सृष्टि से पहले सत नहीं था, असत भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या कहाँ, किसने देखा था
उस पल तो अगम, अटल जल भी कहाँ था
-ऋग्वेद(10:129) सृष्टि सृजन का सूक्त
महाविस्फोट सिद्धांत(The Bing Bang Theory)
1929 में एडवीन हब्बल ने एक आश्चर्य जनक खोज की, उन्होने पाया की अंतरिक्ष में आप किसी भी दिशा में देखे आकाशगंगाये और अन्य आकाशीय पिंड तेजी से एक दूसरे से दूर हो रहे है। दूसरे शब्दों मे ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। इसका मतलब यह है कि इतिहास में ब्रह्मांड के सभी पदार्थ आज की तुलना में एक दूसरे से और भी पास रहे होंगे। और एक समय ऐसा रहा होगा जब सभी आकाशीय पिंड एक ही स्थान पर रहे होंगे, लेकिन क्या आप इस पर विश्वास करेंगे ?
- महा विस्फोट के 10-43 सेकंड के बाद, अत्यधिक ऊर्जा(फोटान कणों के रूप में) का ही अस्तित्व था। इसी समय क्वार्क , इलेक्ट्रान, एन्टी इलेक्ट्रान(पोजीट्रान) जैसे मूलभूत कणों का निर्माण हुआ। इन कणों के बारे हम अगले अंको मे जानेंगे।
- 10-34 सेकंड के पश्चात, क्वार्क और एन्टी क्वार्क जैसे कणो का मूलभूत कणों के अत्याधिक उर्जा के मध्य टकराव के कारण ज्यादा मात्रा मे निर्माण हुआ। इस समय कण और उनके प्रति-कण (१) दोनों का निर्माण हो रहा था , इसमें से कुछ एक कण और उनके प्रति-कण(2) दूसरे से टकरा कर खत्म भी हो रहे थे। इस समय ब्रम्हांड का आकार एक संतरे के आकार का था।
- 10-10 सेकंड के पश्चात, एन्टी क्वार्क क्वार्क से टकरा कर पूर्ण रूप से खत्म हो चुके थे, इस टकराव से फोटान का निर्माण हो रहा था। साथ में इसी समय प्रोटान और न्युट्रान का भी निर्माण हुआ।
- 1 सेकंड के पश्चात, जब तापमान 10 अरब डिग्री सेल्सीयस था, ब्रह्मांड ने आकार लेना शुरू किया। उस समय ब्रह्मांड में ज्यादातर फोटान, इलेक्ट्रान , न्युट्रीनो (३) और उनके प्रती कणो के साथ मे कुछ मात्रा मे प्रोटान तथा न्युट्रान थे।
- प्रोटान और न्युट्रान ने एक दूसरे के साथ मिल कर तत्वों(elements) का केन्द्र (nuclei) बनाना शुरू किया जिसे आज हम हाइड्रोजन, हीलीयम, लिथियम और ड्युटेरीयम के नाम से जानते है।
- जब महा विस्फोट के बाद तीन मिनट बीत चुके थे, तापमान गिरकर 1 अरब डिग्री सेल्सीयस हो चुका था, तत्व और ब्रह्मांडीय विकिरण(cosmic radiation) का निर्माण हो चुका था। यह विकिरण आज भी मौजूद है और इसे महसूस किया जा सकता है।
- आगे बढ़ने पर 300,000वर्ष के पश्चात, विस्तार करता हुआ ब्रह्मांड अभी भी आज के ब्रह्मांड से मेल नहीं खाता था। तत्व और विकिरण एक दूसरे से अलग होना शुरू हो चुके थे। इसी समय इलेक्ट्रान , केन्द्रक के साथ में मिल कर परमाणु का निर्माण कर रहे थे। परमाणु मिलकर अणु बना रहे थे।
- इस के 1 अरब वर्ष पश्चात, ब्रह्मांड का एक निश्चित सा आकार बनना शुरू हुआ था। इसी समय क्वासर, प्रोटोगैलेक्सी(आकाशगंगा का प्रारंभिक रूप), तारों का जन्म होने लगा था। तारे हायड्रोजन जलाकर भारी तत्वों का निर्माण कर रहे थे।
- आज महा विस्फोट के लगभग 14 अरब साल पश्चात की स्थिती देखे ! तारों के साथ उनका सौर मंडल बन चुका है। परमाणु मिलकर कठिन अणु बना चुके है। जिसमे कुछ कठिन अणु जीवन( उदा: Amino Acid) के मूलभूत कण है। यही नहीं काफी सारे तारे मर कर श्याम विवर(black hole) बन चुके है।
वैकल्पिक सिद्धांत(The Alternative Theory)
इस सिद्धांत के अनुसार काल और अंतरिक्ष एक साथ महा विस्फोट के साथ प्रारंभ नहीं हुये थे। इसकी मान्यता है कि काल अनादि है, इसका ना तो आदि है ना अंत। आये इस सिद्धांत को जाने। आकाशगंगाओ(Galaxy) और आकाशीय पिंडों का समुह अंतरिक्ष में एक में एक दूसरे से दूर जाते रहता है। महा विस्फोट के सिद्धांत के अनुसार आकाशीय पिण्डो की एक दूसरे से दूर जाने की गति महा विस्फोट के बाद के समय और आज के समय की तुलना में कम है। इसे आगे बढाते हुये यह सिद्धांत कहता है कि भविष्य मे आकाशीय पिंडों का गुरुत्वाकर्षण इस विस्तार की गति पर रोक लगाने मे सक्षम हो जायेगा। इसी समय विपरीत प्रक्रिया का प्रारंभ होगा अर्थात संकुचन का। सभी आकाशीय पिंड एक दूसरे के नजदीक और नजदीक आते जायेंगे और अंत में एक बिन्दु के रुप में संकुचित हो जायेंगे। इसी पल एक और महा विस्फोट होगा और एक नया ब्रह्मांड बनेगा, विस्तार की प्रक्रिया एक बार और प्रारंभ होगी। यह प्रक्रिया अनादि काल से चल रही है, हमारा विश्व इस विस्तार और संकुचन की प्रक्रिया में बने अनेकों विश्व में से एक है। इसके पहले भी अनेकों विश्व बने है और भविष्य में भी बनते रहेंगे। ब्रह्मांड के संकुचित होकर एक बिन्दु में बन जाने की प्रक्रिया को महा संकुचन(The Big Crunch) के नाम से जाना जाता है। हमारा विश्व भी एक ऐसे ही महा संकुचन में नष्ट हो जायेगा, जो एक महा विस्फोट के द्वारा नये ब्रह्मांड को जन्म देगा। यदि यह सिद्धांत सही है तब यह संकुचन की प्रक्रिया आज से 1 खरब 50 अरब वर्ष पश्चात प्रारंभ होगी।यथास्थिति सिद्धांत (The Quite State Theory)
महा विस्फोट का सिद्धांत सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत है लेकिन सभी वैज्ञानिक इससे सहमत नहीं हैं । वे मानते है कि ब्रह्मांड अनादि है, इसका ना तो आदि है ना अंत। उनके अनुसार ब्रह्मांड का महा विस्फोट से प्रारंभ नहीं हुआ था ना इसका अंत महा संकुचन से होगा। यह सिद्धांत मानता है कि ब्रह्मांड का आज जैसा है वैसा ये हमेशा से था और हमेशा ऐसा ही रहेगा। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। इस अंक में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में हमने चर्चा की, अगले अंक में हम महा विस्फोट और भौतिकी में मूलभूत सिद्धांतो की विस्तार से चर्चा करेंगे।- (*) इस विषय पर पूरा एक लेख लिखना है।
- (1)कण और प्रति-कण: पदार्थ के हर मूलभूत कण का प्रतिकण भी होता है। जैसे इलेक्ट्रान के लिये एन्टी इलेक्ट्रान(पाजीट्रान), प्रोटान-एन्टी प्रोटान , न्युट्रान -एन्टीन्युट्रान इत्यादि. जब एक कण और उसका प्रतिकण टकराते है दोनों ऊर्जा(फोटान) में बदल जाते है। यदि आपको कभी आपका एन्टी मनुष्य मिले तब आप उससे हाथ मिलाने की गलती ना करें। आप दोनों एक धमाके के रूप में ऊर्जा में बदल जायेंगे।
- (2)ये भी एक रहस्य है कि ब्रह्मांड के निर्माण के समय कण और प्रतिकण दोनों बने, लेकिन कणों की मात्रा इतनी ज्यादा क्यों है ? क्या प्रति ब्रह्मांड (Anti Universe) का भी अस्तित्व है ?
- (3) न्युट्रीनो का मतलब न्युट्रान नहीं है, ये इलेक्ट्रान के समान द्रव्यमान रखते है लेकिन इन पर आवेश(+/-) नहीं होता है।
Sir, Mera ek chota sa sawal hai ki science hame brahmand ke baare me samajhne ka ek saadhan ya gyaan hai jo manav sabhayata ke vikas ke saath aur bhi develop ho raha hai jo sambhanao per aadharit hai kya hum ye jaan sakte hai ki big bang ke time per us bindu ka aakar ya ghanatwa kya raha hoga jis me visphot hua?
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useful information
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Sir, describe the all particles which exists in the universe. As: e, p, n, positron , nuetrino etc.
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https://vigyanvishwa.in/qp/ पर जाकर सभी लेखों को पढ़ें!
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Mahabharat, Ramayan are historical or only katha
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आप जो मानना चाहें।
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bhagwan kya hai
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नीजी तौर पर हम भगवान जैसी किसी परालौकिक शक्ति पर विश्वास नही करते है ना ही कोई टिप्पणी!
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Sab bakwas h , Jo bana h vo ek din jarur mitega, jese sarir Marta h vese hi brahmand bhi marega. Urja bhi kamjor pad jati h.
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Bilkul sahi
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Mera apse ye prashan hai ki….aap bhagwan me vishwas rakhte hai ta nhi…big bang theory is right according to you or many but it also not proved about real fact..it also imaginary….how shivlings are found naturally…ramsetu occurs proved by nasa…they all were natural powers..ravan was their and his plane that is pushpak viman was their…about soul that is aatma can u prove that it is not…shiv is that explosion…bang theory says that god particle some says light energy is main reason..u compare it with shiv durga..prakriti n purusha…
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सबसे पहले गॉड पार्टिकल नाम का कोई कण नहीं है, वह हिग्स बोसान है। मिडिया ने उसे गॉड पार्टिकल कहा वैज्ञानिकों ने नहीं।
आपको किसने कह दिया क़ि बिग बैंग थ्योरी कल्पना है? इस थ्योरी के समर्थन में ढेरों प्रमाण है, सैद्धांतिक भी और निरीक्षण भी साथ में प्रायोगिक भी।
नासा ने रामसेतु के बारे में कभी कुछ नहीं कहा है, वह अन्तरिक्ष सन्स्थान है, धार्मिक नहीं। लोगो ने रामसेतु और नासा जी अफवाह उड़ाई है। जिसमे कोई सत्य नहीं है।
रावण और पुष्पक विमान के कोई प्रमाण नहीं है।
मुझे नहीं पता कि आपके डॉक्टरेट का विषय क्या था लेकिन इतना तय है कि वह इतिहास और विज्ञानं संबधित नहीं हो सकता।
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lekin jis tarh akbar hadapp mohenjodro aur any kings ka history hai waise hi ramayan aur mahbharta bhi history hi hai
aaj se kaafi saal pehle log mohenjodro ko jhoot maante the lekin aaj proof hai usi tarah bewkoof log ramayan aur mahbharat ko jhoot maante hai q ki kal hmare scientist uska bhi proof ka pta laga hi lenge
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to phir etne temple kyu hai hamare desh me, kya dosre desh me bhi esa hi hai
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सारे विश्व मे धर्मभीरु लोग पाये जाते है।
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kya god name ki koibhi chiz thi a history thi
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मेरे नीजी विचारो के अनुसार नही! ईश्वर की रचना केवल अनसुलझे प्रश्नो का सरल उत्तर के लिये हुई।
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to phir temple me jo devi devta hai a phir eski kalpanik bate hai kya a sach hai
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वे साधारण मानव ही थे जिन्होने अपने समाज के बेहतरी के लिये काम किया था। ध्यान दिजिये की विश्व के हर कोने मे देवता अलग है, मुर्तिया अलग है।
कुछ मुर्तियाँ डर की है जैसे सांप, शेर !
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Bramand ka banna ek rasaynik parkriya h ,ye rasayno se bana h , isme bhagwan ka koi roll nahi h, kyoki Marne wale ko koi nahi bacha sakta h.
