महाविस्फोट का सिद्धांत (The Big Bang Theory)


किसी बादलों और चांद रहित रात में यदि आसमान को देखा जाये तब हम पायेंगे कि आसमान में सबसे ज्यादा चमकीले पिंड शुक्र, मंगल, गुरु, और शनि जैसे ग्रह हैं। इसके अलावा आसमान में असंख्य तारे भी दिखाई देते है जो कि हमारे सूर्य जैसे ही है लेकिन हम से काफी दूर हैं। हमारे सबसे नजदीक का सितारा प्राक्सीमा सेंटारी हम से चार प्रकाश वर्ष (10) दूर है। हमारी आँखों से दिखाई देने वाले अधिकतर तारे कुछ सौ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। तुलना के लिये बता दें कि सूर्य हम से केवल आठ प्रकाश मिनट और चांद 14 प्रकाश सेकंड की दूरी पर है। हमे दिखाई देने वाले अधिकतर तारे एक लंबे पट्टे के रूप में दिखाई देते है, जिसे हम आकाशगंगा कहते है। जो कि वास्तविकता में चित्र में दिखाये अनुसार पेचदार (Spiral) है। इस से पता चलता है कि ब्रह्मांड कितना विराट है ! यह ब्रह्मांड अस्तित्व में कैसे आया ?

महा विस्फोट के बाद ब्रह्मांड का विस्तार
महा विस्फोट के बाद ब्रह्मांड का विस्तार

महा विस्फोट का सिद्धांत ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संदर्भ में सबसे ज्यादा मान्य है। यह सिद्धांत व्याख्या करता है कि कैसे आज से लगभग 13.7 खरब वर्ष पूर्व एक अत्यंत गर्म और घनी अवस्था से ब्रह्मांड का जन्म हुआ। इसके अनुसार ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक बिन्दु से हुयी थी।

हब्बल के द्वारा किया गया निरीक्षण और ब्रह्मांडीय सिद्धांत(२)(Cosmological Principle)महा विस्फोट के सिद्धांत का मूल है।

1919 में ह्ब्बल ने लाल विचलन(1) (Red Shift) के सिद्धांत के आधार पर पाया था कि ब्रह्मांड फैल रहा है, ब्रह्मांड की आकाशगंगाये तेजी से एक दूसरे से दूर जा रही है। इस सिद्धांत के अनुसार भूतकाल में आकाशगंगाये एक दूसरे के और पास रही होंगी और, ज्यादा भूतकाल मे जाने पर यह एक दूसरे के अत्यधिक पास रही होंगी। इन निरीक्षण से यह निष्कर्ष निकलता है कि ब्रम्हांड ने एक ऐसी स्थिती से जन्म लिया है जिसमे ब्रह्मांड का सारा पदार्थ और ऊर्जा अत्यंत गर्म तापमान और घनत्व पर एक ही स्थान पर था। इस स्थिती को गुरुत्विय  ‘सिन्गुलरीटी ‘ (Gravitational Singularity) कहते है। महा-विस्फोट यह शब्द उस समय की ओर संकेत करता है जब निरीक्षित ब्रह्मांड का विस्तार प्रारंभ हुआ था। यह समय गणना करने पर आज से 13.7  खरब वर्ष पूर्व(1.37 x 10 10) पाया गया है। इस सिद्धांत की सहायता से जार्ज गैमो ने 1948 में ब्रह्मांडीय  सूक्ष्म तरंग विकिरण(cosmic microwave background radiation-CMB)(3) की भविष्यवाणी की थी ,जिसे 1960 में खोज लीया गया था। इस खोज ने महा-विस्फोट के सिद्धांत को एक ठोस आधार प्रदान किया।

