कमजोर नाभिकिय बल

06 सरल क्वांटम भौतिकी: कमजोर नाभिकिय बल और गुरुत्वाकर्षण


अब तक हम चार मूलभूत प्रतिक्रियाओं मे से दो प्रतिक्रिया विद्युत-चुंबकीय तथा मजबूत नाभिकिय प्रक्रिया देख चूके है। अब हम कमजोर नाभिकिय प्रक्रिया की चर्चा करेंगे।

यदि आपने इस श्रृंखला के प्रारंभिक लेख नही पढ़े है, तो आगे बढ़ने से पहले उन्हे पढ़ें।

  1. मूलभूत क्या है ?
  2. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 1?
  3. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 2?
  4. ब्रह्माण्ड को कौन बांधे रखता है ?
  5. परमाणु को कौन बांधे रखता है?

कमजोर नाभिकीय प्रतिक्रिया(Weak Nuclear Force)

कमजोर नाभिकिय बल
कमजोर नाभिकिय बल

मूलभूत कणो मे कुल छः तरह के क्वार्क और छः तरह के लेप्टान है लेकिन पूरे ब्रह्माण्ड में स्थायी पदार्थ(Stable matter) सबसे हल्के क्वार्क(अप और डाउन) , सबसे हल्के लेप्टान (इलेक्ट्रॉन)  तथा न्यूट्रीनो से बना हुआ है। अन्य भारी कण स्थायी नही होते है, उनका क्षय हो जाता है और वे हल्के कणो मे परिवर्तित हो जाते है।

कमजोर नाभिकीय प्रतिक्रियायें भारी क्वार्क तथा भारी लेप्टान के क्षय(decay) होकर हल्के क्वार्क और लेप्टान बनने के लिये उत्तरदायी है। जब किसी मूलभूत कण का क्षय होता है तब हम एक विचित्र प्रक्रिया होती है : मूल कण विलुप्त हो जाता है और उसकी जगह दो या ज्यादा भिन्न कण ले लेते हैं। कुल द्रव्यमान और ऊर्जा संरक्षित रहती है लेकिन मूल कण का कुछ द्रव्यमान गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है जिससे नये बने कणों का कुल द्रव्यमान मूल क्षय हुए कण से कम होता है।

हमारे आसपास का समस्त पदार्थ सबसे छोटे क्वार्क और लेप्टान से बना है जिसका और आगे क्षय संभव नहीं है।

क्वार्को के वर्ग (flavor)
क्वार्को के वर्ग (flavor)

हर क्वार्क का अपना वर्ग(flavor) होता है, वैज्ञानिक छः तरह के क्वार्को को एक दूसरे से अलग करने के लिये वर्ग(flavor) शब्द का प्रयोग करते है। उदाहरण के लिये अप क्वार्क का वर्ग(flavor) “अप” है। “आवेशित कमजोर नाभिकिय प्रतिक्रिया(charged weak nuclear interaction)” किसी कण का वर्ग परिवर्तन कर सकती है और वर्ग परिवर्तन केवल आवेशित कमजोर नाभिकिय प्रतिक्रिया से ही संभव है। कमजोर नाभिकिय प्रतिक्रियायें; जिनमे उदासीन Z कण भाग लेता है किसी कण का वर्ग परिवर्तन नही कर सकती हैं।

लेप्टान कणो का भी वर्ग(flavor) होता है, इसके अतिरिक्त उनके अपनी इलेक्ट्रान संख्या, म्युआन संख्या तथा टाउ संख्या भी होती है। यह हम पहले ही देख चुकें है। जब  कमजोर नाभिकिय परिक्रिया किसी लेप्टान का वर्ग परिवर्तन करती है तब इलेक्ट्रान संख्या, म्युआन संख्या या टाउ संख्या का संरक्षण होता है ।

जब किसी क्वार्क या लेप्टान का छोटे कणों में क्षय होता है, हम उसे वर्ग (flavour)परिवर्तन कहते हैं। उदाहरण के लिये म्युआन का इलेक्ट्रॉन में परिवर्तन। सभी वर्ग-परिवर्तन कमजोर नाभिकीय बल के फलस्वरूप होते हैं।

कमजोर नाभिकीय प्रतिक्रिया के बलवाहक कण W+, W-,तथा Z कण है। W कण विद्युत आवेश रखते हैं जबकि  Z कण विद्युत उदासीन होते हैं।