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ashish ji mera manna hai ki mantra shakti hoti hai qki ye to simple physics hai qki sound me power hoti hai wo nature ke other element ke sath milkar shayad kuch bna sake
baaki mai kehna chahta hu ki mujhe ye na samjhe ki mai dharm ki baate kar rha hu
east ho ya west knowlwdge is the best
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ध्वनि में ऊर्जा होती है लेकिन इतनी कमजोर की एक लकड़ी का तख्ता भी उसे सोख लेता है।
एक बल्ब जलाने के लिए पूरे स्टेडियम के लोग चीखे तो वह जल पायेगा।
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ISKA MATLAB YE HAI KI SOUND ME POWER TO HOTI HI HAI EK BAAR MERE KEHNE PE MANTRO PE VICHAAR KIJIYEGA
MANTRA SHAKTI KO SCIENTIST NAHI MAANTE LEKIN PHIR BHI WO KERAL KE PADMNAABH MANDIR KA LAST DOOR NAHI KHOL PAAYE
US DOOR KE BAARE ME AAPKE KYA VICHAAR HAI
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वो द्वार केवल अंधविश्वास के कारण नहीं खोला जा रहा है। मंदिर पर पुजारियों का नियंत्रण है वैज्ञानिकों का नहीं।
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Pul par kadam taal kar ke nai chalna chahiye, kyu ki iske kampan se bridge hilne lagta hai, to ye sound ka hi to asar hai, usi tarah mantra shaktiya hoti hai jinka asar bahot hota hai.. Par ham log uska sahi use nai jante.. #ashish ji ek baat batao ki science ke according earth bhi ek aag ka gola thi, means kafi garm thi, phr kafi samay baad isme change huva and jeevo ki utpati hui, to earth me hi aisa kyu huva, baki graho me kyu nai, koi to power hai jo ye sb kar raha hai, us power ko ham bhagwan kahete hai.. Bhagwan shri krishna ji ne khud kaha hai ki mai jayada gayniyo ke pas nai jata…
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jay gupta ji i agree with you totally #ashish ji science ka bahut knowledge rakhte hai lekin abhi wo kewal one sided sochte hai isliye what is god and ultimate god isko jaan nahi paaye dheere dheere ek din har ek scientist jaanega what is god who is where is why is how is i am so happy thAT i did not research but from my inner voice i knows mostly things today
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प्रशांत, मै वैज्ञानिक सोच रखता हुं जिसका अर्थ है कि किसी भी चीज को बिना अध्ययन या प्रमाणो के नकारता नही हुं।
आस्तिकता से नास्तिकता का मेरा सफ़र आसान नही रहा है। एक आस्तिक परिवार मे जन्मे होने से मेरे आसपास धर्मग्रंथो की भरमार रही है। घर मे सब धर्म ग्रंथ उपलब्ध थे।
मैने धर्मग्रंथ पढे है, एक ही धर्म के नही, एकाधिक धर्मो के। वेद, पुराण, गीता, बाईबल भी पढ़ी है। धर्मगुरुओं के आख्यान सुने है, पढ़े है।
विज्ञान तो मेरे अध्ययन मे बहुत बाद मे आया, इसका गंभीर अध्ययन कक्षा 10 के बाद प्रारंभ किया।
धर्म और विज्ञान दोनो के अध्ययन के बाद मेरा नीजी निष्कर्ष है कि इस ब्रह्मांड को संचालित करने किसी ईश्वर की आवश्यकता नही है।
मै किसी पर अपने विचार थोपता नही हुं केवल उन्हे अध्ययन और शोध के लिये प्रेरित करता हुं कि वे अपना निर्णय स्वयं ले।
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AAP BAHUT KNOWLEDGE RAKHTE HAI SCIENCE KI THATS WHY I WANT THAT PLEASE THINK EVERY SIDE WATCH ANICIENT ALIENS TV SERIAL OF HISTORY TV YOU WILL FOUND THAT WHAT I WANT TO MAKE YOU UNDERSTAND.
I AM ALSO ATHIEST BUT I BELIEVE THERE IS ONE SUPREME GOD BUT ITS DESCRIPTION IS NOT AS SAME AS DESCRIBED BY BRAHMANS.
I BELIEVE LORD BRAMHA VISHNU SHIVA WAS OUR HISTORY. THEY ARE HIGHLY INTELLIGENT SCIENTIST OF PAST WORLD. THEY RULED INDIA AND MOST OF ASIA.
STUDY EGYPT AND GREEK HISTORY.YOU WILL ALSO FOUND SAME TRADITION OF INDIA IN ENGLAND HISTORY.
PLEASE THINK AGAIN BROTHER. YOU WILL FOUND TRUTH VERY EASILY. LIFE WILL BE EASY.
DO NOT BELIEVE ON THAT GOD AS DESCRIBED BY BRAHMANS. SEARCH GOD YOURSELF.
YOU WILL FOUND REAL DESCRIPTION OF GOD AND ITS CONNECTION TO SCIENCE.
ACTUALLY
I FOUND IN MY RESEARCH THAT THERE IS ONLY ONE SUPREME POWER IN THIS WHOLE UNIVERSE. THAT IS ONLY NATURE. NATURE IS TRUE GOD. IT IS SUPREME EVERLASTING.
PLEASEE THINK AGAIN
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प्रशांत ,
सबसे पहले एक सलाह, कैप्स या अप्पर केस मे ना लिखे, इसे पढ़ना कठीन होता है, साथ इंटरनेट पर अप्पर केस का प्रयोग चिल्लाना (shouting) माना जाता है। 🙂
आपने जिस एंसेंट एलियन और हिस्ट्री चैनल की बात की है, उसके बारे मे बता दूं।
एंसेट एलियन एक वाहियात कार्यक्रम है। इस पर जो तथाकथित विशेषज्ञ आते है उनकी पृष्ठभूमी के बारे मे पता किजिये। इनमे से कोई भी वैज्ञानिक या विज्ञान पृष्ठभूमी से नही है, ना ही कोई पुरातत्व या इतिहास मे विशेषज्ञता रखता है। ये जिन प्रमाणो की बात करते है उन्हे समझने के लिये विज्ञान और पुरातत्व की जानकारी आवश्यक है जो कि इस कार्यक्रम के तथाकथित विशेषज्ञो के पास नही होती है।
वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस कार्यक्रम की धज्जीयाँ उड़ा चुके है।
हिस्ट्री चैनल पर ना तो विज्ञान के कार्यक्रम आते है ना इतिहास के। इस के किसी भी कार्यक्रम पर विश्वास करना अर्थहीन है। यह भारत के इंडीया टीवी का बड़ा भाई है।
अब मेरी बात, मै ब्राह्मणो या किसी ग्रंथ या किसी भी व्यक्ति की बातों पर विश्वास उस समय तक नही करता जब तक उसके समर्थन मे पर्याप्त प्रमाण ना हो। चाहे वह एक माना हुआ वैज्ञानिक क्यों ना हो।
मेरी कही बातों को मत मानीये, उनके समर्थन मे प्रमाण हो तभी मानिये। एंसेंट एलियन और हिस्ट्री चैनल के बारे मे वास्तविक वैज्ञानिको और विशेषज्ञ की राय जानिये और उसके बाद मानिये।
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physical proof har cheez ka agar aap search karenge to ye life 100 years bhi bahut kam hai.
rahi baat history tv ki to mai jo bhi cheez sunta hu ya dekhta hu ya padhta hu use mai apne mind aur inner power se sochkar hi believe karta hu. mai abhi tak kisi conclusion pe nahi hu but i know nature is only one god. jiska koi roop nahi wo jinda ya mara hua bhi nahi hai. aaj ke scientist jitna science jaante hai usse kahi jyda hmare ancestor jaante the.
aur agar aap kehte hai ki sare granth jhooth hai to mujhe ye bta dejiye iska matlab china egypt rome greek ki mythology bhi jhooth hogi.
aur har jagah jhooth ho ye possible nahi.
aur sorry mai upper case waale rule ke baare me jaanta nahi tha. mai chilla nahi rha tha.
i believe in my inner voice and my mind that is soul.
swami vivekanand ke paas bhi learn karne ki aisi power thi ek baar me poora ek page aur book yaad kar lete the.thats why london ki library ne unhe ban kar diya tha ki kahi wo poori england ki history na yaad kar le.
can any scientist have any challenge against swami vivekannd supreme power that come by soul.
please tell me.
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आप अपनी अवधारणा मानने के लिये स्वतण्त्र है।
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अगर आपको स्वामी विवेकानंद जी के बारे में अगर कुछ पता हो तो अवश्य बताये उन्होंने बहुत शोध किया था आंतरिक मन से।
इंसान को ही ईश्वर बताया था और भ्रमण भी काफी किया था।
और एक बात आप से ये कहना चाहता हु की विज्ञानं और ईश्वर को अलग मत करिए।
वास्तव में वे दोनों एक ही है। न तो विज्ञानं की कोई सीमा है न ही ईश्वर की।
शायद इसीलिए वैज्ञानिक केवल संघर्ष करते आये है।
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मैने स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित संपूर्ण साहित्य पढ़ा है। मुझे उसके केवल आध्यात्म ही मिला है। विज्ञान से संबधित कुछ नही।
विवेकानंद साहित्य आसानी से उपलब्ध है, आप रामकृष्ण मिशन से प्राप्त कर स्वयं जान सकते है।
विज्ञान अज्ञान से ज्ञान की ओर का मार्ग है, संघर्ष ही उनकी नियति है।
मै पहले ही कह चूका हुं, ईश्वर को नकारने की मेरी यात्रा बहुत लंबी रही है, एक लंबे अध्ययन और मनन के पश्चात ही मैने उसे नकारा है।
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आपने उस ईश्वर को नकारा है जो ब्राह्मणों द्वारा वर्णित है जो आज के युग में
अंधविश्वास के रूप में फैला हुआ है
और ये बहुत अच्छी बात है।
मैं भी उसको नकार चूका ह्।
लेकिन फिर मैंने ईश्वर का सत्य स्वरुप खोजा और पाया कि प्रकृति ही ईश्वर है वो
न तो जीवित है न कोई इंसान क्यू की एक आम आदमी ब्रह्मा विष्णु महेश को ही
ईश्वर मानता है और सबसे बड़ा भी जो की मेरे हिसाब से गलत है।
वो लोग एलियंस हो या न हो लेकिन वो लोग बस हमारे पूर्वज थे और उनके पास आज के
वैज्ञानिकों से बहुत अधिक ज्ञान था।उन्होंने राज्य किया ।
समाज को नियमो में बाँध कर चलने की कोशिश की।
सफल भी हुए असफल भी हुए।
और हमारे पूर्वज को पूजन करना उनकी मूर्ति बनाकर या कैसे भी कोई गलत बात नहीं
है।
आपके पिता जी भी आपके पूर्वज है दादा जी भी क्या आप उनका सम्मान नहीं करते है
उत्तर है करते है सदैव करते रहेंगे आप उन्हें हमेशा याद रखेंगे।यही पूजा है।
गीता के अनुसार सब कुछ एक से बना है जिसे हम परब्रम्ह कहते है।
ऐसा ही बिग बैंग थ्योरी में भी है।
इलेक्ट्रान प्रोटान न्यूट्रॉन ही सतोगुण रजोगुण तमोगुण है।
गीता में ही सब को उसी का अंश बताया गया है।
बिग बैंग में भी तो यही है सब कुछ एक बिंदु से बना है।
अपने आप को उस अंश के रूप में जान लेना ही आध्यात्मिक लक्ष्य है प्रत्येक मानव
का।
वैज्ञानिक भी तो यही कोशिश कर रहे है सारे प्रयास केवल इस लिए है कि हम अपना
उद्गम जान पाए।
पृथ्वी के नष्ट होने के बाद मानव कहा जाएगा ये भी वैज्ञानिक आज सोच रहे है
क्यू क्यू की वो अमरता चाहते है।
जिसे हमारे देवताओ ने बहुत पहले ही प्राप्त कर ली थी।
विज्ञानं और ईश्वर और आध्यात्म को अलग मत केजिये।
वे तीनों एक ही है
क्यू की सब कुछ एक बिंदु से ही बना है तो सब कुछ वही हुआ।
तो ये तीनो अलग कैसे हो सकते है।
विचार केजिये आप का विज्ञानं बहुत अच्छा है।
आप कहते है ग्रंथो में आपको विज्ञानं नहीं मिलता।
फिर अमेरिका क्यू अपने वैज्ञानिकों को संस्कृत सिख रहा है ताकि वो वेदो का
अध्ययन कर सके।
क्या आपने विमान बनाने के तरीकों को पढ़ा है ग्रंथो में।
मैं आपको इसलिए प्रेरित कर रहा हु ग्रंथो में जाने के लिए क्यू की आज के
वैज्ञानिक एकपक्षीय होकर कभी वो नहीं जान पाएंगे जो हमारे ऋषि मुनियों ने जान
लिया था।
आप का विज्ञानं बहुत अच्छा है आप अगर ग्रन्थ को वैज्ञानिकता से जोड़ेंगे तो
आपको बहुत ज्ञान मिल जाएगा।
और सत्य भी।
बुद्ध ने कहा था ईश्वर को मत खोजिये सत्य को खोजिये।
मैं कहता हूं सत्य ही ईश्वर है वास्तव में प्रत्यक्ष रूप से वो कुछ नहीं करता
लेकिन सब कुछ वही करता है।
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1. अमरीका अपने वैज्ञानिको को संस्कृत नही पढ़ा रहा है। यह किसी की उड़ाई गप्प है।
2. ग्रंथो मे विमान बनाने का तरिका ? यदि आप महर्षि भारद्वाज कृत तथाकथित वैमानिक शास्त्र की बात कर रहे है तो वह फ़र्जीवाड़ा है। बरसो पहले IISC बैंगलोर के वैज्ञानिको ने पोल खोल कर रख दी थी।
इस लिंक पर इस फ़र्जीवाड़े की पोल पढ़ लिजिये: http://cgpl.iisc.ernet.in/site/Portals/0/Publications/ReferedJournal/ACriticalStudyOfTheWorkVaimanikaShastra.pdf
3. यदि आप मानते हैं कि भूतकाल मे विज्ञान उन्नत था और उन लोगो को सब कुछ ज्ञात था तो बताईये कि
अ. साइकल जैसे वाहन का अविष्कार क्यों नही हुआ था ?
ब. माचिस जैसे सरल उपकरण का अविष्कार क्यों नही था ?
क. कागज की जगह भोजपत्र, ताड़पत्र का प्रयोग क्यों किया जाता था ?
ड. ३ हजार वर्ष से पहले लोहे के उपकरण क्यों नही मिलते ?
भाई, मेरी बाते मत मानो लेकिन आंखे खोल कर अध्ययन किजिये। मै दावे के साथ कह सकता हुं कि आपने किसी भी वेद का एक पन्ना नही खोला होगा। लेकिन मैने उन्हे पढ़ा है।
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the post is very attractive
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Ashish Ji apka lekh bahut hi gyanbardhak hai iske liye dhanyabad. Lekin apke anusar ishwar ka astitv nahi hai, yah bhi sahi ho sakta hai. lekin kya atma bhi nahi hai ? agar atma bhi nahi hai to phir marne ke bad kaya hota hai ? apne pap aur punya ka hisab chukane ke liye phir janm nahi lena parta hai ! agar punarjanam hota hai to wo kis shakti ke madhyam se hota hai ?