महा-विस्फोट का सिद्धांत अनुमान और निरीक्षण के आधार पर रचा गया है। खगोल शास्त्रियों का निरीक्षण था कि अधिकतर निहारिकायें(nebulae)(4) पृथ्वी से दूर जा रही है। उन्हें इसके खगोल शास्त्र पर प्रभाव और इसके कारण के बारे में ज्ञात नहीं था। उन्हें यह भी ज्ञात नहीं था की ये निहारिकायें हमारी अपनी आकाशगंगा के बाहर है। यह क्यों हो रहा है, कैसे हो रहा है एक रहस्य था।

1927  मे जार्जस लेमिट्र ने आईन्साटाइन के सापेक्षता के सिद्धांत(Theory of General Relativity) से आगे जाते हुये फ़्रीडमैन-लेमिट्र-राबर्टसन-वाकर समीकरण (Friedmann-Lemaître-Robertson-Walker equations) बनाये। लेमिट्र के अनुसार ब्रह्मांड  की उत्पत्ति एक प्राथमिक परमाणु से हुयी है, इसी प्रतिपादन को आज हम महा-विस्फोट का सिद्धांत कहते हैं। लेकिन उस समय इस विचार को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।

इसके पहले 1925मे हब्बल ने पाया था कि ब्रह्मांड में हमारी आकाशगंगा अकेली नहीं है, ऐसी अनेकों आकाशगंगाये है। जिनके बीच में विशालकाय अंतराल है। इसे प्रमाणित करने के लिये उसे इन आकाशगंगाओं के पृथ्वी से दूरी गणना करनी थी। लेकिन ये आकाशगंगाये हमें दिखायी देने वाले तारों की तुलना में काफी दूर थी। इस दूरी की गणना के लिये हब्बल ने अप्रत्यक्ष तरीका प्रयोग में लाया। किसी भी तारे की चमक(brightness) दो कारकों पर निर्भर करती है, वह कितना दीप्ति(luminosity) का प्रकाश उत्सर्जित करता है और कितनी दूरी पर स्थित है। हम पास के तारों की चमक और दूरी की ज्ञात हो तब उनकी दीप्ति की गणना की जा सकती है| उसी तरह तारे की दीप्ति ज्ञात होने पर उसकी चमक का निरीक्षण से प्राप्त मान का प्रयोग कर दूरी ज्ञात की जा सकती है। इस तरह से हब्ब्ल ने नौ विभिन्न आकाशगंगाओं की दूरी का गणना की ।(11)

1929 मे हब्बल जब इन्ही आकाशगंगाओं का निरीक्षण कर दूरी की गणना कर रहा था। वह हर तारे से उत्सर्जित प्रकाश का वर्णक्रम और दूरी का एक सूचीपत्र बना रहा था। उस समय तक यह माना जाता था कि ब्रह्मांड मे आकाशगंगाये बिना किसी विशिष्ट क्रम के ऐसे ही अनियमित रूप से विचरण कर रही है। उसका अनुमान था कि इस सूची पत्र में उसे समान मात्रा में लाल विचलन(1) और बैगनी विचलन मिलेगा। लेकिन नतीजे अप्रत्याशित थे। उसे लगभग सभी आकाशगंगाओ से लाल विचलन ही मिला। इसका अर्थ यह था कि सभी आकाशगंगाये हम से दूर जा रही है। सबसे ज्यादा आश्चर्य जनक खोज यह थी कि यह लाल विचलन अनियमित नहीं था ,यह विचलन उस आकाशगंगा की गति के समानुपाती था। इसका अर्थ यह था कि ब्रह्मांड स्थिर नहीं है, आकाशगंगाओं के बिच की दूरी बढ़ते जा रही है। इस प्रयोग ने लेमिट्र के सिद्धांत को निरीक्षण से प्रायोगिक आधार दिया था। यह निरीक्षण आज हब्बल के नियम के रूप मे जाना जाता है।

हब्बल का नियम और ब्रह्मांडीय सिद्धांत(2)ने यह बताया कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। यह सिद्धांत आईन्स्टाईन के अनंत और स्थैतिक ब्रह्मांड के विपरीत था।