स्टैंडर्ड मॉडल में विद्युत-चुंबक प्रतिक्रियाओं तथा कमजोर नाभिकीय प्रतिक्रियाओं को एकीकृत इलेक्ट्रोवीक(Electroweak) प्रतिक्रिया का नाम दिया है।

इलेक्ट्रोवीक(Electroweak) सिद्धांत

इलेक्ट्रोवीक
इलेक्ट्रोवीक

स्टैन्डर्ड मॉडल में कमजोर नाभिकीय और विद्युत-चुंबकीय प्रतिक्रियाओं को एकीकृत कर एक इलेक्ट्रोवीक सिद्धांत बनाया गया है।

भौतिकशास्त्री लंबे समय से मानते थे कि कमजोर नाभिकीय बल और विद्युत चुंबकीय बल एक दूसरे से संबंधित हैं।

अंत में उन्होंने पाया कि बहुत छोटी दूरी(10-18 मीटर) पर कमजोर नाभिकीय बल विद्युत चुंबकीय बल के तुल्य होता है। दूसरी ओर इससे 30 गुणा दूरी(3×10-17 मीटर)  पर कमजोर नाभिकीय बल की क्षमता विद्युत-चुंबकीय बल का 1/10,000 भाग रह जाती है। किसी प्रोटान या न्यूट्रॉन के अंदर क्वार्कों के लिये दूरी  (10-15 मीटर) पर यह बल और कमजोर हो जाता है।

इससे भौतिकशास्त्रियों ने निष्कर्ष निकाला कि कमजोर नाभिकीय बल और विद्युत-नाभिकीय बल की क्षमता मूलतः समान होती है। क्योंकि किसी प्रतिक्रिया की क्षमता बलवाहक कणों के द्रव्यमान और प्रतिक्रिया की दूरी पर निर्भर करती है। इन दोनों बलों की क्षमता में निरीक्षित विशाल अंतर W/Z कणों तथा फोटान के द्रव्यमान में विशाल अंतर के फलस्वरूप है। W और Z कण अत्यधिक भारी है, जबकि फोटान का द्रव्यमान नहीं होता है।

गुरुत्वाकर्षण क्या है?

गुरुत्वाकर्षण
गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण एक विचित्र बल है। निश्चय ही यह एक मूलभूत प्रतिक्रिया है लेकिन स्टैन्डर्ड मॉडल इसकी व्याख्या नहीं कर पाता है। यह वर्तमान भौतिकी के सबसे बड़े अनुत्तरित प्रश्नों में से एक है।

इसके अतिरिक्त गुरुत्वाकर्षण बलवाहक कण की खोज अभी तक नहीं हुई है। ऐसे एक कण के उपस्थित होने की संभावना व्यक्त की गयी है और आशा है कि इसे किसी दिन शायद खोज लिया जायेगा। इस कण का नाम है “ग्रेवीटान(Graviton)“।

सौभाग्य से गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव कण भौतिकी अन्य तीन बलों की तुलना में इतना कम होता कि इसकी उपेक्षा करने से गणनाओं में कोई प्रभाव नहीं पढ़ता है। इसलिए स्टैंडर्ड मॉडल में गुरुत्वाकर्षण का समावेश नहीं होने पर भी वह कार्य करता है।

मुझे अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है!

 हम गुरुत्वाकर्षण बलों की गणना करना जानते हैं, लेकिन हम इस बल को क्वांटम सिद्धांत के गणित के साथ जोड़ना नहीं जानते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि स्टैन्डर्ड मॉडल में ग्रेवीटान की खोज अभी तक संभव नहीं हो पाना भी कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि यह कण बहुत ही कम नगण्य सी प्रतिक्रिया करता है, जिससे इसकी जांच कर पाना अत्यंत कठिन हो जाता है।

जिस तरह से आइजेक न्यूटन के गतिकी के नियम गलत नहीं थे लेकिन उन सिद्धांतों के विस्तार की आवश्यकता थी। आइन्सटाइन ने उच्च गति और अत्यधिक गुरुत्व वाले क्षेत्रों के लिए न्यूटन के सिद्धांतों का विस्तार किया था। इसी तरह हमें स्टैंडर्ड मॉडल का विस्तार कर उसमें गुरुत्वाकर्षण का समावेश करना होगा।

बलों का सारांश

नीचे दी गयी सारणी सभी प्रतिक्रियाओं, बल वाहक कण तथा प्रभावित कणों को दर्शाती है।

बलों का सारांश
बलों का सारांश

बल प्रश्नोत्तरी

कौन सी मूलभूत प्रतिक्रियायें नीचे दी गयी प्रक्रिया के लिये उत्तरदायी है?

