यह विषय एक विज्ञान फैटंसी फिल्म की कहानी के जैसा है। श्याम ऊर्जा(Dark Energy), एक रहस्यमय बल जिसे कोई समझ नहीं पाया है, लेकिन इस बल के प्रभाव से ब्रह्मांड के पिंड एक दूसरे से दूर और दूर होते जा रहे है।
यह वह काल्पनिक बल है जिसका दबाव ऋणात्मक है और सारे ब्रह्मांड में फैला हुआ है। सापेक्षता वाद के सिद्धांत के अनुसार , इस ऋणात्मक दबाव का प्रभाव गुरुत्वाकर्षण के विपरीत प्रभाव के समान है।
श्याम ऊर्जा 1998 मे उस वक्त प्रकाश में आयी , जब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के 2 समुहों ने विभिन्न आकाशगंगाओं में विस्फोट की प्रक्रिया से गुजर रहे सितारों(सुपरनोवा)(1) पर एक सर्वे किया। उन्होने पाया की ये सुपरनोवा की प्रकाश दीप्ति अपेक्षित प्रकाश दीप्ति से कम है, इसका मतलब यह कि उन्हें जितने पास होना चाहिये थी , वे उससे ज्यादा दूर है। इसका एक ही मतलब हो सकता था कि ब्रह्मांड के विस्तार की गति कुछ काल पहले की तुलना में बढ़ गयी है!(लाल विचलन भी देखे)
इसके पहले तक यह माना जाता था कि ब्रह्मांड के विस्तार की गति धीरे धीरे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण कम होते जा रही है। लेकिन सुपरनोवा के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि कोई रहस्यमय बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत कार्य कर ब्रह्मांड के विस्तार को गति दे रहा है। यह एक आश्चर्यजनक , विस्मयकारी खोज थी।
पहले तो वैज्ञानिकों को इस प्रयोग के परिणामों की विश्वसनीयता पर ही शक हुआ। उन्हें लगा की सुपरनोवा की प्रकाश दीप्ति किसी गैस या धूल के बादल के कारण कम हो सकती है या यह भी हो सकता है कि सुपरनोवा की प्रकाश दीप्ति के बारे में वैज्ञानिकों का अनुमान ही गलत हो। लेकिन उपलब्ध आँकड़ों को सावधानी पूर्वक जांचने के बाद पता चला कि कोई रहस्यमय बल का अस्तित्व जरूर है जिसे आज हम श्याम ऊर्जा (Dark Energy) कहते है।
वैसे यह विचार एकदम नया नहीं है। आईंस्टाईन ने अपने सापेक्षता वाद के सिद्धांत(Theory of Relativity) मे एक प्रति गुरुत्वाकर्षण प्रभाव को दर्शाने वाला बल ब्रह्मांडीय स्थिरांक (Cosmological Constant) का समावेश किया है। लेकिन आईन्स्टाईन खुद और बाद में अन्य विज्ञानी भी मानते थे कि यह ब्रह्मांडीय स्थिरांक(Cosmological Constant) एक गणितिय सरलता के लिये ही है जिसका वास्तविकता से काफी कम रिश्ता है। 1990 तक किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह ब्रह्मांडीय स्थिरांक एक सच्चाई भी हो सकता है।
दक्षिण केलीफोर्निया विश्व विद्यालय की वर्जीनिया ट्रीम्बल कहती है
