ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति(महाविस्फोट से लेकर)

ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 08 : श्याम ऊर्जा(Dark Energy)


ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति(महाविस्फोट से लेकर)
ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति(महाविस्फोट से लेकर)

ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सबसे प्रचलित तथा मान्य सिद्धांत के अनुसार अरबो वर्ष पहले सारा ब्रह्माण्ड एक बिंदू के रूप मे था। किसी अज्ञात कारण से इस बिंदू ने एक विस्फोट के साथ विस्तार प्रारंभ किया और ब्रह्माण्ड आस्तित्व मे आया। ब्रह्माण्ड का यह विस्तार वर्तमान मे भी जारी है। इसे हम महाविस्फोट का सिद्धांत(The Big Bang Theory) कहते है। एडवीन हब्बल द्वारा किये गये निरिक्षणो तथा आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद के सिद्धांत ने इस सिद्धांत को प्रायोगिक तथा तार्किक आधार दिया।

1990 दशक के मध्य मे कुछ खगोलशास्त्रीयों ने ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति मापने के लिए कुछ प्रयोग किये। गुरुत्वाकर्षण बल द्रव्यमान को आकर्षित करता है, इसलिए अधिकतर वैज्ञानिको का मानना था कि गुरुत्वाकर्षण बल ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति को मंद कर देगा या इस गति को स्थिर कर देगा।

इन प्रयोगो के नतिजे अनपेक्षित निकले। ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति ना कम हो रही थी, ना स्थिर थी, उल्टे वह बढ़ रही थी।

यह प्रयोग कुछ समूह १ए(Type 1A) के सुपरनोवाओं के निरिक्षण पर आधारित था। समूह 1ए के सुपरनोवा ब्रह्मांडीय दूरीयो के मापन के लिए मानक दीपस्तंभो (Standard Lamppost or Standard Candles) के रूप मे प्रयोग किए जाते है। विभिन्न दूरीयों के सुपरनोवाओं के निरिक्षण से वैज्ञानिक भूतकाल मे देख सकते है क्योंकि प्रकाश को उन सुपरनोवाओं से हम तक पहुंचने मे अरबों वर्ष लगते है।

श्याम ऊर्जा और श्याम पदार्थ के मध्य रस्साकसी
श्याम ऊर्जा और श्याम पदार्थ के मध्य रस्साकसी

वैज्ञानिको ने भिन्न दूरीयो पर स्थित सुपरनोवाओं से उत्सर्जित प्रकाश का निरिक्षण किया जिससे उनके हमसे दूर जाने की गति की गणना की जा सके। यह गणना डाप्लर प्रभाव(Dopler Effect) के कारण उत्पन्न लाल विचलन(Red Shift) के मापन से की जाती है। यह निरिक्षण वैज्ञानिको को भूतकाल मे भिन्न भिन्न बिंदुओं पर ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति की मात्रा की जानकारी देने मे सक्षम था।

वैज्ञानिको ने पाया कि वर्तमान मे ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति भूतकाल मे ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति से अधिक है। यह आश्चर्यजनक था लेकिन सत्य था। यह प्रयोग एक ही समय मे वैज्ञानिको के दो अलग अलग समूहो ने किया था जिससे आंकड़ों मे या निरिक्षणो मे गलती की संभावना भी नही थी। इन सभी का अर्थ यही था कि कोई एक रहस्यमय बल गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव को ना केवल उदासीन कर रहा था साथ मे ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति को त्वरित कर रहा था।

इसी रहस्यमय बल को श्याम ऊर्जा(Dark Energy) नाम दिया गया है। यदि श्याम ऊर्जा (Dark Energy) किसी विशेष प्रकार का प्रतिकर्षण वाला बल है। यह किसी भी पदार्थ(साधारण बार्योनिक पदार्थ,प्रति पदार्थ(Anti-Matter) या श्याम पदार्थ(Dark Matter)) से संबंधित नही है।