इस सिद्धांत ने दो विरोधाभाषी संभावनाओ को हवा दी थी। पहली संभावना थी, लेमिट्र का महा-विस्फोट सिद्धांत जिसे जार्ज गैमो ने समर्थन और विस्तार दिया था। दूसरी संभावना थी, फ़्रेड होयेल का स्थायी स्थिती माडल (Fred Hoyle’s steady state model), जिसमे दूर होती आकाशगंगाओं के बिच में हमेशा नये पदार्थों की उत्पत्ति  का प्रतिपादन था। दूसरे शब्दों में आकाशगंगाये एक दूसरे से दूर जाने पर जो खाली स्थान बनता है वहां पर नये पदार्थ का निर्माण होता है। इस संभावना के अनुसार मोटे तौर पर ब्रह्मांड हर समय एक जैसा ही रहा है और रहेगा। होयेल ही वह व्यक्ति थे जिन्होने लेमिट्र का महाविस्फोट सिद्धांत का मजाक उड़ाते हुये “बिग बैंग आईडीया” का नाम दिया था।

काफी समय तक इन दोनो माड्लो के बिच मे वैज्ञानिक विभाजित रहे। लेकिन धीरे धीरे वैज्ञानिक प्रयोगो और निरिक्षणो से महाविस्फोट के सिद्धांत को समर्थन बढता गया। 1965 के बाद ब्रह्मांडीय सुक्षम तरंग विकिरण (Cosmic Microwave Radiation) की खोज के बाद इस सिद्धांत को सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत का दर्जा मिल गया। आज की स्थिती मे खगोल विज्ञान का हर नियम इसी सिद्धांत पर आधारित है और इसी सिद्धांत का विस्तार है।

महा-विस्फोट के बाद शुरुवाती ब्रह्मांड समांगी और सावर्तिक रूप से अत्यधिक घनत्व का और ऊर्जा से भरा हुआ था. उस समय दबाव और तापमान भी अत्यधिक था। यह धीर धीरे फैलता गया और ठंडा होता गया, यह प्रक्रिया कुछ वैसी थी जैसे भाप का धीरे धीरे ठंडा हो कर बर्फ मे बदलना, अंतर इतना ही है कि यह प्रक्रिया मूलभूत कणों(इलेक्ट्रान, प्रोटान, फोटान इत्यादि) से संबंधित है।

प्लैंक काल(5) के 10 -35 सेकंड के बाद एक संक्रमण के द्वारा ब्रह्मांड की काफी तिव्र गति से वृद्धी(exponential growth) हुयी। इस काल को अंतरिक्षीय स्फीति(cosmic inflation) काल कहा जाता है। इस स्फीति के समाप्त होने के पश्चात, ब्रह्मांड का पदार्थ एक क्वार्क-ग्लूवान प्लाज्मा की अवस्था में था, जिसमे सारे कण गति करते रहते हैं। जैसे जैसे ब्रह्मांड का आकार बढ़ने लगा, तापमान कम होने लगा। एक निश्चित तापमान पर जिसे हम बायरोजिनेसीस संक्रमण कहते है, ग्लुकान और क्वार्क ने मिलकर बायरान (प्रोटान और न्युट्रान) बनाये। इस संक्रमण के दौरान किसी अज्ञात कारण से कण और प्रति कण(पदार्थ और प्रति पदार्थ) की संख्या मे अंतर आ गया। तापमान के और कम होने पर भौतिकी के नियम और मूलभूत कण आज के रूप में अस्तित्व में आये। बाद में प्रोटान और न्युट्रान ने मिलकर ड्युटेरीयम और हिलीयम के केंद्रक बनाये, इस प्रक्रिया को महाविस्फोट आणविक संश्लेषण(Big Bang nucleosynthesis.) कहते है। जैसे जैसे ब्रह्मांड ठंडा होता गया, पदार्थ की गति कम होती गयी, और पदार्थ की उर्जा गुरुत्वाकर्षण में तबदील होकर विकिरण की ऊर्जा से अधिक हो गयी। इसके 300,000 वर्ष पश्चात इलेक्ट्रान और केण्द्रक ने मिलकर परमाणु (अधिकतर हायड्रोजन) बनाये; इस प्रक्रिया में विकिरण पदार्थ से अलग हो गया । यह विकिरण ब्रह्मांड में अभी तक ब्रह्मांडीय सूक्ष्म तरंग विकिरण (cosmic microwave radiation)के रूप में बिखरा पड़ा है।