“श्याम ऊर्जा को प्रति गुरुत्वाकर्षण कहना सही नहीं है। यह बल गुरुत्वाकर्षण के विपरीत कार्य नहीं करता है। यह ठीक वैसे ही व्यवहार करता है जैसे सापेक्षता वाद के सिद्धांत के उसे अनुसार उसे करना चाहिये। सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार इस बल का दबाव ऋणात्मक है।”
उनके अनुसार
” मान लिजिये ब्रह्मांड एक बड़ा सा गुब्बारा है। जब यह गुब्बारा फैलता है, तब विस्तार से इस श्याम ऊर्जा का घनत्व कम होता है और गुब्बारा थोड़ा और फैलता है। ऐसा इस लिये कि श्याम ऊर्जा से ऋणात्मक दबाव(2) उत्पन्न होता है। जबकि गुब्बारे के अंदर यह गुब्बारे को खींचने की कोशिश कर रहा है, घनत्व जितना कम होगा यह गुब्बारे को अंदर की ओर कम खिंच पायेगा जिससे विस्तार और ज्यादा होगा। यही प्रक्रिया ब्रह्मांड के विस्तार में हो रही है।”
सुपरनोवा का उदाहरण यह बताता है कि ब्रह्मांड के विस्तार का त्वरण(acceleration) 5 अरब वर्ष पहले शुरू हुआ था। उस समय आकाशगंगाये इतनी दूरी पर जा चुकी थी कि गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से श्याम ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा हो चुका था।(ध्यान रहे गुरुत्वाकर्षण बल विभिन्न पिण्डो अपनी तरफ खिंचता है, श्याम ऊर्जा वही उन्हे एक दूसरे से दूर ले जाती है।) उस समय के पश्चात श्याम ऊर्जा के प्रभाव से ब्रह्मांड के विस्तार की गति बढ़ते जा रही है। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह गति अनिश्चित काल के लिये बढ़ते जायेगी। इसका मतलब यह है कि आज की तुलना में खरबों वर्षों बाद हर आकाशीय पिंड एक दूसरे तेज और तेज दूर होते जायेगा और हम अकेले रह जायेंगे।
श्याम ऊर्जा के इस नये सिद्धांत ने वैज्ञानिकों को थोड़ा निराश किया है, उन्हें एक अप्रत्याशित और एकदम नये ब्रह्मांड की अवधारणा को स्वीकारना पड़ा है। वे पहले ही एक श्याम पदार्थ(Dark Matter) की अवधारणा को मान चुके है। आज की गणना के अनुसार यह श्याम पदार्थ , वास्तविक पदार्थ से कहीं ज्यादा है। यह एक ऐसा पदार्थ है जिसे आज तक किसी प्रयोगशाला में महसूस नहीं किया गया है लेकिन इसके होने के सबूत पाये गये है। अब श्याम ऊर्जा का आगमन जख्म पर नमक छिड़कने के समान है।
अंतरिक्ष विज्ञानीयो के अनुसार ब्रह्मांड तीन चीजों से बना है साधारण पदार्थ , श्याम पदार्थ और श्याम ऊर्जा। हम सिर्फ साधारण पदार्थ के बारे में जानते है। ब्रह्मांड का 90-95% भाग ऐसे दो पदार्थों से बना है जिसके बारे में कोई नहीं जानता , यह सुन कर आप कैसा महसूस करते है ?
क्वांटम भौतिकी को समझने के लिये दो पीढ़ी लग गयी। यह समय उस विज्ञान के बारे में था जिसे हम प्रयोगशाला में प्रयोग कर के सिद्ध कर सकते थे। एक ऐसे पदार्थ और ऊर्जा को समझना जिसे देखा नहीं जा सकता, प्रयोगशाला में बनाया नहीं जा सकता कितना कठिन है ?