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जी मैं आत्मा, पुनर्जन्म, पाप, पुण्य में भी विश्वास नहीं रखता।
हमारा शरीर अरबो कणो से बनी मशीन है जो मरने के बाद कार्य करना बंद कर देती है और कण बिखर जाते है।
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Bhai insaan bhi sex krta hai aur sbi jeev jantu bhi karte hai.insaan ke pass dimag hai thk hai..but jo baaki aminals ya jeev jantu hai voh kese krte hai..itna dimag kese aya ki yh kaam krna hai..bhai sb kuch god krva rha hai
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किसने कह दिया कि अन्य जीव जंतुओं के पास दिमाग नही होता ? सभी जीवित वस्तुओं पेड़ पौधे , किड़े मकोड़ो मे तंत्रिका तंत्र होता है, जो किसी भी कार्य का निर्णय लेता है। मानव मस्तिष्क या प्राणीयों का मस्तिष्क इसी तंत्रिका तंत्र का एक प्रकार है।
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agar aap is bat ko sahi nhi mante hai to kisi b jiv ki mrityu kaise hoti hai ,ek shodh me paya gya hai ki manushya ke marne ke pashchat uske bhar me 200gm ki kami aati hai ,to ye kami kyo aati hai agar aatma ni hai to,fir wo kya chiz hai jisake rahne se prani jivit or na rahne se mrityu ko prapt ho jate hai ,vastav me ye sampurna bhrahman urja se bna hai or ye sampurna urja pratma ka hi ans hai ,ye atma ek urja hai jo manushya ke mashtisk me vash karti hai or jb ye urja bahar nikal jati hai to jiv ki mrityu ho jati hai,aatma azar hai amar hai ,same chiz apne urja ke bare me bhi padha hoga urja ko na to uttpanna kiya ja skta hai or na hi nashta kiya ja skta bas isko ek roop se dusare roop me parivartit kiya ja skta hai.big bang theory ke anusar brahmand ek gole se bna hai ,akhir us gole me visfot kaise hua kis energy ne usme visfot kiya ,jb ki us time kuch b ni tha ,infact it was god ‘s energy .or hm sab bhi usi parmatma ke hi ansh hai koi use god kahta hai to koi nature ,vastav me sab kuch urja hi hai
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अमन ऐसा कोई शोध नही हुआ है कि किसी मनुष्य के मरने के पश्चात उसमे 200 ग्राम की कमी होती है।
हमारा शरीर एक कोशीकाओं का कोआपरेटीय समूह है।
हर कोशीका एक विशेष कार्य होता है। इन्ही कोशीकाओं से अंग बनते है। ये अंग एक दूसरे के सहयोग से हमे जीवित रखते है।
उम्र के साथ इन अंगो की कोशीकाओं की कार्य क्षमता मे कमी आती है और नई कोशीकाये बनना कम होते होते बंद हो जाती है। जिसे बुढ़ापा कहते है। यह मृत्यु की ओर कदम होता है।
जब नई कोशीका बनना एकदम कम हो जाता है तो वह अंग/एकाधिक अंग कार्य करना बंद कर देता है, जिससे अन्य अंग भी प्रभावित होते है और शरीर मृत हो जाता है।
हमारे शरीर के मुख्य अंगो के मृत होने के बाद भी कुछ कोशीकायें अगले कुछ दिनो तक जीवित रह सकती है।
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sir, ye antariksh yaan chhodne ka time fix kyo karte hai, like-2.56pm (ye koi muhurt ka chakkr h kya?)
aise kyo nhi rakhte(11 bje,12 bje,ya fir 3 bje etc.)
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मुहूर्त नहीं, मौसम, अंतरिक्ष में अन्य उपग्रहों की स्तिथि के अनुसार समय निर्धारित होता है।
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sir me bhahmand ke bare me jyada nahi janta lekin muje kyu esa lagta he ki sabhi grah or pruthvi suraj ki taraf khiche ja rahe he muje lagta he jab pruthvi suraj ki najdik jayegi tab jobhi agla grah pruthvi ki jagah yani jitni abhi pruthvi suraj se dur hai utni duri par agla grah aayega vo grah pruthvi ki jagah le lega or us par jivan hoga please answer me
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wow bhut achi web site h but m nai manta ki prithvi ki hi upr jivan sambav h pure univers me na jaane kitne ese greh ese h jinme jivan savhb h or loakho univers h or lkaho sun h…
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सर सोर मंडल मै प्रथबी के नीचे क्या है ?
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कुछ नहीं, सारे ग्रह निर्वात में सूर्य की परिक्रमा कर रहे हसि।
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Aapka eh lekh padhkar bahut hi achcha laga ashish shri wastaw g mai ram ajor prajapati distric — sant kabir nagar U P
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Sir, agar bramand ka vistar lgatar ho rha h to prathvi aur sun tatha prathvi aur anya grahon ki bich ki duri bhi bad rhi h…?
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ब्र्ह्मांड का विस्तार आकाशगंगाओ के मध्य हो रहा है। लेकिन गुरुत्वाकर्षण से बंधी संरचनाये जैसे आकाशगंगा, सौर मंडल मे गुरुत्वाकर्षण प्रभावी है, इनमे विस्तार नही हो रहा है।
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pr ek time aysa ayega ki gravity of gallxy bhut km ho jaygi koe bhi wastu ya jich jb apne kendra se dur jati hai to uske gavity p prbhaw pdta hai or ek time o ata hai ki gavity 0 ho jati hai or jb aysa hoga tb puri apni milkiwe ek ek kn or kn k electon protan sb alg ho jayge or es trh se hmara ant ho jayga
pura univers apni kendra se dur ja rha hai or or gavity of gallexy km ho
rhi h
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moon aur earth ke bich averag duri kitna hai.maine book me 384365 padha hai kya ye galat hai ki sahi hai
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पृथ्वी के मध्य से चन्द्रमा के मध्य तक कि औसत दूरी ३८४,४०३ किलोमीटर है
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sabse pahle mai batana chahuga ki muze padhana bilkul pasand nahi. lekin meri wife muze boli ki apne bache ko NASA bhejna chahti hu use scientist banaungi. tabhi maine NASA ki jankari lene ke liye site kholi aur aapka itana soondar aur prabhavit karne wala article padha..aapne sbhi ke question ka khoop saral, sankshipt aur purn roop se answer diya hai.muze aapki vajah se bhut si jankari hasil hui jiski kabhi ummid bhi nai thi..
sabhi dosto ko dhanyawad..
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sir aghar earth ka wait badh jiya or wo neech ghrane lage to wo kaha jiya ge
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अंतरिक्ष मे उपर नीचे कुछ नही होता है। हम पृथ्वी पर नीचे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से गिरते है। अंतरिक्ष मे पृथ्वी के साथ ऐसा कुछ नही है।
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sir Jo hamre kritrim upgrah hai kya WO bhi prithvi ke sath hi surya ki prikrama karte hai , udaharan dekar spasht Karen pleaze
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पृथ्वी अपने साथ अपने सभी उपग्रह उदाहरण चन्द्रमा और कृत्रिम उपग्रह को साथ लेकर सूर्य की परिक्रमा करती है। आप ट्रेन के अंदर गति कर सकते है जबकि ट्रेन की अपनी गति भी होती है।
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sir jab koi antariksh yaan prithvi par ata hai to vo prithvi par kahin bhi gir sakta hai ya iski direction hamare vaigyaniko ko pahle hi pta hoti hai
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अंतरिक्ष यानो की दिशा और गति पूर्वनिर्धारित होती है।
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sir gharsharh bal ke katan ham prithvi par chal pate hai kaise exampal de kar samjhaye
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जब आप चलते है तो आप पैर से पृथ्वी पर बल लगाते है, पृथ्वी उतना ही बल आप पर लगा कर धकेलती है जिससे आप आगे बढते है। यदि घर्षण ना हो तो आप पैर से पृथ्वी पर बल नही लगा पायेंगे, आपका पैर पृथ्वी पर फ़िसलेगा जिससे बल नही लगेगा और आप चल नही पायेंगे।
इसी तरह कोई पहिया भी उसी समय आगे बढ़ पायेगा जब घर्षण हो, अन्यथा वह अपने स्थान पर ही घूमते रह जायेगा।
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आशीष जी हम पृथ्वी पर बल लगाते है चलो ये बात सही है। लेकिन पृथ्वी पर हम पर कैसे बल लगाती है ये कुछ समझ में नहीं आया । जरा ठीक से समझाइये
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सुभम , न्युटन के तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया की विपरीत प्रतिक्रिया होती है। आप पृथ्वी पर जितना बल लगायेंगे उतना बल पुथ्वी भी लगायेगी। आप जब कुदते है तब ध्यान दें कि आप पृथ्वी पर अधिक बल लगा रहे है, फ़लस्वरूप आप अधिक कुद पा रहे है। ऐसा ही दौड़ते समय भी होता है।
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एक खडी दिवार पर भी अगर हम बल लगायेंगे तो क्या वो भी प्रतिक्रिया करेगी ऐसा क्यू होता है।
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खड़ी दीवार भी ऐसे ही व्यवहार करेगी। यह एक पदार्थ का मूलभूत गुण है।
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Eline kaya ha
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पृथ्वी से बाहर के किसी ग्रह पर “कल्पित” जीवन को एलियन कहते है। कल्पित जीवन क्योंकि अब तक इस तरह के जीवन के कोई प्रमाण नही है।
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Sir mujhe btaye ki hm log itte logo ki beech rehte h…or pura soormandal bhi h ….khud earth hai….in sb ka gravitational force hmpr lgta hoga fr bhi hmara astitv hai…kyu?ye force hme nasht kyu nhi kr dete??
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गुरुत्वाकर्षण बल सौर मंडल, तारो, आकाशगंगाओ, ब्रह्मांड हो बांधे रखती है लेकिन यह बल सबसे कमजोर बल भी है। हमारे शरीर मे कार्य कर रहे अन्य बल इसकी तुलना मे अधिक शक्तिशाली है वे गुरुत्वाकर्षण बल पर भारी पड़ते है।
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आशीष जी मेरा एक प्रश्न है आपसे, गुरूत्वाकर्षण बल बादलो में जमा बर्फ पर कार्य क्यू नहीं करता है, बह बर्फ धरती पर क्यू नहीं गिरती है।
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बादलो में भाप होती है, बर्फ नहीं। जब बादलो की ऊंचाई पर तापमान कम हो जाता है तब तापमान के अनुसार वह जल या हिम् में परिवर्तित होकर बरसने लगता है।
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sir main janna chahta hu ki black hole ke ander jaane ke baad kon c dunia aati hai….
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सागर , अभी हम नही जानते है कि ब्लैक होल के अंदर जाने पर क्या होता है। इस प्रश्न का उत्तर भविष्य के पास है।
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mera nam sujeet hai aur me janna chahata hoon moon ki colour kya hai….
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चंद्रमा की सतह हल्के भूरे रंग(light gray color) की है।
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Sir mera naam manish h
Black hole kaise bnta h please detail m explain kijiye because you said black hole m bhi gravitation force hota h isliye confuse hu
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इस पन्ने पर आपके सभी प्रश्नो का उत्तर है : https://vigyanvishwa.in/tag/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0/
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Krpya muzhe black hole k baare me btaye. Kya ye ak gas k gola hota h . Ya ye ak solid matter se bna h ya phir ye sirf ak hole h jo or kahi ja kar khul ta h please tell me
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इस लिंक पर आपके लिये ब्लैक होल से संबधित ढेर सारे लेख है : https://vigyanvishwa.in/tag/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0/
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Sir jo spece yan mangal pr jati hi wo airth pr dubara waps aati hi ki whi bamd kr di jati hi and chhod di jati hi
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अधिकतर यान वहीं छोड़ दिये गये है, केवल कुछ यान ही वापिस आये है।
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sir, kya brihaspti grah ke gurutvakrshan ka prabhav prithvi pr pdta h
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सभी ग्रह एक दूसरे पर गुरुत्वाकर्ष्ण प्रभाव डालते है। बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव भी पृथ्वी पर पड़ता है लेकिन अत्याधिक दूरी के कारण वह नगण्य होता है।
गुरुत्वाकर्षण बल की गणना के लिये आप इस सूत्र का प्रयोग कर सकते है
F=G(m1m2)/(r*r)
F =गुरुत्वाकर्षण बल
m1 = पहले पिंड का द्रव्यमान
m2 = दूसरे पिंड का द्रव्यमान
r = दोनो पिंड के मध्य की दूरी
यदि आप ध्यान दे तो पता चलेगा कि दूरी के साथ गुरुत्वाकर्षण कम होते जा रहा है।
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sir manushya hi suicide kyon karte hai koi janwar kyon nhi karte
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मानव ही नही, पशु पक्षी भी आत्महत्या करते है। मानव या प्राणी आत्महत्या अवसाद के कारण करते है जो हमारे मस्तिष्क मे हार्मोनो के असंतुलन से उत्पन्न होता है। हार्मोनो के असंतुलन के पीछे एकाधिक कारण हो सकते है जिसमे प्रमुख है दुखद घटनाये, असफ़लता, बिमारीयाँ इत्यादि।
लेकिन अवसाद की चिकित्सा संभव है।
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sir , ped podhon ki tarah ham apna bhojan khud kyon n
hi bana sakte
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मानव तथा प्राणीयों का विकास इस तरह हुआ है कि वे अपने जीवन के लिये आवश्यक भोजन के लिये अन्य प्राणी/वनस्पति पर निर्भर है। इसके पीछे लाखो करोड़ो वर्ष का जैविक विकास है।
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sir phale smudra ka pani washp ban ke uper jata h phir whi pani warsha ke roop me ata h or peene yogya ho jata hai kaise
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सागरी जल या किसी अन्य जल मे अशुद्धियाँ घूली होती है लेकिन बाष्पीकरण मे यह अशुद्धियाँ भाप से अलग हो जाती है जिससे वर्षा का जल पीने योग्य हो जाता है।
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अति सुन्दर!
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Bahut badhia ye lekh uplabdh karane ke liye
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Kya water banaya ja skta h.Jo peene layak ho.
