रंगो का अद्भुत विश्व : दर्पण, मृगमरिचिका


दृश्य प्रकाश के रंग अद्भुत होते है और उससे अद्भुत है हमारी उन्हे देखने की क्षमता। मानव नेत्र लगभग एक करोड़ से ज्यादा रंग पहचान सकते है।

आपने कई रंग देखे होंगे लेकिन कभी सोचा है कि आखिर लाल रंग की वस्तु लाल क्यों दिखायी देती है? किसी भी वस्तु का कोई रंग क्यों होता है ? वास्तविकता यह है कि किसी वस्तु का रंग एक भ्रम मात्र है, लाल वस्तु लाल इसलिये दिखायी देती है कि वह वस्तु लाल रंग का अवशोषण नही कर पाती है, लाल के अतिरिक्त अन्य सभी रंग उस वस्तु द्वारा अवशोषित हो जाते है। उसी तरह नीले रंग की वस्तु केवल नीले रंग का अवशोषण नही कर पाती है!

रंग
रंग
  1. प्रकाश स्रोत से ’सफ़ेद’ प्रकाश उस वस्तु पर पड़ता है।
  2. लाल के अतिरिक्त सभी रंग अवशोषित हो जाते है।
  3. इससे हमारी आंखो तक केवल लाल रंग का प्रकाश पहुंचता है और हम उस वस्तु को लाल रंग का देखते है।

जैसा कि हम जानते हैं कि सफ़ेद रंग सभी रंगो का मिश्रण है, सफ़ेद रंग की वस्तु किसी भी रंग का अवशोषण नही करती है जिससे वह सफ़ेद रंग कि दिखायी देती है। काला रंग इसका विपरीत है, काला अपने आप मे कोई रंग नही होता है, इसका अर्थ है रंगो की अनुपस्थिति। काले रंग की वस्तु अभी रंगो का अवशोषण कर लेती है, जिससे वह काले रंग कि दिखायी देती है।

यदि हम किसी लाल वस्तु पर एक ऐसा प्रकाश डाले जिसमे लाल रंग को छोड़कर अन्य सभी रंग हो तब वह वस्तु हमे लाल नही काली दिखायी देगी। वैसे ही यदि आपने ध्यान दिया हो कि कपड़ो के (या किसी अन्य वस्तु) के रंग दुकान के प्रकाश की तुलना मे सूर्य की प्रकाश मे भिन्न दिखायी देते है। यहाँ भी कारण वही है कि सूर्य के प्रकाश मे लगभग सब रंग होते है जबकि कृत्रिम रोशनी मे कुछ रंग अनुपस्थित होते है जिससे कपड़े द्वारा रंग का अवशोषण दोनो प्रकाशो मे भिन्न होता है।

रंग की तकनीकी परिभाषा कुछ ऐसी होगी

रंग प्रकाश के उत्सर्जन, वितरण या परावर्तन द्वारा उत्पन्न वर्णक्रम संरचना से निर्मित दृश्य प्रभाव है।

यहाँ तक तो ठीक है लेकिन दर्पण का रंग क्या होगा ? वह भी तो किसी भी रंग का अवशोषण नही करता है, तो उसका रंग भी तो सफ़ेद होना चाहीये ना ? पढ़ना जारी रखें “रंगो का अद्भुत विश्व : दर्पण, मृगमरिचिका”