लेकिन श्याम ऊर्जा ने एक ऐसे रहस्य को सुलझा दिया है जो ब्रह्मांडीय विकिरण ने उत्पन्न किया था। ब्रह्मांडीय विकिरण की तीव्रता के विचलन पर हाल ही के प्रयोगों से प्राप्त आंकडे ब्रह्मांड के अनंत विस्तार के सिद्धांत का प्रतिपादन करते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों के लिये इस विस्तार के पीछे कारणीभूत बल एक पहेली था, श्याम ऊर्जा शायद इसी का हल है।
श्याम ऊर्जा का अस्तित्व चाहे किसी भी रूप मे गणना की गयी ब्रह्मांड की ज्यामिती और ब्रह्मांड के कुल पदार्थ की मात्रा के संतुलन के लिये जरूरी है। ब्रह्मांडीय विकिरण (cosmic microwave background (CMB)), की गणना यह संकेत देती है की ब्रह्मांड लगभग सपाट(Flat) है। ब्रह्मांड के इस आकार के लिये , द्रव्यमान और ऊर्जा का अनुपात एक निश्चित क्रान्तिक घनत्व(Critical Density) के बराबर होना चाहिये। ब्रह्मांड के कुल पदार्थ की मात्रा (बायरान और श्याम पदार्थ को मिला कर), ब्रह्मांडीय विकिरण की गणना के अनुसार क्रान्तिक घनत्व का सिर्फ 30% ही है। इसका मतलब यह है कि श्याम ऊर्जा ब्रह्मांड के कुल द्रव्यमान का 7-% होना चाहीये।
हाल के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि ब्रह्मांड का निर्माण 74% प्रतिशत श्याम ऊर्जा से, 22% श्याम पदार्थ से और सिर्फ 4% साधारण पदार्थ से हुआ है। और हम इसी 4% साधारण पदार्थ के बारे में जानते है।
श्याम ऊर्जा की प्रकृति एक सोच का विषय है। यह समांगी, कम घनत्व का बल है जो गुरुत्वाकर्षण के अलावा किसी और मूलभूत बलों(3) से कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। इसका घनत्व काफी कम है लगभग 10-29 g/cm3।इसकी प्रयोगशाला में जांच लगभग असंभव ही है।
श्याम ऊर्जा को समझने के लिये सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत है ब्रह्मांडीय स्थिरांक सिद्धांत:
यह आईन्स्टाईन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत है। यह एक दम सरल है, इसके अनुसार अंतराल मे (Volume of Space)मे एक अंतस्थ मूलभूत ऊर्जा होती है। यह एक ब्रह्मांडीय स्थिरांक है जिसे लैम्डा कहते है। द्रव्यमान और ऊर्जा का ये आईन्सटाईन के समीकरण e=mc2 के द्वारा संबंधित है, इससे यह साबित होता है कि ब्रह्मांडीय स्थिरांक पर गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव होना चाहिये। इसे कभी कभी निर्वात ऊर्जा (Vacuum Energy) भी कहते है क्योंकि यह निर्वात की ऊर्जा का घनत्व है। वैज्ञानिकों की गणना के अनुसार ब्रह्मांडीय स्थिरांक का मूल्य 10-29 g/cm3 है।
ब्रह्मांडीय स्थिरांक एक ऋणात्मक दबाव वाला बल है जो अपने ऊर्जा घनत्व के बराबर होता है, इसी वजह से यह ब्रह्मांड के विस्तार को त्वरण देता है।
श्याम ऊर्जा का ब्रह्मांड के भविष्य पर प्रभाव
जैसा कि हम पहले देख चुके है सुपरनोवा का उदाहरण यह बताता है कि ब्रह्मांड के विस्तार का त्वरण(acceleration) 5 अरब वर्ष पहले शुरु हुआ था। इसके पहले यह सोचा जाता था कि ब्रह्मांड के विस्तार की गति बायरानीक और श्याम पदार्थ के गुरुत्वाकर्षण के फलस्वरूप कम हो रही है। विस्तारित होते ब्रह्मांड में श्याम पदार्थ का घनत्व का श्याम ऊर्जा की तुलना में ज्यादा तीव्रता से ह्रास होता है। जिससे श्याम ऊर्जा का पलड़ा भारी रहता है। जब ब्रह्मांड का आकार दुगुना हो जाता है श्याम पदार्थ का घनत्व आधा हो जाता है जबकि श्याम ऊर्जा का घनत्व ज्यों का त्यों रहता है। सापेक्षता वाद के सिद्धांत के अनुसार तो यह ब्रह्मांडीय स्थिरांक(Cosmological Constant) है।
यदि विस्तार की गति इस तरह से बढ़ती रही तो आकाशगंगाये ब्रह्मांडीय क्षितिज के पार चली जायेंगी और दिखायी देना बंद हो जायेंगी। ऐसा इस लिये होगा कि उनकी गति प्रकाश की गति से ज्यादा हो जायेगी। यह सापेक्षता वाद के नियम का उल्लंघन नहीं है। पृथ्वी, अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी को कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन बाकी का सारा ब्रह्मांड दूर चला जायेगा।