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पीने लायक जल बनाया जा सकता है। बस आपको हायड्रोजन गैस जलानी होगी जो आक्सीजन के साथ मिलकर जल बनायेगी। लेकिन यह तकनीक महंगी पड़ेगी।
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sir why is the earth not attract a flying kite
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पृथ्वी उड़ती पतंग को अपनी ओर आकर्षित करती है। डोर टूट जाने पर वह पृथ्वी पर ही गिरती है। जब तक आप डोर सम्हाले रहते है तब तक आप उसे वायु पर तैराते रहते है, इसलिये वह उड़ते रहती है।
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sir, kya big crunch ke bad naya black hole ban sakta hai❔
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संभव है।
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thanks sir ….. aapne jo information di h wo sach me kaafi achhi h …. par mera ek sawal h …. jaisa aapne kaha ki brahmand ki utpatti ki sirf kalpana hi ki gayi h … koi pukhta proof nahi h … toh phir aapne ek bomment me kaha h ki 5 arab warsh baad suraj lal daanav ban jayega … kya yeh bhi ek kalpana hi h … i mean galaxy me ho rahe changes ko lekar shayad yeh kalpana ki gayi h shayad …. par kya aisa jaruri h ki jo changes galaxy me hue h or ho rahe h same waise hi changes future me ho … kya yeh chages me b changes ni ho skte
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बिग बैंग थ्योरी कल्पना नही है, इसके समर्थन मे ढेरो प्रमाण है। जिसमे से एक है कास्मिक बैक्ग्राउंड रेडियेशन, जब आप टीवी आन करते है और सिगनल नही आता है तो आपको काले सफ़ेद बिंदु दिखायी देते है, ये काले सफ़ेद बिंदु बिग बैंग के बाद की बची हुयी ऊर्जा कास्मिक बैक्ग्राउंड रेडियेशन है।
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Kya hum dusre saurmamdal me pauch PAYE h .
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नहीं, हम अभी तक अपने सौर मंडल से बाहर नहीं जा पाये है।
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sir, kya hm bhoot kal ko dekh sakte h ?? yani jo gujar gya use ….?
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भूतकाल मे देखना संभव है। उदाहरण के लिये चंद्रमा से प्रकाश आने मे 14 सेकंड लगते है, हम चंद्रमा की 14 सेकंड पुरानी छवि देखते है। उसी तरह सूर्य की 8 मिनट पुरानी छवि देखते है। यदि आप को पृथ्वी की वर्ष पुरानी छवि देखनी है तो आपको पृथ्वी से एक प्रकाशवर्ष दूर जाना होगा और बहाँ से पृथ्वी को किसी शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर एक वर्ष पुरानी छवि दिखायी देगी।
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Kya aap bta skte hai ki tare aasman ke najdik hai ya dur hai or rat me hi kyon chamkate hai din me kyon nahi or aakash ke uper yani taro se uper kya hai kya mere ko reply mil skta hai
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दिन मे सूर्य की रोशनी इतनी तेज होती है कि तारे उस चमक मे दब जाते है और दिखाई नही देते है। तारों के उपर/आकाश के उपर कुछ नही है, केवल अंतरिक्ष(रिक्त स्थान) है। तारे एक साथ नही है, वे अंतरिक्ष मे अलग अलग स्थान पर, अलग अलग दूरियों पर है।
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Kya samundra ka pani pine layak banaya ja sakta h?
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Reverse osmosis की प्रक्रिया से समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाया जाता है। मध्य पूर्व के देशो मे इसके संयंत्र है। भारत मे चेन्नई मे भी इसी तकनीक का प्रयोग होता है।
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Hello. Sir mera sawal ye hai ki hum sab jantey hain ki aag bina oxigen ke nahi jal sakti aur ye bhi ke space mein na to oxigen hai aur na hi hawa Ka dawab. . To phir surya par gasses aur aag kaise jal rahi hai
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ये लेख देखे आपके प्रश्न का उत्तर है https://vigyanvishwa.in/2015/11/24/sunmyth/
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sir hamari body parmanu se bani hai jabaki parmanu nirjiv hai to hamare sajeev shareer ki rachana kaise ho gai
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इस लेख को देखें : https://vigyanvishwa.in/2011/01/24/alienlifesearch/
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tatwa ek hai ya paach,bcoz mujhe lagta hai tatwa ek hai aur wahi alag alag paach rupo mai dikhta hai. is bare mai aap ki kya rai hai sir……
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तत्व 5 नहीं 120 है। 5 तत्व प्राचीन लोग मानते थे जब उन्हें पुरी जानकारी नहीं थी।
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True but 5 matter were described in different way in ancient history .and elements are more than 120 almost each year we are finding new elements now
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Thanks sir lakin kahi kahi pani khara nikalta hai Kyo
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कुछ स्थानो पर भूजल खारा होता है क्योंकि उस स्थान की मिट्टी मे लवण की मात्रा अधिक होती है।
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Sir me janna chahta ho ki samondra ka pani khara hota hai kyoki usme lawan mail ka Karan, to parthvi ke ander se niklna wala pani khara Kyo nahi hota
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सागर मे जाने वाला पानी सतह पर से बहकर जाता है, इस प्रक्रिया मे उसमे लवण घूलते जाते है। जबकी भूजल सतह की परतो से छन छन कर नीचे जाता है। वर्षा से प्राप्त जल को सागर तक पहुंचने मे कुछ ही दिन लगते है जबकि भूजल तक पहुंचने मे महिनो लगते है।
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sir , kya baibal me likhi hui qayamat kahaan tak sach hai
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किसी भी धर्मग्रन्थ में प्रलय या क़यामत केवल कल्पना है।
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There is noting like judgement day .Its only wrong philosophy in ancient history it was explained as change of era and not any pralaya .
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sir suraj kitne din bad lal danav bnega?
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5 अरब वर्ष बाद!
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sir sabhi tara ek din black hol ya wait hol me badal jata hai ? to suraj kya bnega black hol ya wait hol ?
or lagbhag kitne vrsh bad bnega?
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सभी तारे ब्लैक होल नही बनते है। अधिक भारी तारे ही ब्लैक होल बन सकते है। सूर्य का द्रव्यमान कम है, वह लाल दानव तारा बनेगा, उसके बाद धीरे धीरे ठंडा हो जायेगा!
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Sir,jab sab kuch hi energy se bna hai aur bahut types ki energy hamare charo taraf hai to iss energies ka use kyun nhi krte?
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हमारे आसपास की ऊर्जा को जमा कर उसे उपयोग मे लाना आसान नही है, आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया भी हो सकता है। लेकिन सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा जैसे प्राकृतिक संसाधनो का प्रयोग बढ़ना चाहिये और अब बढ़ भी रहा है।
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kya aisa ho skta h ki door asman me udti patang ko hm kaat de or wo 50,000 saalo tk Antariksh me safe udta rahe. agr aisa ho skta h to hme ek patang pe pratkritik drishya bana kr apna naam likh kr udana chahiye future me hme bhagwan samjhenge log
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पतंग केवल वायुमंडल में उड़ सकती है, अंतरिक्ष में नहीं जा पाएगी। दूसरा यह भी पतंग केवल अनुकूल हवा और सटीक नियंत्रण में ही उडती है, उसके न रहने पर वापस धरती पर आ जाती है।
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Sir, aapne kaha ki prathvi ek gas ke vishal badal se bana h to ye gas ka vishal badal kaise bana????
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तारो और ग्रहो का निर्माण करने वाले बादल बिग बैंग के समय बने थे।
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ek aur baat… main apko thankyou kehna chahta hu kyonki aapne sabhi ques. ke ans. simple,short & logical way me diye.
aap hi hain jo meri har problem ka itne proper tarike se solve kiya.
aapne yeh knowledge kahan se prapt ki??
aur mujhe physics me bahut aage tak jana hai kya aap mujhe iss bare me thoda guide kar sakte hain??
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रमन, प्रश्न पूछते रहो, हम उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
रहा ज्ञान का प्रश्न, मेरा पढने का शौक है। इंटरनेट पर , या पुस्तकें पढ़ते रहता हु,।
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sir
Prthvi ke neeche kya hai
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पृथ्वी एक गेंद के जैसे है। इसके नीचे कुछ नही है, पृथ्वी निर्वात(रिक्त स्थान ) मे सूर्य का चक्कर लगा रही है।
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sir
iska matlab photon me mass hota hai.
kya yahi mass photon ki energy hai?
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फोटान का द्रव्यमान उसकी ऊर्जा के रूप मे होता है।
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apne likha ki black hole photon ko nigal jayega to kya iska matlab yeh hai ki energy par bhi gravitational force lagta hai?
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रमन, द्रव्यमान और ऊर्जा दोनों एक ही है। द्रव्यमान अर्थात स्थिर ऊर्जा, या ऊर्जा अर्थात कार्यरत द्रव्यमान
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akashganga ke center me kya hai?
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महाकाय ब्लैक होल
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आपने कहा आकाशगंगा के सेंटर में ब्लैक होल है
तो क्या वह आस पास के तारों/ग्रहों को निगल रहा है ?
क्या एक दिन पृथ्वी को भी निगल जाएगा ?
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पृथ्वी इस ब्लैक होल से बह्त दूर है।
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sir prathvi ki utpatti 4.6 Arab varsha pahle hui thi lekin big bang 13.7 arab varsa pahle hua. agar prathvi ki utpatti Ek jvalansheel pind se hui ha to vah jvalansheel pind kya tha?
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पृथ्वी और सारे सौर मंडल की उत्पत्ति एक गैस के विशाल बादल से हुयी है। थोड़ा ईतजार करें इस वेब साईट पर इस विषय पर एक लेख श्रृंखला आयेगी।
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sir prathvi ki utpatti kab hui hogi?
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4.6 अरब वर्ष पहले
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sir universe expand ho raha hai.uske bahar kya hai.big bang se pahle koi khali jagah thi kya?
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ये लेख देखें : https://vigyanvishwa.in/2015/08/12/outsideuniverse/
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sir ek baat batayiye……kya earth ke gravitational force ko use karke energy produce ki ja sakti hai? reason bhi bataye
answer dene par mujhe email send kre plzz.
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रामन, गुरुत्वाकर्षण से ऊर्जा उतपन्न की जा सकती है। गुरुत्वाकर्षण अन्य बलो की तरह ही है लेकिन यह प्रायोगिक नहीं होगा। गुरुत्वाकर्षण हमेशा एक ही दिशा में कार्य करता है, जिससे इसे उपयोग करने का कोई भी यंत्र बनाना मुश्किल है।
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sir mera ques. hai ki jab photon utpann hote hain to woh apni jagah par kyun nhi rehte.
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रमन , कोई भी कण जिसमे ऊर्जा हो स्थिर नहीं रह सकता। फोटान तो शुद्ध ऊर्जा कण है।
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sir agar photon black hole ke pas se gujre to kya hoga?
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यदि फोटान या प्रकाश ब्लैक होल के पास से गुजरे तो बलैक होल उसे भी अपने गुरुत्वाकर्षण से निगल जायेगा।
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thank you sir
ek aur ques.
hum jab bolte hain to energy waves ki form me chalti hai. kya uss par bhi gravitational force lagta hai?
ek aur..kya yeh sach hai ki agar hum light ki speed se chale to time ruk jayega?explain kijiye plzz…
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1, गुरुत्वार्षण सभी पर कार्य करता है, ऊर्जा तरंग पर भी।
2, प्रकाशगति पर यात्रा करने पर समय रुकेगा नहीं, समय की दिशा बदल जायेगी। आप भविष्य में पहुँच जायेंगे, समय यात्रा।
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kya koi aisa pdarth hai jisse electron pass ho sake(bina apni energy khoye)?
agar hai to uss pdarth ka lens banakar usse electrons pass krne par electrons ek point par focus ho jayenge?
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पदार्थ की सुपरकंडक्टर अवस्था मे इलेक्ट्रान ऊर्जा खोये बगैर प्रवाहित होते है। इल्केट्रानो को फ़ोकस कर इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप बनाये जा चुके है।
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Sir,maine padha hai ki energy ko is tarah se store nhi kiya ja sakta ki woh kharch na ho.
lekin ham khana khate hain to hamari body ko energy milti hai woh body me hi store rehti hai.plz explain..
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हमारे शरीर मे ऊर्जा वसा(fat) के रूप मे रहती है। अन्य रूपो की तुलना मे ऊर्जा रासायनिक रूप मे अधिक समय तह संचित की जा सकती है, जैसे वसा, पेट्रोलियम पदार्थ ग्लुकोज इत्यादि! अन्य रूप जैसे विद्युत, प्रकाश रूप मे क्षति अधिक होती ह।
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sir mera Q hai ki ganga jl kabhi kharab kyu nahi hota pieeeees ans. dijiye
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चंद्रशेखर , यह एक मिथक है कि गंगाजल खराब नही होता है। गंगाजल इतना दूषित हो चुका है कि वह किसी भी प्रयोग के लायक नही बचा है।
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kya maha visfot ki prakriya aise hi chalti rahegi
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ये महाविस्फोट (Big Bang) हो चुका है! संभव है कि ऐसे महाविस्फोट होते रहते है।
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Hamare dwara Jo yan bheje jate hai vo kisi chij se takrate kyon nahi
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उन यानो का मार्ग इस तरह से तय किया होता है की वे किसी से न टकराये। वैसे भी अंतरिक्ष अधिकतर खाली है। 99.9999999% से ज्यादा खाली!
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antrix me udne wala first animal kon tha
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लाइका नामक एक कुतिया
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1. pirthivi aur anya sare grah upgrah tare ityadi kis cheez par tikay hue hain ?
2. hamare brammaand ka vistaar kitna hai aur yadi hm prakash ki chaal se chale to hme brammaand k ek kone se dusre kone tk pahuchne me kitna samay lagega ?
