अंतरिक्ष की गहराईयो मे यह विशालकाय बिल्ली की आंख(Cat’s Eye Nebula) के जैसी ग्रहीय निहारिका(planetary nebula) पृथ्वी से तीन हजार प्रकाश वर्ष दूर है। इस निहारिका को एन जी सी ६५४३(NGC 6543) भी कहते है। यह निहारिका सूर्य के जैसे तारे की मृत्यु के क्षणो को दर्शाती है। इस निहारिका के मध्य के तारे ने अपनी मृत्यु के समय गैस की तहो को एक के बाद एक अनेक विस्फोटो मे इस तरह छीतरा दिया था। अब यह तारा एक श्वेत वामन तारे(White Dwarf) के रूप मे है, जो धीरे धीरे धुंधला होते हुये विलुप्त हो जायेगा(अर्थात धीरे धीरे ठंडा होते हुये प्रकाश का उत्सर्जन बंद कर देगा)।
ये तारे अपनी मृत्यु के समय इतना खूबसूरत पैटर्न कैसे बनाते है ?
इस प्रक्रिया को अभी तक पूरी तरह नही समझा जा सका है। हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला से लिए गये इस चित्र मे अंतरिक्ष मे फैली यह विशालकाय आंख आधा प्रकाशवर्ष चौड़ी है। बिल्ली की आंखो को घूरते हुये खगोलविज्ञानी इसमे अपने सूर्य की मृत्यु के क्षणो को देखते है जिसके भाग्य मे अपनी मृत्यु के पश्चात ऐसी ही निहारिका मे परिवर्तन निश्चित है।
ज्यादा दूर नही बस ५ अरब वर्षो के बाद!
Ashish sir,
Aakhir ye “Nebula” kya hota hai ????????
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गैस के विशालकाय बादल , कुछ नेबुला (छोटे( तारो के मरने के बाद विस्फोट से बनते है लेकिन अधिकतर बडे नेबुला आकाशगंगाओ के निर्माण के समय से है। इन्ही नेबुलाओ के पदार्थ से तारे बनते है।
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Thanx, for your detailed info. Please suggest some good books on astronomy and history of science. Have you read Bill Bryson’s ‘Short History of Nearly Everything’?
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Hello Ashish,
A question came into my mind so I though of sharing it with you. I want to know ‘why we aren’t able to see the central bulge of our own galaxy’? We can see the spiral arms in dark and clear wilderness when there’s no skylight. (It is said that) we can see nearby LMC and Andromeda with our naked eye (though I haven’t noticed them ever). The central bulge (disk) of our galaxy is not more than a few thousand light years away and it undoubtedly is a very dense region with hundreds of millions of young stars. It should be visible to us anyhow. Is it located in such a plane that we can’t figure it out from our position?
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निशांत जी,
हम अपनी आकाशगंगा की स्पाइरल भूजाओ मे से एक भूजा(Sagittarius arm) बाहरी भाग मे है, और कुछ इस स्थिति मे है कि अपनी आकाशगंगा के केन्द्र को नही देख सकते है। एक कारण तो यह है कि हम और आकाशगंगा का केन्द्र एक ही प्रतल(plane) मे है। दूसरा कारण यह है कि हमारे और आकाशगंगा के केन्द्र के मध्य अपनी आकाशगंगा की तीन भूजाये(Sagittarius ,Norma,Scutum-Crux) आ जाती है। रात के आकाश मे हम आकाशगंगा की Sagittarius भूजा देखते है।
सामान्यतः हम अपनी आकाशगंगा के बारे मे अनुमान दृश्य तारो की दूरी, द्रव्यमान और उन्हे एन्ड्रोमीडा के आकार/प्रकार पर माडेल कर लगाते है।
अपनी आकाशगंगा के केन्द्र के बारे मे प्राप्त अधिकतर जानकारी इन्फ़्रारेड तथा एक्स रे तस्वीरो से है। दृश्य प्रकाश तो पूरा का पूरा रूक(Block) जाता है।
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श्वेत वामनों पर सुब्रह्मनयम चंद्रशेखर का काम याद आया !
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बस पांच अरब साल! कोई बात नहीं जी अभी तो पूरी ज़िंदगी पड़ी है 🙂
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