ब्रह्मांड के अंत के बारे कुछ कल्पनायें है जिसमे से एक है कि श्याम ऊर्जा का प्रभाव बढ़ते जायेगा, और एक समय यह केन्द्रीय बलों और अन्य मूलभूत बलों से भी ज्यादा हो जायेगा। इस स्थिती में श्याम ऊर्जा सौर मंडल, आकाशगंगा, कोई भी पिंड से लेकर अणु परमाणु सभी को विखंडित कर देगी। यह स्थिती महा विच्छेद (Big Rip)की होगी।
दूसरी कल्पना महा संकुचन(Big Crunch)की है, इसमें श्याम ऊर्जा का प्रभाव एक सीमा के बाद खत्म हो जायेगा और गुरुत्वाकर्षण उस पर हावी हो जायेगा। यह एक संकुचन की प्रक्रिया को जन्म देगा। अंत मे एक महा संकुचन से सारा ब्रह्मांड एक बिंदु में तब्दील हो जायेगा| यह बिंदु एक महा विस्फोट से एक नये ब्रह्मांड को जन्म देगा।
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(1)सुपरनोवा- कुछ तारों के जीवन काल के अंत में जब उनके पास का सारा इंधन (हायड्रोजन) जला चुका होता है, उनमें एक विस्फोट होता है। यह विस्फोट उन्हें एक बेहद चमकदार तारे में बदल देता है जिसे सुपरनोवा या नोवा कहते है।
(2)ऋणात्मक दबाव – वह दबाव आसपास के द्रव (जैसे वायु) के दबाव से कम होता है।
(3) मूलभूत बल : गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुंबकीय बल, कमजोर केन्द्रीय बल, मजबूत केन्द्रीय बल
Sir , gravity object ke center mai hota hai ki object ke har jagha pr hota hai
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होता हर जगह है लेकिन् प्रभाव पिंड के केंद्र की ओर होता है।
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Sir, namste
Big bang theory Shi hai kya ye Puri tarah se proof ho chukhi hai kya
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अब तक के मिले सारे प्रमाण इस के समर्थन में ही है।
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जानकारी के लिए धन्यवाद!
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Kya Dark metter or Dark energy me koi relationship hai….??
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नही दोनो भिन्न है।
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Sir, Big Rip ki esthiti mai black holes pr kya effect parega
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ब्लैक होल भी बिखर जायेंगे
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Big bang aur big crunch ki hypothesis jyada vishwashneeya h iske seedhe kathan hindu mythology me milte h
…
Big rip jaisa kuch hone ka mtlb the end hai…
Aur aisa to bahot km philosophers hi mante h..
Stephen Hawking bhi nhi
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gurutvakarshan bal dharti m kyo h?
or kahan hai?
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रवि, हर वह वस्तु जिसका द्रव्यमान होता है उसका गुरुत्वाकर्षण होता है। आपका, मेरा, कुर्सी, पत्थर, पेड़, सूर्य, चंद्रमा, तारे , पृथ्वी सभी का गुरुत्वाकर्षण होता है। जितना अधिक द्रव्यमान उतना अधिक गुरुत्वाकर्षण! पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण उसके केंद्र की दिशा मे होता है।
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10-11-2015 को प्रकाशित लेख में आपने कहा है कि हर वस्तु का गुरुत्वाकर्षण होता है।
सर, मैं जानना चाहता हूं कि हर वस्तु ‘का’ गुरुत्वाकर्षण होता है कि हर वस्तु ‘में’ गुरुत्वाकर्षण होता है
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गुरुत्वाकर्षण द्रव्यमान द्वारा उत्पन्न प्रभाव है। इसलिये कह सकते है कि हर वस्तु का गुरुत्वाकर्षण होता है।
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ok thanks sir
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sir brahmand ke ant ki ki pahli kalpana yani BIG RIP samajh me aati hai par dusri kalpana ka Maha Sankuchan kyu hoga.
yadi dark energy ki matra ya vistaar badh hi raha hai to ek seema ke baad ye kyu ruk jaega, ye samajh me nahi ayaa.