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1, पृथ्वी और सारे ग्रह किसी भी वस्तु पर टीके हुए नहीं है। वे अंतरिक्ष में लटकी हुयी विशाल गेंद के जैसे हैं।
2, ब्रह्माण्ड 46 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा है, प्रकाश गति से चलने पर 46 अरब वर्ष लगेंगे
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ity vry interested nd usefull mujhe kya i think sbke man me swal honge ye duniya kaise bani kaha se shuruaat huyi aise bahut questions bt ans bahut kam aise milte h jinse lge k ha yahi h mujhe iss sbke k bare me janna bahut pasnd h thanx sir
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sir jab hum apni a ankh par ungli se dabaw dalte hai to hame 2 vastue kyo dikhaai deti hai aur Hume samanya 2 aankho se do vastue kyo nahi dikhi deti
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सामान्यत: हमारी दोनो आंखे मस्तिष्क को संकेत भेजती है, मस्तिष्क दोनो आंखो से प्राप्त संकेतो से छवि बनाता है। जब आप अपनी उंगीली से आंख् को दबाते तब दोनो आंखो के संकेत मे संतुलन बिगड़ जाता है और मस्तिष्क दोनो संकेतो से एक छवि नही बना पाता और आप दो छवि देखते है।
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sir kya ye yaan bina kisi aadmi ke space me jaa sakte hai
aur abhi tak puri maanav jaati ne kitne tez udhne wala yaan banaya hai
aur kiya aadmi abhi tak mangal ya soormandal ke anya grah par nahi gaya hai aur kyo nahi.
aur hum jab apni aakashganga ke bahar bhi nahi gaye hai to hum ye kaise jaante hai ki brahmaand me arbo aakashganga hai
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अंतरिक्षयानो के चालन के लिये मानव का उसमे होना आवश्यक नही है, ऐसे कई यान है जो अंतरिक्ष मे बिना मानव के गये है। भारत का मंगल यान मंगल तक जा चूका है, चंद्रयान भी चंद्रमा तक गया है लेकिन उसमे मानव नही है।
अभी तक मानव चंद्रमा के अतिरिक्त किसी अन्य ग्रह पर नही गया है क्योंकि इन ग्रहो पर जाने के लिये कई महिने लगते है, वापिस आने मे उतने ही महिने लंगेंगे। मानव को इतने लंबे तक अंतरिक्ष यान मे रहना आसान नही है। तथा ऐसे यानो का निर्माण के लिये पैसा भी चाहिये। अंतरिक्ष अनुसंधान बिना मानव को भेजे भी किये जा सकते है। मंगल पर ऐसे कई वाहन भेजे गये है जो मंगल पर घूम घूम कर पृथ्वी तक फोटो और अन्य जानकारी भेजते है, इन वाहनो का नियंत्रण पृथ्वी से होता है।
हम अपनी आकाशगंगा से बाहर नही गये है लेकिन आकाशगंगा के बाहर देख सकते है। जैसे आप चंद्रमा पर नही गये हो लेकिन उसे देख सकते हो।
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sir humare yaan brahmaand me abhi tak kitni door tak gaye hai
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मानव केवल चन्द्रमा तक। लेकिन हमारे यान सौर मंडल की सीमा तक जा चुके है। लेकिन ये नगण्य है। ब्रह्माण्ड के विस्तार का बहुत छोटा हिस्सा, 0.0000000000000001 प्रतिशत से भी कम।
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kya app space me gye hai aur kitni baar
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भारत से केवल एक ही वयक्ति राकेश शर्मा एक ही बार अंतरिक्ष में गए है
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sir syam vivar kya hai
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https://vigyanvishwa.in/index/ में इस विषय पर कई लेख है। उन्हें देखे
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sir kya sabhi taro ke paas grah hai aur lagbhag kitne kitne agar hai to aap kaise jaante hai
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लगभग हर तारे के पास कम से कम एक ग्रह होता है। हम इन ग्रहो को उसके तारे के प्रकाश में होने वाली कमी या उसके अपने तारे पर पड़ने वालो प्रभाव से देखा जाता है।
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Bhramand me kitne sun hai ek ya ek se jyada
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ब्रह्माण्ड में खरबो आकाशगंगा है, हर आकाशगंगा में अरबो तारे है। हर तारा सूर्य है। इस तरह से असंख्य सूर्य हैं।
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I like this post….sir mere hisab se yeh bramhan bhaut bda h isliye hme jyada nhi soachna chaiya…kyuki jaise ek footbal pr ek chitti chalti h to use vh football hi ek earth ki tarah lagti h
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ब्रह्माण्ड बड़ा नही है। समय और गति छोटे बड़े को निश्चित करती है। कैसे
चींटी की नजर में मक्खी बहुत बड़ी है। विषाणु हवा के कणो पर जीवन बिता देते है उनके लिए वो कण धरती सामान है।
एक एटम के अंदर वो हो प्रक्रिया होती है जो सौरमंडल में। जिसमे सूरज नाभिक का काम करता है।
जिस तरह भ्रूण का विकास जननी के पेट में होता है वो ही क्रिया ब्रह्माण्ड में हो रही है।
बहुत से भुर्णो में एक का ही निषेचन होता है। निषेचन के बाद में उसका विकास होता है। अलग अलग तरह की कोशिकाओ का निर्माण होता है उसी तरह पृथ्वी पर अलग अलग तरह के जीव पैदा होते है।
ये भी हो सकता है की ये पूरा भूमंडल किसी का भूर्ण हो।
ये भी हो सकता है की किसी इलेक्ट्रान पर सभ्यता हो। क्योकि नाभिक से इलेक्ट्रान को heat मिलती है ये साबित हो चूका है। परमाणु बम इसका उद्धरण है
हम बहुत धीमी गति से चलते है इसलिए ब्रह्माण्ड बड़ा है
आगा हमारी स्पीड लाइट के बराबर होती तो शायद ब्रह्माण्ड काफी छोटा होता
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Bhaut acha vichar hay
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Prithvi ka Vinas kab hoga
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5 अरब बाद जब सूर्य पृथ्वी को निगल जाएगा।
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सूर्य का दर्वयमान कम है इसलिए वह ब्लैक होल नहीं बन सकता पर आप यह भी कहते हो कि सूर्य पृथ्वी को निगल जाएगा 5 अरब साल बाद
यह तो contradictory BAAT हुई ना सर !
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सूर्य अपने अंतिम दिनो मे फ़ूल कर इतना बड़ा हो जायेगा कि पृथ्वी उसके अंदर समा जायेगी।
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OK sir
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Sir apne kaha ki chadrma ka parkaas surya ke parkaas se nhi dabta …lekin mane pada h k chandrma ka apna koi parkaas h hi nhi
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परमवीर, चंद्रमा का स्वयं का प्रकाश नही होता है, वह सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है।
लेकिन चंद्रमा की चमक इतनी ज्यादा होती है कि उसे दिन के सूर्य के उजाले मे भी देखा जा सकता है।
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Mai hamesha yahi sochta rehta hu ki brahmand akhir kitna bada hai ?
kya iska koi chhor bhi hai, ye brahamand kaha per jakar samapt hoga?
kya is brahamand mai galaxy aur stars ke alawa aur kuch nahi hai?
pura brahamand jo ki shunya hai usme ye tare, graha ,anu,parmanu,kan kaha se aaye?
kya hamare is brahamand jise sirf ham jaante hai isse bhi badi koi aur sanrachna hogi jiske ghere mai hamara pura brahamand aata ho?
kya manusya ke alawa kisi aur sabhyata ka bhi brahamand mai astitva hai aur agar hai bhi to uske liye is bramand ki kya ehmiyat hogi?
manushya ki utapatti akhir kisliye hui aur wah itna buddhiman akhir kyu hogaya koi aur prajati kyu nahi ho payi?
mrityu ke paschat kya manushya ka is brahamand mai koi bhi astitva nahi rehta?
ham hally’s comet (halley’s tale) ko sambhav hua to jeevan mai sirf ek baar he dekh sakte hai,
lekin hamse pichle yug ke manushyo ka jeevan hamse jyada tha aur wo sayad apne jeevan mai ise 2-3 ya isse jyada baar bhi dekh lete honge.
akhir aisi kya baat hai ki science ki itni tarakki ke baad bhi hamne apni cells ke degenration ko nahi rok paya?
Mai Alternative Theory ko jyada sahi manta hu kyuki agar bramnd ka vistar isi tarah hota rha to sabhi galaxies ek dusre se itne door ho jayege ki koi bhi sabhyata kisi dusri sabhyata se samparka tak nahi kar payegi aur ho sakta hai ki is brahamand ke chhor pe jakar lage, aur waha se bahar nikal jaye (agar koi dusri brahamandiy sanrachna exist karti hogi to).
agar kisi cheej ki suruat hoti hai to uska ant bhi sambhav hai ye hame hamare daily life mai exist karne wali sabhi cheejo se pata chalata hai.
to ye jahir si baat hai agr brahamand ki utpatti hui hai to iska ant bhi hoga, aur alternative theory ise kuch support karti hai.
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Arunji yaa brahmand ka vistaran ho raha hai agar dusri jaati or jiv hai brahmand mai to may be brahmand itani jaldi badh raha hai usse lag raha hai ki duari jati yaa jiv itni dur ho jaa rahe hai ki uska koi surag bhi nahi milta
Ha lekin ham Apne Hindu puaran ki baate samje to dev danav & manushya hai to ye bhi ho sakta hai ki dev or danav jaisi prajati Jo mansuya se kafi super power hai vo ek alag hi Galexy me nikal gaye ho …
Ek aisa bhi mind me aata hai kabhi kabhi ki hum manusya ek machine hai aur hame koi chala raha hai like jaise hamne robot ka Nirman kiya vaise hi hamare jaise manusya ka kisi ne Apne kaam ke liye Nirman kar raha ho & vo hamko chala raha ho
Agar hum Apne ko hamare banaye robot ki jagah par rakhe aur soche to uska hamko answer mil jayega jaise robot ek machine hai jise hamne hi banaya hai fir bhi puri tarah ham uspe kuch niyantran nahi kar sakte like robot ka koi sparts ya koi machine bigad jata hai yaa usme kuch ghasara lagta hai vaise hi manusya ka hai
Hame kya karna hai vo hamra upar Jo bhi hai vo decide karega lekin hamare sharir ko kya hoga vo koi decide nahi kar sakta like karm ke upar sab depands hai yahi bhi theory hai ki karma jaisa visa hame fal mile
Yaani ek simple si baat ke kuch to hai Jo hamara upar niyantran kar raha hai
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नही मै यह नही मानता कि हमारी सभ्यता सबसे पुरानी है।
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आशिष जी एक प्रश्न पूछना है कि आप ये मानते है की हमारे यहाँ की सभ्यता दूसरे नम्बर की सबसे पुरानी सभ्यता है |अगर मानते है तो ये भी मानेंगे की उस बीच जो लेख लिखे गये वो सब हैं और आपने लिखा भी है की आपने ग्रंथ भी पढा है |तो उसमें आपने जो भी पढा हो वो हिंदी में थोडा सा लिख दीजिये|फिर इस चर्चा को आगे ले जाएगे|
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नही मै यह नही मानता कि हमारी सभ्यता सबसे पुरानी है। हमारी सभ्यता जितनी प्राचीन है उतनी प्राचीन सभ्यताओं मे , माया, बेबीलोन, मेसोपोटामिया, ग्रीक, रोमन , चीनी सभ्यतायें भी रही है। कोई भी सभ्यता किसी अन्य सभ्यता से उन्नत या पीछड़ी नही थी। सब सभ्यतायें एक जैसी सम्मान योग्य है।
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तारे कैसे मरते है?
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gud morning sir……..
sir kya earth ke alwava or koi duniya hai….yaha ham sab ki tarah log rhate hai……or ik que.kya sach me aliens hai.unki bhi koi duniya hai………
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अभी तक की जानकारीयों के अनुसार केवल पृथ्वी पर ही बुद्धिमान जीवन है लेकिन किसी अन्य ग्रह पर जीवन की संभावनाओ से इंकार नही किया जा सकता।
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thanx but isse graho ko dekh sakte hai kya matlab fhir bhi bahut door dikhenge
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bahut acha lekh hai mujhe ye janna hai ki hum ghar par teliscop bana sakte hai ya aisabmil jata hai jo aam admi kharid sake
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ये लेख देखे : http://www.space.com/24114-how-to-build-a-telescope-science-fair-projects.html
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Accla laga mujhe
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मैं असद हूँ । मेरा मानना है की गरुत्व नही होता तथा कोई भी चीज़ केंद्र पर नही गिरती तब किया है जो निचे गिरता है मेरे अनुसार वह है हमपर लगा वेग जो हमें नीचे धकेलता है । मैं इसको प्रूफ कर सकता हूँ पर मेरे पास कोई प्लेटफॉर्म नही है ।काश मेरी मदद कोई करता।
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सबसे पहले आप विज्ञान में किसी अच्छे कालेज से B Sc M Sc और Phd कीजिये। उसके बाद आप जो भी कहेंगे सभी सुनेंगे।
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Aap kaise kah skte hai ki,god nahi hai??
,
.har chij ko banane wala hota hai,
hume v to kisi ne banaya hoga,
.
Aur wo hai-god
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आप किसी काल्पनिक ईश्वर के अस्तित्व को मानी्ये, आपकी आस्था है लेकिन आप मुझे मेरी मान्यताओं को मानने से नही रोक सकते है।
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Kintu sr hm aapki bat se shmt hain..lekin log dur baithe kuchh mantron ka uchhard krke ye kaise bta dete hai ki ye chij yahan hai ya wo hai ta nhi hai.bina kisi upkard ke.mere samne ki ek ghatna hai ki ek ldke ki cucle kho gyi wo ek dur k riletion me baba ke yahan guya aur unhone btaya ki ye cycle yahan hai aur ao whin mili.
Qst. To uchit nhi hai sr mai janana chahta hun.
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आप अपनी स्वतन्त्र विचार धारा रख सकते है। विज्ञान के अनुसार अभी तक मन्त्र शक्ति प्रमाणित नही हुयी है ना ही इसे प्रमाणित करने कोई सामने आया है।
मंत्र शक्ति सिद्ध करने पर जेम्स रांडी ने 20 लाख डॉलर , अब्राहम कोवूर ने एक करोड़ रुपये, तर्कशील सोसायटी ने एक करोड़ का इनाम रखा है। 20 – 40 साल हो गए कोई नहीं जीत है।
आपके उदाहरण में उस बाबा ने तुक्का मारा और वह निशाने पर लग गया बस।
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Samundra ka pani khara kyu hota hai?
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बरसात मे पानी जमीन पर से बहते हुये मिट्टी से लवण(नमक) बहाकर ले जाता है। यह प्रक्रिया करोड़ो वर्ष से चल रही है और सागर का पानी इन नदियो द्वारा सागर मे मिलाये गये लवणो के कारण खारा होते जा रहा है।
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Jo dharm me visvash rakhate ho vhi ise read kare .log kahte hai ki karodo varsh pahale sury ka tukda se sansar ka nirmad huaa auir kuchh samay tak aag tha .lekin ye sab galat sansar ka nirmad jaise insan ka nirmad huaa hai vaise sansar ka nirmad huaa agar suraj ka tukadg se bana hai to sansar gol na hoti
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Maja aa gaya
Very interesting story,
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very nice
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aakash ganga me sun kitne hai or sun.agar ek se jafa
hai to replce hota hai kya…
matlb jo chiz jalti hai wo khatm.hoti hai
exampl… machis ki kadi agar pet le to usko aag
lagegi or few seconds baad wo bhuuj jayegi..
vaise hi ek sun hai wo chang to hoga hi na
or aaksh ganga se naya sury dikega plz replyy
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रात के आकाश मे दिखने वाला हर तारा सूर्य के जैसा है. सूर्य की भी मृत्यु होती है, उसकी मृत्यु के बाद उसके अवशेषो से नया तारा बन सकता है लेकिन यह हमेशा नही होता है। नया सूर्य या तारा भी बनता है, उसके लिये विशालकाय गैस और धुल के बादल चाहिये होते है, उसमे नये तारे बनते है. गूगल मे Pillor of creation खोज कर देखे, आपको तारो की जन्मस्थलीयो मे से एक का चित्र दिखेगा.