कालांतर में थोड़े अधिक घनत्व वाले क्षेत्र गुरुत्वाकर्षण के द्वारा और ज्यादा घनत्व वाले क्षेत्र मे बदल गये। महा-विस्फोट से पदार्थ एक दूसरे से दूर जा रहा था वही गुरुत्वाकर्षण इन्हें पास खिंच रहा था। जहां पर पदार्थ का घनत्व ज्यादा था वहां पर गुरुत्वाकर्षण बल ब्रह्मांड के प्रसार के लिये कारणीभूत बल से ज्यादा हो गया। गुरुत्वाकर्षण बल की अधिकता से पदार्थ एक जगह इकठ्ठा होकर विभिन्न खगोलीय पिंडों का निर्माण करने लगा। इस तरह गैसो के बादल, तारों, आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय पिंडों का जन्म हुआ ,जिन्हें आज हम देख सकते है।

आकाशीय पिंडों के जन्म की इस प्रक्रिया की और विस्तृत जानकारी पदार्थ की मात्रा और प्रकार पर निर्भर करती है। पदार्थ के तीन संभव प्रकार है शीतल श्याम पदार्थ (cold dark matter)(6), तप्त श्याम पदार्थ(hot dark matter) तथा बायरोनिक पदार्थ। खगोलीय गणना के अनुसार शीतल श्याम पदार्थ की मात्रा सबसे ज्यादा(लगभग 80%) है। मानव द्वारा निरीक्षित लगभग सभी आकाशीय पिंड बायरोनिक पदार्थ(8)से बने है।

श्याम पदार्थ की तरह आज का ब्रह्मांड एक रहस्यमय प्रकार की ऊर्जा ,श्याम ऊर्जा (dark energy)(६) के वर्चस्व में है। लगभग ब्रह्मांड की कुल ऊर्जा का 70% भाग इसी ऊर्जा का है। यही ऊर्जा ब्रह्मांड के विस्तार की गति को एक सरल रैखिक गति-अंतर समीकरण से विचलित कर रही है, यह गति अपेक्षित गति से कहीं ज्यादा है। श्याम ऊर्जा अपने सरल रूप में आईन्स्टाईन के समीकरणों में एक ब्रह्मांडीय स्थिरांक (cosmological constant) है । लेकिन इसके बारे में हम जितना जानते है उससे कहीं ज्यादा नहीं जानते है। दूसरे शब्दों में भौतिकी में मानव को जितने बल(9) ज्ञात है वे सारे बल और भौतिकी के नियम ब्रह्मांड के विस्तार की गति की व्याख्या नहीं कर पा रहे है। इसे व्याख्या करने क एक काल्पनिक बल का सहारा लिया गया है जिसे श्याम ऊर्जा कहा जाता है।

यह सभी निरीक्षण लैम्डा सी डी एम माडेल के अंतर्गत आते है, जो महा विस्फोट के सिद्धांत की गणीतिय रूप से छह पैमानों पर व्याख्या करता है। रहस्य उस समय गहरा जाता है जब हम शुरू वात की अवस्था की ओर देखते है, इस समय पदार्थ के कण अत्यधिक ऊर्जा के साथ थे, इस अवस्था को किसी भी प्रयोगशाला में प्राप्त नहीं किया जा सकता है। ब्रह्मांड के पहले 10 -33 सेकंड की व्याख्या करने के लिये हमारे पास कोई भी गणितिय या भौतिकिय माडेल नहीं है, जिस अवस्था का अनुमान ब्रहृत एकीकृत सिद्धांत(Grand Unification Theory)(7)करता है। पहली नजर से आईन्स्टाईन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत एकगुरुत्विय बिन्दु (gravitational singularity) का अनुमान करता है जिसका घनत्व अपरिमित (infinite) है।. इस रहस्य को सुलझाने के लिये क्वांटम गुरुत्व के सिद्धांत की आवश्यकता है। इस काल (ब्रह्मांड के पहले 10 -33 सेकंड) को समझ पाना विश्व के सबसे महान अनसुलझे भौतिकिय रहस्यों में से एक है।