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महा संकुचन तभी संभव जब भविष्य में किसी अज्ञात कारण से श्याम ऊर्जा कमजोर हो जाये और गुरुत्वाकर्षण मजबूत। इसकी संभावना कम है।
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kya black matter ko banana Sambhav hai? ????
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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nice article
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लेख अच्छा लगा| मैंने महावीर वाणी में वर्णित छ: द्रव्यों के बारें में पढ़ा था ये लगभग उसी के समान है| धर्मास्तीकाय, अधर्मास्तीकाय, आकाशस्तिकाय,काल, पुद्गल और जीव| जिसे आप बल व बल के विपरीत बल कहते हैं क्या वो धर्म और अधर्म बल ही है जो सभी पदार्थों को गति और स्थिरता प्रदान करते हैं?और जो सभी को अवकाश या स्थान देता है क्या वो आकाश है? और एक परमाणु (सूक्ष्मतम ) के निकटतम परमाणु तक के गमन को काल(TIME) कहते हैं? और पुद्गल जो कि MATTER कहलाता है, इनके द्वारा परिवर्तित होता रहता है?जीव को क्या हम ऊर्जा कह सकते हैं ?
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Everything is a different types of energy, in which any mass contains……..god is a energy.
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आपने श्याम उर्जा और ब्रह्माण्ड की जानकारी दी किन्तु मेरा आपसे अनुरोध है की कृपया एक बार जैन धर्म आधुनिक विज्ञानं की कसौटी पर किताब को पढ़ें जिससे आपको धर्म में वर्णित सभी सिद्धांतों और उसके द्वारा प्रतिपादित नियमो का विज्ञानं के साथ तुलनात्मक अध्ययन करने का मौका मिलेगा। कृपया किसी धार्मिक विद्वेष्ता से परे होकर तथ्य को जानने की जरुरत है। मैं यहाँ पर प्रकृति के नियमों की बात कर रहा हूँ न कि भगवान की। भगवान या धर्म की चर्चा से हटकर विज्ञानं को भी समझाना है। धन्यवाद्
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In my view, the ‘dark matter’ is nothing but one of the raw material of this physical world. It is responsible for creating volume. In the same way, the ‘dark matter’ is also one of the raw material of this physical world, and it is responsible for creating ‘mass’. The physical world is a combination of mass and volume.
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Please correct the previous
In my view, the ‘dark energy’ is nothing but one of the raw material of this physical world. It is responsible for creating volume. In the same way, the ‘dark matter’ is also one of the raw material of this physical world, and it is responsible for creating ‘mass’. The physical world is a combination of mass and volume.
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बेहतरीन लेख ।
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अरे भाई, ये एक ही उर्जा के अलग अलग रूप है जिसका नाम है अल्लाह (इश्वर) ये सभी कुछ एक ही है बस हमें इन के बीच एक सामंजस स्थापित करना है | एक सूत्र देना है, और बस सभी समीकरण एक साथ सिद्ध हो जायेंगे, दोस्तों मै एक बाद दावे से कह सकता हु वो ये के अंत मै हम एक ऐसा सूत्र खोज लेंगे जो अल्लाह का समीकरण होगा जो इश्वरिये समीकरण होगा जो शायद ईश्वर की सैधांतिक रूप से व्याख्या के साथ पुष्टि करेगा वो एक ऐसा नियम होगा जो सरे नियमो को संतुस्ट करेगा. ये मेरी थोरी है
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मैं तो यही समझता था कि गुरुत्वकर्षन कभी भी उलटा (repel) नहीं हो सकता। Repel तो चुम्बक के एक तरह के पोल कर सकते हैं। यह कुछ अजीब सा लगता है।
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