श्याम विवर की गहराईयो मे जाने से पहले भौतिकी और सापेक्षता वाद के कुछ मूलभूत सिद्धांतो की चर्चा कर ली जाये !

काल-अंतराल(Space-Time) की अवधारणा
सामान्यतः अंतराल को तीन अक्ष में मापा जाता है। सरल शब्दों में लंबाई, चौड़ाई और गहराई, गणितिय शब्दों में x अक्ष, y अक्ष और z अक्ष। यदि इसमें एक अक्ष समय को चौथे अक्ष के रूप में जोड़ दे तब यह काल-अंतराल का गंणितिय माँडल बन जाता है।
त्री-आयामी भौतिकी में काल-अंतराल का अर्थ है काल और अंतराल संयुक्त गणितिय माडल। काल और अंतराल को एक साथ लेकर भौतिकी के अनेकों गूढ़ रहस्यों को समझाया जा सका है जिसमे भौतिक ब्रह्मांड विज्ञान तथा क्वांटम भौतिकी शामिल है।
सामान्य यांत्रिकी में काल-अंतराल की बजाय अंतराल का प्रयोग किया जाता रहा है, क्योंकि काल अंतराल के तीन अक्ष में यांत्रिकी गति से स्वतंत्र है। लेकिन सापेक्षता वाद के सिद्धांत के अनुसार काल को अंतराल के तीन अक्ष से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि , काल किसी पिंड की प्रकाश गति के सापेक्ष गति पर निर्भर करता है।
काल-अंतराल की अवधारणा ने बहुआयामी सिद्धांतो(higher-dimensional theories) की अवधारणा को जन्म दिया है। ब्रह्मांड के समझने के लिये कितने आयामों की आवश्यकता होगी यह एक यक्ष प्रश्न है। स्ट्रींग सिद्धांत जहां 10 से 26 आयामों का अनुमान करता है वही M सिद्धांत 11 आयामों(10 आकाशीय(spatial) और 1 कल्पित(temporal)) का अनुमान लगाता है। लेकिन 4 से ज्यादा आयामों का असर केवल परमाणु के स्तर पर ही होगा।
काल-अंतराल(Space-Time) की अवधारणा का इतिहास
काल-अंतराल(Space-Time) की अवधारणा आईंस्टाईन के 1905 के विशेष सापेक्षता वाद के सिद्धांत के फलस्वरूप आयी है। 1908 में आईंस्टाईन के एक शिक्षक गणितज्ञ हर्मन मिण्कोवस्की आईंस्टाईन के कार्य को विस्तृत करते हुये काल-अंतराल(Space-Time) की अवधारणा को जन्म दिया था। ‘मिंकोवस्की अंतराल’ की धारणा यह काल और अंतराल को एकीकृत संपूर्ण विशेष सापेक्षता वाद के दो मूलभूत आयाम के रूप में देखे जाने का प्रथम प्रयास था।’मिंकोवस्की अंतराल’ की धारणा यह विशेष सापेक्षता वाद को ज्यामितीय दृष्टि से देखे जाने की ओर एक कदम था, सामान्य सापेक्षता वाद में काल अंतराल का ज्यामितीय दृष्टिकोण काफी महत्वपूर्ण है।
मूलभूत सिद्धांत
काल अंतराल वह स्थान है जहां हर भौतिकी घटना होती है : उदाहरण के लिये ग्रह का सूर्य की परिक्रमा एक विशेष प्रकार के काल अंतराल में होती है या किसी घूर्णन करते तारे से प्रकाश का उत्सर्जन किसी अन्य काल-अंतराल में होना समझा जा सकता है। काल-अंतराल के मूलभूत तत्व घटनायें (Events) है। किसी दिये गये काल-अंतराल में कोई घटना(Event), एक विशेष समय पर एक विशेष स्थिति है। इन घटनाओ के उदाहरण किसी तारे का विस्फोट या ड्रम वाद्ययंत्र पर किया गया कोई प्रहार है।

