिस लौटने मे है। जब हम कार की गति का मापन करते है तब हम उसकी गति की तुलना घड़ी के कांटो की गति से करते है, अप्रत्यक्ष रूप से हम यह तुलना सूर्य की आकाशीय गति से करते है। हम गति का मापन समय के जैसे किसी अमूर्त राशी से नही कर रहे है, हम अज्ञात गति (कार) की तुलना ज्ञात गति (सूर्य की आकाशीय गति) से कर रहे होते है।

गति की इकाई के रूप मे समय

समय विभिन्न तरह की गतियों की तुलना के लिये इकाई के रूप मे प्रयुक्त होता है, जैसे प्रकाशगति, हृदयगति, पृथ्वी की अपने अक्ष पर घूर्णन गति। लेकिन इन प्रक्रियाओं की तुलना समय के संदर्भ के बीना भी की जा सकती है। समय गति के मापन के लिए एक सामान्य इकाई हो सकता है, जिससे सारे विश्व मे एक इकाई से गति के मापन मे आसानी होगी। यह एक ऐसी इकाई होगी जिसका स्वतंत्र अस्तित्व नही है। गतिक प्रक्रिया का समय के रूप मे मापन की तुलना व्यापार मे करेंसी(मुद्रा) के प्रयोग से की जा सकती है। ध्यान दें कि यहाँ भी समय की उपस्थिति अर्थात गति की उपस्थिति की अवधारणा की पुष्टि हो रही है।

वास्तविक रूप से समय क्या है ?

समय एक आकस्मिक अवधारणा है। वह हमारे जीवन मे सतत परिवर्तित होने वाली वास्तविक घटना है। समय को समझने के लिये हमे इस सतत परिवर्तन को निर्मित करने वाली प्रक्रिया को समझना होगा जिससे समय के प्रवाह का भ्रम उत्पन्न होता है।

समय गति से दृष्टिगोचर होता है और उसका मापन अन्य गति से तुलना के द्वारा होता है।, सूर्योदय, सूर्यास्त, रात और दिन, बदलते मौसम, खगोलीय पिंडो की गति यह सभी सतत परिवर्तन के प्रमाण हैं। उम्र बढ़ने की प्रक्रिया भी हमारी आण्विक गति तथा प्रक्रिया भी गति का प्रभाव है और समय का ही भाग है। इसके अतिरिक्त समय कि उपस्थिति का एक महत्वपूर्ण पहलू फोटान और परमाण्विक स्तर पर कणो की गति भी है।

एक मानसीक प्रयोग

दो खगोलीय पिंडो की कल्पना किजीये, जिसमे एक पिंड दूसरे की परिक्रमा कर रहा है। अब मान लीजीये कि एक दूरस्थ निरीक्षण बिंदु से एक निश्चित समय पर हम पाते हैं कि उन दोनो पिंडो वाले क्षेत्र मे समय धीमा हो गया है। समय के धीमे होने से पिंडो की गति भी धीमी होना चाहीये। इस निरीक्षण मे गुरुत्वाकर्षण बल भी अनुपातीक रूप से कमजोर होना चाहीये अन्यथा दो पिंड एक दूसरे की ओर खिंचे जायेंगे। यदि हम समय की गति मे वृद्धि देखते है, तब गति मे भी वृद्धी होगी, साथ ही गुरुत्वाकर्षण मे भी वृद्धी होगी जो उन पिंडो को एक दूसरे से दूर जाने से रोकेगा। वहीं शून्य समय गति पर सब कुछ शून्य हो जायेगा अर्थात पिंडो की गति और गुरुत्वाकर्षण शून्य हो जायेगा।

गुरुत्वाकर्षण बल की क्षमता मे वृद्धी या कमी केवल हमारे निरीक्षण बिंदु के निश्चित समय से संबधित है। परिक्रमा करते पिंडो के समय के परिपेक्ष मे ना तो उनकी गति मे परिवर्तन हुआ है ना उनके गुरुत्वाकर्षण मे। इस मानसीक प्रयोग को विद्युत-चुंबकीय बल द्वारा बांधे गये कणो पर भी कीया जा सकता है, तब हम कह सकते है कि समय बल और गति दोनो का समावेश करता है।

समय की संभावित परिभाषा

ठहरा हुआ समय
ठहरा हुआ समय

समय को एकाधिक परिपेक्ष्य मे परिभाषित किया जा सकता है।
ज्ञान के परिपेक्ष्य से समय हमारे मस्तिष्क  द्वारा निर्मित एक आकस्मिक अवधारणा है। वर्तमान हमारी चेतना या हमारी स्मृति मे घटनाओ के लेखन की जानकारी है। भूतकाल स्मृति है जबकि भविष्य का अस्तित्व नही है।
भौतिकशास्त्र के परिपेक्ष्य मे, समय ब्रह्मांड मे गति और बलो की उपस्थिती है।

समय हर तरह की गति का समावेश करता है। कणो की स्पिन तथा फोटान की गति भी समय पर निर्भर है। गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत-चुंबकिय बल भी समय का भाग है, उसी तरह से खगोलीय पिंडो की गति, परमाणुओं की गति भी। हमने इस लेख मे समय की अवधारणा को आंशिक रूप से समझा है। अगले लेख मे हम गति और बलो के श्रोत को समझेंगे!