घर्षण

उत्तर :घर्षण दो पदार्थों के परमाणुओं के मध्य अवशिष्ट विद्युत-चुंबकीय प्रतिक्रियाओं से होता है।

नाभिकीय बंधन

उत्तर : नाभिकीय बंधन अवशिष्ट परमाणु केन्द्र के विभिन्न घटकों के मध्य अवशिष्ट मजबूत नाभिकीय बल से होता है।

ग्रहों की कक्षा

उत्तर : ग्रह सूर्य की कक्षा में गुरुत्वाकर्षण से परिक्रमा करते हैं। यह सबसे कमजोर बल है लेकिन संपूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रभावित करता है।

अन्य प्रश्न

न्यूट्रीनो पर कौन सा बल कार्य करता है?

उत्तर : कमजोर नाभिकीय बल और गुरुत्वाकर्षण

किस बल के वाहक कण भारी होते हैं ?

उत्तर : कमजोर नाभिकीय बल (W+, W-, तथा Z)

आपके शरीर के प्रोटानों पर कौन से बल कार्य करते हैं?

उत्तर : सभी

किस बल वाहक कण को अलग नहीं कर सकते ? क्यों?

उत्तर : ग्लुआन, क्योंकि वे स्वयं भी रंग-आवेश रखते हैं।

अभी तक किस बल वाहक कण की खोज नहीं हुई है?

उत्तर : ग्रेवीटान (ग्लुआन को अप्रत्यक्ष रूप से देखा गया है।)

इस पोष्ट मे हम परमाणु केन्द्र क्यों बिखरता है कि जानकारी नही दे पाये, वह आगे के लेखों मे आयेगा। अगले लेख मे हम क्वांटम यांत्रिकी की चर्चा करेंगे।

यह लेख श्रृंखला माध्यमिक स्तर(कक्षा 10) की है। इसमे क्वांटम भौतिकी के  सभी पहलूओं का समावेश करते हुये आधारभूत स्तर पर लिखा गया है। श्रृंखला के अंत मे सारे लेखो को एक ई-बुक के रूप मे उपलब्ध कराने की योजना है।

21 विचार “06 सरल क्वांटम भौतिकी: कमजोर नाभिकिय बल और गुरुत्वाकर्षण&rdquo पर;

    1. अस्थिमज्जा या ‘अस्थिमेरु’ (अंग्रेज़ी: Bone Marrow) शरीर की अस्थियों के बीच का वह मुलायम और स्पंजी भाग है, जहाँ रक्त का उत्पादन होता है। मज्जा रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने वाली स्टेम कोशिकाओं से भरी होती हैं, जो श्वेत रक्त कोशिकाओं, लाल रक्त कोशिकाओं या प्लेटलेट्स में विकसित होती हैं।
      वयस्क मानव की बड़ी अस्थियों में मज्जा रक्त कोशिकाएं निर्माण करने में सहायक होता है। इसमें कुल शरीर भार का चार प्रतिशत समाहित रहता है, यानि लगभग 2.6 कि.ग्रा.।
      अस्थिमज्जा गूदे के समान मृदु ऊतक है, जो सब अस्थियों के स्पंजी भाग के अवकाशों में, लंबी अस्थिओं की मध्यनलिका की गुहा में और बड़े आकार की हेवर्सी नलिकाओं में पाया जाता है।
      भिन्न-भिन्न अस्थियों में और अणु के अनुसार उसके संघटन में अंतर होता है। विभिन्न प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं, जो संक्रमण से लड़ने में प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करती हैं।
      लाल रक्त कोशिकाएं हमारे पूरे शरीर में ऑक्सीजन की आवा-जाही के लिए जिम्मेदार हैं। प्लेटलेट्स रक्तस्राव को रोकने के लिए रक्त का थक्का बनाते हैं।
      अस्थिमज्जा स्टेम कोशिकाओं का लगातार उत्पादन करती रहती हैं और ये हमारे शरीर की जरूरत के अनुसार ही अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं को विकसित करती हैं।
      मज्जा दो प्रकार की होती है- ‘पीली’ और ‘लाल’। पीली मज्जा का आधार तांतव ऊतक होता है, जिसमें रक्त वाहिकाएँ और कोशिकाएँ पाई जाती हैं, जिनमें अधिकांश वसा कोशिकाएँ होती हैं। कुछ लाल मज्जा के समान कोशिकाएँ मिलती हैं।
      लाल मज्जा का आधार संयोजी ऊतक होता है, जिसके ढाँचे के जाल में ‘रजतरागी’ तंतु और उससे संबंधित जीवाणुभक्षी कोशिकाएँ तथा कई प्रकार की रक्त कणिकाएँ और उनके पूर्वगामी रूप, कुछ वसा कोशिकाएँ तथा कुछ लिंफ पर्व होते हैं।