काल-अंतराल यह किसी निरीक्षक के सापेक्ष नहीं होता। लेकिन भौतिकी प्रक्रिया को समझने के लिये निरीक्षक कोई विशेष आयामों का प्रयोग करता है। किसी आयामी व्यवस्था में किसी घटना को चार पूर्ण अंकों(x,y,z,t) से निर्देशित किया जाता है। प्रकाश किरण यह प्रकाश कण की गति का पथ प्रदर्शित करती है या दूसरे शब्दों में प्रकाश किरण यह काल-अंतराल में होनेवाली घटना है और प्रकाश कण का इतिहास प्रदर्शित करती है। प्रकाश किरण को प्रकाश कण की विश्व रेखा कहा जा सकता है। अंतराल में पृथ्वी की कक्षा दीर्घ वृत्त(Ellpise) के जैसी है लेकिन काल-अंतराल में पृथ्वी की विश्व रेखा हेलि़क्स के जैसी है।
पृथ्वी की कक्षा- काल अंतराल के सापेक्ष सरल शब्दों में यदि हम x,y,z इन तीन आयामों के प्रयोग से किसी भी पिंड की स्थिती प्रदर्शित कर सकते है। एक ही प्रतल में दो आयाम x,y से भी हम किसी पिंड की स्थिती प्रदर्शित हो सकती है। एक प्रतल में x,y के प्रयोग से, पृथ्वी की कक्षा एक दीर्घ वृत्त के जैसे प्रतीत होती है। अब यदि किसी समय विशेष पर पृथ्वी की स्थिती प्रदर्शित करना हो तो हमें समय t आयाम x,y के लंब प्रदर्शित करना होगा। इस तरह से पृथ्वी की कक्षा एक हेलिक्स या किसी स्प्रींग के जैसे प्रतीत होगी। सरलता के लिये हमे z आयाम जो गहरायी प्रदर्शित करता है छोड़ दिया है।
काल और समय के एकीकरण में दूरी को समय की इकाई में प्रदर्शित किया जाता है, दूरी को प्रकाश गति से विभाजित कर समय प्राप्त किया जाता है।
काल-अंतराल अन्तर(Space-time intervals)
काल-अंतराल यह दूरी की एक नयी संकल्पना को जन्म देता है। सामान्य अंतराल में दूरी हमेशा धनात्मक होनी चाहिये लेकिन काल अंतराल में किसी दो घटना(Events) के बीच की दूरी(भौतिकी में अंतर(Interval)) वास्तविक , शून्य या काल्पनिक(imaginary) हो सकती है। ‘काल-अंतराल-अन्तर’ एक नयी दूरी को परिभाषित करता है जिसे हम कार्टेशियन निर्देशांको मे x,y,z,t मे व्यक्त करते है।
s2=r2-c2t2
s=काल-अंतराल-अंतर(Space Time Interval) c=प्रकाश गति
r2=x2+y2+z2
काल-अंतराल में किसी घटना युग्म (pair of event) को तीन अलग अलग प्रकार में विभाजित किया जा सकता है
- 1.समय के जैसे(Time Like)- दोनो घटनाओ के मध्य किसी प्रतिक्रिया के लिये जरूरत से ज्यादा समय व्यतित होना; s2 <0)
- 2.प्रकाश के जैसे(Light Like)-(दोनों घटनाओ के मध्य अंतराल और समय समान है;s2=0)
- 3.अंतराल के जैसे (दोनों घटनाओ के मध्य किसी प्रतिक्रिया के लिये जरूरी समय से कम समय का गुजरना; s2>0) घटनाये जिनका काल-अंतराल-अंतर ऋणात्मक है, एक दूसरे के भूतकाल और भविष्य में है।
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विश्व रेखा(World Line) : भौतिकी के अनुसार किसी पिंड का काल-अंतराल के चतुर्यामी तय किये गये पथ को विश्व रेखा कहा जाता है।
हेलि़क्स : स्प्रिंग या स्क्रू के जैसा घुमावदार पेंचदार आकार।
प्रसिद्ध ब्राह्माण्ड विज्ञानी Carl Sagan अपनी पुस्तक Cosmos में लिखता है, –
“विश्व में एक मात्र हिन्दू धर्म ही ऐसा धर्म है, जो इस विश्वास को समर्पित है कि ब्रह्माण्ड के सृजन और विनाश का चक्र सतत चल रहा है। तथा यही एक धर्म है जिसमें काल के सूक्ष्मतम नाप परमाणु से लेकर दीर्घतम माप ब्रह्म दिन और रात की गणना की गई, जो 8 अरब 64 करोड़ वर्ष तक बैठती है तथा जो आश्चर्यजनक रूप से हमारी आधुनिक गणनाओं से मेल खाती है।”
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Aapne pas apki bat Ko pramadit karne yogya sakshya h??