समय का निर्माण कैसे होता है?

28 विचार “समय : क्या है समय ?&rdquo पर;

  1. Time doesn’t exist
    Only events exist
    अस्तित्व के समंदर को कहने सुनने के लिए ही समय आदमियों ने काल या समय रचा है। पूर्ण लीला काल के बिना नहीं कह पायेंगे। जन्म और मृत्यु के बीच की मुख्य कहानी अन्यथा कैसे कहेंगे। हम ही कह सकते हैं जानवर तो नहीं।

    काल कुछ है नहीं
    हो रहा वही जो लिखा कहीं

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  2. Present, future , past time nhi h y to bs ek kalpana h vastvikta m time to brhmand ki koi bhi vstu jo gati krti h uska prbhav dusri gati krti vstu ya kisi or vstu pr padna hi time h mtlb hr vstu ka prbhav ek dusre pr padna hi time h.
    is se hmm y bhi bta skte h ki jha pr gati ka prbhav nhi h vha time bhi nhi ya vha time freaz ho chuka h jese example k liye jese kisi ka bhi photo jisme hmm use dekh skte h lekin us photo ke under jo h vo na gati kr rha h or na hi kisi or vstu ki gati se prbhavit ho rha h mtlb vha gati ka prbhav nhi h is liye vha time freaz ho gya h ya vha pr time ked ho chuka h is se hmm smjh skte h ki gati ka prbhav jo sb pr padta h vhi time h( air ,light ,gravity etc. Ka pdne wala prbhav)

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    1. समय गुरुत्वाकर्षण की प्रबलता के अनुसार तेज़ या धीरे होता है, इसके हिसाब से अगर गुरुत्वाकर्षण तेज़ हो तब समय की रफ़्तार धीरे हो जायेगी, अगर कोई इंसान ऐसे प्लेनेट पे चला जाये जहाँ गुरुत्वाकर्षण बहुत ज्यादा है तो वो यहां के सापेक्ष धीरे बूढा होगा, यहां के 30 साल बाद अगर वो यहां वापस आता है, तो अपन सब बूढ़े हो जायेंगे क्योंकि अपन ने यहां 30 साल बीताये हैं, पर वो जिस प्लेनेट पे था वह समय की रफ़्तार धीरे थी इस वजह से वो 30 साल से कम का समय वहां बिता के आया ह, अब यह कितना कम होगा ये तो उस प्लेनेट की गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है, हो सकता है, वो 30 साल बाद आकर ये कहे की उसने सिर्फ 10 साल बिताये है वहा, वो हम सब को देख कर कह सकता है कि वो भविष्य का दृश्य देख रहा है, जो 20 साल बाद होना था वो आज उसे दिख रहा है, और अपन खुद की बात करे तो अगर 30 साल पहले अगर वो 20 साल का था तब उसकी उम्र 50 साल हो जनि चाहिये लेकिन उसने 10 साल बिताये है, इस वजह से वो खुद की उम्र 30 साल बतायेगा, तो अपन बोल सकते है, की 50 साल की उम्र से वो 30 साल की उम्र में आया है, मतलब वो अपने भविष्य से भूतकाल में आया है, भविष्य से भूतकाल में आकर हम अपने अक्ष को नहीं देख सकते, अपन जहा जाएंगे अपना अक्ष अपने साथ जायेगा, पृथ्वी पर अगर हम 70 साल जीते है, तब किसी अन्य प्लेनेट पे भी 70 साल ही जी पाएंगे चाहे वो 70 साल पृथ्वी के 200 या 1000 साल के बराबर हो

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      1. यदि किसी ग्रह पर 10वर्ष पृथ्वी के100वर्षों के बराबर हो तो समय यात्री की आयु उस ग्रह पर 10 वर्ष ही होगी न कि 100 वर्ष ।अतः पृथ्वी पर रहे या उक्त ग्रह पर ,एक सा बूढ़ा होगा और मरेगा ।