मुझे लग रहा है इस लेख ने महा विस्फोट के सिद्धांत की गुत्थी को कुछ और उलझा दिया है, इस गुत्थी को हम धीरे धीरे आगे के लेखों में विस्तार से चर्चा कर सुलझाने का प्रयास करेंगे। अगला लेख श्याम पदार्थ (Dark Matter) और श्याम उर्जा(dark energy) पर होगा।

 

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(2)ब्रह्मांडीय सिद्धांत (Cosmological Principle) : यह एक सिद्धांत नहीं एक मान्यता है। इसके अनुसार ब्रह्मांड समांगी(homogeneous) और सावर्तिक(isotrpic) है| एक बड़े पैमाने पर किसी भी जगह से निरीक्षण करने पर ब्रह्मांड हर दिशा में एक ही जैसा प्रतीत होता है।

(3)ब्रह्मांडीय  सूक्ष्म तरंग विकिरण(cosmic microwave background radiation-CMB): यह ब्रह्मांड के उत्पत्ति के समय से लेकर आज तक सम्पूर्ण ब्रह्मांड मे फैला हुआ है। इस विकिरण को आज भी महसूस किया जा सकता है।

(4)निहारिका (Nebula) : ब्रह्मांड में स्थित धूल और गैस के बादल।

(5) प्लैंक काल: मैक्स प्लैंक के नाम पर , ब्रह्मांड के इतिहास मे 0 से लेकर 10-43 (एक प्लैंक इकाई समय), जब सभी चारों मूलभूत बल(गुरुत्व बल, विद्युत चुंबकीय बल, कमजोर आणविक आकर्षण बल और मजबूत आणविक आकर्षण बल) एक संयुक्त थे और मूलभूत कणों का अस्तित्व नहीं था।

(6) श्याम पदार्थ (Dark Matter) और श्याम ऊर्जा(dark energy) इस पर पूरा एक लेख लिखना है।

(7)ब्रहृत एकीकृत सिद्धांत(Grand Unification Theory) : यह सिद्धांत अभी अपूर्ण है, इस सिद्धांत से अपेक्षा है कि यह सभी रहस्य को सुलझा कर ब्रह्मांड उत्पत्ति और उसके नियमों की एक सर्वमान्य गणितिय और भौतिकिय व्याख्या देगा।

(8) बायरान : प्रोटान और न्युट्रान को बायरान भी कहा जाता है। विस्तृत जानकारी पदार्थ के मूलभूत कण लेख में।

(9) भौतिकी के मूलभूत बल :गुरुत्व बल, विद्युत चुंबकीय बल, कमजोर आणविक आकर्षण बल और मजबूत आणविक आकर्षण बल

(10) : एक प्रकाश वर्ष : प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की गयी दूरी। लगभग 9,500,000,000,000 किलो मीटर। अंतरिक्ष में दूरी मापने के लिये इस इकाई का प्रयोग किया जाता है।

(11)आज हम जानते है कि अत्याधुनिक दूरबीन से खरबों आकाशगंगाये देखी जा सकती है, जिसमे से हमारी आकाशगंगा एक है और एक आकाशगंगा में भी खरबों तारे होते है। हमारी आकाशगंगा एक पेचदार आकाशगंगा है जिसकी चौड़ाई लगभग हजार प्रकाश वर्ष है और यह धीमे धीमे घूम रही है। इसकी पेचदार बाँहों के तारे 1,000,000 वर्ष में केन्द्र की एक परिक्रमा करते है। हमारा सूर्य एक साधारण औसत आकार का पिला तारा है, जो कि एक पेचदार भुजा के अंदर के किनारे पर स्थित है।