चन्द्रा अंतरिक्ष वेधशाला द्वारा श्याम ऊर्जा की पुष्टि

वैज्ञानिको ने हाल ही मे श्याम ऊर्जा के अस्तित्व को सुपरनोवा के अतिरिक्त नयी विधीयों से भी प्रमाणित किया है। यह नयी विधी चंद्रा एक्स रे वेधशाला के निरिक्षणो से प्राप्त आंकड़ों पर निर्भर है। इसके अनुसार श्याम ऊर्जा आइंस्टाइन के खगोलिय स्थिरांक(Cosmological Constant) का ही रूप है, जिसे आइंस्टाइन ने ही अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल(biggest blunder) कह कर नकार दिया था। इन प्रयोगो मे वैज्ञानिको ने कुछ आकाशगंगा समूह के द्रव्यमान मे कमी महसूस की है जो कि किसी श्यामऊर्जा के जैसे विदारक बल के कारण ही हो सकती है। वैज्ञानिको के अनुसार श्याम ऊर्जा का यह प्रभाव भविष्य मे तारो, ग्रहों को तथा हमारा निर्माण करने वाले अणुओ को भी फाड़ सकता है। (चन्द्रा अंतरिक्ष वेधशाला  का नाम भारतीय मूल के  वैज्ञानिक सुब्रमनियन  चन्द्रशेखर के सम्मान मे दिया गया है।)

इस प्रयोग से जुड़े शिकागो विश्वविद्यालय के खगोल शास्त्र तथा खगोल भौतिकी विभाग के वैज्ञानिक माइकल टर्नर के अनुसार

“10 वर्ष पहले ब्रह्मांड के विस्तार मे गति मे त्वरण की खोज पर यदि किसी को संदेह था तब इस खोज से वह दूर हो जाना चाहीये।”

ब्रह्माण्ड की संरचना(अंतर खगोलिय गैस- मुख्यतः हायड्रोजन)
ब्रह्माण्ड की संरचना

श्याम ऊर्जा की मात्रा

खगोल वैज्ञानिको के अनुसार ब्रह्माण्ड का कूल 74% से 76% भाग श्याम ऊर्जा से बना है, 20% से 22% भाग श्याम पदार्थ से तथा शेष 4 % साधारण पदार्थ से बना है। इस शेष 4% मे हम, हमारा सौरमंडल तथा हमारी आकाशगंगा शामिल है। ब्रह्माण्ड मे कितने नगण्य और तुच्छ है हम !

श्याम ऊर्जा बड़े पैमाने पर(ब्रह्मांडीय स्तर पर) कार्य करती है लेकिन छोटे पैमाने पर(आकाशगंगा) इसका प्रभाव नही होता है। इस कारण इस ऊर्जा का प्रभाव हम अपनी आकाशगंगा या हमारे सौर मंडल मे नही देखते है। इस ऊर्जा का प्रभाव स्थानिय आकाशगंगा समूह मे भी नही देखा गया है, हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी तथा पड़ोसी आकाशगंगा एन्ड्रोमीडा इसी समूह की सदस्य है।

क्या है श्याम ऊर्जा

आइंस्टाइन के साधारण सापेक्षतावाद के अनुसार ब्रह्मांडीय स्थिरांक निर्वात के घनत्व तथा दबाव से जुड़ा है। दूसरे शब्दो मे श्याम ऊर्जा , निर्वात की ऊर्जा है।  इस व्याख्या के अनुसार श्याम ऊर्जा अंतरिक्ष(निर्वात) का गुणधर्म है।