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      2. सिद्धांत कहता है कि यदि आप प्रकाश कि चाल से चलें तो आप के लिए समय समाप्त हो जाएगा , यानी अगर आप 20 साल कि उम्र में प्रकाश कि गति से चलते हैं तो 30 साल चलने पर भी आप 20 साल या कुछ एक दो महीने ही बड़े होंगे मगर प्रथ्वी पर आपके 20 साल कि आयु के मित्र 20+30=50 साल के हो चुके होंगे. ये बात सही है. अब मेरा सवाल
        प्रकाश की गति से चले पर व्यक्ति के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा कि समय का उसकी उम्र पर प्रभाव नहीं होगा. क्या उसका शरीर कम करना बंद कर देगा? क्या वो सांस लेना बंद कर देगा? क्या उसका दिल नहीं धड्केगा? क्या इन 30 सालों में उसको भूँख या प्यास नहीं लगेगी?
        मेरा सवाल बहुत मुश्किल है शायद ही कोई जवाब दे पाए. या ये सवाल ही मिटा दिया जाए/.

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  3. आशीष जी । सार गर्भित बात यही समझी जाय की समय तो मात्र आभास है । एक कल्पना है जो बेहद सजीव प्रतीत होती है पर असलियत में हमारे चारो तरफ हो रहे निरन्तर परिवर्तन ही इस समय रुपी भ्रम को पैदा करते है । न भुत है न भविष्य । सब हमारी मानसिकता में है जो सर्वथा भ्रम है ।

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  4. आशीष भाई!! इस लेख ने मेरे पुराने विचारों में नये प्राण फूँक दिए हैं.. हम चीजों को सही समझते हैं लेकिन हमें दूसरी चीज दिखाकर तीसरी और चौथी चीज समझाई जाती है.. हम उस पर टिके नहीं रहते जिसे समझना चाहते हैं.. आपका कॉफी, जूते और कार वाला कॉसेप्ट बेहद कमाल का है..
    मुझे अक्सर झुँझलाहट होती थी कि कोई मेरा कांसेप्ट समझना क्यों नही चाहता.. शायद इसका कारण यही रहा हो.. कि वे ख्याल मेरी खोपड़ी में चल रहे हैं.. लेकिन वे ख्याल उसकी खोपड़ी की पृष्ठभूमि में पैदा ही नहीं हो सकते क्योंकि उसे पहले एक निश्चित रास्ते से होकर इस ख्याल तक आना होगा.. कॉफी खरीदने से पहले जूते बेंचने होंगे.. कार बेंचनी होगी.. डॉलर इकट्ठा करना होगा.. तब जा के हम उसे कॉफी के बारे में ऐसे बोल सकते हैं.. और पी लो.. एक कप और ही सही.. क्योंकि उसके पास डॉलर है… लेकिन सिर्फ जूते पहनने वाला, जिसके पास डॉलर न हो.. यह कह नहीं सकता..
    आपके लेख समझ को मजबूती प्रदान करते हैं.. और हिन्दी भाषा समझ को एम्प्लीफाई करती है..
    शुक्रिया!! इतनी अनमोल समझ “मुफ्त” प्रदान करने के लिए..

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    1. Physics me hr ghatna ko alag alag systems se dekhne pr vah alag tarah ki dikhae deti h ex. me abhi kurchhi pr betha hu mera veg 0 he pr hamari earth 1800km/h k raftar se rotate kr rahi h matalab k mera veg 1800+0=1800km/h he pr yadi koi esha object jo light ki speed se chale aur me uske chalne k disha me kitni hi speed se chalu meri speed light k equal hi hogi tatha light ke speed se chalne vale object k sapeksh sabi systems me samay ki speed saman hogi chahe un sabi systems ki sapeksh speed kuchh bhi ho

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  5. “….वहीं शून्य समय गति पर सब कुछ शून्य हो जायेगा अर्थात पिंडो की गति और गुरुत्वाकर्षण शून्य हो जायेगा।”
    Guruji, Hamari Buddhi kahti hai ki Shoonya Samay Gati per sab kuchh Shoonya hone ka to pata nahi per Grutvakarshan jaroor anant ho jayega! Iska example black holes ho sakte hain! Black holes mein samay gati shoonya hoti hai aur grutvakarshan Anant(?).

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    1. अनमोल,

      तुम्हें सही उत्तर आगे के लेखों में मिलेगा। समय, बल, गुरुत्व सभी अंतराल के विस्तार से उत्पन्न होते है। ब्लैक होल में गुरुत्व अनंत नहीं अत्याधिक होता है। किसी समिकरण में अनंत का आना उसकी सीमा दर्शाता है।
      तुम्हारी टिप्पणी बता रही है कि तुमने लेख ढंग से नहीं पढा़! समझने की कोशीस करो कि समय केवल एक भ्रम है!

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