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आषीश सर । मुझे आपके लेख बहुत पसंद है ।
पर मुझे आपका नजरिया जानना है ।
क्या आप ईश्वर में विश्वास करते है ? क्या आप मानते है की ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में किसी ईश्वर का हाथ था ?
मैं इसे किसी धर्म से जोड़कर नहीं पूछ रहा हूँ और ना ही मैं धर्मो को मानता हूँ ।
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जी, मै ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास नही करता हुँ! ना ही सोचता हुँ कि ब्रह्मांड के संचालन के लिये किसी पारलौकिक शक्ति की आवश्यकता है, मेरे अनुसार उसके लिये भौतिकी के नियम पर्याप्त है!
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Haa sahi hai bhai ki भोतिक niyam kafi hai lekin itan to confim hai ki koi hai Jo sab regulation kar raha hai jivan ko aur jiv ko agar ham Apne hi banaye robot aur machine ko rakhe to machine agar soch raha hai to usse naho malum ki vo machine Jo bhi kar raha hai vo hame follow kar raha hai vaise hi koi bhi manusya ko nahi smaja paa raha hai ki koi ham par hai Jo hamko chala raha hai ….
Me koi kalpanik baate ya andhviswas ki bate nahi kar raha hu lekin sab aise hi regulation nahi hota
Ye bhi ho sakta ho ki koi super power ho like machine ke samne hum Jo usko regulation kar rahe hai vise hi koi super powr hai Jo ye kar raha hai ….
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जब ये ब्रहमान्ड सुन्य था तब द्युल और गैश कहा से आया
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हमारी सारी भौतिक मान्यताएं बस एक घटना से परिभाषित होती हैं बिग बैंग। बिग बैंग एक जोरदार धमाका है, जिससे ब्रह्मांड का जन्म हुआ था। बिग बैंग थ्योरी के अनुसार लगभग 12 से 14 अरब वर्ष पहले संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में था। यह वह समय था जब मानवीय समय और स्थान जैसी कोई चीज अस्तित्व में नहीं थी। बिग बैंग मॉडल के अनुसार इस धमाके में इतनी अधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ जिसके प्रभाव से आज तक हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है।
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Apne kaha bhoutki ke niyam, ye niyam ki utpatti kaise hui.
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किसी भी वस्तु कण के हजारो व्यवहार होने की संभावना होती है। इन हजारो संभावनाओं मे हजारो ब्रह्माण्ड बन सकते है। हमारा ब्रह्माण्ड इन हजारो ब्रह्माडीय संभावना मे से एक है। व्यवहार की यही संभावना इस ब्रह्मांड के लिये भौतिकी के नियम है जिसे इस ब्रह्मांड को पालन करना ही होगा। अन्य ब्रह्मांडो के लिये अलग नियम होंगे।
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Sir main bhi aap ki tarah vigyaan premi hoo aapke saare tathyo se me agree hoo n aapke jawabo ki sateekta se mai bahut prabhavit hu mera ek sawal hai jaise vigyaan mai kaha gya hai har kriya ke prati ek prati kriya hoti hai to shaayad aapne bachpan mai mahabharat dekha hoga jaha shri krishna arjun ko vigyaan hi samjha rahe hote hai ki jaisa karm kiya jaayega vaisa hi fal milega ye samaan baate hai…jin vigyaan ke tarko ko kai sadiyo se deviya avtaar kahe jaane vaale mahapurush
Bharat varsh mai batate aa rahe hai ve hi sab aaj ki mordern physics mai hai mai ye nahi jaanta ki ishwar hai ya nahi par mai ye jaanta hoo jitni shaktiyo ka swami bhagwaan ko bataya gya hai ve shaktiya keval gyaan mai hi hai aur vah gyan aashish shrivaastav ji aapke mere aur sampoorn jagat k kan kan mai hai jise energy ya oorjaa kaha gya hai aatma ko maante nahi honge aap vo to energy hi hoti hai par power full aatma sahi advaancd shareer ya mashtishk na milne par bekaar hai kahne ka taatparya ye hai ki bhagwaan ka asli swaroop gyaan swaroop hai vah har manushya ke aatma swaroopi softwere mai sthit hai vahi kaal bhi hai jise samay kahte hai aur ek din vah samay bhi aayega mitro jab samay aapko saare swalo ke jawab de dega kyoki samay se bada”sikshak”koi nahi hota….
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you interesting your whatsapp number please
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जी, मै व्हाट्स एप्प का प्रयोग नही करता। व्हाट्सएप से निजता प्रभावित होती है।
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सर, मैं यह जानना चाहता हूँ की पृथ्वी का मध्य कहा है? इस पर प्रकाश डालिये
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आप जिस स्थान पर खड़े है उससे 6375 किमी नीचे. पृथ्वी 12750 किमी व्यास की एक गेंद के जैसे है। इसका मध्य सतह के किसी भी बिंदु से 6375 किमी दूरी पर केंद्र मे होगा।
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Kya space m sabhi planets (up to down ja rahe h)
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अंतरिक्ष मे दिशा का कोई अर्थ नही होता है। वहाँ आप जिस ओर भी देखे गहन अंतरिक्ष ही होता है।
सूर्य के सभी ग्रह एक ही प्रतल मे सूर्य की परिक्रमा करते है।
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dark matter samajh me nhi aa rha h sr
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sr ek question tha…jab bhi hm kagaz ke tukdon ko uperse neeche girate hn to vo hamesha wavial motion me qn girta h??
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वह वायु की लहरो के प्रतिरोध को दर्शाते हुये नीचे गीरते है। आप अप्रत्यक्ष रूप से वायु की लहरो को देख रहे है! है ना आश्चर्यजनक!
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DIN ME MOON KYO DIKHTA HAI
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उसका प्रकाश इतना तेज होता है कि सूर्य की चमक मे खोता नही है, इसलिये चद्रमा को दिन मे देख सकते है.. शुक्र ग्रह भी दिन मे देखा जा सकता है
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Dhanyavad. 🙂
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i like this post . .
this site is amazing . . .
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hamen din main sun ke alawa koi aur taara kyu nhi dikhayi deta hai, jabki space main toh sun se bade anek taare hai….?
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ब्रह्माण्ड से सूर्य के कई गुणा बड़े तारे है लेकिन वे बहुत दूर है। दूरी के साथ तारो की दीप्ती(चमक) कम होते जाती है। सूर्य हमारे काफी निकट है , जिससे उसकी दीप्ती अत्याधिक है, इस दीप्ती के कारण अन्य सभी तारो की दीप्ती दब जाने से वे दिन की रोशनी मे दिखायी नही देते है।
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Bahot achchha laga
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यदि आपको कभी आपका एन्टी मनुष्य मिले तब आप उससे हाथ मिलाने की गलती ना करें। आप दोनों एक धमाके के रूप में ऊर्जा में बदल जायेंगे। y
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Lajavab! But apne likha bramand ka vistar ek bindu” se shuru hua,y bindu kitna bada tha? Or apne likha “es samay bramand ka akar ek santre jitna tha! Kya vakai? To fir etne sare grah y sab bhi akar mai badte gaye kya,ya y eample hai samjhane k liye
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यह वह समय था जब सामान्य बुद्धि काम नही करती है, सारे नियम काम नही करते है…. लेकिन यह सच है
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mujhe yah padhkar bahut hi jayada achha laga….. its sooooooooooo amazing and valuable
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sir
mera ek questions hai yadi big bang say pehle space nhi tha to kya hum us bindu ki kalpna kar sakte h? aise bahut theory h jisme yai kha gya h ki big bang say pehle space bhi nhi tha kirpa answer de…
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ब्रह्मांड के उत्पत्ति के विषय में अच्छा लेख है। ब्रह्मांड महाविष्फोट से उत्पन्न नहीं हुआ है बल्कि यह सदैव से ऐसा ही है,इस बात से मैं सहमत हूँ। ब्रह्मांड को सदैव से ऐसा ही होना चाहिये और आगे भी ऐसा ही चलता रहेगा। नये -नये ग्रह,नक्षत्र,तारे का जन्म होता रहता है और ये बाहर की ओर आकर्षित होते हैं तथा बाहर की ओर भागने लगते हैं तथा अन्त में व्रिहद ब्रह्मांड (क्रिष्ण सागर)में समा जाते हैं तथा उसमें विलिन हो जाते हैं।
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उदय जी, अब तक के सारे प्रमाणो के अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति बीग बैंग से हुयी है।
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अब तक के प्रमाण बिग-बैंग को केंद्र में रखकर इकट्ठे किए जा रहे हैं। ब्रह्मांड को फैलने की वजह सिर्फ बिग-बैग ही नहीं बल्कि अन्य कारण भी हो सकते हैं। ब्रह्मांड का बार-बार फैलाना -सिकुड़ना यानी बार-बार बिग-बैंग की घटना होगा,ऐसा कहना थोड़ा अविश्वसनीय लगता है।
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Bahoot badhiya
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ज्ञानवर्धन लेख !
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole and commented:
very very true story,,,
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Bahut achha likha hai aapne. Aage band nahi kijiye
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wahhhaaa……
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good morning sir hamara ek question hai or sir hum jinko bhi apna question puchate hain wo hume satisfied nhi kar paate so sir aap agar hume satisfied kar sake to apki hum par bahut kripa hogi
question hamare pas 2 alag -2 mass ke patthar hain jaise ki ek 2 kg ka dusra 4 kg ka to earth ka gravational force bhi dono par barabar hai or accelaration bhi agar hum dono ko samaan hight se niche giraye jabki niche plain hai to dono me se kon sa pathhar pahle girega or kyu?
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यदि आप एक हथौड़े और एक पंख को कुछ ऊंचाई से एक साथ छोड़े तो सबसे पहले ज़मीन पर कौन पहुंचेगा ? पृथ्वी पर निश्चय ही हथौड़ा पहुंचेगा लेकिन पंख पर वायु के अधिक प्रतिरोध के कारण। चंद्रमा के जैसी वायुरहित स्थिति मे दोनो एक साथ जमीन पर पहुचेंगे। गैलीलीयो के पूर्व वैज्ञानिक इस प्रयोग के परिणामो पर चकित थे, उन्होने पाया था कि वायु के प्रतिरोध की अनुपस्थिति मे सभी पिंड एक ही गति से नीचे गिरेंगे। गैलीलीयो ने भिन्न द्रव्यमान के धातु के गोलो को ऊंचाई से गिरा कर यह प्रयोग किया था और पाया था कि वे समान गति से गिरते है। लोककथाओं के अनुसार गैलीलीयो ने यह प्रयोग पीसा की झुकी मीनार से किया था लेकिन इस कथा की प्रामाणिकता पर संदेह है।
इस तरह के प्रयोग के लिए सर्वोत्तम स्थान चंद्रमा है ,जहां पर वायु प्रतिरोध नही है। 1971 मे अपोलो 15 के अंतरिक्ष यात्री डेवीड स्काट ने एक हथौड़ा और पंख चंद्रमा की सतह पर कुछ ऊंचाई से छोड़ा था, यह विडीयो उसी प्रयोग का है। गैलीलीयो और आइंस्टाइन के जैसे वैज्ञानिको के अनुमान के अनुसार दोनो पंख और हथौड़ा चंद्रमा की सतह पर एक साथ पहुंचे थे। इस प्रयोग ने सिद्ध किया था कि समानता सिद्धांत(equivalence principle) के अनुसार गुरुत्वाकर्षण द्वारा उत्पन्न त्वरण पिंड के द्रव्यमान, घनत्व, संरचना, रंग आकार या किसी अन्य गुण पर निर्भर नही है। समानता सिद्धांत(equivalence principle) आधुनिक भौतिकी मे इतना महत्वपूर्ण है कि इस पर वर्तमान मे भी बहस और प्रयोग होते हैं।
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Bohat Accha lekh hai mujhe pasand Aaya .
Like it.
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ये विश्व भी किसी पदार्थ से विकसित होकर यहाँ तक पहुँचा है जैसे कि आज का मानव का उक्रांत होकर यहाँ तक पहुँचा है..और ब्रम्हांड का विकास एक लाट कि तरह हो रहा है जैसे कि बिग बँग होकर प्रसरण हो रहा है और आकुंचन भी हो रहा है ..तो फिर प्रश्न उठेगा कि पहला पदार्थ कहा से आया तो मै मानता हुँ वो तो जरुर सनातन होगा…
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bahut achhi jankari diye
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science me jagruti rakhana rochak to hai hi sath hi isase hamare manobal par prabhav pdta hai hame bhi science me kuch aisi invention karne ki jagruti rakhana chahiye
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Brahmand main jo akash ganga hai kya iska sthan nischit hoga agar iska sthan nischit hai jo river ke kinare hote hai to veise akash gange ke bhi kinare hote hoge ager nahi hai to uske agein pani badta hi rahega to uske bad kuchh bhi ho sakta hai akash ganga ka nischit hai jisse ki uska sthan na kam ho sakta hai na jyada to kise namunkin hai
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gajab ki hindi bhasa ka prayoge. kiya gya
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very nice
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Mujhe padhakar bahut khushi hui kyoki yeh bahut hi romanchak aur rahasyamay kahani hai
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sachin ji bhartiya scripture mai research ki jay to sab pata kiya ja sakta hai.
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jitni bhi tarif ki jaye kam hai, par aapse ek nivedan hai ki aap ise bhavishya mai bhi jari rakhe dhanywad.
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very nice
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surya se bhi badai taarai hote hain ya nahi.
hote bhi hain to surya se kitne badai
krpya mujhe awasya batain.