 

109 विचार “महाविस्फोट का सिद्धांत (The Big Bang Theory)&rdquo पर;

  1. Hello sir,
    First of all thank you very much for this great blog.
    मेरे लिए तो प्यासे को पूरी नदी मिल गई।मेरा प्रश्न ये है कि ब्रह्मांड में अंतराल बढ़ रहा है तो क्या ये अभी भी बिग बैंग का ही असर हो सकता है?
    उसमे से निकली ऊर्जा ही सबको दूर धकेलती है?

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  2. मेरा भी मानना है कि अन्तर ज्योति से ब्राह्मण की उत्पत्ति हुई है क्योंकि ध्यान की गहराई में जाने पर सबसे पहले अन्तर ज्योति ही प्रकट होती है फिर सारे तत्व प्रकट होते है आपके लेख पढ़ने के बाद ध्यान के गहराई की पुष्टि हो गई
    आपकाल लेख्सग्रह मुझे बहुत अच्छा लगा
    धन्यवाद

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    1. विशाल, तारे हम से 4 प्रकाश वर्ष और उससे अधिक दूरी पर है। सूर्य एक तारा है, वह हमसे सबसे निकट का तारा है 8 प्रकाश मिनट की दूरी पर, प्रॉक्सीमा सेन्टारी 4 प्रकाश वर्ष, बाकी तारे उससे आगे।
      मॉनव अभी 14 प्रकाश सेकण्ड याने चाँद से आगे नहीं गया है।

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    2. विशाल, तारे हम से 4 प्रकाश वर्ष और उससे अधिक दूरी पर है। सूर्य एक तारा है, वह हमसे सबसे निकट का तारा है 8 प्रकाश मिनट की दूरी पर, प्रॉक्सीमा सेन्टारी 4 प्रकाश वर्ष, बाकी तारे उससे आगे।
      मॉनव अभी 14 प्रकाश सेकण्ड याने चाँद

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  3. Sir today I saw your blog it’s very interesting in Hindi. I had question about antimatter it is the purpose to produce energy or anything in universe. Is that true. It begins and ends with own power like god they didn’t born, or die. it produce ourself in the granths and produce all the things with one shot. Lastly human theories are also said it begins with one bang through source of own energy.

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  4. सर ब्लैकहोल अंत में सिंगुलैरिटी पे रूकती है तब और अत्यधिक ऊर्जा मिलने पर इसमें विस्फोट होकर नया ब्रह्माण्ड बन सकता है क्या जैसा हमारे ब्रह्माण्ड के साथ हुआ है?

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    1. ब्लैक होल रहस्यो से भरा है, वर्तमान में हम अधिक नहीं जानते है। लेकिन आपकी बताई संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

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  5. Sir humne dekha hai ke jis tarha se technology viksit hui hai aur knowledge bada hai to hamesha es universe ko janne ke eccha insan ke dil aur dimage me rahi hai..hum janna chate hai ke hum kon hai kaha se aaye hai..humara kya maksad hai..kya hum kisi unnat kisam ke aliens ke santaney(son) hai.aur humara man kyu janna chata yeh sab ..kya eske piche bhi koi khash vajha hai ..universe etna big hai ke eski Kalpana kr pana bhi muskil hai fir hum esko janna chate hai ..aisa kyu hai Sir..vaise universe ke utpatti ko lekr kahi theory hai but vo sabhi such nhi hai unme kuch kami hai yaha tak big bang me bhi ..kya aise koi theory hai jo mujhko real me satisfied kre..