आइंस्टाइन पहले व्यक्ति थे जिन्होने महसूस किया था कि निर्वात (अंतरिक्ष) का अर्थ शुन्य नही है। अंतरिक्ष “रिक्त स्थान” ही नही है, वह रिक्त स्थान होने के बावजूद कुछ विचित्र गुणधर्म रखता है। इन गुणधर्मो मे से कुछ को समझने की शुरुवात हुयी है। आइंन्सटाइन ने अंतरिक्ष का पहला गुणधर्म पाया था कि अंतरिक्ष “रिक्त स्थान” का निर्माण कर सकता है अर्थात अंतरिक्ष अपना विस्तार कर सकता है। आइंस्टाइन के साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत मे अंतरिक्ष का एक अन्य गुणधर्म के अनुसार अंतरिक्ष की अपनी ऊर्जा होती है जिसे उन्होने ब्रह्मांडीय स्थिरांक(cosmological constant) कहा था। यह ऊर्जा “रिक्त स्थान” की है इसलिए अंतरिक्ष के विस्तार के साथ इस ऊर्जा मे कमी नही आयेगी। ज्यादा रिक्त स्थान के निर्माण के साथ, रिक्त स्थान की ऊर्जा मे बढो़त्तरी होगी, जिसके परिणाम स्वरूप इस तरह की ऊर्जा ब्रह्माण्ड को और ज्यादा गति से विस्तार देगी।

दुर्भाग्य से कोई भी यह समझ नही पा रहा है कि इस ब्रह्मांडिय स्थिरांक(cosmological constant) का अस्तित्व क्यों है?  क्यों इस ब्रह्मांडिय स्थिरांक(cosmological constant) का मूल्य ब्रह्मांड मे विस्तार उत्पन्न करने योग्य ऊर्जा के ठीक बराबर क्यों है?

क्वांटम सिद्धांत की एक दूसरी व्याख्या के अनुसार “रिक्त स्थान(अंतरिक्ष)” अस्थायी आभासी (virtual) कणो से बना है जो सतत रूप मे बनते और अदृश्य होते रहते है। लेकिन जब वैज्ञानिको के रिक्त स्थान(अंतरिक्ष) की इस ऊर्जा की गणना की, तब परिणाम अप्रत्याशित रूप से गलत निकले! यह गणना किया गया मूल्य वास्तविक मूल्य से 10120गुणा ज्यादा था। अर्थात 1 के बाद 120 शून्य ! किसी गणना का इतनी बुरी तरह से गलत होना वैज्ञानिको के लीए शर्मनाक था ! रहस्य अभी बरकरार है!

श्याम ऊर्जा का ब्रह्माण्ड के भविष्य की संभावनाएं

ब्रह्माण्ड का भविष्य दो बलो के बीच की रस्साकसी पर निर्भर है। यह दो बल है, गुरुत्वाकर्षण बल तथा श्याम ऊर्जा। गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण बल है तथा पदार्थ के संकुचित करता है। इसी बल के फलस्वरूप सभी ब्रह्मांडिय पिंडो(आकाशगंगा, आकाशगंगा समूह, तारे, निहारिका, ग्रह इत्यादि) का निर्माण हुआ है। यह बल दृश्य पदार्थ (4% बार्योनिक पदार्थ) तथा 24 प्रतिशत अदृश्य श्याम पदार्थ द्वारा उत्पन्न होता है।

श्याम ऊर्जा रिक्त स्थान या निर्वात का बल है। यह ऊर्जा अंतरिक्ष का विस्तार करती है। ध्यान दे यह प्रतिगुरुत्वाकर्षण बल नही है यह दो पिंडो को एक दूसरे से दूर नही धकेलता है, यह दो पिंडो के मध्य रिक्त स्थान(अंतरिक्ष) का विस्तार करता है।

ब्रह्मांड के भविष्य की तीन संभावनाएं
ब्रह्मांड के भविष्य की तीन संभावनाएं

ब्रह्माण्ड का भविष्य इस तथ्य पर निर्भर है कि भविष्य मे कौनसा बल प्रभावी होगा। आज की स्थिती मे तीन संभावनाये बनती है।

श्याम पदार्थ और श्याम ऊर्जा का ब्रह्मांड के भविष्य पर प्रभाव
श्याम पदार्थ और श्याम ऊर्जा का ब्रह्मांड के भविष्य पर प्रभाव

