डाप्लर प्रभाव
डापलर प्रभाव यह किसी तरंग(Wave) की तरंगदैधर्य(wavelength) और आवृत्ती(frequency) मे आया वह परिवर्तन है जिसे उस तरंग के श्रोत के पास आते या दूर जाते हुये निरीक्षक द्वारा महसूस किया जाता है। यह प्रभाव आप किसी आप अपने निकट पहुंचते वाहन की ध्वनी और दूर जाते वाहन की ध्वनी मे आ रहे परिवर्तनो से महसूस कर सकते है।
इसे वैज्ञानिक रूप से देंखे तो होता यह है कि आप से दूर जाते वाहन की ध्वनी तरंगो(Sound waves) का तरंगदैधर्य(wavelength)बढ जाती है, और पास आते वाहन की ध्वनी तरंगो(Sound waves) का तरंगदैधर्य कम हो जाती है। दूसरे शब्दो मे जब तरंगदैधर्य(wavelength) बढ जाती है तब आवृत्ती कम हो जाती है और जब तरंगदैधर्य(wavelength) कम हो जाती है आवृत्ती बढ जाती है।
एक आसान उदाहरण लेते है, मान लिजीये एक खिलाडी दूसरे खिलाडी की ओर हर सेकंड एक गेंद फेंक रहा है। दूसरा खिलाडी यदि अपनी जगह पर ही खडा हो तो वह हर सेकंड एक गेंद प्राप्त करेगा। यदि गेंद झेलने वाला खिलाडी फेंकने वाले खिलाडी से दूर जाये तो उसे प्राप्त होने वाली गेंदो के अंतराल मे बढोत्तरी होगी यानी उसे हर सेकंड प्राप्त होने वाली गेंदो मे कमी आयेगी। विज्ञान की भाषा मे गेंद प्राप्त करने की आवृत्ती (frequency) मे कमी आयेगी। यदि गेंद झेलने वाला खिलाडी फेंकने वाले खिलाडी के पास आये तो गेंद प्राप्त करने की आवृत्ती मे बढोत्तरी होगी। ध्यान दिजिये श्रोत की गेंद फेंकने की आवृत्ती मे कोई बदलाव नही आ रहा है
यही प्रभाव कीसी भी तरंग (ध्वनी/प्रकाश/क्ष किरण/गामा किरण) पर होता है। तरंग श्रोत से दूर जाने पर उसकी आवृत्ती मे कमी आती है अर्थात तरंगदैधर्य मे बढोत्तरी होते है। तरंग श्रोत के पास आने पर उसकी आवृत्ती मे बढोत्तरी होती है अर्थात तरंगदैधर्य मे कमी आती है।
लाल विचलन (Red Shift)
लाल विचलन यह वह प्रक्रिया जिसमे किसी पिंड से उत्सर्जीत प्रकाश वर्णक्रम मे लाल रंग की ओर विचलीत होता है। वैज्ञानिक तौर से यह उत्सर्जीत प्रकाश किरण की तुलना मे निरिक्षित प्रकाश किरण के तरंग दैधर्य मे हुयी बढोत्तरी या उसकी आवृती मे कमी है। दूसरे शब्दो मे प्रकाश श्रोत से प्रकाश के पहुंचने तक प्रकाश किरणो के तरंग दैधर्य मे हुयी बढोत्तरी या उसकी आवृती मे कमी होती है।
प्रकाश किरणो मे लाल रंग की प्रकाश किरणो का तरंग दैधर्य सबसे ज्यादा होता है, इसलिये किसी भी रंग की किरण का वर्णक्रम मे लाल रंग की ओर विचलन ‘लाल विचलन’ कहलाता है। यह प्रक्रिया अप्रकाशिय किरणो (गामा किरणे, क्ष किरणे, पराबैगनी किरणे) के लिये भी लागु होती है और इसी नाम से जानी जाती है। किरणे जिनका तरंग दैधर्य लाल रंग की किरणो से भी ज्यादा होता है(अवरक्त किरणे(infra red), सुक्षम तरंग तरंगे(Microwave), रेडीयो तरंगे) यह विचलन लाल रंग से दूर होता है।
सामान्यतः लाल विचलन उस समय होता है जब प्रकाश श्रोत प्रकाश निरिक्षक से दूर जाता है, बिलकुल ध्वनी किरणो के डाप्लर सिद्धांत की तरह ! यह सिद्धांत खगोल शास्त्र मे आकाशिय पिंडो की गति और दूरी को मापने के लिये उपयोग मे लाया जाता है।
Yah lekh baby hi Accha hai sir
Kya aise sare lekh aap mere email par send kar sakte hai
Please sir Mai aapkka bahut aabhari rahunga
Please reply fast sir and send all articles about Doppler effect,big bang theory and so etc
Again please send sir
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आप स्वयं कॉपी कर सकते है, मेल पर भेजना हमारे लिए संभव नही।
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प्रकान और ध्वनि दोनो के तरंगदैध्य आवृति, चाल, गुरूत्व मे मे अंतर है दोनो का व्यवहार मे अंतर है फिर ध्वनि और प्रकाश पर डाप्लर समान कैसे हो सकताहै विश्लेषण करे
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शिवाजी, प्रकाश और ध्वनि दोनो तरंग है। डाप्लर प्रभाव किसी भी तरंग पर देखा जा सकता है।
इस प्रभाव से तरंग की तरंगदैधर्य मे दूरी के अनुसार परिवर्तन आता है, चाहे वह प्रकाश तरंग हो या ध्वनि तरंग।
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Kyo ki Doppler effect light aur sound ki frequency me hone wale changing ka study karata hai.