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    1. 1.चंद्रमा का आंतरिक भाग शीतल हो चुका है लेकिन पृथ्वी का आंतरिक भाग अभी तक उष्ण और तरल रूप मे है।
      2. पृथ्वी की घूर्णन गति चंद्रमा से अधिक है, जिससे इसके विषुवत का भाग घूर्णन के कारण फूला हुआ है।

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    1. नाभिकिय संलयन की प्रक्रिया से। इसमे हायड्रोजन के परमाणु मिलकर हिलियम परमाणु बनाते है और प्रक्रिया मे ऊर्जा मुक्त होती है, जिसका कुछ भाग प्रकाश के रूप मे उत्सर्जित होता है।

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  6. दो शब्द आपके लिए
    “जिन्दगी से बस यही गिला है मुझे
    तु बड़ी देर से मिला है मुझे ”

    आपके लिखे लेख पढ़कर चल रहे खोज की जानकारी हिंदी में मिल जाने से हमारी सोच को एक नई दिशा मिल जाती है।
    धन्यवाद

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    1. यह माना जाता है कि पृथ्वी के ठंडे होने के पश्चात पृथ्वी पर जल धूमकेतुओं द्वारा लाया गया। अब से लगभग चार अरब वर्ष पहले जब सौर मंडल अपनी नवजात अवस्था मे था तब पृथ्वी(तथा अन्य ग्रहों) से कई क्षुद्रग्रह/धुमकेतु टकराते रहते थे। सामान्यतः धूमकेतु बर्फ़ से बने होते है, और पृथ्वी का जल इन्ही धुमकेतुओं द्वारा आया है।

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      1. किसी ग्रह पर पानी को रूकने के लिये उचित तापमान और वातावरण भी चाहिये। जैसे शुक्र पर तापमान अत्याधिक है, उसपर जल द्रव अवस्था मे नही रह सकता है। बुध पर जल सौर वायु के फ़लस्वरूप उड़ा दिया जाता है।
        मंगल पर भी सौर वायु जल को बाष्प के रूप मे उससे निकाल कर ले जाती है लेकिन ध्रुवो पर जल बर्फ़ के रूप मे है। सतह के नीचे जल के रूप मे हो सकता है।
        बृह्स्पति, शनि, युरेनस नेपच्युन गैस के गोले है , उसपर जल भाप के रूप मे हो सकता है बृहस्पति के चंद्रमा युरोपा मे जल बर्फ़ के रूप मे है, सतह के नीचे द्रव अवस्था मे हो सकता है।
        प्लूटो पर जल बर्फ़ के रूप मे है।

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    1. सारे ग्रह अंतरिक्ष मे तेज गति से बिखर जायेंगे। ये कुछ ऐसा होगा कि आप एक रस्सी से बंधी किसी गेंद को घुमाते हुये अचानक छोड़ देते है, और गेंद तेज गति से दूर चली जाती है वैसे ही सारे ग्रह अलग अलग दिशाओ मे दूर चले जायेंगे।

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      1. Not true in all cases, there are many particles bonded by some other forces (like intermolecular forces/ electrostatic forces), for example the particles bonded by cement is because of intermolecular forces so they have nothing to do with gravitational forces or a piece of metal (in metal particles are bounded by intermolecular forces), Hope you have heard about cold welding technique.

        Anyway hats off for your efforts to bring this website in Hindi for Hindi medium students _ _ /\_ _ I tried to search about your (Ashish Ji) FB profile but couldn’t get. I did B.Tech from IIT Roorkee and started a venture MadGuy labs (www.madguylab.com) with the same vision as of your’s (Free education to all), presently we are in 7 Indian languages and having more than 22 Lakh students on board, wanted to talk to you further regarding this, please email me at alok@madguylab.com whenever you are free and comfortable.