1.महा संकुचन(Big Crunch) : यह उस स्थिती मे संभव है जब भविष्य मे किसी समय श्याम ऊर्जा अपना रूप परिवर्तन कर अंतरिक्ष के विस्तार की जगह अंतरिक्ष का संकुचन प्रारंभ कर दे। इस स्थिती मे गुरुत्वाकर्षण बल प्रभावी हो जायेगा और ब्रह्माण्ड संकुचित होकर एक बिन्दू के रूप मे सिकुड़ जायेगा। यह शायद एक और महाविस्फोट(Big Bang) को जन्म देगा। महा विस्फोट तथा महासंकुचन का यह चक्र सतत रूप से चलते रहेगा। यह एक संभावना मात्र है, अभी तक इस संभावना के पक्ष मे कोई प्रमाण नही मिले है।

2.स्थिर श्याम ऊर्जा (ब्रह्माण्डिय स्थिरांक) : इस स्थिती मे ब्रह्माण्ड का विस्तार अनंत काल तक जारी रहेगा। सभी आकाशगंगाएँ एक दूसरे से दूर होती जायेंगी। लेकिन आकाशगंगाओं के अंदर गुरुत्वाकर्षण प्रभावी रहेगा। अर्थात आकाशगंगाओं के अंदर तारे, सौर मंडल बने रहेंगे, वे गुरुत्वाकर्षण से बंधे रहेंगे।

3. महा-विच्छेद (Big Rip): यह एक भयावह स्थिती है। इस स्थिती मे ऊर्जा का घनत्व समय के साथ समान रहता है तब वैज्ञानिको के अनुसार ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति बढते जायेगी तथा अंतरिक्ष के विस्तार के साथ श्याम ऊर्जा की मात्रा बढ़ती जायेगी। । आकाशगंगाए एक दूसरे से क्रिया करने या विलय करने की बजाय एक दूसरे से दूर होते जायेंगी। भविष्य मे किसी समय यह गुरुत्वाकर्षण बल पर भी प्रभावी हो जायेगी, तब यह ऊर्जा आकाशगंगाओं, तारो, ग्रहो को चीर देगी।  आज से अरबो वर्ष पश्चात हमारी आकाशगंगाओ का स्थानिय सूपरक्लस्टर भी टूट जायेगा और हमारी आकाशगंगा अकेली रह जायेगी। सभी अणुओ का भी विच्छेद हो जायेगा। जैसे कोई मिट्टी का ढेले के कण पानी मे डालने पर घूल कर एक दूसरे से अलग हो जाते है वैसे ही ब्रह्माण्ड का हर सूक्ष्म कण अलग अलग हो जायेगा। अभी तक के सभी निरिक्षण और प्रमाण इसी स्थिती की ओर संकेत कर रहे है।

34 विचार “ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 08 : श्याम ऊर्जा(Dark Energy)&rdquo पर;

    1. अजित, इसी साईट पर ऐसे बहुत से लेख है जिससे आपको डार्क मैटर, ब्लैक होल की जानकारी मिल जायेगी। https://vigyanvishwa.in/index/ पर देखे।

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  1. धार्मिक ग्रंथों ने ब्रह्माण्डका अन्तिम बिन्दु ज्योति स्वरूप में देखा दिया / इतना तेज ज्योति देख्नेको मिलता हें कि भक्तका आँखे बन्द हो जाते हें / अब वोही भक्त जब बिज्ञान के शरण में आता हें, मगर सुनने को मिलता हें श्याम नगर ………उदर ज्योति नगर यिदर श्याम नगर , लगत हें तिसरा मार्ग ढुंडना पडेगा … 😉

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  2. स्टेफन हवकिंस का A BRIEF HISTORY OF TIMES पुस्तक मे लिखा है कि,दो सीतारा आपस में गुरुत्व बल होने कि कारण से घुम्तें हें / पर कभी-कभी कोहि सितारे खाली जगेह को भी चक्कर मारते हुए देख्नेको मिलते हें / हमनें जहाँ खाली जगेह देख्तें हें, मगर वोह खाली नहीं, वोही ब्लैक होल यानी कि श्याम संसार हें / उसमें प्रकाश न होने कि बजय से खालि स्थान देख्नेको मिलते हें / असल में वोही ब्लैक होल हें / आपको क्या लगत हें सर , इतनी कमजोर तर्क से कैसे साबित होता हें कि ब्रह्माण्ड में ब्लैक होले हें ? अगर कोइ गलती हो गइ तोह माफ करना सर, छोटी मुंह बादी बात …..