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सूर्य एक गैस का बहुत बड़ा गोला है, उसमे बादल होने का प्रश्न ही नही है।
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You have presented a very commendable work in Hindi!
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Aashish ji baat manyata ki nahi hai me aapako actuality bata raha hoo aur me prashanshya ke liye bahas nahi kar raha hoo.
Aap bahas karane ki bajay mere baat pe gaur kijiye aur research kare. Hamare Ved Puranome me likhe huye aise karodo raaz hai jo science dhire dhire khoj raha hai aur wo Vedome varnit raazonse mel khate hai.
Ek visphot se duniya kaise ban sakati hai, sochane vali baat hai.
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1) Ashish Ji mene already mere pehale reply me aapako dharmik granth me vigyan ka roop dikhya hai phir se me wo daurata hoo “Bramhand ka koi ant nahi hai, is bramhand me karodo aakashgangaye hai this sentence already write in our ved puranas before 6 to 7 thousands years ago by maharshi vyas & the same thing explain by our vigyan”.
2) Jis Big bang therory ki aap baat kar rahe hai wo Bramha Puran me Varnit hai.
3) Rahi baat khoj karane ki to jarur kijiye aap apane aap samajh jayenge ki ham koi dhindhora nahi pit rahe hai.
4) Ek Baat to science bhi manata hai ki koi bhi chij apane aap nahi banati use koi na koi to banata hai to ye bramhand apane aap kaise ban sakata hai, sidha udaharan bola jaye to banjar jamin pe khet koi visphot hone se nahi ugata koi usape koi mehanat kare to hi ugata hai.
5) Ek baat science bhi manata hai ki koi to aisi Power hai jo is bramhand ko Energy supply karati hai.
6) Me Science ke Khilaf nahi hoo, lekin me aapako ek Ray deta hoo aap Bramha Puran Padhiye aapaki soch badal jayegi. ye Internet pe bhi Upalabdh hai.
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सचिन जी, आप ब्रह्म पुराणँ पढ़कर बता दिजीये कि बिग बैंग के बाद 0 से लेकर 1 -43 तक क्या हुआ था? बिग बैंग में ऐसा क्या विचित्र हुआ था कि पदार्थ और प्रति पदार्थ की मात्रा भिन्न थी ! मै ऐसे प्रश्नों की झड़ी लगा सकता हुँ।
क्षमा किजीये मै धर्मग्रंथो में विज्ञान नहीं खोजता,धर्म और विज्ञान देनों को अलग रखता हुँ!
यह मान के मत चलें कि मैने वेद, उपनिषद या पुराण नही पढ़ें है या वे मेरे पास नहीं है, इसी लिये मैंने आप से ग्रंथ का नाम , श्लोक,श्रुति या मंत्र का संदर्भ माँगा था। http://vedahindi.blogspot.in ये ब्लाग भी मेरा है जिस पर मै आजकल समय नहीं दे पा रहाँ हुँ।
मेरा उद्देश्य आपकी आस्था को ठेस पहुँचाना नहीं है लेकिन मै कार्ल सागन का एक कथन दोहराऊँगा “असाधारण दावों की पुष्टी के लिये असाधारण प्रमाण चाहिये होते हैं!”।
किसी भी दावे को प्रमाणित करना दावा करनेवाली की ज़िम्मेदारी होती है आप धर्मग्रंथो में विज्ञान मानते हैं तो प्रमाण दिजीये।
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Boss mene praman diya hai, aapane koi dharma granth nahi padha hai ye aapaki batonse pata chalata hai
Please request you to padhiye phir baat karenge
Rahi baat astha ki to me mandir bhi kabhi kabar jata hoo, aur upavas to mene kabhi pakada hi nahi hai ye me isaliye bata raha hoo ki me koi upadesh dene wala bramhan nahi hoo me ek modern jamaneka aadami hoo, jo ek baat se santust nahi hota jaise court me judge dono bate suneke baat faisala leta hai vaisehi me hoo jo puran, dharmik aur vigyan ye sabaki baate sunata hoo aur apani baat age rakhata hoo aur faisala leta hoo aapaki tarah ek baat nahi soonata
aur me bramhapuran aapako padhane ke liye bol raha hoo mene padha hai
Aap jab padhenge tab baat karenge
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सचिन जी, आप अपनी मान्यताओं पर कायम रहें, आपके विचार है, उनपर मै कोई टिप्पणी नही कर सकता। आप यह भी मानने के लिये स्वतंत्र हैं कि मैने कोई धर्मग्रंथ नही पढ़ा है, मै इसे प्रमाणित भी नही करना चाहता हूं। इस बहस का कोई परिणाम नही निकलेगा। वैसे मै आपकी प्रशंसा करता हुं कि आपने अपने विचार संयत रूप से रखे, आम तौर पर ऐसा होता नही है।
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sachin me aapse puchhna chahta hu ki ye jo bhukamp aate hai , barish hoti hai , badal fatte hai , tapman adhik rahta hai, kya yah bhagvan karte hai , mere kyal se yah sab bhagvan to nahi karte hai in sab ka karan me hu bhagvan hai har jagah hai lekin ……… jabab jaur dena
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भूकप, बारीश, बादल फटना सब विज्ञान के नियमो से होता है , इसके पीछे किसी काल्पनिक शक्ति का हाथ नही है।
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kya heavan hai
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स्वर्ग के पृथ्वी के बाहर होने के अब तक कोई प्रमाणँ नहीं हैं।
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Ashish ji science ki koi nai khoj bataiye jo puranon se mel nahi khati
Hamara science puranonse hi to bana hai aur aage badha hai
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सचिन जी, आप मुझे किसी भी धार्मिक ग्रँथ में वैज्ञानिक सिद्धांत दिखा दिजीये, ग्रंथ का नाम श्लोक/सूक्त/मंत्र बता दिजीये। यदि धार्मिक ग्रंथ में विज्ञान होता है तो उन्हें पढ़कर नयी खोज क्यों नहीं होती है। हर नयी खोज के बाद उसे धर्मग्रंथो में पहले से होने का ढँढोरा पिटा जाता है? क्यों सारी नयी खोज पश्चिम में होती है? हमारे ग्रँथ में है तो खोज हमारे द्वारा होना चाहिये ना?
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did only water of cosmic before 14 arab year?
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14 अरब वर्ष बिग बैंग से पहले कुछ नहीं था! पानी का तो प्रश्न ही नहीं उठता क्योंकि उसे बनाने वाले आक्सीजन, हायड्रोजन , या अणु परमाणु का भी अस्तित्व नहीं था।
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bhut acha hai jo maine read kra…mujh universal ke bare mai jaanna bhut psnd hai mai bilkul kho gye thi prte prte mujh esa mhsus ho rha jese mai vhe galaxy mai pauch gye hu kyi ki mai vo sb mhsus kr rhi thi imagin kr rhi thi…
mujh universal baaten sunne mai janne mai bhut intrest hai…
yh black hole kya hai…earth kese bni…hm is earth pr kese aye..hmko pta h insaan jnm kese leta h bt vo ese kun se do jne thy ldka ldki jisse agai ki pedi bni ur vo do ldka ldki kese aye unko kun laya…moon kese bna..kya alian hote hai……..sun kese bna…kya log mrne ke baad star bn jate hai…kya tare gato krte hai…..log mrne ke baad kha jate hai….yh suarg nrk jesi koi jgh hote hai…bhagwan sch mai hote hai agr hote h to hmse kitne dur unka ghr hai….chitrgupt ji ke pas sb jate h to chitrgupt ji njr kyu nhi ate….hmare death kyu hote hai….jb jivn diya hai to death kyu…yh death hai kya kha jata hai insaan death ke baad………..ndd eetccccccc bhut kuc h mere mn mai…kya mujh koi in questions ka answer de skta hai….
agr ans ho to pllllzzzz mujh jrur btana…..
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श्रद्धा जी, इस ब्लाग पर ब्लैक होल पर भी कुछ लेख है उन्हे देखें
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Hi shradha, please read our pauranic bhagavat gita & read the jivan chakra on internet as per science u will get all the answers of your questions
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Sachin bhai…
Mai Bhagwan mai manta hu, lekin fir bhi bhi yah sawal mere dimag mai hai ki ye sab jab bhagwan ne banaya hai to wah bhagvan kon hai ? Man lijiye ki wah Brahma ji the aur apne puran ke hisab se usne ye duniya, srusti banayi hai to wah Brahma ji ko kisne banaya ???? Aur usne yah duniya, yeh pashu, pakshi, manav yah sab kyu banaya jab ek din isko khatam hi karna tha to ( vedo ke hisab se kalyug ke bad duniya ka sarvanash hoga)
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1.
ब्रह्मांड का यह बिन्दु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत गर्म(infinitely hot) रहा होगा। इस स्थिती में भौतिकी, गणित या विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता है। यह वह स्थिती है जब मनुष्य किसी भी प्रकार अनुमान या विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिती में रुक जाता है, दूसरे शब्दों में काल और समय के कोई मायने नहीं रहते है।
2.
महा विस्फोट के 10^43 सेकंड के बाद, 10^34 सेकंड के पश्चात, 10^10 सेकंड के पश्चात
दोनों बिंदु विरोधाभासी लगते है, Bing Bang कि स्थिति में ब्रह्मांड इतना सकुचित था कि काल या समय का कोई अस्तित्व ही नहीं था, तो जिसे हम कह रहे है “जब महा विस्फोट के बाद तीन मिनट बीत चुके थे” वो आज के समय के सापेक्ष बहुत लम्बा अरसा हो, हज़ारो या लाखो साल के बराबर (आज के समय के सापेक्ष)…
और यदि हम इस बात पे सहमत होते है, तो यह भी संभव है कि जेसे-जेसे ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है वेसे-वेसे समय कि गति तेज़ हो रही है, तो जैसा हम अनुभव कर रहे है कि अंतरिक्ष के पिंड ज्यादा तेज़ गति से एक दूसरे से दूर जा रहे है, हो सकता है वो समान गति से ही (constant) एक दूसरे से दूर जा रहे है, पर क्युकी समय कि गति तेज़ हो रही है इसलिए हमे लग रहा कि वो जयादा तर्वित गति से एक दूसरे से दूर जा रहे है…
या हो सकता है यह भी आभासी हो, कही कुछ नहीं बदल रहा, बस समय कि गति कम जयादा हो रही है, इसलिए हमे लगता है कि Bing Bang तो 10^43 में ही गठ गया, उसकी अपेक्षा प्रथवी कि आयु, या सूर्य या गैलेक्सी कि आयु बहुत जयादा है, हो सकता है किसी अनय आयाम (समय,काल,स्पेस) के सापेक्ष सब कुछ स्थिर हो…
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Hi amit mishra ji I m with u, just now I read your comments
Main ek reader hoo. Main dharmik aur vigyan ki books padhata hoo.
Compare kiya jay to jo hamare dharmik granthome likha ha vahi to scientist hamare samane lakar rakh rahe hai.
E. G. Bramhand ka koi ant nahi hai, is bramhand me karodo aakashgangaye hai this sentence already write in our ved puranas before 6 to 7 thousands years ago by maharshi vyas & the same thing explain by our vigyan.
One more thing kisi bhi chij ko chalane ke liye energy chahiye like hame energy khane se milati hai, khane ko jamin se means in farming jamin ko pani aur dhup se ye to chota sa cycle hai.
But itane bade bramhand ke planets like earth, mangal, etc ko chalane ke liye energy kaha se aati hai that should be think about this. Ye koi mastermind hi chala sakata hai means god
As per Bhagavat Puran this energy generate from Lord Vishnu as a Palanhar & Srujankarta
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(*) इस विषय पर पूरा एक लेख लिखना है।
क्या यह लेख लिखा जा चूका है, यदि हां तो करपिया लिंक दे।
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यही सम्पूर्ण प्रक्रिया …ऋग्वेद में वर्णित की गयी है…..जो ईषत इच्छा से प्रारम्भ होकर… सृष्टि…लय….सृष्टि …के अनवरत चक्र को वर्णित करती है…..सम्पूर्ण प्री-एटोमिक..सब-एटोमिक कणों के सहित……पढ़ें महाकाव्य “सृष्टि…ईषत इच्छा या बिग-बेंग…एक अनुत्तरित उत्तर “…..
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Very good.
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ये बहुत रोचक ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारी है।
धन्यवाद॥
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due to accelerated attraction – our earth will collapse to the sun takes about 2 arav years.
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achcha aap eak baat bataye….har vastu har vastu ko apni or khich rahi hai…to suraj ka dravay maan hamare priy 9 graho ke dravy maan se adhik hai…to suraj bhi hamare grah ko khich rahi ho gi… to kya……? hamari pyaari prithvi or suraj ke karib ka grah budh bhai ko apni or khich legi…..
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आप सही हैं! सूर्य पृथ्वी को अपनी ओर खींच रहा है, पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते साथ उसके समीप जा रही है। लेकिन यह गति धीमी है, इस गति से कुछ समय अर्थात लगभग 5 अरब पश्चात पृथ्वी सूर्य मे समा जायेगी।
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मेरे विचार में दुसरा तारा हमें सपोर्ट कररहा होगा / नही तोह सुरज कबको हमें अपने पास मिला चुका होता / मेरे खियाल में येह शक्ति सन्तुलन हमेशा रहेगा ..
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badai ho aap ki soch ko jo aap itna achcha soch kar likh lete hai….magar khushi tab mile gi…jab is ghyan ko or upar tak lejaye….. dhanyvaad hindi me likhne ka….
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लेकिन “हम महान, हमारा धर्म महान, हमारे धर्म ग्रंथ महान” वाली विचारधारा से मैं सहमत नही रहता।
ज्ञान जहां से भी मिले ग्रहण करना चाहिये, चाहे वह पश्चिम से मिले या पूर्व से। aaj aap jaise bhartiyo ki sakth aavaskyata hai jo apne gyan ka ghahrai se swadhaya kare sacchai ko vishwa patal par rakhe, kyoki paschim ka har gyana sahi hai yah manna logical bhartiyo ko manya nahi hai.
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श्रीमान आप बहुत अच्छे होगें जो कि बिना किसी लालच के इतने गुणवत्ता भरपुर और ज्ञानवर्धक लेख लिखते हैं. जहां अधिकाश हिन्दी ब्लॉगर बेकार विषयों पर लेख लिख के अपना समय तो बेकार करते ही है और हिन्दी ब्लॉगजगत की छवि भी बिगड़ती है.