        Anticipating a positive response 🙂

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    1. हरवेंद्र , हिलियम तत्व तो ब्रह्माण्ड के निर्माण के करोड़ो वर्ष के बाद मे बना है। वह ब्रह्माण्ड के निर्माण के लिये जिम्मेदार कैसे हो सकता है।

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  7. sir prakash utpann hone ke liye karan hota hai jabki andhera utpann hone ka karan shayad nahi hai mera sawal hai ki jis tarah prakash foton ke roop me utpann hua to kya andhera bhi isi wajah se astitva me aya.
    yadi ha to kya hum dono ko sath hi astitva me aya maan sakte hai
    to fir is hisab se kya antriksh me dikhne wala adhiktar kala bhag andhera nahi kuchh or hai.
    pls….explain sir

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    1. प्रकाश की अनुपस्थिति को आप अंधेरा कह सकते है। अंतरिक्ष मे दिखायी देना वाला काला भाग प्रकाश की अनुपस्थिति से ही है।

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    1. अंतराल/अंतरिक्ष तथा समय ये दोनो बिग बैन्ग के साथ ही आस्तित्व मे आये. इसके पहले कुछ नही था, केवल रिक्त स्थान(void) ! ध्यान रहे अंतराल और समय बिग बैंग के पहले महत्वहीन है, उसका कोई अर्थ ही नही है. अंतराल और समय बिग बैंग से जन्म लेते है. अंतराल रिक्त नही है, उसमे पदार्थ है, साथ मे समय है. रिक्त स्थान(void) मे कुछ नही होता, अर्थहीन होता है.
      ब्रह्माण्ड के विस्तार का अर्थ है, अंतराल का विस्तार. इसका अर्थ यह नही है कि तारे, आकाशगंगा एक दूसरे से दूर जा रहे है, इसका अर्थ यह है कि उनके मध्य अंतराल का विस्तार हो रहा है| जब हम गुब्बारे मे हवा भरते है तब उस पर बने बिन्दु दूर जाते लगते है लेकिन वास्तविकता मे गुब्बारे का रबर फैलता है जिससे बिण्दुओं के दूर जाने का आभास उत्पन्न होता है, इसी तरह से ब्रह्माण्ड के विस्तार मे तारे/आकाशगंगा एक दूसरे से दूर जाते प्रतित होते है लेकिन वास्तविकता मे अंतराल फैल रहा होता है.
      ध्यान रहे कि रिक्त स्थान और अंतराल दो अलग अलग चिज है.

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      1. guru ji
        yadi space vistar ho rha h tu kis mai ho rha h iska Matlab yai h ki space ka vistar bhi kisi mai ho rha to iska Matlab yai h ki space say pehle nhi kuch tha to uska nirmand kaise hua
        aur ek questions aur h kya space mai 3 say adhik dimension hai yadi nhi h to kyu nhi ho sakte kyuki maths k niyam batate h ki space mai infinite dimension aur space infinite structure ka h mana ki insaan 3 say adhik dimension nhi soch sakta…

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    1. एक बहुत ही अच्छा प्रश्न ! ब्रह्माण्ड का विस्तार होने से जो ऊर्जा कम जगह में संघनित थी अब अधिक जगह में फैल गयी इसलिए तापमान कम हो गया अर्थात ब्रह्माण्ड ठंडा हो गया! ताप ऊर्जा का कुछ भाग अन्य कार्यो में खर्च हुआ जैसे नए भारी तत्वों का निर्माण , गामा विकिरण इत्यादि ।

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  8. बेहतरीन जानकारी उससे भी बेहतरीन, ईमानदारी और मेहनत से देने की पूरी कोशिश.

    आपके इस प्रयास से हम नतमस्तक हैं.

    अभी अभी ही स्लैशडॉट पर पढ़ा था कि दो डार्क मैटर युक्त नीहारिकाओं (?) के टकराने की घटनाओं को वैज्ञानिकों ने दर्ज किया है.

    सचमुच सारा सिलसिला अत्यंत रहस्यमयी प्रतीत होता है.

    और, जितना अधिक जानते जाते हैं, लगता है, हमारा ज्ञान कम होता जाता है!

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