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  1. Jesa aapne likha hai KO gravity ki abhi sahi wayakhya nahi huvi hai!!…
    Lekin Einstein ke sidhant ke anusaar gravity spacetime fabric ka curve bend hisasa hotahai Jo object ke mass se bend hora hai or isaka proof stars and black holes lensing effect me dekha sakate hai jahaan mass se spacetime bend hokar light path KO bend kardeti hai

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    1. तारे, ब्लैक होल, स्पेस टाइम ये सब बड़े पैमाने है इनकी व्याख्या सापेक्षतावाद से संभव है। लेकिन जब बात क्वांटम स्तर पर आती है तो इसकी अब तक संतोषजनक व्याख्या नहीं है।

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  2. आशीष जी quantam entanglement को विस्तार से समझाऐं। इसके द्वारा message पृकाश की गति से तेज भेजे जाना संभव है तो यह सापेझ के सिद्धांत को तोडेगा।

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    1. गुरुत्वाकर्षण बल द्रव्यमान का मूलभूत गुणधर्म है। हर वस्तु जिसका द्रव्यमान है वह गुरुत्वाकर्षण रखेगी। आप, मैं ,पत्थर ,चट्टान, आपका मोबाईल सभी गुरुत्वाकर्षण रखते है लेकिन अत्यंत कमजोर। जब द्रव्यमान अधिक हो जैसे पृथ्वी या चन्द्रमा तब यह प्रभावी हो जाता है।
      गुरुत्वाकर्षण को कम नहीं किया जा सकता है।

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  3. आशीष जी नमस्कार ,पिछली बार मेरे सवालों का जवाब देने क़े लिए एक बार फिर शुक्रिया ,अब कुछ और सवाल ,
    १.पृथ्वी सूर्य क़े परिक्रमा पथ पर किस गति से चक्कर काटती है ,[KM/PH]..?
    २.अब तक ज्ञात कौन सा ग्रह सबसे अधिक तेज गति पर परिक्रमा करता है अथवा अपनी धुरी पर सबसे तेज घूमता है ?
    आपका आभार ,

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    1. मनोज,
      १. पृथ्वी की सूर्य की परिक्रमा की गति 107,200 km/h
      २. बृहस्पति अपनी धुरी पर सबसे तेज घूमता है, इसका एक दिन 9 घंटे 55 मिनट का होता है। इसकी अपनी धूरी पर घूर्णन गति 43,000 KM/H है, यह गति उसके विषुवत पर की है, उसके ध्रुवीय क्षेत्र थोड़ा धीमे घूर्णन करते है। ध्यान रहे बृहस्पति ठोस नही है, यह गैस का महाकाय गोला है इसलिये इसकी घूर्णन गति हर जगह समान नही होती है।
      सूर्य की परिक्रमा के लिये सबसे तेज गति बुध की है, 47.9 KM/s. बुध सूर्य के सबसे समीप है अर्थात अपनी अपनी परिक्रमा पथ के केन्द्र के सबसे समीप, इसलिये उसकी गति सबसे तेज है। ग्रहो द्वारा सूर्य की परिक्रमा गति उनके सूर्य से दूरी के विलोम अनुपात मे होती है, इसलिये बुध सबसे तेज है और प्लूटो सबसे धीमा। सेडना प्लूटो से भी धीमा है।

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