    और सर, डार्क म्याटर-डार्क इनर्जी-ब्लैक होल वोही बाट हें या अलग-अलग ?,

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    1. श्याम ऊर्जा, श्याम पदार्थ और श्याम विवर तीनों अलग अलग है। श्याम विवर को को देखा जा चूका है, उन्हें खोजने के बहुत से अप्रत्यक्ष उपाय है, जैसे एक्स किरण उत्सर्जन, गुरूतविय लेंस प्रभाव, तारों का किसी अज्ञात पिंड की परिक्रमा करना। इसके अतिरिक्त गणितीय सिद्धांत द्वारा उसके प्रभावों की पुष्टी भी हो चूकी है!

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      1. श्याम ऊर्जा काल्पनिक नहीं है, इसके अस्तित्व के प्रमाण है। लेकिन मानव अभी इसके बारे में ज़्यादा नहीं जानता है। इसका ईश्वर से कोई संबंध मुझे नहीं जान पड़ता है!

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      2. प्रणाम सर / एक बात पुछना चहता हूँ कि, जब विज्ञानको शिर्फ ४ प्रतिशत साधारण पदार्थको मालुम पडे हें, बाकि पुरे के पुरे श्याम पदार्थ हे यानिकी, रहस्यमय पदार्थ हें / फिर भी बिज्ञानिक लोग यीस ब्रह्माण्डका उम्र बतारहा हें, कब् तक जियेगा, अन्दाज लगा रह हें / जब कि येह यितनी मुस्किल काम हें, जब एक डाक्टर अदमिका हेल्थ चेक करनेका बाद भी नही बता सक्ता कि आदमी कब् पैदा हुवा और कब् तक जियेगा….. यहाँ तोह ब्रह्माण्डक सवाल हें, जिस्का शरीर कैसा हें, ओज़न क्या हें, कम्पोजिसन क्या हें…९६ पर्सेन्ट फ्याक्ट अभितक मालुम नहीं……श्याम इनर्जी- श्याम माटर ……. आपको क्या लगता हे गुरु जी ?……..

        ( में नेपाल से हूँ, हिन्दी लिखनेको प्रयाश कर रहा हू ….. साएद शब्द गलत भी चयन हो सक्ता हें……)

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      3. ब्रह्मांड की प्रारंभ और अंत को जानने के लिये उसकी सम्पूर्ण सरंचना की जानकारी आवश्यक नहीं है! हमारे पास उसके लिये पर्याप्त जानकारी है! बिग बैंग के प्रमाण हम देख सकते है, उसके अवशेष से हम ब्रह्मांड की उम्र जान सकते है, ब्रह्मांड के विस्तार की गति से हम उसके अंत का अनुमान लगा सकते है!

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  3. में विज्ञानका स्टुडेन्ट नही, पर इस पर इन्त्रेस्तेद हुँ / हब्बलका केहना है कि अधिकांग्स तारापुंज रेड शिफ्तेड हें , यही ब्रह्माण्ड विस्तारका कारण हैं …येही कारण ब्रह्माण्ड विस्तार कि बात प्रमाणित होता या नही….कृपया लिखीय…

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  4. Sir ji aapka jabab ekdum sahi ho sakata hai, lekin mere poochane ka ye matlab nahin tha, mai kewal ye poochana chahata tha ki, yadi “Dark Energy” ki matra sthir hai aur barh nahin rahi hai, aur “Brahmand” ka vistar ho raha hai, (“Dark energy” ke karan hi sahi) to bhee to “Dark energy” ka anupat “Brahmand” me ghatana chahiye, aur isake falswaroop ya to “Brahmand” me kuch rikt sthan banana chahiye, ya “Dark energy” ka ghanatva ghatana (Viral hona)chahiye. Kya aisa ho raha hai ? agar haan to fir kya isaka pata lagaya gaya hai aur agar nahin to kyon nahin ?