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yaha site banane ke liye apka sukaria DOST.Apka kam bhahut hi aacha hai.
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thank you dear brother for this site
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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It mater is very intrestiv
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डाप्लर प्रभाव में कुछ ऐसा होता है –
(१) जब आपेक्षिक गति(relative motion )के के कारन श्रोता( listener)और सोर्स के बीच दुरी घट रही होती है ,तब आवृत्ति (frequency )बढ़ती हुई महसूस होती है !
(२) जब आपेक्षिक गति के कारण श्रोता और सोर्स के बीच की दुरी बढ़ रही होती है तब हमें फ्रीक्वेंसी घटती हुई महसूस होती है !
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यदि आप स्टेशन पर खड़े हों और ट्रेन सीटी बजाते हुये निकले, तो आप पायेंगे कि आते समय सीटी की आवाज पतली थी और जाते समय मोटी। यह भी इसी सिद्धान्त से समझा जा सकता है।
लाल विचलन के कारण रंग मे परिवर्तन नहीं होता पर spetrum काली रेखायें लाल की तरफ shift हो जाती हैं
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इंजन की सिटी का सुर ऊँचा होने लगता है ,जब ट्रैन प्रेक्षक की ओर गतिमान होती है प्रेक्षक की ओर गतिमान होती है प्रेक्षक से दूर जा रही गाड़ी की सिटी का सुर निचा होने लगता है ! लाइट के साथ भी यही बात होती है !प्रेक्षक के लिए प्रकाश की आवृत्ति बदलने लगती है ,जब प्रकाश स्त्रोत उसके सापेक्ष गतिमान होता है ! यदि स्पेस में चौराहे होते तो और फोटोन राकेट को चलाने वाला टाइम पर मोशन(गति ) धीमी करना भूल जाता तो उसे लाल बत्ती हरी दिखाई देती ! यदि फोटोन -राकेट चलाने वाला आदमी चौराहा पार कर लेता और साथ ही अंतरिक्ष- पथ पर राकेट चलाने का नियम तोड़ देता !
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मैं यह कहना चाहता हु की जब रेलगाड़ी का इंजन सिटी बजाते हुए श्रोता के निकट आता है ,तो उसकी आवाज बहुत तीखी सुनाई पड़ती है और जैसे ही इंजन श्रोता को पार करके दूर जाने लगता है तो ध्वनि मोटी सुनाई पड़ती है !
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यदि प्रेक्षक अपनी ओर से आने वाली लाइट वेव्स(प्रकासिये तरंगे ) की ओर खुद भी गतिमान हो जाए (वेग velocity “V”से ) तो प्रकाश तरंग की फ्रीक्वेंसी उसके लिए अधिक होगी ,प्रकाश -स्त्रोत के सापेक्ष उपस्थित प्रेक्षक के लिए ! प्रकाश स्त्रोत की ओर उड़ते फोटोन राकेट से लाइट लाल की बजाय हरा दिखे ,इसकेलिए राकेट का आवस्यक वेलोसिटी (वेग) फॉर्मूले की मदद से निकला जा सकता है ;इस वेलोसिटी की वैल्यू होगी ९७००० किलोमीटर/सेकंड !
एक-दूसरे के सापेक्ष प्रकाश स्त्रोत और प्रेक्षक की गति के कारण प्रकाशसिये तरंगो में परिवर्तन डॉपलर इफ़ेक्ट कहलाता है ! लेकिन डॉपलर इफ़ेक्ट के कारण स्पेक्ट्रमी स्टडी अक्सर कठिन हो जाता है !
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