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thanku so much …for understanding to time interval of space…I like it …its type website is very useful to every person bcoz this is our nature & better standing help as improvement…. thanks…I will waiting ur next post…thanks..
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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good job sir, thanks to give us that type of superior knowledgeble article…………..
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भौतिकी के ज्ञान को इतनी सरलता से समझाने के लिए thank you!
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लम्बे समय से हमारे दिमाग में क्लासिकल फिजिक्स की अवधारणाएं बसी हुयी हैं इस वजह से समय को एक नए आयाम के रूप में समझना बहुत मुश्किल हो रहा है
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ek aur baat. Jaise humne apni copy me abhi eak line kheench di, to uska kaal antaraal kaise nikalenge? Ya nahi nikala ja sakta?
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sir ji, in sootro mein ‘r’ kya hai?
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sorry sir, samajh gaye ‘r’ ka matlab…
Ab bas ek example de deejiye is formula ko kisi event jaise prithvi ki parikrama me use karke.
Ek baat aur, unit kya hogi space time ki?
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aur haan! ‘t’ kya hoga?
Jaise mana prithvi ne aadha chakkar laga liya hai, aur ab iska kaal antraal nikalna hai to kaise nikalenge? Samay kya hoga?
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kaal aur antaraal ke baare me itna laajawaab article maine aaj tak nahi padhaa. thank you . mujhe string theory ke baara me jaankari chahiye agar aap de sakte hai to please de dijiye.
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हिन्दी में विज्ञान लेखन के लिए धन्यवाद. एक बात की कोशिश करिए कि गणना. नाम आदि में अंग्रेजी का शब्दानुवाद हो यह जरूरी नहीं है. परंपरागत रूप से हमें हिन्दी का शब्द न मिले तो अंग्रेजी का शब्द लिखना ज्यादा ठीक रहेगा. पढ़ने में अटकाव नहीं होगा.
प्रतिक्रिया मिले न मिले आप अपना प्रयास रोकना नहीं.
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अनुनाद जी,
मै कोशीस करुंगा कि क्लिष्टता से बचुं लेकिन मेरा प्रयास हिन्दी विकी के लिये है इसलिये मै गणित से बच भी नही सकता।
मेरा अगला विष्य श्याम विवर है उससे पहले “काल अंतराल” और अगले अंक का विषय ‘घटना क्षितीज’ दोनो क्लीष्ट होने के बावजुद मुझे इन पर लिखना पढा !
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आपका हिन्दी में विज्ञान के विविध उपविषयों(topics) पर लेख लिखना एक सराहनीय कदम है।
इस पर मेरी सलाह ये है कि अभी अति-क्लिष्ट विषयों पर लिखने से या तो बचा जाय या फिर लिखा भी जाय तो अति-सरल भाषा में निष्पत्तियों(inferences) और निष्कर्षों को ही लिखा जाय। उस विषय के महत्व और उसकी विज्ञान-जगत में उपयोगिता के बारे में बताया जा सकता है। गणित आदि से तो बिल्कुल बचा जाय।
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भौतिकी के ज्ञान को इतनी सरलता से समझाने के लिए हार्दिक धन्यवाद। कृपया अन्य चर्चाएँ भी पढ़्वाएं।
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