इस लेख से संम्बंधित कुछ प्रश्न
आप ने लिखा है कि
१०-१० सेकंड के पश्चात, एन्टी क्वार्क क्वार्क से टकरा कर पूर्ण रूप से खत्म हो चुके थे, इस टकराव से फोटान का निर्माण हो रहा था। साथ में इसी समय प्रोटान और न्युट्रान का भी निर्माण हुआ।
परन्तु प्रोटान और न्युट्रान का निर्माण किस से हो रहा था
एक और निवेदन मैं इन दिनो कुछ ऐसे हिन्दी ब्लॉगस की लिस्ट बना रहा हुँ जो कि एक छात्र के लिए उपयोगी हों अगर आपकी दृष्टि में कुछ ऐसे ब्लॉगस है तो कृप्या मेरी ईमेल पर भेजे
साहिल कुमार
inhindigyan@gmail.com
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ध्यान दिजीये कि मैंने लिखा है “एन्टी क्वार्क क्वार्क से टकरा कर पूर्ण रूप से खत्म हो चुके थे” अर्थात एन्टी क्वार्क ख़त्म हुये थे लेकिन क्वार्क नहीं। किसी अज्ञात कारण से क्वार्क की संख्या एंटी क्वार्क से ज़्यादा थी, इस विसंगति को parity violation कहते है।
Sent from my iPad
>
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Muze a lekh padhakar bahot achha laga. Mai aapko thanyavad deta hu sir……
lekin mera ek sawal hai ?
1) a jo khali jagah ( Hollowness) hai kya a big bang k pahelese tha ya, aisa kuch nahi tha?
2) apni solar system me gravitational force kaise kam karta hai?
pls send anw….
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aap us bindu ki vikhya kar rahe hai jo pehle se vidhyaman hai,hamare poranic sidhanto k anusar yah theory hai ki ”kuch nahi se kuch bana” vo kuch nahi kya hai…………….?
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Yeh lekh padhkar bahut sari jankari prapt hoti hai.
SO very nice.
Thank You.
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आपके इस लेख में ब्रह्माण्ड के प्रारंभिक दौर को बताने में शब्दों की कसावट और रचना का जिस तरीके का प्रयोग हुआ है। वह तारीफ के काबिल है। अक्सर बताते समय गलतियें की जाती हैं। कि अत्याधिक ताप और दाब के कारण आतिसूक्ष्म बिंदु में विस्फोट हुआ। जिसके फलस्वरूप ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ। जबकि किसी भी घटना का कारण उसके तह में अर्थात अवस्था में छुपा होता है। ताप और दाब स्वयं निर्मित इकाईएँ थी। जिसे ब्रह्माण्ड के विस्तार के लिए कारण ठहराया जा सकता है। परन्तु उसके निर्माण के लिए कतय नहीं..। बहुत सुन्दर लेख है..
सर, मुझे लेख में आगे चलकर कुछ कमियें महसूस हुईं। जहाँ आप उस सर्वस्व की जानकारी देते-देते अपने ब्रह्माण्ड की जानकारी देने लगे। अर्थात आप ब्रह्माण्ड के समूह की जानकारी दे सकते थे। इसी दौरान आपने विस्तार की गति को बढता हुआ बता दिया है। जबकि विस्तार की गति में कमी हुई है।
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good
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HAME BAHUT ACHA LAGA HAMARE MAN ME BHRMAND KE BARE ME JAAN NE KI BADI TAMNNA THI JO AAPNE PURI KI HAM AAP KE AABHARI HE….
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aaj apne life me mai pahali bar is tarah se bramhand ke bare me jankari pakar bahut hi harshit huaa hu.
mai is site ko apne sabhi dosto ko padane ke liye prerit karunga.
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maza aa gaya..
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धन्यवाद
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we became happy after read it. It is a good station for knowing about universe.
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It is the best article on origin of earth i ever read. I was not satisfied by reading many books and articles of geology but by reading this article i am satisfied.Thank you
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since long time i was searching to have information regarding past, present & future of universe in Hindi or Gujarati…..
i think that now i do not need to search more…..thank you…..
may i have complete detail of universe in single unit ?
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विजय,
इस ब्लॉग पर ऐसे बहुत से लेख है, आप पढ़ते जाईये !
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मुझे ऐसा लगता है कि कई वैज्ञानिक हमारे वेद को ही पढ़कर ही कुछ विषयों को प्रयोगों के माध्यम से सिद्धांत प्रतिपादित कर दिया है. वृह्मांण्ड के बारे में भी जो महाविष्फोट का सिद्धांत है वह भी वेदों में वर्णित सिद्धांत से मिलता जुलता है। मैं आइन्सटाइन के एक सिद्धांत सापेक्षता के सिद्धांत के बारे में भी कुछ कहना चाहता हूं। एक धार्मिक टीवी सीरियल(कृष्णा) देखा था जिसमें एक राजा को अपनी पुत्री के विवाह के योग्य वर नही मिला तो उन्होंने वृह्मलोक जाकर वृह्मा से पूछा कि इसकी शादी कहां करूं तो वृह्मा जी ने कहा की वृह्मलोक का एक क्षण धरती के युगों के बराबर है इस समय वहां पर द्वापर युग है आप वहां जाकर श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम से विवाह करें। तब राजा वहां से धरती आजाते हैं तो धरती में द्वापर युग चल रहा था । इस कहानी को बताने का मतलब था कि आइन्सटाइन ने भी यही कहा था कि अगर कोई प्रकाश की गति से सफर करता है तो उसके लिये समय शून्य हो जाता है और वह भविष्य में पहुंच जाता है यह कहानी इस वात का सबूत है कि हमें वैज्ञानिक सोच के साथ वेदों तथा अन्य धार्मिक ग्रंथो जो वैज्ञानिक हों (किसी भी धर्म के हों) अध्ययन करना चाहिए क्योंकि अभी भी बहुत सारे रहश्य इनमें छिपे हैं.
(किसी भी त्रुटि के लिए माफ करें)
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अमित जी,
आप महाभारत मे वर्णित राजा रैवत तथा उसकी पुत्री की कथा का उल्लेख कर रहे हैं। ब्रह्माण्ड मे भिन्न स्थानों पर समय के भिन्न गति से चलने का यह सबसे प्रथम उल्लेख है।
वेदो, पुराणो तथा अन्य धर्मग्रंथो मे वैज्ञानिक सिद्धांत छुपे हो सकते हैं, सहमत हूं। उनका अध्ययन होना चाहीये, कोई दो राय नही। लेकिन “हम महान, हमारा धर्म महान, हमारे धर्म ग्रंथ महान” वाली विचारधारा से मैं सहमत नही रहता।
ज्ञान जहां से भी मिले ग्रहण करना चाहिये, चाहे वह पश्चिम से मिले या पूर्व से।
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महा विस्फोट सिद्धान्त मे यह जो आपने कहा – “यह विस्तार कुछ इस तरह से हो रहा है जिसका कोई केन्द्र नहीं है” नहीं समझ में आ रहा है कि जब एक बिन्दुका महाविस्फोट हो कर ब्रह्माणका प्रसारण (विस्तार) शुरु हुआ और अन्त्य मे सञ्चुकन होते हुये केन्द्रित हो कर पुनः पूर्व स्थिति को ही प्राप्त हो रहा हैं तो विस्तार को कैसे अकेन्द्रित कह सकते ?
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यह कुछ गुब्बारे में हवा के भरने से फैलाने की तरह है जिसमे हर बिन्दु दूसरे से दूर जाता है, इस विस्तार का कोई केंद्र नही होता है.
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very nice but we dicuss about this topic comtact *********
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Priy Vigyani ji,
humne aaj pahli baar apki ye site kholi, jise padhkar hum bahut hi jyada prabhavit huve hain. aur humein ish baat ka dukh bhi hai ki mujhe pahle iski jankari kyun nahi hui.
Aaj dopahar e hi main aapki is site per baitha hoon. aur ab raat ke 11 bajne ko aaye hain to soncha ki kuchh aabhar to prakat hi kar du.
Ji bahut Bahut Dhanyawad, itni achchhi achchhi post dene ke liye. aapke sabhi lekh jankariprad hain. aur aaj ke baad mujhe aapki is site ki jankari aur logo ko deni hai.
Mahodaya ji,
Main Einstein se bahut adhik prabhavit hoon. main unki sabhi theory ko, unke vicharo ko janna chahta hoon. E=mc2 aur theory of relativity(samanya aur vishisht siddhant) ki vyakhya yadi aap kar sake to main aapka sadaiv aabhari rahoonga.
E=mc2 mein main ye janna chahta hoon ki einstein ke man mein kya bhav aaye honge?
Ishke alava main ye bhi janna chahta hoon ki eak safal vigyanik ke kya lakchhad hote hain?
Darasal main eak vigyanik banna chahta hoon. abhi main 10th ka student hoon. main eak aisa bhautik vigyanik banna chahta hoon jaise ke einstein the. main ye janta hoon ki unke jaisa koi oosra nahi ho sakta. per phir bhi main prayash karna cahta hoon. aur aaj pata nahi kyun jaie mujhe laga ki aap mera maargdarshan karne se na nahi karenge.
anmol.kumar@live.in meri email id hai.
Aasha hai ki aap apni site mein mere bataye topic mein likhenge aur mujhe nirash nahi karenge.
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bahut accha lekh hai , kafi acchi jankari mili……..
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too good,
Peoples are satisfied to read this essay.
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i can open the univers mystery.i want to contact vigyan vishv for my research
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Bhrmad ke bare me bhut hi shi trike se btaya gya hai hum aasa krte hai ki aage bhi isehi btate rahe thanks Krishan meena Jaipur se
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हिंदी में इसे प्रस्तुत कर आपने बहुत सराहनीय कार्य किया है| आपका आभारी रहूँगा|
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ye aapka ehshan hai jo aap is vishay me jankariya hame de rahe hai. isase pahle mai pagalo ki tarah idhar udhar bhatakta raha aur mujhe ab ja kar sahi jagah mujhe mila. par ye vigyan ki pyass bahut badi hoti hai. jab aapne laga di hai to aapko hi ise bujhana hai aur mujhe yakin hai aap aisa kar sakte hai.
dhanyabaad
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readind krte samay aisa lag raha tha jaise main unverse main hu.it’s very interisting.
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kafi rochak tha
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very good knowldge getting from you thanks
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good knowldge given by you it can not get eaisly now v…..good write always
and give knowldge for increge
regd
ashok kumar shakya
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Dilip patil
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Dear Friends
i like reading in space story writing in hindi
Aak bat mujhe bahut bar likhne ko majbur karti hai ki thi big bang ho ya the big crunch ho lakin unme jo aak amat tatva (kan) parmanu hai wah hi astitva ka parval
parman hai jise ap energy bolo ya god vahi sanchalit karta hai viswa ko.
agar kisi vi parmanu se use hata de to kuch bhi nahi
uska kya formula hai yah ham nahi pakkad sakte lakin jis din ham waha pahuch jayange to god mil jaiga tab hame kuch bhi janne ki ichha nahi hogi
That is True
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aashish ji krpa kar ye batayen ki yadi koi vyakti kisi shakti ke dwara bramhand main
sare grhon ko dekh sakta ho vahan rahte aliyan jo dharti ke logon per parekchan karte hue mangal grah per rehte bone log aadi . use kahan sampark krna chahiye.
plese madad karen. email add svr_studio@yahoo.com
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aashish ji krpa kar ye batayen ki yadi koi vyakti kisi shakti ke dwara bramhand main
sare grhon ko dekh sakta ho vahan rahte aliyan jo dharti ke logon per parekchan karte hue mangal grah per rehte bone log aadi . use kahan sampark krna chahiye.
plese madad karen.
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Very nice, you have tired best,keep it.
one suggesion,
Please check again grametical & spelling mistake.
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Vigyan buniaadi zarurat hai. Yanav, Vivad, takleephon se mukt krata hai , Apke
tamaam sawalon ke Jawab deta aur Aapko Koi Shikayat Nahi Hohi. Vigyan apko Ishwar ke Behad karaab le Jataa hai.
Bahut Dhanwad Apka Is Koshish ke liye, Kuchh Mai Bhee Yagdaan karunga,
Lekin Ek Shikayat Hai,
Hijje (Spelling Mistakes) Bahut hi Hain
Krishan
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विज्ञान विषय पर वैसे भीलिखने वाले कम हैं – उम्मीद है आप इस विवर को भर पाने में कामयाब होंगे.
बेहतरीन शैली में ज्ञानवर्धक लेख है यह.
शुभकामनाएँ.
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इतना सुन्दर और ज्ञानवर्धक चिठ्ठा शुरू करने पर बधाई, बहुत सरल भाषा में आपने लिखा
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आपने मेरे दिल के करीब विषय पर लेख लिख है। इस वैश्विक रहस्य के बारे मे जितना जानो कम है और जितना सोचो कम। रोज ही रात में आकाश पे आँखे गड़ाये घंटॊ सोच सकता हूँ। आपका पन्ना बुकमार्क कर रहा हूँ, अपनी मम्मी को पढ़ाऊँगा :)। कुछ मेने भी लिखा था पहले (http://meri-awaaz-suno.blogspot.com/2006/07/blog-post_26.html)
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आपका प्रयास सफल है। इस वायदे
‘यदि मेरा यह प्रयास सफल रहा तो मैं यह सामग्री हिन्दी वीकी के लिये उपलब्ध कर दूँगा।’
मत मुकरियेगा
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बहुत सुन्दर लेख, एक इसी विषय पर चिट्ठे की कमी थी सो आपने पूरी कर दी है। आशा है रोज नये नये और रोचक विषयों पर लेख पढ़ने को मिलेंगे।
श्याम वीवर ( Black hole) समय और प्रकाश की गति पर लेख लिखें, उत्सुकता रहेगी।
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मजा आ गया पढकर। बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है।
इस तरह की वैज्ञानिक विषयों पर सेरीज बहुत उपयोगी रहेगी। इससे हिन्दी चिट्ठाजगत की समृद्धि काफी बढ जायेगी।
आपका बहुत-बहुत स्वागत !!
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