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    1. डार्क ऊर्जा विस्तार की गति को त्वरित कर रही है, उसके ब्रहमांड के विस्तार से डार्क ऊर्जा के घनत्व कम होने पर भी त्वरण कम नहीं होगा क्योंकि त्वरण कम करने विपरीत बल चाहिये ।

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    1. ब्रह्मांड एक बिंदु से उत्पन्न होकर वर्तमान आकार मे आया है अर्थात विस्तार किया है। यह विस्तार रुका नहीं है अभी भी जारी है। आकाशगंगाये एक दूसरे से एक गति से दूर जा रही है, ब्रह्मांड का विस्तार कर रही है, विस्तार की यह गति तीव्र होते जा रही है, जो कि स्याम ऊर्जा के फलस्वरूप है।

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      1. सर, एडविन हब्बल ने अपने प्रयोग से ब्रह्माण्ड के विस्तार के साथ- साथ इस बात की प्रमाणिकता दी कि प्रत्येक आकशगंगा एक दूसरे से दूर जा रही है। साथ ही इस बात को भी कहा गया कि जो आकाशगंगा हमसे जितनी दूरी पर है वह हमसे उतनी ही गति से दूर जा रही है। जिसे हब्बल का नियम कहा गया।

        अब प्रश्न यह उठता है कि ब्रह्माण्ड में बिग- बैंग धमाके के वक्त विस्तार की गति अधिक थी या भविष्य में संभवतः होगी ?? आपका आशय इस विस्तार से है या फिर.. भविष्य में आकाशगंगाओं की आपसी दूरी बढ़ने के साथ आकाशगंगाओं की आपसी गति बढ़ने से है ??

        इस प्रश्न को पूछने का आशय यह है कि चूँकि इन दोनों विस्तार में भिन्नता है फलस्वरूप ब्रह्माण्ड के भविष्य की दूसरी और तीसरी परिस्थितियाँ इन्ही विस्तार से निर्मित है। आपने अपनी पूर्व की टिप्पणी में लिखा है कि यह विस्तार आकाशगंगाओं के मध्य रिक्तता आने से हो रहा है तो फिर ब्रह्मांडीय स्थिरांक और महा- विच्छेद की परिस्थितियों में कैसी भिन्नता ??

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      2. गति साप्ेक्ष होती है, आप अपने कंप्यूटर के सामने स्थिर बैठे है, गतिहीन है लेकिन आप पृथ्वी पर है, उसके साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहे है, सूर्य आकाशगंगा की परिक्रमा कर रहा है। उसी तरह आकाशगंगा की भी एकाधिक गतियाँ है।अधिकतर आकाशगंगाये एक दूसरे दूर जा रही है, लेकिन कुछ आकाशगंगाये समूह मे रहती है, उनकी गतियाँ समूह मे और समूह से बाहर भिन्न होगी। समूह मे वे एक दूसरे के पास या दूर जा सकती है लेकिन समूह के बाहर दूर जा रही है। समूह मे गुरूत्व काम कर रहा है, समूह के बाहर श्याम ऊर्जा ।
        ब्रह्मांड का विस्तार , वास्तविकता मे आकाशगंगाएँ का एक दूसरे से दूर जाना नहीं उनके मध्य निर्वात की उत्पत्ति है जिसके फलस्वरूप उनके मध्य दूरी बढ़ रही है। निर्वाण की उत्पत्ति से आकाशगंगाये एक दूसरे से दूर हो रही है, यह गति बिग बैंग से अब तक एक सी नहीं रही है, बदलते रही है। चित्रों मे यह स्पष्ट है।

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      3. मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ। परन्तु आप एक तरफ ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति को बढ़ता हुआ बता रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ आप उसे ब्रह्मांडीय स्थिरांक से संबद्ध बताते हैं। शायद समझने में यहाँ गलती की जा रही है।

        ब्रह्मांडीय स्थिरांक और महा-विच्छेद, दोनों परिस्थितियों में ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है। परन्तु दोनों परिस्थितियों में भिन्नता यह है कि ब्रह्मांडीय स्थिरांक में आकाशगंगा विखंडित नही होगी। जबकि महा-विच्छेद में प्रत्येक पिंड, तारे और आकाशगंगाएँ अपने छोटे-छोटे अवयवों में टूट जाऎगी। दोनों में भिन्नता का कारण ब्रह्माण्ड के विस्तार का भौतिकी अर्थ है। ब्रह्मांडीय स्थिरांक की परिस्थिति के अनुसार प्रत्येक आकाशगंगा समय के साथ-साथ एक दूसरे से दूर जाती जाएगी और उन आकाशगंगाओं की गति हब्बल के नियम अनुसार समय के साथ-साथ बढती जाएगी। जबकि महा-विच्छेद की परिस्थिति के अनुसार ब्रह्माण्ड का विस्तार विघटन के साथ तब तक होता रहेगा जब तक कि प्रत्येक अवयव अपने स्वतंत्र अस्तित्व में ना आ जाए। इस चरण के बाद के चरण की कल्पना करना भी असंभव है। इस स्थिति को हम ब्रह्माण्ड का ठंडा पड़ना कह सकते हैं।

        अब आप यह बतलाएं कि महा-विच्छेद की परिस्थिति के अनुसार किस तरह से ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति में वृद्धि होगी ?? दूसरे पैरा-ग्राफ में क्या कोई गलती हुई है ??

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      4. डार्क ऊर्जा विस्तार की गति को त्वरित कर रही है, उसके ब्रहमांड के विस्तार से डार्क ऊर्जा के घनत्व कम होने पर भी त्वरण कम नहीं होगा क्योंकि त्वरण कम करने विपरीत बल चाहिये ।

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      5. सर, हमें अभी भी संतोष जनक उत्तर प्राप्त नहीं हो पाया है। आप केवल इतना बतलाएं कि क्या ब्रह्मांडीय स्थिरांक और महा-विच्छेद की परिस्थितियों में भिन्नता है ?? यदि भिन्नता है तो फिर ब्रह्माण्ड के विस्तार द्वारा उसे विश्लेषित करने का कष्ट करें। शुक्रिया..

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  5. Sir ji,
    ek Sawal “Dark Energy” par bhee.

    Is Lekh me apane kaha hai ki “Dark Energy” hamare brahmand me 74% se 76% ka share rakhati hai, aur ye brahmand lagatar barh bhee raha hai jisme “Dark Energy” ka anoopat wahi bana hua hai, Isaka matlab to ye hua ki hamaare Brahmand me lagatar “Dark Energy” ki matra barh rahi hai, jo ki barhate brahmand me usake anoopat ko ek nischit sthaan par sthir rakhe hue hai.

    Lekin hum ye jante hai ki “Energy na to utpann hoti hai, aur na hi samapt hoti hai, kewal apna swaroop badalati hai”

    Ab mera sawal inhi do baton par hai, ye dono hi bateyen ek dusare ke virudh hain, ab inme kaun si baat sahi hai aur kyon dusari baat galat hai, aur agar dono hi baten sahi hai, to aisa kaise ho sakata hai.
    please explain it.

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    1. ऊर्जा का निर्माण और विनाश असंभव है। ब्रह्मांड की कुल ऊर्जा हमेशा समान रहती है ना कम होती है माँ बढ़ती है। डार्क ऊर्जा की मात्रा भी स्थिर है, लेकिन वह ब्रह्मांड के विस्तार की गति को तेज कर रही है।

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  6. श्याम ऊर्जा को आज पहली बार स्पष्ट तौर पर समझ पाया. बहुत ही शानदार और परिपूर्ण आलेख. आपने चित्रों में भी खासा मेहनत किया है. किस सॉफ़्टवेयर से ये चित्र बनाए हैं?

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  7. बहुत ही सुंदर आलेख। सब कुछ व्यवस्थित तरीके से जानने को मिला। भविष्य की तीन संभावनाओं में पहली अधिक संभावित है।
    वैसे यह सिद्धांत भारतीय दर्शन सांख्य के सिद्धान्त जैसा ही है।

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